NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
विज्ञान
क्या कहते हैं कोरोना वायरस पर हुए नए अध्ययन?
'बीएमजी न्यूट्रीशियन प्रिवेंशन एंड हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित सर्वेक्षण के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि शाकाहारी आहार लेने से कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित होने का खतरा कम रहता है। जबकि अमेरिका के अध्ययन के मुताबिक़ घरों में बिना मास्क बातचीत से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा अधिक है।  
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
10 Jun 2021
कोरोना

नयी दिल्ली : कोरोना महामारी को दुनिया में फैलने के एक साल से अधिक हो जाने के बाद भी अभीतक इस वायरस के बारे में संपूर्ण और पुख़्ता तौर पर कोई जानकारी नहीं है। इसलिए अभी भी दुनिया में इसको लेकर नए नए अध्ययन और शोध जारी हैं।  जिसमें इस वायरस के व्यवहार और स्वरूप को लेकर रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसे ही दो नए अध्ययन सामने आए हैं। मंगलवार को 'बीएमजी न्यूट्रीशियन प्रिवेंशन एंड हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित सर्वेक्षण के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि शाकाहारी भोजन कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित होने के खतरे को 73 प्रतिशत तक जबकि मछली आधारित आहार 59 प्रतिशत तक कम कर सकता है।जबकि अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबीटिज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीजेज के एड्रियान बेक्स ने कहा, “हम सबने देखा है कि जब लोग बात करते हैं तो थूक की हजारों बूंदे उड़ती हैं लेकिन हजारों बूंदें और होती हैं जिन्हें खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है।”  इसलिए घरों में बिना मास्क बातचीत से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा अधिक है। दोनों रिपोर्ट में क्या है संक्षिप्त में समझने का प्रयास करते हैं  -

शाकाहारी आहार लेने से कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित होने का खतरा कम रहता है: अध्ययन

छह देशों में किये गए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि शाकाहारी और मछली आधारित आहार का सेवन करने वाले लोगों के लिए कोविड-19 महामारी से गंभीर रूप से पीड़ित होने का खतरा कम रहता है।

अध्ययनकर्ताओं के अनुसार यह सर्वेक्षण अनुमान आधारित है और निश्चित तौर पर आहार और कोविड-19 स्तर के बीच संबंध को स्थापित नहीं करता है तथा निष्कर्षों की व्याख्या करने में सावधानी बरते जाने की आवश्यकता है।

मंगलवार को 'बीएमजी न्यूट्रीशियन प्रिवेंशन एंड हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित सर्वेक्षण के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि शाकाहारी भोजन कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित होने के खतरे को 73 प्रतिशत तक जबकि मछली आधारित आहार 59 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

इससे पहले भी विभिन्न अध्ययनों में यह बात कही गई है कि कोविड-19 के लक्षणों की गंभीरता और बीमारी की अवधि में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। हालांकि इस सिद्धांत की पुष्टि करने या इसे नकारने के लिये साक्ष्य बहुत कम हैं।

इस नए सर्वेक्षण में जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, अमेरिका के अध्ययनकर्ता शामिल थे। अध्ययनकर्ताओं ने इस दौरान सार्स-सीओवी-2 से गंभीर रूप से पीड़ित रहे अग्रिम मोर्चे पर तैनात उन 2,884 डॉक्टरों और नर्सों की प्रतिक्रिया जानी थी जो फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका में काम कर रहे हैं।

जुलाई से सितंबर 2020 के बीच किये गए इस ऑनलाइन सर्वेक्षण में शामिल लोगों से पिछले साल उनके खानपान के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी गई थी।

घरों में बिना मास्क बातचीत से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा अधिक : अध्ययन

घरों में या बंद कमरों में मास्क लगाए बिना बोलने और बातचीत करने से कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का जोखिम सबसे अधिक है। एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है।

इस अनुसंधान में यह बताया गया है कि बोलते वक्त मुंह से अलग-अलग आकार की श्वसन बूंदें निकलती हैं और उनमें अलग अलग मात्रा में वायरस हो सकता है।

अध्ययन के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, सबसे चिंताजनक बूंदे वे हैं जिनका आकार मध्यम है और जो कई मिनट तक हवा में रह सकती हैं।

उन्होंने पाया कि ये बूंदे हवा के प्रवाह से ठीक-ठाक दूरी तक पहुंच सकती हैं।

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबीटिज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीजेज के एड्रियान बेक्स ने कहा, “हम सबसे देखा है कि जब लोग बात करते हैं तो थूक की हजारों बूंदे उड़ती हैं लेकिन हजारों बूंदें और होती हैं जिन्हें खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता है।”

अध्ययन के वरिष्ठ लेखक बेक्स ने कहा, “बोलते वक्त निकलने वाली इन वायरस युक्त बूंदों से जब पानी भाप बनकर निकलता है तो वे धुएं की तरह कई मिनटों तक हवा में तैर सकते हैं जिससे अन्य के लिए जोखिम पैदा होता है।”

अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 वैश्विक महामारी की शुरुआत के बाद से वायरस प्रसार में एयरोसोल बूंदों के शारीरिक एवं चिकित्सीय पहलुओं पर किए गए कई अध्ययनों की समीक्षा की।

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि सार्स-सीओवी-2 का वायुजनित प्रसार न केवल कोविड-19 को प्रसारित करने का मुख्य मार्ग है बल्कि सीमित स्थानों में मास्क लगाए बिना बातचीत करना उस गतिविधि को दर्शाता है जो दूसरों के लिए सबसे अधिक खतरा पैदा करती है।

अध्ययन के लेखकों ने कहा कि खाना-पीना अक्सर घरों के भीतर होता है और आम तौर पर इस दौरान जोर-जोर से बात की जाती है, इसलिए इस बात को लेकर चौंकना नहीं चाहिए कि बार एवं रेस्तरां हाल में संक्रमण प्रसार का केंद्र बन गए थे।

यह अध्ययन मंगलवार को ‘इंटर्नल मेडिसिन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

Coronavirus
COVID-19
Studies on coronavirus

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • आज का कार्टून
    आम आदमी जाए तो कहाँ जाए!
    05 May 2022
    महंगाई की मार भी गज़ब होती है। अगर महंगाई को नियंत्रित न किया जाए तो मार आम आदमी पर पड़ती है और अगर महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश की जाए तब भी मार आम आदमी पर पड़ती है।
  • एस एन साहू 
    श्रम मुद्दों पर भारतीय इतिहास और संविधान सभा के परिप्रेक्ष्य
    05 May 2022
    प्रगतिशील तरीके से श्रम मुद्दों को उठाने का भारत का रिकॉर्ड मई दिवस 1 मई,1891 को अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाए जाने की शुरूआत से पहले का है।
  • विजय विनीत
    मिड-डे मील में व्यवस्था के बाद कैंसर से जंग लड़ने वाले पूर्वांचल के जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल के साथ 'उम्मीदों की मौत'
    05 May 2022
    जांबाज़ पत्रकार पवन जायसवाल की प्राण रक्षा के लिए न मोदी-योगी सरकार आगे आई और न ही नौकरशाही। नतीजा, पत्रकार पवन जायसवाल के मौत की चीख़ बनारस के एक निजी अस्पताल में गूंजी और आंसू बहकर सामने आई।
  • सुकुमार मुरलीधरन
    भारतीय मीडिया : बेड़ियों में जकड़ा और जासूसी का शिकार
    05 May 2022
    विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय मीडिया पर लागू किए जा रहे नागवार नये नियमों और ख़ासकर डिजिटल डोमेन में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों की एक जांच-पड़ताल।
  • ज़ाहिद ख़ान
    नौशाद : जिनके संगीत में मिट्टी की सुगंध और ज़िंदगी की शक्ल थी
    05 May 2022
    नौशाद, हिंदी सिनेमा के ऐसे जगमगाते सितारे हैं, जो अपने संगीत से आज भी दिलों को मुनव्वर करते हैं। नौशाद की पुण्यतिथि पर पेश है उनके जीवन और काम से जुड़ी बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License