NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जब न्यायपालिका मौलिक अधिकारों से जुड़े मामलों से ‘पल्ला झाड़ ले’ तो व्यक्ति कहा जायेगा: मुफ्ती
‘‘भाजपा के शासन में, भारतीय संविधान को कमतर किया जा रहा है। केवल न्यायपालिका का सहारा और विकल्प बचा है। एक बार जब वे भी मौलिक अधिकारों से जुड़े उन मामलों से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, तो एक व्यक्ति कहां जायेगा?’’  
भाषा
01 Apr 2021
मुफ्ती

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि उस व्यक्ति पर क्या गुजरती होगी जब मौलिक अधिकारों से जुड़े मामलों में न्यायपालिका भी ‘‘अपना पल्ला झाड़ ले’’ क्योंकि न्याय पाने का यहीं एक अंतिम रास्ता होता है।

महबूबा ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘भाजपा के शासन में, भारतीय संविधान को कमतर किया जा रहा है। केवल न्यायपालिका का सहारा और विकल्प बचा है। एक बार जब वे भी मौलिक अधिकारों से जुड़े उन मामलों से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, तो एक व्यक्ति कहां जायेगा?’’

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने मुफ्ती की उस याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया था जिसमें पासपोर्ट प्राधिकरण को उनके पक्ष में पासपोर्ट जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद मुफ्ती का यह बयान सामने आया है।

इस बीच एक अन्य ट्वीट में पीडीपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सेना ने उनके रिश्तेदार और पार्टी के वरिष्ठ नेता सरताज मदनी के आवास पर छापेमारी की।

मदनी पिछले साल दिसम्बर से ही हिरासत में हैं।

मुफ्ती ने कहा, ‘‘आरआर शिविर देवसर से सेना ने पीडीपी के नेता सरताज मदनी के घर पर छापा मारा। इन जवानों ने लड़कों की पिटाई की। यह शर्मनाक है कि उन्होंने सभी नियमों और आचार संहिता का उल्लंघन किया।’’

mehbooba mufti
Supreme Court
Fundamental Rights
BJP
PDP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • राजु कुमार
    मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी
    09 May 2022
    सिवनी की घटना से मध्यप्रदेश का पूरा आदिवासी क्षेत्र आक्रोशित है। आज कई आदिवासी संगठनों ने संयुक्त रूप से सिवनी बंद का आह्वान किया था, जो पूरी तरह सफल रहा। सिवनी से लगे गांवों के आदिवासी भी इस बंद में…
  • भाषा
    श्रीलंका में कर्फ्यू, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दिया
    09 May 2022
    श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा सोमवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगाये जाने के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: कोर्ट कमिश्नर बदलने के मामले में मंगलवार को फ़ैसला
    09 May 2022
    वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने कहा है कि सर्वे की टीम के कमिश्नर को बदलने की मांग वाली याचिका पर फ़ैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा।
  • प्रभात पटनायक
    युद्ध, खाद्यान्न और औपनिवेशीकरण
    09 May 2022
    दुनियाभर के गेहूं के कुल निर्यात में 30 फीसद हिस्सा रूस और यूक्रेन मिलकर मुहैया कराते हैं। विशेष रूप से अफ्रीका के अनेक देश उनकी खाद्यान्न आपूर्ति पर ही ज्यादातर निर्भर हैं।
  • असद रिज़वी
    यूपी : महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के विरोध में एकजुट हुए महिला संगठन
    09 May 2022
    यूपी पुलिस पर नागरिक समाज का आरोप है कि वह अपराधियों से अधिक, पीड़ित और उसके परिवार पर खामोश रहने के लिए दबाव बना रही है। “धमकाना , वसूली, झूठे मुकदमों में फंसा देने की धमकी जैसे अब आम बात हो गई है।”
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License