NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
राजस्व सेवा अधिकारियों द्वारा तैयार पैकेज के सुझाव क्या इतने बुरे थे?
प्रधानमंत्री द्वारा घोषित राहत पैकेज को भारतीय राजस्व सेवा संघ के 50 अधिकारियों द्वारा निर्मित FORCE के परिपेक्ष्य में देखने की ज़रूरत है जिसे लिखने के लिए भारतीय राजस्व सेवा के तीन आला अधिकारियों को निलम्बित किया गया था।
संजीव कुमार
14 May 2020
राजस्व सेवा अधिकारियों द्वारा तैयार पैकेज के सुझाव क्या इतने बुरे थे?

जब भारत सरकार  कोरोना महामारी से लड़ने के लिए राहत पैकेज की घोषणा कर चुकी है तो हमें इस राहत पैकेज को भारतीय राजस्व सेवा संघ के 50 अधिकारियों द्वारा निर्मित FORCE (फ़िस्कल ऑप्शनस एंड रेस्पॉन्स टू द कोविड-19 एपिडेमिक) नाम से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए जारी उस सुझाव रिपोर्ट के परिपेक्ष्य में देखने की ज़रूरत है जिसे लिखने के लिए भारतीय राजस्व सेवा के  तीन आला अधिकारियों को निलम्बित किया गया था।

जब प्रधानमंत्री ने राहत पैकेज की घोषणा की तो बताया गया कि घोषणा का विवरण वित्त मंत्री अगले दिन देंगी। पर अगले दिन भी वित्त मंत्री ग़रीबों के लिए कोई ठोस घोषणा नहीं करती हैं। इसके विपरीत राजस्व अधिकारियों द्वारा बनाए गए सुझाव पत्र (FORCE) में समाज के सभी वर्गों के लिए ठोस और स्पष्ट सुझाव दिए गए थे जिसे आज भी समझने की ज़रूरत है।

 FORCE में स्पष्ट तौर पर इंगित किया गया था कि देश में तक़रीबन 12 करोड़ घर ऐसे हैं जो इस महामारी के दौर में भूखे रहने पर मजबूर होंगे, इनके लिए सरकार तीन से छह हज़ार प्रति माह के हिसाब से अगले छह महीने तक खर्च दे और इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में रखे 75 हज़ार करोड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है। अर्थशास्त्री और रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के अनुसार भारत को इस महामारी में भुखमरी से बचाने के लिए 65 हज़ार करोड़ खर्च करने की ज़रूरत है। पर सरकार ने इस ओर अभी तक कोई घोषणा नहीं की है।

 हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की ही बात करें तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने देश में कोरोना से लड़ने के लिए घोषित पैकेज में पाकिस्तान के लगभग 2.2 करोड़ घरों को अगले चार महीनो तक 12 हज़ार रुपये प्रति माह की दर से पैसे दिए जाने की घोषणा की थी। कृषि क्षेत्र की ही बात करें तो बांग्लादेश की सरकार स्पष्ट तौर पर यह घोषित कर चुकी है कि सरकार तक़रीबन 59 करोड़ डॉलर किसानो को क़र्ज़ के रूप में बांटेगी और लगभग 110 करोड़ डॉलर किसानों के लिए उर्वरक पर सब्सिडी देने के लिए खर्च किया जाएगा। लॉकडाउन को दो महीना होने को है और आज तक भारत सरकार देश के किसानो और ग़रीबों के लिए कोई स्पष्ट व ठोस कदम उठती नज़र नहीं आ रही है।

 ये दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार द्वारा देश की GDP का 10% घोषित कोरोना राहत पैकेज दुनिया का सबसे बड़ा राहत पैकेज है जबकि वास्तविकता ये है कि भारत सरकार की घोषणा से हफ़्तों पहले ही अमेरिका ने अपनी GDP का 11%, इंग्लैंड ने 15% और मलेशिया ने 16 % हिस्सा इस महामारी से लड़ने के लिए आवंटित कर दिया था।

 वित्त मंत्री ने अपने घोषणा में अति लघु, लघु और और मध्यम उद्दयोग के लिए तक़रीबन तीन लाख करोड़ की सुविधाजनक क़र्ज़ की व्यवस्था की घोषणा की है जिसकी झलक राजस्व अधिकारियों द्वारा जारी सुझाव पत्र FORCE में भी मिलती है। वित्त मंत्री द्वारा TDS, आयकर और EPF आदि से सम्बंधित घोषणा की झलक FORCE में भी दिखती है इसलिए FORCE के मुख्य सुझाओं को समझना फिर से आवश्यक हो गया है। FORCE के कुछ मुख्य सुझाव निम्न है:

 1.   किसी कम्पनी द्वारा अपने ग़ैर-प्रबंधीय मज़दूरों को दिये जाने वाले वेतन को कॉरपोरेट सोशल रिस्पोंसबिलिटी (सीएसआर) की श्रेणी में रखा जाय। कम्पनी द्वारा अपने श्रमिकों के कोरोना का इलाज पर किए गए खर्च को कम्पनी द्वार सरकार को दिए जाने वाले कर में छूट माना जाय। दस लाख से कम सालाना आमदनी वाले श्रमिकों को किसी प्रकार के दिए गए बोनस पर भी कम्पनी को कर रियायत दी जाय। कम्पनी को यह अधिकार भी दिया जाय कि वो अपने श्रमिकों को तनख़्वाह का कुछ हिस्सा कम्पनी के शेयर के रूप में भी दे सकती हैं।

2.   कोई भी कम्पनी जिन्होंने अपना सीएसआर का पैसा विगत वर्षों में खर्च नहीं किया है वो अगर इस महामारी के दौर में करते हैं तो उन्हें 25% की छूट दी जानी चाहिए।

3.   जिस तरह से देश के सम्पन्न वर्ग से एलपीजी सिलेंडर का सब्सिडी छोड़ने की अपील की गई थी उसी प्रकार उनसे अन्य प्रकार की सब्सिडी का त्याग करने की अपील की जाय और ऐसा करने वालों को प्रोत्साहन के तौर पर सर्टिफ़िकेट दिया जाय।

4.   कोरोना के दौरान अर्थव्यवस्था का तेज़ी से डिजिटलीकरण हो रहा है, इसलिए डिजिटल लेन देन पर लिये जाने वाला कर को 2% से बढ़ाकर 3% कर दिया जाय क्यूँकि ग़ैर-डिजिटल लेन देन पर पहले से ही 6% कर लिया जा रहा है।

5.   वर्क फ़्रॉम होम को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिससे कि फ़ालतू खर्चो को कम किया जा सके। साथ में कम्पनी द्वारा अपने श्रमिकों को दिए जाने वाले कुल छुट्टियों की संख्या कम करने और उन्हें मज़दूरी कम करने का अधिकार दिया जाय।

6.   स्वास्थ्य सेक्टर से अगले तीन वर्षों तक कोई कर नहीं लिया जाय ताकि सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएँ एवं सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध करवाया जा सकें। इसी तरह स्वास्थ्य कर्मियों से किसी प्रकार का कोई कर नहीं लिया जाय।

7.   जिस तरह से अन्य सेक्टर को 1 से 3 % तक का क्षति छूट मिलती है उसी प्रकार NGO को भी कम से कम 1% की क्षति छूट मिलनी चाहिए। जो चेरिटबल ट्रस्ट ग़रीबों के लिए काम कर रही है उन्हें मिलने वाले कर में छूट को 10% से बढ़ाकर 25% कर दिया जाना चाहिए।

8.   कर अदा करने वालों को अलग अलग तरह की छूट दी जानी चाहिए जैसे विलम्ब शुल्क नहीं लिया जाय या कम लिया जाय, जो शुल्क उन्हें प्रतिमाह जमा करना बाध्य हो उसे वार्षिक कर दिया जाय।

9.   जिन उद्योगपतियों या आम लोगों ने भी क़र्ज़ ले रखा है उनके कर अदायगी की तिथि मार्च 2022 तक बढ़ा दी जाय, उद्योगपतियों से किसी तरह का कोई विलम्ब शुल्क नहीं लिया जाय या कम लिया जाय।

10.  विनिर्माण क्षेत्र में ठेकेदारों को पहले निर्माण पूरा करने की अवधि पाँच वर्ष दी जाती थी, उसे बढ़ाकर 7 वर्ष कर देनी चाहिए।

11.  किसी भी बैंक को ये अधिकार है कि वो 8.5% क़र्ज़ ऐसे ग्राहकों को दे सकती हैं जहां से पैसा वापस नहीं आने का ख़तरा अधिक है। इस महामारी के दौर में इसे 12% कर दिया जाना चाहिए ताकि निवेश को प्रोत्साहन मिले।

 इन सुझावों पर सहमत-असहमत हुआ जा सकता है लेकिन ये साफ़ ज़ाहिर होता है कि राजस्व अधिकारियों द्वारा जारी इस सुझाव पत्र (FORCE) पर सरकार को गौर करना चाहिए। इस संबंध में मीडिया ने भी अपनी भूमिका सही से नहीं निभाई है। और गुण-दोष के आधार पर इसका ठीक से विश्लेषण नहीं किया। रिपोर्ट में वर्णित सभी सुझावों में से सिर्फ़ एक सुझाव पर मीडिया हल्ला मचा रही है कि सुझाव पत्र में समाज के अति-धनी वर्ग से अधिक कर वसूलने का सुझाव दिया गया है। यह बात सही है कि पत्र में सालाना एक करोड़ से अधिक कमाने वालों से आयकर वसूलने का स्लैब दर 30% से बढ़ाकर 40% करने और विदेशी कम्पनियों से अधिक सरचार्ज लेने और दस लाख से अधिक आय वालों से 4% उपकर लेने की सिफ़ारिश की है।

 अगर भारत में सरकार, कुछ धनी वर्ग और इस महामारी के दौर में भी मुनाफ़ा कमा रहे सेक्टर से कुछ विशेष कर लेती भी है तो उसमें क्या बुराई है? अमेरिका को 1930 की आर्थिक मंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौर की मंदी से उभारने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने ही उस समय कहा था कि “मैं इस वैश्विक तबाही के दौर में अमेरिका में इस युद्ध के कारण एक भी अरबपति बनता हुआ नहीं देखना चाहता हूँ।”

 प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में संलग्न लगभग सभी देशों ने लाभ कमा रहे अपने पूँजीपतियों पर भारी मात्रा में कर लगाए थे। उस संकट के दौर में लाभ कमा रहे सभी पूँजीपतियों को वहाँ के समाज ने धिक्कार की नज़र से देखा। अमेरिका में ही 1943 आते आते वहाँ के पूँजीपतियों पर उनके द्वारा कमाए जा रहे लाभ पर 95% तक कर लगाया गया जो कि उनपर लगाए जा रहे 8% कर के ऊपर था। जैसा कि पूरी दुनिया इस कोरोना महमारी को युद्ध की नज़रिए से देख रही है तो फिर युद्धक़ालीन नीतियों से क्यों परहेज़ कर रही है?

 लेखक मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज में प्रोग्राम मैनेजर हैं। आपसे subaltern1@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। विचार व्यक्तिगत हैं।

 

COVID-19
India
modi sarkar
corona rahat package
FORCE
raghuram rajan

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License