NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
विकास दुबे मामला: पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता में जांच समिति के गठन के मसौदे को मंजूरी
पीठ ने कहा कि इस जांच समिति को एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू कर देना चाहिए और दो महीने के अंदर इसे पूरा कर लेना चाहिए।
भाषा
22 Jul 2020
vikas

 दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कानपुर में अपराधियों के हमले में आठ पुलिसकर्मियों की मौत और इसके बाद विकास दुबे और उसके पांच कथित गुर्गों की मुठभेड़ में मौत की घटनाओं की न्यायिक जांच के लिये शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बी एस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति के गठन संबंधी मसौदे को बुधवार को अपनी मंजूरी दे दी।


प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यामयूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेश तीन सदस्यीय जांच समिति की अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दी और कहा कि इसे अधिसूचित कर दिया जाये।

पीठ ने कहा कि इस जांच समिति को एक सप्ताह के भीतर अपना काम शुरू कर देना चाहिए और दो महीने के अंदर इसे पूरा कर लेना चाहिए।

न्यायमूर्ति चौहान की अध्यक्षता वाली इस जांच समिति में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशि कांत अग्रवाल और उप्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता शामिल हैं।

इससे पहले, राज्य सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश डॉ. बलबीर सिंह चौहान कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मुठभेड़ में हुई मौत के मामले की जांच के लिए गठित समिति का हिस्सा बनने पर सहमत हैं।

पीठ ने कहा कि यह समिति कानपुर के चौबेपुर थानांतर्गत बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने और इसके बाद हुयी मुठभेड़ की घटनाओं की जांच करेगी।

इससे पहले, उप्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि जांच समिति उन परिस्थितियों की भी जांच करेगी जिसमें 65 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे विकास दुबे को जमानत पर रिहा किया गया था।

मेहता ने इस जांच समिति की कार्य शर्तों को पढ़कर पीठ को सुनाया। उन्होंने कहा कि पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. बी एस चौहान इस जांच समिति का हिस्सा बनने के लिये सहमत हो गये हैं।

इस पर पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम जांच समिति के हाथ नहीं बांधना चाहते। जांच समिति के लिये कार्य शर्तें रखना उचित नहीं है। जांच समिति की जांच का दायरा व्यापक होना चाहिए।’’

शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दुबे और उसके पांच कथित साथियों की मुठभेड़ में हुई मौत के मामले की न्यायालय की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया गया है।

न्यायालय ने 20 जुलाई को इन याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार से कहा था कि विकास दुबे मुठभेड़ की जांच के लिये गठित समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार किया जाये।

पीठ ने इन घटनाओं पर सख्त टिप्पणी करते हुये कहा था, ‘‘आपको एक राज्य के रूप में कानून का शासन बरकरार रखना है। ऐसा करना आपका कर्तव्य है।’’

न्यायालय ने इस दौरान यह टिप्पणी भी की थी कि गैंगस्टर विकास दुबे जैसे व्यक्ति के खिलाफ अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलना संस्था की विफलता है। पीठ ने कहा था, ‘‘एक व्यक्ति, जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए था, उसे जमानत मिल जाना संस्था की विफलता है। हम इस तथ्य से स्तब्ध हैं कि अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद विकास दुबे जैसे व्यक्ति को जमानत मिल गयी।’’

न्यायालय में दाखिल हलफनामे में राज्य के पुलिस महानिदेशक ने कहा था कि विकास दुबे और उसके गुर्गों ने तीन जुलाई को कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में घात लगाकर पुलिस की टुकड़ी पर अंधाधुंध गोलियां बरसायीं थी जिसमें पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गये।

इसके बाद से ही पुलिस विकास दुबे की तलाश कर रही थी।

राज्य सरकार ने हलफनामे में यह भी बताया था कि गैंगस्टर विकास दुबे को मप्र के उज्जैन से कानपुर ला रही पुलिस की टुकड़ी को आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी क्योंकि आरोपी ने भागने का प्रयास किया जिसमें वह मारा गया। विकास दुबे 10 जुलाई को कानपुर के निकट भौती में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।

इन तमाम घटनाओं को लेकर न्यायालय में अलग अलग याचिकायें दायर की गयी हैं। पहली याचिका अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने दायर की है जिसमें इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और न्यायालय की निगरानी में पांच आरोपियों की मुठभेड़ में हत्या की सीबीआई से जांच कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया हैं।

अधिवक्ता अनूप प्रकाश अवस्थी और एक अन्य ने भी अलग याचिका में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले और बाद में दस जुलाई को विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में मौत के मामले और उत्तर प्रदेश में पुलिस-अपराधियों और नेताओं की साठगांठ की न्यायालय की निगरानी में सीबीआई या एनआईए से इसकी जांच कराने तथा उन पर मुकदमा चलाने का अनुरोध किया है।

इसके अलावा, कानपुर में पुलिस की दबिश के बारे में महत्वपूर्ण सूचना विकास दुबे तक पहुंचाने में कथित संदिग्ध भूमिका की वजह से निलंबित पुलिस अधिकारी ने भी याचिका दायर की है। पुलिस अधिकारी कृष्ण कुमार शर्मा ने अपनी पत्नी विनीता सिरोही के जरिये यह याचिका दायर की है। इसमें विनीता ने आशंका व्यक्त की है कि उसके पति को गैरकानूनी और असंवैधानिक तरीके से खत्म किया जा सकता है।

इस बीच, गैर सरकारी संगठन पीयूसीएल ने भी एक याचिका दायर कर विकास दुबे और उसके दो सहयोगियों की उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच विशेष जांच दल से कराने का अनुरोध किया है।

Vikas Dubey case
former judge BS Chauhan
UP
UP police
UP Police Encounter

Related Stories

चंदौली पहुंचे अखिलेश, बोले- निशा यादव का क़त्ल करने वाले ख़ाकी वालों पर कब चलेगा बुलडोज़र?

चंदौली: कोतवाल पर युवती का क़त्ल कर सुसाइड केस बनाने का आरोप

प्रयागराज में फिर एक ही परिवार के पांच लोगों की नृशंस हत्या, दो साल की बच्ची को भी मौत के घाट उतारा

प्रयागराज: घर में सोते समय माता-पिता के साथ तीन बेटियों की निर्मम हत्या!

उत्तर प्रदेश: योगी के "रामराज्य" में पुलिस पर थाने में दलित औरतों और बच्चियों को निर्वस्त्र कर पीटेने का आरोप

पीएम को काले झंडे दिखाने वाली महिला पर फ़ायरिंग- किसने भेजे थे बदमाश?

यूपी: मुज़फ़्फ़रनगर में स्कूली छात्राओं के यौन शोषण के लिए कौन ज़िम्मेदार है?

यूपी: प्रयागराज सामूहिक हत्याकांड में पुलिस की जांच पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?

रिश्वत लेकर अपराधी छोड़ने के मामले में क्राइम ब्रांच प्रभारी व मुख्य आरक्षी बर्ख़ास्त

यूपी: प्रयागराज हत्या और बलात्कार कांड ने प्रदेश में दलितों-महिलाओं की सुरक्षा पर फिर उठाए सवाल!


बाकी खबरें

  • language
    न्यूज़क्लिक टीम
    बहुभाषी भारत में केवल एक राष्ट्र भाषा नहीं हो सकती
    05 May 2022
    क्या हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना चाहिए? भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से लेकर अब तक हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की जद्दोजहद कैसी रही है? अगर हिंदी राष्ट्रभाषा के तौर पर नहीं बनेगी तो अंग्रेजी का…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    "राजनीतिक रोटी" सेकने के लिए लाउडस्पीकर को बनाया जा रहा मुद्दा?
    05 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार सवाल उठा रहे हैं कि देश में बढ़ते साम्प्रदायिकता से आखिर फ़ायदा किसका हो रहा है।
  • चमन लाल
    भगत सिंह पर लिखी नई पुस्तक औपनिवेशिक भारत में बर्तानवी कानून के शासन को झूठा करार देती है 
    05 May 2022
    द एग्ज़िक्युशन ऑफ़ भगत सिंह: लीगल हेरेसीज़ ऑफ़ द राज में महान स्वतंत्रता सेनानी के झूठे मुकदमे का पर्दाफ़ाश किया गया है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    गर्भपात प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट के लीक हुए ड्राफ़्ट से अमेरिका में आया भूचाल
    05 May 2022
    राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अगर गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाला फ़ैसला आता है, तो एक ही जेंडर में शादी करने जैसे दूसरे अधिकार भी ख़तरे में पड़ सकते हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि
    05 May 2022
    हाल के एक आकलन में कहा गया है कि 2017 और 2021 की अवधि के बीच हर साल एचसीएफसी-141बी का उत्सर्जन बढ़ा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License