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भारत
राजनीति
‘लव जिहाद’ को लेकर सीएम योगी के ‘राम नाम सत्य’ के मायने क्या हैं?
केंद्र सरकार ये साफ कर चुकी है कि कानून की नजर में लव जिहाद जैसे शब्द की कोई व्याख्या ही नहीं है। ऐसे में कई लोगों का मानना है कि सीएम योगी के राम नाम सत्य से जुड़ा बयान भीड़तंत्र के उकसावे वाला दिखाई पड़ता है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
02 Nov 2020
योगी

“सरकार निर्णय ले रही है कि हम लव जिहाद को सख्ती से रोकने का कार्य करेंगे। एक प्रभावी कानून बनाएंगे। छद्मवेश में, चोरी-छिपे, नाम, स्वरूप छिपाकर के जो लोग बहन, बेटियों की इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं, उनको पहले से मेरी चेतावनी, अगर वे सुधरे नहीं, तो राम नाम सत्य है की यात्रा अब निकलने वाली है।”

ये बयान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है। सीएम योगी ने शनिवार, 31 अक्तूबर को जौनपुर में भाजपा की एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश का उल्लेख भी किया, जिसमें अदालत ने कहा था कि अगर कोई शख्स सिर्फ विवाह के उद्देश्य से धर्म परिवर्तन करता है तो वह वैध नहीं है।

हालांकि सीएम योगी ने हाईकोर्ट के जिस फैसले का जिक्र किया है उसका लव जिहाद के आरोपों से कोई लेना-देना ही नहीं है। केंद्र सरकार भी ये साफ कर चुकी है की कानून की नजर में लव जिहाद जैसे शब्द की कोई व्याख्या नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या योगी सरकार जिस कानून की बात कर रही है, वो कथित लव जिहाद के खिलाफ है या धर्मांतरण के खिलाफ। या फिर एक विशेष जन समूह को निशाना बनाने के लिए?  

क्या है पूरा मामला?

31 अक्टूबर को उपचुनाव प्रचार के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जौनपुर पहुंचे। वहां के मल्हानी क्षेत्र में रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र किया।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश दिया है कि शादी ब्याह के लिए धर्म परिवर्तन आवश्यक नहीं है। ये नहीं किया जाना चाहिए, इसको मान्यता नहीं मिलनी चाहिए और इसीलिए सरकार भी निर्णय ले रही है कि हम लव जिहाद को सख्ती से रोकने का काम करेंगे। एक प्रभावी कानून बनाएंगे।”

#WATCH Allahabad HC said religious conversion isn't necessary for marriage. Govt will also work to curb 'Love-Jihad', we'll make a law. I warn those who conceal identity & play with our sisters' respect, if you don't mend your ways your 'Ram naam satya' journey will begin: UP CM pic.twitter.com/7Ddhz15inS

— ANI UP (@ANINewsUP) October 31, 2020

इलाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

प्रियांशी उर्फ समरीन और उनके पति की याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि लड़की जन्म से मुस्लिम है और उसने 29 जून 2020 को धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म स्वीकार किया। 31 जुलाई को दोनों ने हिंदू रीति से शादी कर ली। इससे स्पष्ट है कि धर्म परिवर्तन सिर्फ विवाह करने के उद्देश्य से किया गया।

हाईकोर्ट ने कहा, “एक याची मुस्लिम और दूसरी हिंदू है। साथ ही रिकार्ड से भी ये साफ हो जाता है कि केवल शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन किया गया है। किसी धर्म को जाने बिना और बिना आस्था विश्वास के धर्म बदलना स्वीकार्य नहीं है। साथ ही ये उस धर्म के भी खिलाफ है।”

हालांकि यह मामला किसी भी तरह से कथित लव जिहाद से जुड़ा नहीं है। इस केस का संदर्भ एक मुस्लिम महिला और एक हिंदू पुरुष की याचिका से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने अपनी मर्जी से शादी की और अब वे अपने परिवार के विरोध के मद्देनजर सुरक्षा की मांग कर रहे थे।

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए उनके शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन में दखल न देने के लिए राज्य को निर्देश से इनकार कर दिया था क्योंकि महिला ने सिर्फ विवाह करने के उद्देश्य से हिंदू धर्म अपना लिया था।

अदालत ने अपने फैसले में कहीं भी लव जिहाद का कोई जिक्र नहीं किया है। लेकिन मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में अदालत के इस फैसले का संदर्भ लव जिहाद से जरूर जोड़ दिया है। जिसे लोग सीधे तौर पर हिंदू महिलाओं के मुस्लिम पुरुषों से रिश्ता रखने को लेकर उनकी असुरक्षा से जोड़ रहे हैं। इससे पहले भी भाजपा के कई नेता और खुद सीएम योगी आदित्यनाथ इस बारे में कई बार बयान दे चुके हैं। हालांकि इस बार उनके बयान की खुले तौर पर खूब आलोचना हो रही है।

लव जिहाद क्या है?

केंद्र सरकार साफ तौर पर कह चुकी है कि कानून में लव जिहाद की कोई परिभाषा नहीं है। यानी कानून में ये शब्द अस्तित्व में ही नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि लव जिहाद शब्द आखिर आया कहां से?

लव जिहाद पहली बार साल 2009 में सुर्ख़ियों में आया। दावा किया गया कि केरल और कर्नाटक के कई क्षेत्रों में गैर-मुस्लिम औरतों को प्यार और शादी का झांसा देकर धर्मांतरित किया जा रहा है।

इसके बाद कई छोटी-बड़ी घटनाओं में इसका इस्तेमाल हुआ लेकिन साल 2017 में हादिया अशोकन केस के दौरान इसका प्रयोग देशभर में फैल गया। केरल हाईकोर्ट ने पहले हादिया की शादी को धर्म-परिवर्तन और दबाव के दावों के बीच मान्यता नहीं दी। यहां तक कहा गया कि इस शादी के पीछे आतंकी संगठन आईएसआईएस का हाथ था। लेकिन एक साल बाद ही सन् 2018 में ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण’ (एनआईए) ने बताया कि ‘लव जिहाद’ जैसी चीज़ के होने का कोई ठोस सबूत नहीं है ज्यादातर हिंदू-मुस्लिम विवाह औरत की मर्ज़ी और रजामंदी से होते हैं। इसके बाद केरल हाईकोर्ट ने भी स्वीकार किया कि हादिया ने स्वेच्छा से शादी की है और उनके विवाह को वैध भी घोषित कर दिया।

अमूमन लव जिहाद हिंदूवादी संगठनों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द है। जिसके अनुसार कथित तौर पर हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती या बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम व्यक्ति से उसका विवाह कराया जाता है। इन संगठनों का ऐसा मानना है कि इस साजिश के जरिए देश के बहुसंख्यकों यानी हिंदुओं को के अल्पसंख्यकों में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है।

‘लव जिहाद’ का इस्तेमाल ज्यादातर समाज में दो धर्मों के बीच नफ़रत फैलाने के मकसद से होता है। तथाकथित ‘जिहाद’ को रोकने के लिए कट्टरवादी संगठन आए दिन ‘समुदाय विशेष’ के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते रहते हैं। शोषण से बचाने के नाम पर औरतों को किसी भी दूसरे समुदाय के मर्दों से शादी की इजाज़त नहीं दी जाती है।

तनिष्क का विज्ञापन आप सभी को याद होगा। हिंदू लड़की मुस्लिम परिवार की बहु होती है, जहां उसकी गोद भराई की रस्में निभाई जा रही होती हैं। इस सुंदर विज्ञापन को ‘एकत्वम’ का नाम दिया गया था। लेकिन महज़ एक ही दिन बाद कंपनी को इस विज्ञापन को सुरक्षा कारणों के चलते हटाना पड़ा। तनिष्क के कई शोरूम को धमकी मिलने की खबरें भी मीडिया में आईं। इस विज्ञापन पर भी लव जिहाद का आरोप लगा।

धर्मपरिवर्तन को लेकर यूपी सरकार कानून बनाने को तैयार!

आपको बता दें कि लोगों के धर्मपरिवर्तन को लेकर देश के कई राज्यों में कानून भी बना हुआ है। लेकिन इसमें लव जिहाद शब्द का उल्लेख नहीं है। लोग विवाह के अलावा भी कई कारणों से धर्म परिवर्तन करते रहे हैं। हाल ही में हाथरस की घटना के बाद गाजियाबाद में हजारों दलितों ने हिंदू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया था।

मालूम हो कि फिलहाल उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन को लेकर कोई कानून व्यवस्था नहीं है। पिछले साल उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने इस तरह का कानून बनाने के लिए आदित्यनाथ सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी और ‘यूपी फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल’ का मसौदा तैयार किया।

इस ड्राफ्ट में कहा गया था कि एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन कराने के लिए, अगर कोई व्यक्ति किसी भी तरह की जबरदस्ती या ताकत का इस्तेमाल करता है तो वो नए कानून के तहत सजा का पात्र होगा। किसी भी तरह के पैसे का लालच, पद का लालच, नौकरी का लालच या स्कूल-कॉलेज में दाखिले का लालच भी धर्मांतरण के नए कानून के दायरे में आएगा।

इसके साथ ही शादी के लिए गलत नीयत से धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन के लिए की जा रही शादियां भी नए नियम में धर्मांतरण कानून के तहत आएंगी। वहीं अगर कोई किसी को धर्म परिवर्तन करने के लिए मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना देता है तो वो भी इस नए कानून के दायरे में आएगा। विधि आयोग के इस नए ड्राफ्ट में कड़े कानून की अनुशंसा की गई है।

सज़ा का प्रावधान

धर्मांतरण के मामले में अगर माता-पिता, भाई-बहन या अन्य ब्लड रिलेशन से कोई शिकायत करता है तो उनकी शिकायत पर कार्रवाई की शुरुआत की जा सकती है। विधि आयोग ने अपनी सिफारिश में धर्मांतरण के लिए दोषी पाए जाने पर एक साल से लेकर पांच साल तक की सजा का प्रावधान किया है।

जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लव जिहाद के खिलाफ जिस कानून की बात कर रहे हैं, वो यही धर्मांतरण कानून है। जिसकी सिफारिश प्रदेश के विधि आयोग ने सरकार से की है। ऐसा कानून लागू करने वाला उत्तर प्रदेश कोई पहला राज्य भी नहीं होगा बल्कि देश का नौंवा राज्य होगा क्योंकि आठ राज्य धर्मांतरण के खिलाफ कानून लागू कर चुके हैं।

हालांकि, मसौदा कानून में उन प्रावधानों की नकल की गई, जिन्हें अन्य राज्यों ने जबरन धर्मांतरण या किसी तरह के प्रलोभन से धर्म परिवर्तन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए अपनाया गया है। इसमें सिर्फ विवाह के लिए धर्म परिवर्तन निषिद्ध है।

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक विधि आयोग की इस रिपोर्ट में ‘हिंदूजागृति डॉट ओआरजी‘ से उदाहरण या चित्रांकन लिए गए हैं। यह वेबसाइट हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात कहती है और यह रिपोर्ट सिर्फ अंतर धार्मिक विवाह से जुड़ी चिंताओं को लेकर ही है।

गौरतलब है कि देश में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत किसी व्यक्ति द्वारा पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने के लिए उसे कानूनी रूप से मौत की सजा सुनाई जा सके, ऐसे में कई लोगों का मानना है कि सीएम योगी के राम नाम सत्य से जुड़ा बयान से भीड़तंत्र के उकसावे वाला दिखाई पड़ता है। क्योंकि हिंदू धर्म में इस शब्द का इस्तेमाल शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय किया जाता है।

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