NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
शाहीन बाग़ में धारा 144 लगने के बाद क्या-क्या हुआ?
इस संघर्ष का आकर्षण बनी दादियों का साफ़ तौर पर कहना है कि जब तक सीएए, एनआरसी और एनपीआर को सरकार वापस नहीं ले लेती, तब तक वे नहीं हटेंगी। चाहे पुलिस कोई भी धारा लगा ले।
सोनिया यादव
02 Mar 2020
shaheen bagh

'जीत गए तो वतन मुबारक, हार गए तो कफ़न मुबारक'

ये पंक्तियां रविवार 1 मार्च को दिल्ली के शाहीन बाग़ में सुनाई दीं। धारा 144 लगने के बाद भी यहां लोगों के हौसलें बुलंद दिखाई दिए। आज दूसरे दिन यानी सोमवार 2 मार्च को भी यहां धारा 144 लागू है। भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बीच महिलाओं का प्रदर्शन अभी भी जारी है।

शाहीन बाग़ अब किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है, बल्कि अपना परिचय आप बन गया है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ यहां औरतों को धरने पर बैठे लगभग 78 दिन हो गए। रविवार 1 मार्च का दिन शाहीन बाग़ के लिए बेहद अहम था।

पहले इलाके में धारा 144 लगी और फिर शाम होते-होते हिंसा की कई अफवाहें सुनने को मिलीं। रविवार का दिन यहां के लोगों और प्रदर्शकारियों के लिए कैसा रहा इसका आंखों देखा हाल..

Shaheen Bagh 1-1583089447_0.jpg

रविवार को धरने का 78वां दिन था। हिंदू सेना के कथित मार्च के कारण किसी अनहोनी से बचने के लिए पुलिस ने सुबह ही शाहीन बाग़ और आस-पास के इलाकों में धारा 144 लगा दी। इस दौरान प्रदर्शनकारी धरने पर डटे रहे। हालांकि लाउडस्पीकर बंद रहे, किसी भी तरह की नारेबाजी और वक्ताओं के भाषण नहीं हुए। डपली की थाप पर और कविताओं के साथ महिलाएं प्रदर्शन में शामिल रहीं। कई संगठन महिलाओं का हौसला बढ़ाने के लिए क्रांतिकारी कविताएं पढ़ रहे थे। पूरे दिन टेंट में कविताएं गूंजती रहीं।

एक प्रदर्शनकारी ने बातचीत में बताया, 'हम सुबह से ही लोगों से आग्रह कर रहे थे कि वे महिलाओं का साथ देने के लिए भारी संख्या में प्रदर्शनस्थल पर पहुंचे। आज छुट्टी का दिन था तो वैसे भी लोगों की अच्छी-खासी तादाद थी। कुछ लोग धारा 144 का नाम सुनकर लौट रहे थे, लेकिन हमने सभी से कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है, पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए ही आई है।'

दोपहर होते-होते विभिन्न संगठन के लोग शाहीन बाग़ पहुंचने लगे। इस दौरान कांग्रेस की नेता किरण वालिया, डूटा की पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण, जामिया और जेएनयू के छात्र भी बड़ी संख्या में महिलाओं का उत्साह बढ़ाने यहां पहुंचे। लेकिन किसी को भी मंच से भाषण नहीं होने दिया गया। माहौल को पूरी तरह शांतिपूर्ण बनाए रखने की कोशिश की गई।

20200216153L_1581871370259_1583063191586.jpg

एक अन्य प्रदर्शनकारी के अनुसार, 'सुबह करीब 9 बजे दिल्ली पुलिस के अधिकारी आए थे और एक बार फिर प्रदर्शनस्थल का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि धारा 144 इस जगह के आस-पास लगाई गई है, आप लोगों से हमारी अपील है कि अपना धरना खत्म करें। लेकिन हम शांति से अपना प्रदर्शन कर रहे हैं, कोर्ट से अभी हमारे हटने का कोई आदेश नहीं आया है। हमारा संघर्ष संविधान को बचाने के लिए है और ये जारी रहेगी।'

इस संघर्ष का आकर्षण बनी दादियों का साफ तौर पर कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। वे लोग इतने दिनों से सड़क पर बैठे हैं, जब तक सीएए, एनआरसी और एनपीआर को सरकार वापस नहीं ले लेती, तब तक वे नहीं हटेंगी। चाहे पुलिस कोई भी धारा लगा ले।

बात करें आस-पास की दुकानों की तो लगभग सभी बंद थी। पूरा इलाका लगभग छावनी में तब्दील हो चुका था। लोग धरना स्थल के अलावा कहीं और इकट्ठा होने से बच रहे थे। उनके अंदर डर और दहशत का माहौल था।

एक दुकानदार आज़ाद ने बताया, 'कई दिनों से एक वीडियों वायरल हो रहा था, जिसमें दिखाया जा रहा था कि हिंदू सेना के लोग आने वाले हैं। इस डर से कई लोगों ने रविवार को दुकानें नहीं खोलीं। पुलिस की भारी संख्या देखकर भी लगा, जैसे कुछ तो गंभीर बात है। इसलिए हम लोगों ने सोचा कि किसी तरह के नुकसान से अच्छा है कि दुकान और बाजार बंद रहे।'

उधर, दिल्ली पुलिस का कहना है कि एहतियात के तौर यह कदम उठाया गया है। दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त डीसी श्रीवास्तव ने रविवार को कहा कि दरअसल, हिंदू सेना ने आज अपना विरोध दर्ज करने की बात कही थी। इसलिए एहतियातन शाहीन बाग़ विरोध स्थल पर भारी पुलिस तैनाती की गई है। हम चाहते हैं कि इलाके में शांति बनी रहे।

शाम होते-होते यहां कई तरह की अफवाहें फैलने लगी। लोगोंं के अंदर डर पैदा हो गया कि कहीं कुछ होने तो नहीं वाला। शाहीन बाग़ के साथ दिल्ली के कई अन्य इलाकों में भी हिंसा की अफवाहें सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल होने लगी। लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया लेकिन कुछ ही देर में स्थानिय पत्रकारों और पुलिस ने झूठी खबरों का खंडन करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

एक स्थानीय पत्रकार ने बताया, ‘यहां प्रदर्शन स्थल के पास कुछ लड़के आए और उन्होंने हमले और हिंसा से जुड़ी कुछ बातें कहीं और फिर भाग गए। जितनी देर में लोग कुछ समझ पाते, अफरा-तफरी मच गई, कई लोग यहां से उठने लगे। हालांकि तोड़ी देर बाद ही प्रदर्शन छोड़कर जाने वाले लोगों को वापस बुला लिया गया। पुलिस और पत्रकारों ने भी लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की सलाह दी।'

गौरतलब है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मद्देनज़र अब पुलिस प्रशासन शाहीन बाग़ को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता लेकिन प्रदर्शकारियों का इसे लेकर एक नज़रिया ये भी है कि सरकार हमारी आवाज़ दबाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन अब हमें और भी मजबूती से इस कानून के ख़िलाफ़ अपनी आवाज बुलंद करनी है।

Shaheen Bagh
CAA
NRC
NPR
Section 144
delhi police
BJP
Supreme Court
Women Leadership
save constitution
Constitution of India

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़, यूनियन ने बताया ऐतिहासिक निर्णय


बाकी खबरें

  • make in india
    बी. सिवरामन
    मोदी का मेक-इन-इंडिया बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा श्रमिकों के शोषण का दूसरा नाम
    07 Jan 2022
    बहुराष्ट्रीय कंपनियों के गिग कार्यकर्ता नई पीढ़ी के श्रमिक कहे जा सकते  हैं, लेकिन वे सीधे संघर्ष में उतरने के मामले में ऑटो व अन्य उच्च तकनीक वाले एमएनसी श्रमिकों से अब टक्कर लेने लगे हैं। 
  • municipal elections
    फर्राह साकिब
    बिहारः नगर निकाय चुनावों में अब राजनीतिक पार्टियां भी होंगी शामिल!
    07 Jan 2022
    ये नई व्यवस्था प्रक्रिया के लगभग अंतिम चरण में है। बिहार सरकार इस प्रस्ताव को विधि विभाग से मंज़ूरी मिलने के पश्चात राज्य मंत्रिपरिषद में लाने की तैयारी में है। सरकार की कैबिनेट की स्वीकृति के बाद इस…
  • Tigray
    एम. के. भद्रकुमार
    नवउपनिवेशवाद को हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका की याद सता रही है 
    07 Jan 2022
    हिंद महासागर को स्वेज नहर से जोड़ने वाले रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण लाल सागर पर अपने नियंत्रण को स्थापित करने की अमेरिकी रणनीति की पृष्ठभूमि में चीन के विदेश मंत्री वांग यी की अफ्रीकी यात्रा काफी…
  • Supreme Court
    अजय कुमार
    EWS कोटे की ₹8 लाख की सीमा पर सुप्रीम कोर्ट को किस तरह के तर्कों का सामना करना पड़ा?
    07 Jan 2022
    आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग को आरक्षण देने के लिए ₹8 लाख की सीमा केवल इस साल की परीक्षा के लिए लागू होगी। मार्च 2022 के तीसरे हफ्ते में आर्थिक तौर पर कमजोर सीमा के लिए निर्धारित क्राइटेरिया की वैधता पर…
  • bulli bai aap
    सना सुल्तान
    विचार: शाहीन बाग़ से डरकर रचा गया सुल्लीडील... बुल्लीडील
    07 Jan 2022
    "इन साज़िशों से मुस्लिम औरतें ख़ासतौर से हम जैसी नौजवान लड़कियां ख़ौफ़ज़दा नहीं हुईं हैं, बल्कि हमारी आवाज़ और बुलंद हुई है।"
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License