NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश: पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग
पत्रकार निकायों ने एक वीडियो क्लिप साझा करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक समाचार पोर्टल और कुछ पत्रकारों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की बुधवार को मांग की। वीडियो में एक मुस्लिम बुजुर्ग कह रहे हैं कि उन्हें पीटकर 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए कहा गया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Jun 2021
उत्तर प्रदेश: पत्रकारों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग

नयी दिल्ली: पत्रकार निकायों ने एक वीडियो क्लिप साझा करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक समाचार पोर्टल और कुछ पत्रकारों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने की बुधवार को मांग की। वीडियो में एक मुस्लिम बुजुर्ग कह रहे हैं कि उन्हें पीटकर 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए कहा गया।

इंडियन वुमन्स प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी)ने पुलिस कार्रवाई पर “हैरानी और निराशा” व्यक्त करते हुए कहा कि गाजियाबाद पुलिस पत्रकारों और समाचार संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए समय और संसाधन खर्च करने में जुटी है। गाजियाबाद पुलिस के अधिकार क्षेत्र में बुजुर्ग व्यक्ति पर कथित हमला हुआ था।

पत्रकार निकाय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह मीडिया का मुंह बंद करने और ध्यान भटकाने की कोशिश है।

आईडब्ल्यूपीसी ने कहा, 'हम यूपी पुलिस से अपराध की जांच पर ध्यान केंद्रित करने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का आग्रह करते हैं।'

साथ ही उसने कहा, 'हम पत्रकारों और समाचार संगठनों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हैं।'

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने भी पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में 'जल्द से जल्द' हस्तक्षेप करने की अपील की।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर साझा करने के लिये मंगलवार को ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशन्स इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकारों मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब, कांग्रेस के नेताओं सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी, डॉ शमा मोहम्मद और लेखिका सबा नकवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

इसी तरह के मामलों की वजह से विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत, प्रेस की स्वतंत्रा के मामले में, वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स 2021 में, 180 में से 142वें स्थान पर आ गया है।

प्रतापगढ़ में 14 जून को पत्रकार की हुई हत्या का मामला अभी तक प्रदेश पुलिस सुलझा नहीं सकी है। लेकिन ग़ाज़ियाबाद में पुलिस ने नौ लोगों के ख़िलाफ़ दंगा भड़काने की कोशिश के आरोप में  मुक़दमा लिख दिया। जिसमें तीन पत्रकार हैं, एक डिजिटल मीडिया संस्थान है के अलावा विपक्षी नेता और माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर है।

उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर हो रहे हमलों और कार्यवाहीयों  पर एक पत्र पिछले वर्ष “एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया” ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा था। गिल्ड ने मुख्यमंत्री से पत्रकारों की सुरक्षा और अधिकरों को लेकर मिलने के लिए समय भी माँगा था। लेकिन गिल्ड के सचिव संजय कपूर ने “न्यूज़क्लिक” को बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा आज तक न पत्र का जवाब भेजा गया और न पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया है।

 उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी जो कई दशकों तक बीबीसी (हिन्दी) के लिए बतौर ब्यूरो चीफ़ काम कर चुके हैं, ने मौजूदा हालात पर एक इंटरव्यू में कहा था “पहले मफ़ियाओं और भ्रष्टाचारयों के ख़िलाफ़ लिखने वाले पत्रकारों को सरकार से संरक्षण मिलता था- लेकिन अब सही ख़बर लिखने व दिखाने लिखने वाले पत्रकारों को, स्वयं को सरकार के शिकंजे से बचाना पड़ता है।”

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

UttarPradesh
Press freedom
journalist
UP police

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?

ख़ान और ज़फ़र के रौशन चेहरे, कालिख़ तो ख़ुद पे पुती है

धनकुबेरों के हाथों में अख़बार और टीवी चैनल, वैकल्पिक मीडिया का गला घोंटती सरकार! 

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License