NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
नज़रिया: दिल्ली को काबुल से रिश्ता बनाना चाहिए
अमेरिकी साम्राज्यवाद को कहीं भी चोट पहुंचे, कहीं भी उसके घुटने तोड़े जायें, इसका स्वागत किया जाना चाहिए। अफ़ग़ानिस्तान में यही हुआ है।
अजय सिंह
28 Aug 2021
नज़रिया: दिल्ली को काबुल से रिश्ता बनाना चाहिए

अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम पर चंद बातें:

(1) 15 अगस्त सिर्फ़ भारत की आज़ादी का दिन नहीं है। यह अफ़ग़ानिस्तान की आज़ादी का भी दिन बन गया है। 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्ज़ा कर लिया, और इस तरह लगभग पूरा देश तालिबान के नियंत्रण में आ गया। तालिबान ने अमेरिकी साम्राज्यवाद को मजबूर कर दिया कि वह अफ़ग़ानिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर चला जाये। अमेरिकी साम्राज्यवाद को कहीं भी चोट पहुंचे, कहीं भी उसके घुटने तोड़े जायें, इसका स्वागत किया जाना चाहिए। अफ़ग़ानिस्तान में यही हुआ है।

(2) यह अफ़ग़ान जनता की ऐतिहासिक जीत है। उसे अमेरिकी साम्राज्यवाद की बीस साल की ग़ुलामी (2001-2021) और भयानक रूप से विध्वंसक व अपमानजनक विदेशी शासन से मुक्ति मिली है। इसका स्वागत होना चाहिए। (हालांकि यह मुक्ति अभी मुकम्मल नहीं है, और भविष्य कई आशंकाओं से भरा हुआ है।)

(3) अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी साम्राज्यवाद ने 2001-2021 के दौरान जो भयानक तबाही मचायी, जो विध्वंस किया, यौन हिंसा-समेत हर तरह की हिंसा, ख़ून-ख़राबा और नशीली दवाओं (ड्रग्स) की संस्कृति को जिस तरह उसने संस्थाबद्ध किया—उसे दुरुस्त करने में कुछ साल लग सकते हैं। जिसे अफ़ग़ान संकट या अफ़ग़ानिस्तान की समस्या कहा जाता है, उसके लिए पूरी तरह अमेरिकी साम्राज्यवाद ज़िम्मेदार है। अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी साम्राज्यवाद के युद्ध अपराधों की सूची लंबी है।

इसे भी पढ़ें : अफ़ग़ानिस्तान की घटनाओं पर एक नज़र : भाग - 7 

(4) काबुल पर तालिबान का नियंत्रण क़ायम हो जाने के बाद भारत सरकार ने जिस तरह काबुल में अपना दूतावास आनन-फानन में बंद कर दिया, उसे बुद्धिमानी से भरा क़दम नहीं कहा जा सकता। यह राजनीतिक अपरिपक्वता की निशानी है। भारत को काबुल में अपना दूतावास खुला व चालू रखना चाहिए था और वहां तेजी से चल रही राजनीतिक हलचल के साथ तालमेल क़ायम करने की कोशिश करनी चाहिए थी। रूस, चीन व पाकिस्तान ने काबुल में अपने दूतावासों को बंद नहीं किया है, वे खुले हुए हैं और काम कर रहे हैं। तालिबान ने न किसी दूतावास पर हमला किया, न उसे बंद करने की चेतावनी दी। फिर भारत को ऐसी हड़बड़ी करने की क्या ज़रूरत थी?

(5) दिल्ली को काबुल से रिश्ता क़ायम करना चाहिए और उसे तालिबान से जीवंत संपर्क बनाना चाहिए। अफ़ग़ानिस्तान में अभी क़ायदे से अंतरिम सरकार का गठन नहीं हो पाया है, अफ़रा-तफ़री का माहौल है, और कुछ अन्य समस्याएं व जटिलताएं हैं। लेकिन इतना तो तय है कि अब तालिबान ही अफ़ग़ानिस्तान के शासक हैं। इस राजनीतिक हक़ीक़त को स्वीकार करना चाहिए। (बशर्ते अमेरिका-समर्थित तख्तापलट न हो जाये!) भारत को तालिबानन से राजनीतिक व राजनयिक संबंध बनाना चाहिए और काबुल में अपना दूतावास चालू कर देना चाहिए। यह भारत के हित में है।

(6) भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों तथाकथित आतंक की सत्ता को लेकर जो बयान दिया था, उसे अ-विवेकपूर्ण कहा जायेगा। ऐसे बयान जारी करने से भारत सरकार को बचना चाहिए। इस बयान पर तालिबान ने गहरी आपत्ति जतायी है। नरेंद्र मोदी ने सोमनाथ (गुजरात) में कहा था कि आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले ही हावी हो जाये, लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता। हालांकि इस बयान में तालिबान का नाम नहीं लिया गया, लेकिन इशारा उसी ओर था। इस पर टिप्पणी करते हुए तालिबान के वरिष्ठ नेता शहाबुद्दीन दिलावर ने कहा कि भारत को जल्दी ही पता चल जायेगा कि तालिबान अपनी सरकार ढंग से चला सकते हैं। उन्होंने भारत को चेतावनी दी कि वह अफ़ग़ानिस्तान के आंतरिक मामलों में दख़ल न दे। देखा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी का इस तरह का बयान दिल्ली-काबुल रिश्ते को दोस्ताना नहीं बना सकता।

इसे भी पढ़ें : अफ़ग़ानिस्तानः क्या मोदी और भाजपा अपनी ही विदेश नीति के ख़िलाफ़ हैं?

(7) तालिबान के नेतृत्व में अफ़ग़ानिस्तान सरकार की घरेलू व विदेश नीतियां क्या होंगी, इनका ख़ाका आनेवाले दिनों में स्पष्ट होगा। तालिबान ने कहा है कि वह सभी देशों के साथ, ख़ासकर अपने पड़ोसी देशों के साथ, दोस्ताना व शांतिपूर्ण रिश्ता चाहता है। उसने यह भी कहा है कि वह अपने देश की ज़मीन का इस्तेमाल अन्य देशों के ख़िलाफ़ नहीं होने देगा। औरतों के बारे में, जेंडर सवालों पर, मानवाधिकार के मसले पर, शिक्षा व अन्य मसलों पर तालिबान की क्या नीतियां होंगी, इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा। विश्व जनमत को तालिबान पर नैतिक दबाव बनाना चाहिए कि वह अफ़ग़ानिस्तान में समावेशी सरकार का गठन करे।

(लेखक वरिष्ठ कवि व राजनीतिक विश्लेषक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी देखें: अफ़ग़ानिस्तान: आतंकी हमले के ख़ूनी छींटे भविष्य पर

TALIBAN
Afghanistan
America
India
Narendra modi
Modi Govt
Indian Foreign Policy

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License