NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
भारत
राजनीति
पत्रकार नेहा दीक्षित को मिलने वाली धमकियों का मतलब क्या है?
पिछले चार महीनों से उनका पीछा किया जा रहा है। अलग-अलग नंबरों से कुछ लोग उन्हें फोन कर परेशान कर रहे हैं, धमकियां दे रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Jan 2021
नेहा दीक्षित

राजनीति, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता जैसे गंभीर मुद्दों पर बेबाक रिपोर्टिंग करने वाली स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित को बीते कुछ समय से प्रताड़ित किया जा रहा है। नेहा के मुताबिक उन्हें फोन पर रेप, एसिड अटैक और हत्या की धमकी मिल रही है। नेहा ने इसे लेकर वसंत कुंज पुलिस थाने में एक एफआईआर भी दर्ज करवाई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

क्या है पूरा मामला?

नेहा दीक्षित पिछले एक दशक से ज्यादा समय से प्रिंट, टीवी और ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए रिपोर्टिंग करती रही हैं। उन्होंने 26 जनवरी के दिन एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये बताया है कि पिछले चार महीनों से उनका पीछा किया जा रहा है। अलग-अलग नंबरों से कुछ लोग उन्हें फोन कर परेशान कर रहे हैं, धमकियां दे रहे हैं। नेहा के मुताबिक इन लोगों को ये तक पता होता है कि नेहा और उनके पार्टनर कहां हैं और क्या कर रहे हैं।

Some update from my end: #PressFreedom #RapeThreat #LifeThreat #Offlineviolence pic.twitter.com/cpNgzwvGDr

— Neha Dixit (@nehadixit123) January 27, 2021

नेहा ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा, “सितंबर 2020 से मुझे फिजिकली स्टॉक किया जा रहा है। स्टॉकर मुझे रेप, एसिड अटैक और मर्डर की धमकी देता है। दर्जनभर से ज्यादा फोन नंबरों से मेरे पास कॉल आ रहे हैं। तीन-चार अलग-अलग आवाज में मुझसे बात करते हैं। वो लोग मुझे और मेरे पार्टनर को जान से मारने की धमकी देते हैं। 25 जनवरी की रात करीब 9 बजे किसी ने मेरे घर में घुसने की कोशिश की। जब मैं चिल्लाई तो वो भाग गया। मैंने इसे लेकर पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। ये बात मुझे यहां रखना जरूरी लगा, क्योंकि एक तरफ हम ऑनलाइन ट्रोलिंग पर इतनी बात करते हैं, जो होनी भी चाहिए, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की स्टॉकिंग, फोन पर मिलने वाली धमकियों और हमलों पर बात होनी चाहिए।”

नेहा ट्विटर पर अपने साथ हुए इस घटना का जिक्र करते हुए लिखती हैं, “हमें यानी पत्रकारों को अपने काम की वजह से ऑनलाइन मिलने वाली धमकियों से ज्यादा शारीरिक तौर पर मिलने वाली धमकियों के बारे में ध्यान देना चाहिए। हाल के दिनों में पत्रकारों, कलाकारों, फिल्ममेकर्स और अकैडमिशियन को भी उनके काम के लिए धमकी दी जा रही है।”

वह आगे कहती हैं, “यह जानकारी जाहिर कर मैं यह नहीं बताना चाहती हूं कि यह सिर्फ मेरे साथ हुआ बल्कि इसके माध्यम से मैं सबको ध्यान में लाना चाहती हूं कि पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के प्रति हम सब को सजग होने की जरूरत है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”

कौन हैं नेहा दीक्षित?

नेहा दीक्षित अपने 13 साल के करियर में कई जाने-माने मीडिया संगठनों जैसे – अल-जज़ीरा, आउटलुक पत्रिका, स्मिथसोनियन पत्रिका, विदेश नीति, द कारवां, द वायर, द न्यू यॉर्क टाइम्स के साथ बतौर इंडीपेंडेंट जर्नलिस्ट काम करती रही हैं।

अपने अब तक के करियर में उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार भी जीते हैं। हाल ही में उन्हें साल 2020 का वन यंग वर्ल्ड की जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर अवॉर्ड मिला है। साल 2016 में नेहा को चमेली देवी जैन अवॉर्ड फॉर आउटस्टैंडिंग वुमन जर्नलिस्ट और साल 2019 में सीपीजे इंटरनेशनल प्रेस फ्रीडम अवॉर्ड भी मिल चुका है।

नेहा ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में हुई गैर-न्यायिक हत्याओं और गैर-क़ानूनी हिरासत, उत्तर प्रदेश में ‘एनकाउंटर राज’ पर कई खबरें लिखी हैं। वहीं इसके अलावा नेहा ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के कथित दुरुपयोग के बारे में भी रिपोर्टिंग की है। उनकी रिपोर्ट में बताया गया था कि किस तरह एक सियासी उद्देश्य के तहत सांप्रदायिक झड़पों के बाद गिरफ्तार किए गए लोगों में से मुस्लिमों पर रासुका लगाया गया, जबकि हिंदुओं के साथ ऐसा नहीं हुआ।

नेहा दीक्षित को अपने काम के लिए अवॉर्ड के साथ-साथ धमकियां भी मिली हैं। यहां तक का उनका पत्रकारिय सफर आसान नहीं रहा है। बकौल नेहा, जब उन्होंने “2013 में मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के दौरान यौन हिंसा और सामूहिक बलात्कार” नामक स्टोरी की थी तो उन्हें मारने और बलात्कार की धमकियों का भी सामना करना पड़ा था।

पत्रकारों पर बढ़ते हमले और रिपोर्टिंग का खतरा

गौरतलब है कि पत्रकारों को मिलने वाली धमकियां, स्टॉकिंग या उनके साथ हो रही हिंसा पर हमारा ध्यान तब तक नहीं जाता जब तक कोई बड़ी घटना सामने न आ जाए। कई बार खुद सरकारी तंत्र को भी पत्रकारों के खिलाफ खड़ा पाया जाता है।

‘गेटिंग अवे विद मर्डर’ रिपोर्ट के मुताबिक, पत्रकारिता के पेशे से जुड़े लोगों के लिए अपना काम करना बीते पांच सालों में मुश्किल हुआ है। 2014 से 2019 के बीच पत्रकारों पर हुए हमलों के 198 गंभीर मामले दर्ज किए गए। इनमें 36 मामले तो सिर्फ 2019 में ही दर्ज किए गए।

2014 से 2019 के बीच 40 पत्रकारों की मौत हुई, जिनमें से 21 पत्रकारों की हत्या उनकी पत्रकारिता की वजह से हुई। 2010 से लेकर अब तक 30 से अधिक पत्रकारों की मौत के मामले में सिर्फ तीन को दोषी ठहराया गया है। 

यूएन की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को के अनुसार वर्ष 2020 में पत्रकारों पर बल प्रयोग बहुत तेज़ी से बढ़ा और इस साल दुनिया भर में 21 ऐसे प्रदर्शन हुए जिनमें सरकारी सुरक्षा बलों ने पत्रकारों के अधिकारों का उल्लंघन किया। 

Neha Dixit
Journalist Neha Dixit
attack on journalists
woman journalist
Stalking
Offline Stalking
Media
online media

Related Stories

यूपी में मीडिया का दमन: 5 साल में पत्रकारों के उत्पीड़न के 138 मामले

पत्रकार हत्याकांड- कैसे मेडिकल माफिया का अड्डा बन गया छोटा सा कस्बा बेनीपट्टी?

बिहारः ग़ैर-क़ानूनी निजी क्लिनिक का पर्दाफ़ाश करने वाले पत्रकार की हत्या

वक्त का पहिया घूमा और खुद ऑनलाइन ट्रोलिंग के निशाने पर आए कप्तान कोहली

गौमूत्र और गोबर पर की गई टिप्पणी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ख़तरा कैसे हो गई?

समाज की बेटी को न्याय दिलाने के लिए योगी से टकराए सफ़ाई कर्मचारी

दिल्ली दंगों से फैले ज़हर के शिकार हुए कारवां के तीन पत्रकार

यूपी पत्रकार-हत्याकांड का सच और डॉ जावेद का जाना

यूपी: कौन देगा पत्रकार की हत्या का जवाब, किससे मांगें महिला की (आत्म)हत्या का हिसाब

पत्रकार पर बर्बर हमला : "उन लोगों ने हमारी पैंट खुलवाई और हनुमान चालीसा सुनाने को कहा"


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License