NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
वाराणसी : दूसरों का तन ढकने वाला बुनकर आज खुद हैरान-परेशान
'जब हम रोज काम करते हैं तब हमें दो वक्त की रोटी नसीब होती है, अब जब हम लोग बैठकर खाएँगे तो कैसे पेट चलेगा, और अगर सरकार मदद भी करेगी तो कितना?
रिज़वाना तबस्सुम
30 Mar 2020
वाराणसी

"मेरे दो बच्चे हैं, मैं प्रेग्नेंट हूँ, सातवाँ महीना शुरू होने वाला है। मेरे पति साड़ी बुनाई का काम हथकरघा से करते हैं। महीने में पाँच हज़ार तक की कमाई हो जाती है, उसी से हम लोग अपना पेट पालते हैं। दो बार मुझे ऑपरेशन से बच्चा पैदा हुआ है, एक दो महीने बाद फिर ऑपरेशन की नौबत आ जाएगी। आज हमारे पास खाने के लिए नहीं है, कल कहाँ से इलाज करेंगे...!" इतना कहते ही पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बजरडीहा की आयशा फफक-फफक रोने लगती हैं। 

देश में कोरोना महामारी को बढ़ने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले एक दिन के लिए जनता कर्फ्यू लगाया, उसके बाद 24 मार्च को अगले 21 दिनों के लिए पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी। अपने विशेष संदेश में प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि 'जिन देशों के पास सबसे बेहतर मेडिकल सुविधाएं हैं, वे भी इस वायरस को रोक नहीं सके और इसे कम करने का उपाय केवल सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी है।'

हैंडलूम.jpg

प्रधानमंत्री ने कहा, 'आधी रात से पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन हो जाएगा, लोगों को 21 दिनों के लिए उनके घरों से बाहर निकलने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों और दूसरे देशों के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए 21 दिन आवश्यक हैं।'

आयशा कहती हैं कि, 'हमारे पास जो कुछ भी था, हम उसी से अपना पेट पाल रहे थे, अभी कुछ दिन पहले यहाँ पर सीएए को लेकर प्रोटेस्ट हुआ था जिसमें कई दिनों तक काम बंद था, पुलिस यहाँ पहरा दे रही थी, लोग डर के मारे घर छोड़कर चले गए थे। अब जब धीरे-धीरे सब ठीक होना शुरू हुआ था तो अब सब बंद हो गया। हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम अपना और अपने बच्चे का पेट कैसे भरेंगे, आज मुझे तकलीफ है, दर्द है तो मैं डॉक्टर के पास भी नहीं जा पा रही हूँ। सभी तरफ के रास्ते बंद हैं, पैसे भी नहीं हैं। अगर मुझे ज्यादा तकलीफ होगी तो मैं कैसे जाऊँगी।' ये बात कहते हुए आयशा आंसुओं से भरा अपना चेहरा दुपट्टे में छुपा लेती हैं।

बजरडीहा के ही एक और बुनकर लगभग 45 साल के मुख्तार अली पीढ़ियों से बुनाई का काम करते आ रहे हैं, मुख्तार अली कहते हैं कि, 'जब हम रोज काम करते हैं तब हमें दो वक्त की रोटी नसीब होती है, अब जब हम लोग बैठकर खाएँगे तो कैसे पेट चलेगा, और अगर सरकार मदद भी करेगी तो कितना? कुछ चीजें तो हम लोगों को बाज़ार से खरीदनी पड़ेंगी। बाज़ार से सामान खरीदने के लिए पैसा चाहिए, पैसा है नहीं तो काम कैसे चलेगा।' 

2_20.JPG

मुख्तार अली कहते हैं कि, 'कारखाना बंद हो गया है। लोगों के पास ताना-बाना नहीं है, ताना-बाना दुकान से खरीद नहीं सकते क्योंकि दुकानें बंद हैं। हम अपनी साड़ी कहीं बेच नहीं सकते क्योंकि कोई खरीददार नहीं आ रहे हैं, किसी को आना-जाना मना है। हम तो सब तरफ से मारे जा रहे हैं, हमारा काम भी बंद पड़ा है, हमारा कारखाना भी खराब हो रहा है। हमें तो चौतरफा मार पड़ रही है। जब हमारा काम शुरू होगा तो हमें कितनी दिक्कत होगी, सब कुछ नए सिरे से शुरू करना पड़ेगा।' 

बीते बुधवार,  25 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की जनता से मुखातिब हुए। देश में जारी लॉकडाउन के बीच दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि 21 दिन में हमें कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई को जीतना है। इसमें काशीवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस कार्यक्रम में जब वाराणसी के एक टेक्सटाइल व्यापारी ने पीएम से पूछा कि सरकार के पास उसके कर्मचारियों के लिए क्या मदद है तब पीएम मोदी का जवाब था, "कोरोना से लड़ने के लिए करुणा।"

वाराणसी के कोटवा में हथकरघा का काम करने वाले बुनकर नईम बताते हैं कि, 'हम लोग रोज कुआं खोदने वाले, रोज पानी पीने वाले इंसान हैं। अब अचानक से सब कुछ बंद हो गया, हमारा काम भी बंद हो गया, हमपर दोहरी मार पड़ रही है, एक तो हमारा काम बंद हो गया है दूसरा बैठकर खाना है। इससे तो हमारी गृहस्थी टूट जाएगी।' नईम के घर में चार बच्चे और बीवी हैं, इनके बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं। करखाना बंद होने से नईम की रोजी-रोटी बिलकुल ठप है।

अपने कारखाने की तरफ हाथ दिखाते हुए नईम कहते हैं, 'मौसम इतना खराब चल रह है, ऐसे मौसम में वो कारखान भी परेशान करता है जो रोज चलता है। यहाँ तो कारखाना ही बंद कर दिया गया है, पता नहीं कब तक ऐसे ही बंद रहना है, मुझे तो समझ नहीं आ रहा है कि काम दोबार कैसे शुरू होगा, कहीं ऐसा ना हो कि ताना-बाना सब खराब हो जाये, और जो साड़ी का नुकसान होगा वो अलग।' 

बुनकर नेता और व्यापार मण्डल के प्रदेश सचिव हाजी बदरुद्दीन अहमद कहते हैं,  'बुनकर तो बेचारा पूरी तरह तबाह है, सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई मदद तो मिल नहीं रही है। वाले और दावे सिर्फ कागज पर दिखाई दे रहे हैं, जमीन पर कोई भी चीज नहीं है। अब तो बुनकरों का काम भी बंद है, अगर ताना है तो बाना नहीं है, बाना है तो ताना नहीं है।

हाजी बदरुद्दीन अहमद कहते हैं कि, 'ये सरकार कभी भी बुनकरों के लिए नहीं सोचती है। बुनकर कपड़ा बनाकर दूसरों के तन ढकने का काम करता है, अपनी मामूली सी मजदूरी में अपने बाल-बच्चों की परवरिश करता है। दूसरों का तन ढकने वाला बुनकर आज खुद नंगा हो गया है, उसके पास कुछ भी नहीं है।' 

वाराणसी के बुनकर अधिकारी नीतीश धवन बताते हैं, 'वाराणसी में करीब पाचीस हज़ार हथकरघा बुनकर हैं, जबकि पिचहत्तर (75) हज़ार पावरलूम के बुनकर हैं। वाराणसी से बुनकरों के टर्नओवर के बारे में नितीश धवन बताते हैं कि इसका कोई ऑथेन्टिक डेटा तो नहीं है लेकिन हम लोग ये मानकर चलते हैं कि छह सौ करोड़ का टर्नओवर है।' 

नुकसान के बारे में बात करते हुए अधिकारी कहते हैं, 'नुकसान का अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है क्योंकि जो बुनकर है वो असंगठित क्षेत्र से हैं। वो डेली वेज पर काम करते हैं, महीने की नौकरी तो नहीं करते। इसलिए ये कह सकते हैं कि जितने महीने के लिए बंद होगा उसका महीने का लॉस तो होगा ही होगा, और फिर जो मार्केट की एक सप्लाई डिमांड चेन होती है वो ब्रेक हो जाती है, उसको पटरी पर आने में वक्त लगता है।'

बुनकारी से सरकार के मदद के बारे में बात करते हुए नीतीश धवन बताते हैं, 'ये (बुनकर) देश की जो अर्थव्यवस्था है उसकी जीडीपी में कॉन्ट्रीब्यूट करते हैं। उदाहरण के तौर पर बनारस की साड़ियाँ पूरे विश्वभर में जाती हैं, लॉकडाउन की वजह से पूरा देश प्रभावित है और लोकल इकोनोमी भी प्रभावित होगी, निर्यात पर भी फर्क पड़ेगा और मार्केट भी इसकी डाउन होगी।' 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

varanasi
Coronavirus
COVID-19
India Lockdown
Daily Wage Workers
poverty
Factory Worker
Narendra modi
modi sarkar

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License