NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
देश का ताना-बाना बिगाड़ती ख़तरनाक हिंदुत्व राजनीति की हिंसक घटनाएं
मुस्लिम समाज के जिन लोगों को निशान बनाया गया है उनमें ज़्यादातर पीड़ित वंचित वर्ग से आते हैं, जो ठेला लगाकर या चूड़ियाँ आदि बेचकर अपनी दो वक़्त की रोटी का इंतज़ाम करते हैं। ऐसे मामलों की ख़बरें मथुरा, अजमेर, इंदौर, देवास, उज्जैन, आगर मालवा और कानपुर से प्रकाश में आई हैं। 
असद रिज़वी
30 Aug 2021
देश का ताना-बाना बिगाड़ती ख़तरनाक हिंदुत्व राजनीति की हिंसक घटनाएं
Image Courtesy: Counter currents

देश में हिंदुत्व के नाम पर हिंसा कर के अल्पसंख्यक समाज में लगातार भय का माहौल पैदा किया जा रहा है। हिन्दी भाषी प्रदेशों मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगातार धार्मिक सौहार्द पर घात हो रहे हैं। मध्यप्रदेश धर्म के नाम पर नफ़रत और अपराध का केंद्र बनता जा रहा है।

मध्यप्रदेश में हाल में कुछ ऐसी घटनाएँ हुई हैं जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ कथित दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों ने धार्मिक आधार पर हिंसा की है। इधर कुछ समय-समय से लगातार दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रभावित कुछ लोगों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को निशना बनाया जा रहा है। क़ानून के डर से बेख़ौफ़ इन हमलावरों को “बजरंग दल” जैसे संगठनों का सदस्य माना जा रहा है।

मुस्लिम समाज के जिन लोगों को निशान बनाया गया है उनमें ज़्यादातर वंचित वर्ग से आने वाले हैं, जो ठेला लगाकर या चूड़ियाँ आदि बेचकर अपनी दो वक़्त की रोटी का इंतज़ाम करते हैं। ऐसे मामलों की ख़बरें मथुरा, अजमेर, इंदौर, देवास, उज्जैन, आगर मालवा और कानपुर से प्रकाश में आई हैं। 

अभी हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा शासित उत्तर प्रदेश के मथुरा (विकास बाज़ार) में एक मुस्लिम युवक को डोसा का ठेला ‘श्रीनाथजी’ के नाम पर लगाने पर एक उग्र भीड़ द्वारा धमकाया गया। मुस्लिम युवक को भीड़ ने अपशब्द कहे और उसके ठेले पर लगा बैनर फाड़ दिया। पीड़ित ने न्यूज़क्लिक को फ़ोन पर बताया की हिंसक भीड़ ख़ुद को “बजरंग दल” का बता रही थी।

हिंसक भीड़ को शायद क़ानून का कोई डर नहीं था। अभद्रता के बाद उन्होंने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बताया जा रहा है कि जमा भीड़ को मस्लिम युवक के ठेले का हिंदू नाम ‘श्रीनाथजी’ होने पर आपत्ति थी।  क्षेत्राधिकारी (सिटी) वरूण कुमार ने मीडिया को बताया कि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। पीड़ित इरफान ने अज्ञात के विरुद्ध रिपोर्ट भी दर्ज कराई है।

इस से पहले भी 12 अगस्त को उत्तर प्रदेश के कानपुर में बजरंग दल के कथित कार्यकर्ताओं ने अफ़सार अहमद नामक के ई-रिक्शा चालक को बेरहमी से मारा। जब उग्र भीड़ अफ़सार अहमद मार रही थी, उस समय उनकी बेटी अपने पिता को बचाने के लिए रो-रो फ़रियाद कर रही थी। इसका भी वीडियो सामने आया। जिसमें अफ़सार अहमद को मारने वाले गले में भगवा स्कार्फ़ डाले हुए थे, जो उस से लगातार जो “जय श्री राम” के नारे लगा रहे थे।

इसे भी पढ़िए:- कानपुर: सरेआम मुस्लिम युवक की पिटाई, आरोपियों की ग़िरफ़्तारी के ख़िलाफ़ बजरंग दल का धरना

पुलिस द्वारा मामले के सामने आने के बाद मुक़दमा दर्ज किया गया है। कुछ लोगों की तुरंत गिरफ़्तारी भी हुई। लेकिन देर रात प्रदर्शन कर बजरंग दल के लोगों ने प्रशासन पर गिरफ़्तार लोगों को रिहा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। सुबह गिरफ़्तार सभी अभियुक्तों को थाने से ही ज़मानत देकर रिहा कर दिया गया।

कांग्रेस की सरकार भी मुस्लिम समाज को सुरक्षा देने में उदासीन नज़र आ रही है। अभी 20 अगस्त का एक वीडियो सामने आया था इसमें कुछ लोग एक युवक की पिटाई कर रहे हैं और उसको पाकिस्तान चले जाने के लिए कह रहे हैं। 

पुलिस का कहना है कि इस मामले में पाँच लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस के मुताबिक घटना अजमेर रामगंज थाना क्षेत्र के सुभाष नगर की है। पुलिस जांच में सामने आया कि पीड़ित युवक राजस्थान का रहने वाला नहीं था, वह किसी और राज्य से वहाँ आया था। विडियो में साफ़ देखा जा रहा है कि एक युवक को एक भीड़ घेर कर खड़ी हुई  हैं, उसमें से एक उससे पाकिस्तान जाने के लिए कह रहा है। बताया जा रहा है कि पीड़ित अल्पसंख्यक समाज से आता है और भिक्षा से मिले पैसों से अपना गुज़ारा करता है।

भाजपा शासित मध्य प्रदेश में लगातार मुस्लिम समाज पर हमले हो रहे हैं। इंदौर में 22 अगस्त को नाम बदलकर चूड़ियां बेचने वाले 25 वर्षीय युवक पिटाई का मामला सामने आया। कहा जा रहा है कि तस्लीम अली का नाम पूछ कर उसे पीटा गया। मामले में नया मोड़ उस समय आ गया जब युवक के विरुद्ध एक युवती ने यौन उत्पीड़न का मामला भी दर्ज करा दिया। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की गंभीर धाराओं में उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। 

चूड़ी विक्रेता की पिटाई का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि मध्यप्रदेश के देवास जिले में पाँच लोगों ने सड़क पर टोस्ट बेचने वाले 45 वर्षीय मुस्लिम ज़ाहिर(ज़ाहिद) ख़ान की कथित तौर पर पिटाई कर दी क्योंकि ख़ान अपनी पहचान साबित करने के लिए उन्हें आधार कार्ड नहीं दिखा सका। पुलिस ने 26 अगस्त को मीडिया को इस घटना के बारे में जानकारी दी।

मध्य प्रदेश के उज्जैन में कबाड़ वाले से जबरन “जय श्री राम” का नारा लगवाने का मामला सामने आया है। कुछ दक्षिणपंथी युवकों पर अब्दुल रशीद से जबरन “जय श्री राम” के नारे लगवाने का आरोप है। जब सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेज़ी से वायरल हुआ जिसमें कुछ युवक एक कबाड़ी वाले से  जबरन “जय श्री राम” का नारा लगाने के दबाव बना रहे हैं तो पुलिस हरकत में आ गई और  इस मामले में दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

समाज के प्रबुद्ध वर्ग में मुस्लिम विरोधी बढ़ती हिंसा को लेकर काफ़ी चिंता में है। लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व उप कुलपति रूपरेखा वर्मा कहती हैं कि यह हिंसा भारत को “हिन्दू राष्ट्र” बनाने की एक कड़ी है। मुस्लिमों का इतिहास बदल कर “झूठ” पढ़ाया जा रहा है, ताकि उनके विरुद्ध समाज में नफ़रत का माहौल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि जितना-जितना चुनाव नज़दीक आता जाएगा इस तरह की घटनाएँ और बढ़ती जाएगी ताकि धर्म के आधार पर वोटों ध्रुवीकरण किया जा सके।

वही प्रबुद्ध समाज इसको संघ की नफ़रत की राजनीति का हिस्सा भी मानता है। लेखक व विचारक नदीम हसनैन कहते हैं  कि हाल में मुस्लिम विरोधी सभी घटनाएँ साबित करती हैं कि मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने का प्रयास हो रहा है। नदीम हसनैन कहते हैं कि “जिस तरह गुजरात में समाज को धर्म के नाम पर बाँट दिया गया है, उसी मॉडल पर दूसरे प्रदेशों में भी धर्म के नाम पर समाज को बांटने का काम किया जा रहा है” ताकि हिन्दू-मुस्लिम पहले की तरह मिलकर न रह सकें।

दिलचस्प बात यह है कि धर्म के नाम पर हिंसा करने वाले इतने बेख़ौफ़ हो चुके हैं कि वह हिंसा की तस्वीरें और फ़ोटो खुले आम सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। इतना ही नहीं बहुसंख्यक समाज का वर्ग भी इस हिंसक भीड़ के समर्थन में सड़क पर उतर आता है जैसा कि कानपुर की घटना के बाद देखने मिला। सियासत से लेकर जनता के दबाव के चलते पुलिस द्वारा मुक़दमा इतना हल्का लिखा जाता है कि तुरंत थाने से ही ज़मानत हो जाये और अभियुक्त को ज़मानत-रिहाई के लिए अदालत में पेश ही न होना पड़े।

Hindutva
Hindutva Agenda
hindutva terorr
Hindutva Politics
Communal Hate
Religion Politics
minorities

Related Stories

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

ज्ञानवापी कांड एडीएम जबलपुर की याद क्यों दिलाता है

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'

बच्चों को कौन बता रहा है दलित और सवर्ण में अंतर?

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

मनासा में "जागे हिन्दू" ने एक जैन हमेशा के लिए सुलाया


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई
    17 May 2022
    मुण्डका की फैक्ट्री में आगजनी में असमय मौत का शिकार बने अनेकों श्रमिकों के जिम्मेदार दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर उनके इस्तीफ़े की माँग के साथ आज सुबह दिल्ली के ट्रैड यूनियन संगठनों…
  • रवि शंकर दुबे
    बढ़ती नफ़रत के बीच भाईचारे का स्तंभ 'लखनऊ का बड़ा मंगल'
    17 May 2022
    आज की तारीख़ में जब पूरा देश सांप्रादायिक हिंसा की आग में जल रहा है तो हर साल मनाया जाने वाला बड़ा मंगल लखनऊ की एक अलग ही छवि पेश करता है, जिसका अंदाज़ा आप इस पर्व के इतिहास को जानकर लगा सकते हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!
    17 May 2022
    यूपी में मनरेगा में सौ दिन काम करने के बाद भी श्रमिकों को तीन-चार महीने से मज़दूरी नहीं मिली है जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • सोन्या एंजेलिका डेन
    माहवारी अवकाश : वरदान या अभिशाप?
    17 May 2022
    स्पेन पहला यूरोपीय देश बन सकता है जो गंभीर माहवारी से निपटने के लिए विशेष अवकाश की घोषणा कर सकता है। जिन जगहों पर पहले ही इस तरह की छुट्टियां दी जा रही हैं, वहां महिलाओं का कहना है कि इनसे मदद मिलती…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: बोर्ड एग्जाम की 70 कॉपी प्रतिदिन चेक करने का आदेश, अध्यापकों ने किया विरोध
    17 May 2022
    कॉपी जांच कर रहे शिक्षकों व उनके संगठनों ने, जैक के इस नए फ़रमान को तुगलकी फ़ैसला करार देकर इसके खिलाफ़ पूरे राज्य में विरोध का मोर्चा खोल रखा है। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License