NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
हम देश बचाने निकले हैं, चलो हमारे साथ चलो
यास्मीन ने कहा कि सीएए लाकर सरकार ने देश में जिस भेदभाव की नींव डाली और एक समुदाय को अलग थलग करने की साज़िश रची उसी भेदभाव को हमारे आंदोलन के मंच जड़ से उखाड़ फेंक रहे हैं
सरोजिनी बिष्ट
01 Feb 2020
shaheen bagh

"असल में सरकार चाहती कुछ और थी और हो कुछ और रहा है," जब उनसे पूछा गया कि सरकार चाहती क्या थी और क्या हो रहा है तो एक हल्की सी मुस्कान उसके होंठो पर तैरने लगी बोली देखो इस दृश्य को जहां हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक साथ एक शामियाने के नीचे एकजुट होकर एक मजबूत और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने की गवाही दे रहे हैं। वहीं न केवल यहां बल्कि देश के जिन भी हिस्सों में सीएए एनआरसी एनपीआर के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं वहां भी कुछ ऐसी बानगी देखने को मिल रही है।

जब ये इल्ज़ाम मढ़ दिया गया हो कि ये केवल मुस्लिमों का आंदोलन बनकर रह गया है, ऐसे में जब सब कम्यूनिटी के लोग आकर साथ दें और इसे अपना भी आंदोलन बताए तो अनेकता में एकता का सपना साकार सा हो उठता है। पहले ही दिन से धरने में शामिल यास्मीन अली की इन बातों ने दिल को गहराई तक छू लिया। उसने कहा वे लोग बुद्धि विहीन हैं जो शाहीन बाग़ को मिनी पाकिस्तान बोल रहे हैं आज शाहीन बाग़ मिनी भारत की तस्वीर पेश कर रहा है और संविधान की प्रस्तावना को साकार कर रहा है।

यास्मीन ने कहा कि सीएए लाकर सरकार ने देश में जिस भेदभाव की नींव डाली और एक समुदाय को अलग थलग करने की साज़िश रची उसी भेदभाव को हमारे आंदोलन के मंच जड़ से उखाड़ फेंक रहे हैं, हर धर्म हर समुदाय के अमन पसंद लोग यहां आकर भाईचारे धर्मनिरपेक्षता और इंसानियत का संदेश दे रहे हैं जो हमारे संविधान की मूलभूत आत्मा भी है।

यास्मीन उन लोगों में से हैं जिन्होंने शाहीन बाग में खुले आसमान के नीचे मुट्ठी भर महिलाओं के बल पर आंदोलन शुरू किया था पर आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रहे समर्थन से बेहद खुश है। जब उनसे पूछा गया कि, इस पूरे आंदोलन के दौरान हम देख रहे हैं कि किस कदर एक स्वत: स्फूर्त आंदोलन को राजनैतिक पार्टियों का आंदोलन बताकर ख़ारिज करने की कोशिश चल रही है आख़िर क्यों तो उनका जवाब था "सिर्फ इसलिए कि इन आंदोलनों की बागडोर महिलाओं ने संभाली और उनकी सोच यह कहती है कि महिलाओं में इतनी ताकत नहीं कि वे अपने बूते किसी आंदोलन को इतने लंबे समय तक टिका कर रख सके" जानने की प्रबल इच्छा थी कि आख़िर धरने पर बैठने से पहले उन महिलाओं के दिल दिमाग में क्या विचार आया जो कभी न तो किसी धरने प्रदर्शन का हिस्सा रहीं और न कभी किसी राजनैतिक पार्टियों की रैलियों में गईं।

इस पर नाज़नीन ने बताया कि जिस दिन जामिया में पुलिस दमन की नृशंस घटना हुई उसी दिन शाम के वक़्त इलाके की कुछ महिलाओं ने इस मुद्दे पर बात की और पुलिसिया ज्यादती के ख़िलाफ़ प्रोटेस्ट करने का फैसला किया। उन्होंने कहा चूंकि हमने स्वयं अपनी आंखों से पुलिस का अत्याचार देखा और यह भी देखा कि किस कदर पुलिस निहत्थे और निर्दोष छात्रों को बुरी तरह पीट रही है। माहौल बिगाड़ने में पुलिस की भूमिका थी बावजूद इसके पुलिस को निर्दोष और छात्रों को दोषी करार दिया जा रहा है तब हम इलाके की महिलाओं ने निर्दोष छात्रों के हक़ और देश में लाए जा रहे काले कानून के विरोध में धरने पर बैठने का फैसला किया।

इंसाफ के लिए धरने पर बैठी इन महिलाओं ने शायद ही सोचा होगा की बीस की संख्या से शुरू हुआ ये आंदोलन जल्दी ही बीस लाख और बीस करोड़ या उससे भी आगे पहुंच जाएगा। इसमें दो राय नहीं कि पूरे देश में शुरू हुए आंदोलनों को प्रेरणा शाहीन बाग ने ही दी और केवल प्रेरणा नहीं दी बल्कि उन महिलाओं को भी घर से निकलने की हिम्मत और जज्बा दिया जिनकी दुनिया चारदीवारी और परिवार तक ही सिमट कर रह गई थी। शाहीन बाग में जब महिलाएं धरने पर बैठी तो उनके सिर पर एक अदद ढंग का शामियाना तक नहीं था। यास्मीन ने बताया कि पन्नी बांधकर हम लोग बैठे थे धीरे धीरे हम लोग बीस से चालीस हुए फिर चालीस से अस्सी और अब तो गिनती भी संभव नहीं।

सचमुच अब तो गिनती भी संभव नहीं देश के हर कोने कोने से इंकलाब की मुट्ठियां तन उठी हैं दमन जारी है बावजूद इसके हर आंदोलनकारी की जुबां पर बस यही हैः-

हम देश बचाने निकले हैं चलो हमारे साथ चलो
संविधान बचाने निकले हैं चलो हमारे साथ चलो

CAA
NRC
NPR
Protest against NRC
Protest against CAA
Shaheen Bagh
Jamia Milia Islamia
hindu-muslim
Religion Politics
Secularism
modi sarkar
Narendra modi
Amit Shah

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License