NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उत्तराखंड सरकार ने लिया प्रमोशन में आरक्षण नहीं देने का फ़ैसला
एससी-एसटी इम्प्लॉइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करमराम सरकार के इस फैसले से क्षुब्ध हैं। वह कहते हैं कि पक्षपात स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है। सरकार ने एक पक्ष के कर्मचारियों की बातें सुनीं लेकिन क्या उन्हें हमें विश्वास में नहीं लेना चाहिए था?
वर्षा सिंह
18 Mar 2020
उत्तराखंड सरकार

कोरोना के इस संकटग्रस्त समय में त्रिवेंद्र सरकार प्रमोशन में आरक्षण को लेकर अपने फ़ैसले पर पहुंच गई है। आठ फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर प्रमोशन में आरक्षण का फ़ैसला छोड़ा था, यह कहते हुए कि ये फैसला राज्य का है कि वो आरक्षण दे या नहीं। 18 मार्च को सरकार ने ये तय कर लिया है कि आरक्षण नहीं देना है और इसका शासनादेश जारी कर दिया गया। साथ ही प्रमोशन पर लगी रोक भी हटा ली गई।

ये माना जा सकता है कि हड़ताली कर्मचारियों के आगे त्रिवेंद्र सरकार ने घुटने टेक दिए। या ये भी कहा जा सकता है कि सरकार प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का फैसला सुनाने के लिए सही समय का इंतज़ार कर रही थी।

प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर 2 मार्च से राज्यभर के करीब दो लाख सामान्य और ओबीसी वर्ग के कर्मचारी हड़ताल पर थे। सरकार का फैसला आते ही हड़ताल भी खत्म कर दी गई है। अब एससी-एसटी कर्मचारी आगे की रणनीति के लिए मंथन कर रहे हैं। नैनीताल हाईकोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ जब त्रिवेंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, उसी समय एससी-एसटी कर्मचारियों ने सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया था। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आरक्षण लागू करने के पक्ष में फैसला दिया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण देने या नहीं देने का अधिकार राज्य सरकार के पास है।

govt order.jpeg

सरकार के फ़ैसले से दलित वर्ग नाराज़

एससी-एसटी इम्प्लॉइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करमराम सरकार के इस फैसले से क्षुब्ध हैं। वह कहते हैं कि पक्षपात स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है। सरकार ने एक पक्ष के कर्मचारियों की बातें सुनी लेकिन क्या उन्हें हमें विश्वास में नहीं लेना चाहिए था? सुप्रीम कोर्ट ने तो राज्य सरकार पर फैसला छोड़ा था कि राज्य में एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व पूरा है या नहीं, इस आधार पर सरकार फैसला ले।

करमराम कहते हैं कि सरकार के पास इंदु कुमार कमेटी की रिपोर्ट है, इरशाद हुसैन आयोग की रिपोर्ट है, उनके पास पूरे आंकड़ें हैं, उन्हें हमारा प्रतिनिधित्व देखते हुए न्यायिक दृष्टि से निर्णय लेना चाहिए था। करमराम बताते हैं कि मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, मंत्रियों, विधायकों से लगातार उनके लोग मिलते रहे, उन्हें भरोसा दिया गया कि अन्याय नहीं होगा। अभी 4-5 दिन पहले भी मुख्यमंत्री से उनकी बात हुई थी और उन्होंने अन्याय नहीं होने देने का भरोसा दिया था। वह बताते हैं कि एससी-एसटी इम्प्लॉइज फेडरेशन आगे की रणनीति तय करेगा।

एससी-एसटी प्रतिनिधित्व की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जा रही?

दलित कार्यकर्ता जबर सिंह कहते हैं कि इंदु कुमार पांडे कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व 12 प्रतिशत भी नहीं है, जबकि राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए 19 प्रतिशत आरक्षण है, ऐसे में सरकार का ये फैसला न्यायसंगत कैसे हो सकता है। सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी सीटें ही अभी नहीं भरी गई हैं। इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट ही सार्वजनिक नहीं की गई। जबर कहते हैं कि अच्छा होता सरकार पहले दोनों रिपोर्ट्स सार्वजनिक करती। जिससे लोगों को पता चलता कि वाकई एससी-एसटी के साथ अन्याय हो रहा है। फिर सामान्य-ओबीसी वर्ग का आंदोलन खड़ा ही नहीं होता।

इंदु कुमार पांडे समिति की रिपोर्ट

जनवरी 2012 में सेवानिवृत्त मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे समिति ने एससी-एसटी वर्ग की उत्तराखंड की सरकारी नौकरियों में भागीदारी को लेकर रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक एससी-एसटी वर्ग की श्रेणी क में 11.5 प्रतिशत, श्रेणी ख में 12.5 प्रतिशत और श्रेणी ग में 13.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसमें भी एसटी की स्थिति और खराब है। सरकारी नौकरी में श्रेणी क में मात्र  2.98 प्रतिशत, श्रेणी ख में  2.17 प्रतिशत और श्रेणी ग में 1.66 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस रिपोर्ट के बावजूद  5 सितंबर 2012 को विजय बहुगुणा के नेतृत्व वाले कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड में प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था खत्म कर दी।

आरक्षण न देने के लिए प्रतिनिधित्व के आंकड़ों की जरूरत नहीं- उत्तराखंड

राज्य सरकार ने शासनादेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य में 11 सितंबर 2019 को प्रमोशन पर लगी रोक हटायी जा रही है। सरकार का कहना है कि एससी-एसटी जातियों के कम प्रतिनिधित्व को लेकर जुटाए गए आंकड़े आरक्षण देने के लिए जरूरी होते हैं लेकिन जब राज्य सरकार आरक्षण नहीं देने का फ़ैसला लेती है तो इसकी आवश्यकता नहीं होती है। सरकार ने यहां आरक्षण नहीं देने का फ़ैसला लिया है। इसलिए राज्य को अपने फैसले को जस्टिफाई करने के लिए संख्यात्मक डाटा की आवश्यकता नहीं है। यह ये भी दर्शाता है कि राज्य की सेवाओं में एससी-एसटी जाति के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। नैनीताल हाईकोर्ट के 15 जुलाई 2019 के आदेश, जिसमें असिस्टेंट इंजीनियर्स के पद एससी-एसटी जातियों के प्रमोशन के ज़रिये भरने को कहा गया था उस पर राज्य सरकार ने कहा कि ये अनुचित है इसलिए इसे अलग कर दिया गया है। उत्तराखंड की कुल आबादी एक करोड़ से अधिक (1,01,16,752) है। इसमें एससी आबादी 15.17 प्रतिशत और एसटी आबादी  2.56 प्रतिशत है।

उत्तराखंड सरकार मानती है कि एससी-एसटी जातियों का सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है और उन्हें प्रमोशन में आरक्षण की जरूरत नहीं है। लेकिन सरकार इंदु कुमार कमेटी की पूरी रिपोर्ट और इरशाद हुसैन कमेटी की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक करने को तैयार क्यों नहीं है। इससे सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगते ही हैं।

आज ही उत्तराखंड की भाजपा सरकार के कार्यकाल के तीन साल पूरे हो रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार का ये तोहफा दलित कर्मचारियों को नए आंदोलन की ओर धकेल रहा है।

Uttrakhand
uttrakhand government
Trivendra Singh Rawat
Promotion reservation
SC/ST
SC/ST Employee
Coronavirus
Dalits
Indu Kumar Pandey Committee Report
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • पुलकित कुमार शर्मा
    आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?
    30 May 2022
    मोदी सरकार अच्छे ख़ासी प्रॉफिट में चल रही BPCL जैसी सार्वजानिक कंपनी का भी निजीकरण करना चाहती है, जबकि 2020-21 में BPCL के प्रॉफिट में 600 फ़ीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। फ़िलहाल तो इस निजीकरण को…
  • भाषा
    रालोद के सम्मेलन में जाति जनगणना कराने, सामाजिक न्याय आयोग के गठन की मांग
    30 May 2022
    रालोद की ओर से रविवार को दिल्ली में ‘सामाजिक न्याय सम्मेलन’ का आयोजन किया जिसमें राजद, जद (यू) और तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में देश में जाति आधारित जनगणना…
  • सुबोध वर्मा
    मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात
    30 May 2022
    बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई से पैदा हुए असंतोष से निपटने में सरकार की विफलता का मुकाबला करने के लिए भाजपा यह बातें कर रही है।
  • भाषा
    नेपाल विमान हादसे में कोई व्यक्ति जीवित नहीं मिला
    30 May 2022
    नेपाल की सेना ने सोमवार को बताया कि रविवार की सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुए यात्री विमान का मलबा नेपाल के मुस्तांग जिले में मिला है। यह विमान करीब 20 घंटे से लापता था।
  • भाषा
    मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया
    30 May 2022
    पंजाब के मानसा जिले में रविवार को अज्ञात हमलावरों ने सिद्धू मूसेवाला (28) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राज्य सरकार द्वारा मूसेवाला की सुरक्षा वापस लिए जाने के एक दिन बाद यह घटना हुई थी। मूसेवाला के…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License