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तबलीग़ी जमात के ख़िलाफ़ चलाए गए अभियान से ‘हेट क्राइम’ में इज़ाफ़ा
इस सम्बंध में नवीनतम भीड़ हिंसा का मामला उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के बवाना इलाके के हरेवली गाँव से आया है। इसके साथ ही ऐसे अनेकों वीडियो उत्तर भारत के कई क्षेत्रों से आ रहे हैं जिसमें मुस्लिम समुदाय को इसका निशाना बनाया जा रहा है।
तारिक अनवर
08 Apr 2020
तबलीग़ी जमात
फाइल फोटो।

दिल्ली: तबलीग़ी जमात के खिलाफ शुरू किये गए घृणा अभियान और एकांतवास (क्वारंटाइन) में चले गए उसके धर्म प्रचारकों के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे फेक न्यूज़ अभियान और लगातार उनका नाम ले-लेकर बदनाम करने वाले प्रचार अभियान ने मुस्लिम समुदाय और खासकर उत्तर भारत में हेट क्राइम्स यानी घृणा अपराध का स्वरूप अख्तियार कर लिया है। इस सम्बंध में हालिया घटना उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के बवाना इलाके के हरेवाली गाँव में कथित तौर से भीड़ की हिंसा में दिखने को मिली है। और यह सब तब हो रहा है जब समूचे देश को कोविड-19 के बढ़ते खतरे से रोकथाम के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन की हालत में डाल दिया गया है।

खबरों के अनुसार एक युवक जिसकी पहचान महबूब अली उर्फ दिलशाद के रूप में हुई है, और जो मध्य प्रदेश के रायसेन जिले से 5 अप्रैल को अपने गाँव वापस पहुँचा था, के बारे में यह पता चलते ही कि वह तबलीग़ी जमात के साथ 40 दिन बिताने के बाद अपने गाँव पहुँचा है, घेर कर बुरी तरह मारापीटा गया।

कथित तौर पर इस युवक को गाँव के एक खेत में ले जाया गया, लात-घूंसे बरसाए गए और धमकी दी गई है कि उसे आग के हवाले कर दिया जाएगा। ग्रामीणों को इस बात का शक था कि गाँव में करोना वायरस फैलाने के लिए यह युवक लौटा था। इस घटना के एक तथाकथित वीडियो में हमलावरों को बार-बार यह पूछे जाते सुना जा सकता है जिसमें वे इस घातक वायरस को फैलाने की साजिश का खुलासा करने जिद कर रहे हैं।

24 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन के चलते यातायात की सभी सेवाओं के पूरी तरह से ठप हो जाने की स्थिति में इस पीड़ित व्यक्ति ने मध्य प्रदेश से दिल्ली का सफर सब्जी ले जा रहे ट्रक में छिप-छिपाकर पूरा किया, क्योंकि सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर ही रोक नहीं थी। उसे दिल्ली पुलिस ने आजादपुर के पास महिंद्रा पार्क में हिरासत में लिया था और मेडिकल चेक-अप के बाद उसने सीधे अपने गाँव पहुँच कर ही दम लिया था।

हालाँकि इस नौजवान के गाँव में प्रवेश को लेकर और उसके तबलीग़ी जमात से जुड़े होने की खबर ने गाँव वालों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया। आधी रात के वक्त गाँव के दो-तीन लड़के उसे कथित तौर पर जबरिया खेतों में ले गए, जबकि पीड़ित उनसे हाथ जोड़कर रहम की भीख माँगता रहा। उस पर हमले होते रहे जबकि हमलावरों में से किसी एक ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाया। इसके बाद से इस घटना का वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।

बुरी तरह से घायल इस इंसान को पहले पहल रोहिणी के डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर अस्पताल ले जाया गया था, जहां से उसे जीबी पंत अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उसकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।

पीड़ित के पिता की शिकायत के आधार पर बवाना थाने में धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से अवरोध उत्पन्न करना), 506 (आपराधिक तौर पर डराना धमकाना) और 34 (आम राय के साथ कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्य) भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है।

इसके साथ ही पूर्ण लॉकडाउन के सरकारी आदेश के उल्लंघन के आरोप में पीड़ित के खिलाफ भी आईपीसी की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

6 अप्रैल के दिन एक और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ, जिसमें नई दिल्ली के शास्त्री नगर के कुछ लोग कथित तौर पर वहाँ के निवासियों को अपने आस-पड़ोस में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए कह रहे थे।

वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे उस व्यक्ति को इस 1.52 मिनट की लंबी वीडियो क्लिप में यह कहते हुए सुना जा सकता है, “बिना आधार कार्ड दिखाए किसी भी मुसलमान के इस इलाके में प्रवेश करने या बाहर जाने की इजाजत नहीं है। इन लोगों के कारण यह आफत पैदा हुई है। यह बीमारी फैलती जा रही है।”

एक दूसरा आदमी जो इस फुटेज में नजर नहीं आ रहा है, को बाद में एक सब्जी विक्रेता को रोकते हुए सुना जा सकता है जो पूछ रहा है कि अपना और अपने बाप का नाम बताओ। “पहचान पत्र है तुम्हारे पास- आधार कार्ड? इस इलाके में कल से घुसना मत, अगर साथ में आधार कार्ड लेकर नहीं आये तो ” उसे इस कथित वीडियो में कहते सुना जा सकता है।

हालांकि न्यूज़क्लिक स्वतंत्र तौर पर इस वीडियो क्लिप की प्रामाणिकता का दावा तो नहीं कर सकता लेकिन दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इसकी जांच शुरू कर दी है और उस इंसान तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी है जिसने मूलतः इस वीडियो क्लिप को शूट किया था।

नाम उजागर न किये जाने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है "एक बार सवालों के घेरे में रखे गए इस वीडियो की प्रामाणिकता सिद्ध हो जाये तो उसके बाद हम उचित कार्रवाई करेंगे।”

इस इलाके के कुछ निवासियों से जब इस संवाददाता ने बात की तो उन्होंने इस तथ्य की पुष्टि की है कि कोविड-19 के खतरे को ध्यान में रखते हुये इस एरिया में किसी भी मुस्लिम के प्रवेश को वर्जित करने का फैसला किया गया था। हालाँकि उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि इस सम्बन्ध में कोई बैठक की गई थी।

जबकि एक अन्य घटना में एक व्यक्ति के हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में 5 अप्रैल के दिन कथित तौर पर आत्महत्या की खबर आई है। पता चला है कि यह कदम उसे राज्य के दो लोगों के संपर्क में आने की वजह से लेना पड़ा, जिन्होंने तबलीग़ी जमात के मरकज में शिरकत की थी, और इसके चलते उसे स्थानीय लोगों के कथित उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था। बाद में की गई जाँच में पाया गया है कि मृतक इस वायरस से संक्रमित नहीं था।

इसी तरह कथित तौर पर उत्तराखंड में शूट किया गया एक वीडियो भी हर तरफ घूम रहा है, जिसमें कुछ कुछ लोग मुस्लिम फल विक्रेताओं को जमात वाली घटना का हवाला देते हुए अपना सामान समेटने की धमकी दे रहे हैं। वहीं गैर-मुस्लिम विक्रेताओं को अपना माल बेचने की खुली छूट जारी है।

सरकार द्वारा धार्मिक आधार पर चरित्र-चित्रण?

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW)  द्वारा पूर्व में ली गई अपनी पोजीशन से हटकर अब उसका कहना है कि वह किसी भी प्रकार की प्रोफाइलिंग में विश्वास नहीं करती और सरकार की नजर में सभी मामले एक समान हैं। जबकि  संयुक्त सचिव लव अग्रवाल जोकि कोविड-19 मामलों पर मीडिया को रोजाना ही ब्रीफ कर रहे हैं, ने 3 अप्रैल को अपनी मीडिया ब्रीफिंग में स्पष्ट तौर पर यह धारणा प्रस्तुत की थी कि कोरोना वायरस मामलों में पॉजिटिव संख्या में जो बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है उसमें निजामुद्दीन (जहां तबलीग़ी जमात मुख्यालय स्थित है) में हुए जुटान का अहम योगदान है।

पिछले एक अप्रैल से ही स्वास्थ्य और गृह मंत्रालय की लगभग सभी प्रेस ब्रीफिंग में तबलीग़ी जमात का उल्लेख देखने को मिला है।

2 अप्रैल को, अग्रवाल ने इन मामलों के राज्यवार आँकड़े प्रस्तुत किये जिनके बारे में कथित तौर पर मरकज़ में शामिल लोगों द्वारा ऐसे मामले फैलाने के आरोप लगे हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि पत्रकारों की ओर से इस संबंध में ऐसा कोई सवाल नहीं पूछा गया था।

3 अप्रैल के अपने बयान में इस सम्मलेन की वजह से 17 राज्यों में कोविड-19 संक्रमण के संदिग्ध या सकारात्मक मामलों की जानकारी दी गई थी। जबकि 4 अप्रैल को अग्रवाल ने एक बार फिर से तबलीग़ी जमात के आयोजन को देश भर में दर्ज 30% मामलों के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया।

5 अप्रैल को अग्रवाल कहते हैं “भारत में इन मामलों के दोगुना होने की दर (कोरोनावायरस संक्रमित रोगियों की) 4.1 दिन की है। यदि निजामुद्दीन में जुटान की यह घटना न हुई होती और इससे जुड़े अतिरिक्त मामले नहीं आ रहे होते तो दोगुना होने का औसत तकरीबन 7.14 दिन का होता।”

इससे पहले जब पत्रकारों की ओर से स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी से सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों के बीच कोरोना वायरस मामलों में पॉजिटिव पाए जाने की संख्या के बारे में सवाल किये गए तो इस सम्बंध में डेटा साझा करने से इनकार कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जो सूचना उनके पास है वो पर्याप्त नहीं है, और वो चाहे जो भी संख्या है, वे सभी मरीजों को दी जा रही उनकी सेवाओं के दौरान इसकी चपेट में आने की वजह से हुई हैं।

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@VidyaKrishnan को जवाब देते हुए

सवाल: आपने कहा कि हॉटस्पॉट बदलते रहते हैं। क्या आप हमें बता सकते हैं कि हॉटस्पॉट अब कहाँ-कहाँ पर हैं?

लव अग्रवाल: जहां कभी भी हम एक भी मामले को पाते हैं, हमारे लिए वही हॉटस्पॉट बन जाता है। (सवाल का सीधे जवाब नहीं दिया गया)

सवाल: सेना ने अपनी ओर से जारी किये बयान में कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा संक्रमित मामलों की संख्या बताई जायेगी।

क्या आप वह संख्या बताएँगे?

लव अग्रवाल: मैं सेना और आम नागरिकों में कोई फर्क नहीं करता। जो संख्या मैंने पहले से दे रखी है, वे सभी उसमें शामिल हैं

(सेना में कितने लोग इससे संक्रमित हैं इसका जवाब नहीं मिला)

........

दिल्ली सरकार भी नियमित तौर पर इस कथित जमावड़े के चलते बढ़ रहे नए मामलों के अलग से आँकड़े जारी कर रही है। हालाँकि इस बात को सिर्फ एक बार कहा गया कि दिल्ली सरकार के उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने लॉकडाउन के कारण वहां फंसे लोगों को निकालने में मदद के लिए मरकज़ के अनुरोध को अनसुना कर दिया था।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 6 अप्रैल को एक डिजिटल सम्मेलन के माध्यम से मीडिया को बताया  कि “दिल्ली में कल तक कुल 503 मामले सामने आये थे, और पिछले 24 घंटों में 20 नए मामले प्रकाश में आये हैं, कुलमिलाकर अब 523 मामले हैं। इन 20 नए मामलों में से 10 मरकज़ से और 10 अन्य से जुड़े हैं। दिल्ली में कुल 523 मामलों में से 330 मामले मरकज़ से सम्बन्धित हैं, 61 मामलों में विदेश यात्रा का इतिहास मिलता है। पिछले 24 घंटों में एक और मौत के साथ कुल मारे जाने वाले लोगों की संख्या 7 तक पहुँच चुकी है। कुल पच्चीस लोग आईसीयू में हैं, जबकि 8 लोग वेंटिलेटर पर हैं और बाकी के मरीजों की हालत स्थिर बनी हुई है।”

मरकज़ का उल्लेख करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में ऐसा लग रहा होगा कि दिल्ली में करोना वायरस के पॉजिटिव केसों में अचानक से वृद्धि हो गई है। इस बढ़ोत्तरी का सम्बन्ध मरकज के मामलों में आई वृद्धि से है जो कि कुल 523 मामलों में से 330 मरकज से जुड़े होने के चलते पूरी तरह से स्पष्ट हैं। इसकी दूसरी वजह ये है कि अब हमें परीक्षण किट मिलनी शुरू हो गई हैं और पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में परीक्षण की क्षमता में इजाफा हुआ है।”

दिल्ली में तबलीग़ी जमात के इकट्ठा होने की टाइमिंग को लेकर अब सवाल खड़े किये जा रहे हैं। बताते चलें कि तबलीग़ी जमात एक इस्लामी मिशनरी आंदोलन है जिसका काम यह सुनिश्चित करना है कि जिस प्रकार से पैगम्बर मोहम्मद के जीवनकाल के दौरान धर्म का पालन किया जाता था, उसी प्रकार आज भी मुसलमान उसका पालन करें, खासकर अनुष्ठान, पहनावे और व्यक्तिगत व्यवहार के मामलों में।

ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में इस इस्लामी आंदोलन से 1.20 करोड़ से लेकर 8 करोड़ लोग जुड़े हैं और करीब 180 से लेकर 200 देशों में इसकी उपस्थिति बनी हुई है।

अंग्रेजी में लिखे गए मूल आलेख को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

How Vilification Campaign Against Tablighi Jamaat is Resulting in Hate Crimes

TablighiJamaat
Markaz
Nizamuddin
Hate Crimes
Muslim Targets
Coronavirus
COVID-19
Vilification Campaign
mob lynching

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