NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश: 21 हज़ार मदरसा शिक्षकों को 4 वर्षों से नहीं मिला मानदेय, आमरण अनशन की दी चेतावनी
मदरसों में गुणवत्तापूर्ण आधुनिक शिक्षा प्रदान कराने की योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में 21546 मदरसा शिक्षकों को नियुक्त किया गया था। पिछले चार वर्षों से अधिक समय से मानदेय नहीं मिलने के कारण कई शिक्षकों ने नौकरी छोड़ दी है और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
असद रिज़वी
21 Dec 2021
Madrasa teacher

उत्तर प्रदेश के मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने के उपदेश से नियुक्त हुए 21 हज़ार शिक्षकों को चार वर्षों से अधिक से मानदेय नहीं मिला है। लखनऊ-दिल्ली और ज़िला मुख्यालयों पर विरोध दर्ज कराने के बावजूद 57 महीनों से शिक्षकों के मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि कुछ शिक्षक आर्थिक तंगी के कारण ई-रिक्शा चला कर, वेंडिंग कर के और छोटी-मोटी चीजों के बिक्री कर,अपना गुज़ारा कर रहे हैं। संगठन का दावा है कि सरकार की उदासीनता की वजह से कई शिक्षकों ने सालों की सेवा देने के बाद नौकरी छोड़ दी है।

सरकार से नाराज़ शिक्षकों का कहना है कि भाजपा का नारा “सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास” था। लेकिन शिक्षकों का पिछले पांच सालों से कोई विकास नहीं हुआ है, उनको सिर्फ “आश्वासन” ही मिल रहा है। शिक्षकों के हालात बद् से बद्तर होती जा रही है।

मदरसा शिक्षक एकता समिति का कहना है कि “मदरसा शिक्षकों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है। मानदेय नहीं मिलने की वजह से मदरसा शिक्षक भुखमरी की कगार पर हैं।

मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कराने की योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में 21546 मदरसा शिक्षकों को नियुक्त किया गया था।

इस योजना को शुरू करने का उपदेश “मदरसे और मकतब” जैसे “पारंपरिक संस्थानों” को प्रोत्साहित करना और उनके पाठ्यक्रमों में विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी जैसे विषयों को शामिल करना है। उत्तर प्रदेश में इस योजना के तहत 7,742 मदरसे पंजीकृत हैं।

उल्लेखनीय है कि इस योजना को 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान शुरू किया गया था। पहले यह योजना मानव एवं संसाधन विकास मंत्रालय के तहत संचालित थी, लेकिन बाद में एक अप्रैल 2021 से यह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत संचालित है।

प्रारम्भ में इस योजना में मानदेय का भुगतान केंद्र सरकार की ओर से किया जाता था, लेकिन वित्त वर्ष 2018-2019 में फंडिंग पैटर्न में बदलाव के बाद से केंद्र सरकार मानदेय राशि का सिर्फ 60 प्रतिशत हिस्से का ही भुगतान कर रही है, बाकी बचे 40 प्रतिशत हिस्से की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की जाती है।

सरकारें इन शिक्षकों की शिक्षा और उनकी योग्यता के आधार पर मानदेय का भुगतान करती हैं। शिक्षकों को दो श्रेणियों “ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट” में बांटा गया है।

इस योजना के तहत नियुक्त ग्रेजुएट शिक्षकों को प्रति महीने 6,000 रुपये और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को प्रति माह 12,000 रुपये का मानदेय दिया जाता है। शिक्षकों का कहना है कि “उन को वित्त वर्ष 2017-2018 से केंद्र सरकार द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है”।

उत्तर प्रदेश सरकार योजना के तहत अपने हिस्से के भुगतान के साथ-साथ ग्रेजुएट शिक्षकों को प्रति महीने 2,000 रुपये और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को प्रति माह 3,000 रुपये का अतिरिक्त भुगतान भी कर रही है। यानी कि ग्रेजुएट शिक्षकों को 6,000 रुपये की तुलना में प्रति महीने 8,000 रुपये और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 12,000 रुपये प्रति महीने की तुलना में 15,000 रुपये प्रति महीना मिलता है।

मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक एकता समिति के अध्यक्ष अशरफ अली उर्फ सिकंदर ने फ़ोन पर बताया कि उन्हें चार वर्ष से अधिक समय से मानदेय नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि इस योजना में पंजीकृत प्रत्येक मदरसे में दो-तीन शिक्षक “ग़ैर-धार्मिक” विषय पढ़ाते हैं। 

सिकंदर आगे कहते हैं कि मानदेय नहीं मिलने और आय के वैकल्पिक स्रोतों की कमी की वजह से इनमें से कुछ शिक्षक कठिन आर्थिक स्थितियों का सामना कर रहे हैं। 

बहराइच के मसूदिया-दारुल-उलूम में हिंदी के अध्यापक सिकंदर बताते हैं, “मैं छात्रों को पढ़ाने के लिए मैं 22 से 25 किलोमीटर तक की यात्रा करता हूं, लेकिन मुझे पिछले कुछ सालों से मानदेय का एक रुपया तक नहीं मिला है। 

वह सवाल करते हैं, “क्या यह हमारी मेहनत का मजाक नहीं है?” इसी कारण  कई शिक्षकों ने सालों पढ़ाने के बाद नौकरी छोड़ दी।

इसरार अहमद इदरीसी कहते हैं कि इस सम्बन्ध में केन्द्र एवं राज्य सरकार समेत सभी सम्बन्धित अधिकारियों कर्मचारियों एवं प्रशासन को समय-समय पर अवगत कराया गया है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में भी लाया जा चुका है, फिर भी अब तक 57 माह के बकाया मानदेय का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

समिति के महासचिव सुनील कुमार सिंह कहते हैं कि यदि शीघ्र ही शिक्षकों की मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो शिक्षक आमरण अनशन करने पर मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार की होगी ।

एक अन्य शिक्षक आरपी वर्मा ने बताया भाजपा सरकार मदरसा शिक्षकों पर कई ध्यान नहीं दे रही है। दारुल-उलूम नूर-उल-इस्लाम में कार्यागत वर्मा कहते हैं, ‘भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने योजना के लिए बजट में कटौती की और 2016 के बाद से सरकार ने फंड जारी नहीं किया।

उन्होंने बताया कि चार सालों के संघर्ष के बाद शिक्षकों को मार्च 2021 में सिर्फ “22” दिनों का वेतन मिला था। वह कहते हैं सरकार को हमारी मेहनत नज़र नहीं आती है। बलरामपुर में कर्यगत वर्मा ने बताया कि पहले केंद्र से मानदेय रोका और अब प्रदेश सरकार भी अपना हिस्सा नहीं दे रही है।

19 दिसंबर को अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को शिक्षा देने वाले पूरे प्रदेश के मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों ने नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री, शिक्षामंत्री एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन दिया। 

दूसरी तरफ़ मुस्लिम समुदाय के मौलाना भी सरकार की नियत पर सवाल उठाते हैं। लखनऊ के मौलाना सूफ़ियान निज़ामी कहते हैं, हम उस सरकार से क्या उम्मीद करें, जिसके नेता कहते हैं, देश भर के मदरसे बंद होने चाहिए। मौलाना निज़ामी के अनुसार सरकार आधुनिक मदरसों की बात करती है, लेकिन जो शिक्षक, छात्रों को मुख्यधारा से जोड़ते हैं, उनको ही ख़त्म कर देना चाहती है। 

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड भी मानता है कि केंद्र सरकार ने बीते कुछ सालों से राज्य में मदरसा शिक्षकों को उनके मानदेय का भुगतान नहीं किया है। बोर्ड में आधुनिक शिक्षा के प्रभारी आरपी सिंह ने न्यूज़क्लिक को बताया, “बीते वित वर्ष में 2016-2017 के लिए केंद्र सरकार से 189 करोड़ रुपये मिले थे, जिनमें से लगभग 90 करोड़ रुपये राज्य ने मार्च 2021 तक के अपने हिस्से के रूप में दिया था।” 

उन्होंने कहा, “इतनी कम धनराशि के साथ बोर्ड ने जहां तक संभव हो सका, इन शिक्षकों के वेतन भत्तों के भुगतान को मंजूरी दी। केंद्र और राज्य, दोनों ही जगह प्रक्रिया चल रही है, संभवतः जल्द ही शिक्षकों को वेतन का बाक़ी भुगतान किया जा सकता है।”

Uttar pradesh
Madrassa teachers
Madrasa Teachers Ekta Samiti
BJP
Yogi Adityanath
Narendra modi

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License