NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
नज़रिया
भारत
राजनीति
“कहां है रोज़गार, वादा निभाओ हेमंत सरकार!”
15 मार्च को प्रदेश भर के युवा “कहाँ है रोजगार, वादा निभाओ हेमंत सोरेन सरकार” के नारे के साथ विधान सभा की ओर मार्च करेंगे।
अनिल अंशुमन
10 Feb 2021
Hemant Soren

झारखंड प्रदेश के युवा अपने सम्मानजनक रोज़गार के सवाल पर केंद्र की मोदी सरकार के साथ-साथ प्रदेश की हेमंत सोरेन सरकार को भी घेरने की तैयारी में जुट गए हैं। 15 मार्च को इंक़लाबी नौजवान सभा के नेतृत्व में प्रदेश भर के युवा – कहाँ है रोजगार, वादा निभाओ हेमंत सोरेन सरकार! के नारे के साथ विधान सभा की ओर  मार्च करेंगे। इसके लिए वे गाँव-गाँव से युवाओं को गोलबंद करने की तैयारी कर रहे हैं।

6–7 फरवरी को राज्य के कोडरमा ज़िला स्थित झुमरी तिलैया में आयोजित दो दिवसीय ‘युवा संवाद’ कार्यशाला में यह निर्णय लिया गया। प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से आए 150 से भी अधिक युवा प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में दो दिनों तक युवाओं के सम्मानजनक रोजगार के अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण सवालों पर गहन मंथन किया। 

कार्यशाला का उदघाटन करते हुए झारखंड के युवा विधायक विनोद सिंह (भाकपा माले) ने कहा कि युवाओं को रोज़गार जैसे ज़रूरी सवालों से सिर्फ कुर्सी-सियासत कर उन्हें बेकारी–निराशा के अंतहीन अंधेरे में धकेला जा रहा है। युवाओं के भारी समर्थन से दोबारा सत्ता में क़ाबिज़ हुई मोदी सरकार जहां देश के सभी सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर युवाओं के सम्मानजनक रोज़गार पाने के सभी रस्तों को बंद करने पर तुली हुई है। वहीं, हेमंत सोरेन सरकार भी शासन का एक बरस बीत जाने के बावजूद झारखंड के युवाओं के रोज़गार के सवाल को प्राथमिकता नहीं दे रही है। 3 फरवरी को कैबिनेट से राज्य में लागू नियोजन नीति वापस तो ले लिया है, लेकिन विकल्प में उससे बेहतर नियोजन नीति का प्रारूप भी अभी तक नहीं बना सकी है। जिससे राज्य के सारे युवा अपने रोज़गार को लेकर काफी चिंतित हैं।

गौरतलब है कि 3 फरवरी को हेमंत सरकार की कैबिनेट ने राज्य हाई कोर्ट द्वारा 21 सितंबर 2020 को झारखंड राज्य नियोजन नीति को रद्द किए जाने के फैसले के आलोक में प्रदेश की वर्तमान नियोजन नीति को वापस ले लिया है। यह अब सरकार की गले की फांस जैसा बनता जा रहा है क्योंकि इसके पहले राज्य सरकार हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध थी और इस फैसले के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा भी की थी।

प्रदेश के विपक्षी दल भाजपा के सारे नेता इसी विषय पर एकस्वर से हेमंत सोरेन से सवाल पूछ रहें हैं। वहीं सरकार के इस फैसले से झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन से लेकर प्रदेश की सभी सरकारी नियुक्तियों से जुड़ी प्रतियोगिता परीक्षाओं के रद्द होने का संशय खड़ा हो गया है। इससे राज्य के युवाओं में एकबार फिर से घोर हताशा–निराशा और भविष्य की अनिश्चितता बढ़ गयी है। सरकार द्वारा अभी तक कोई वैकल्पिक नियोजन नीति का कोई प्रस्ताव भी नहीं दिए जाने के कारण व्यापक सवाल उठ रहें हैं। प्रदेश के स्थानीय युवा भी क्षुब्ध हो रहें हैं कि एक तो सरकार ने अभी तक उन्हें रोज़गार देने के वायदे को पूरा करने की दिशा में अभी तक कुछ नहीं किया है और रोज़गार पाने के जो चंद रास्ते थे उस पर भी रोक लगा दिया है।

हालांकि व्यापक तौर पर झारखंड के लोग जो वर्तमान की नियोजन नीति से संतुष्ट नहीं थे, वे हेमंत सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहें हैं। फिलहाल, प्रदेश के सभी स्थानीय से लेकर सारे युवाओं के सरकारी नौकरी पाने के अवसरों पर ताला लगा हुआ है। यह ताला तभी खुल सकेगा जब हेमंत सरकार, रद्द की गयी नियोजन नीति से, बेहतर कोई नीति बनाएगी।

दूसरी ओर, राजधानी स्थित राजभवन और मोरहाबादी का इलाका इन दिनों प्रदेश के युवाओं के धरना–अनशन व प्रदर्शनों का स्थायी स्थल बनता जा रहा है।

राजभवन के सामने पिछले 47 दिनों से अनुबंध पर बहाल हुए सैकड़ों संविदाकर्मी अपने स्थायीकरण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हुए हैं। ए युवा अनुबंध की अवधि समाप्त हो जाने के कारण भीषण बेकारी व गरीबी सामना कर रहें हैं। ये कुछ दिनों पूर्व ही रघुवर शासन की भांति हेमंत शासन की भी पुलिस की लाठी–दमन का सामना कर चुके हैं। 

इसी स्थल पर राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में झारखंडी मातृभाषाओं समेत अन्य सभी विषयों को पढ़ाने वाले घंटी आधारित अनुबंध पर बहाल उच्च शिक्षाप्राप्त सहायक प्रोफेसर गण भी धरना दे रहे हैं। इनका कार्यकाल इसी वर्ष मार्च में समाप्त हो जाएगा और वे फिर से बेरोजगार होने की कगार पर होंगे। ये सभी हेमंत सरकार व उनके मंत्रियों के कोरा आश्वासन से काफी क्षुब्ध और निराशा में हैं।

इनौस के युवा संवाद कार्यशाला में रोज़गार के सवालों से जुड़े कई अहम पहलुओं और इससे जुड़े सरकारों के राजनीतिक व आर्थिक नीति-नज़रिए पर विशेष चर्चा की गयी।  दिल्ली से आए डा. गोपाल प्रधान और आर्थिक विश्लेषक तापस रंजन ने मोदी सरकार की युवा और रोज़गार विरोधी नीति–नज़रिए का ब्योरा देते हुए बताया कि इस सरकार की निजीकरण और कंपनी परस्त नीतियों की ही देन है कि आज देश में बेरोजगारी सबसे चरम पर हैं। चुनाव में प्रचंड बहुमत देनेवाले युवाओं को भी अब सरकारी नौकरी और सम्मानजनक रोज़गार पाने की आशा मिटानी होगी। क्योंकि देश के बैंक–बीमा से लेकर सभी सरकारी उपक्रमों में संचित पूंजी और देश की जनता की गाढ़ी कमाई को कानूनी जामा पहनाकर जल्द से जल्द निजी कंपनियों के हवाले कर देना ही इस सरकार का एकमात्र लक्ष्य व कार्य है। ऐसे में इन साज़िशों पर युवाओं का ध्यान नहीं जाये और अपने रोज़गार व ज़िंदागी के ज़रूरी सवालों पर वे भी किसानों की तरह कोई बड़ा आंदोलन न कर बैठें इसीलिए हर स्तर से युवाओं की सोच-समझ को नष्ट-भ्रष्ट कर उनमें फूट डालने व सांप्रदायिक उन्मादी भीड़ में बदल देने की चौतरफा कवायदें पूरी चौकसी के साथ जारी हैं। 

इन हालातों में सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि देश के युवाओं को भी सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि वे कितनी जल्द अपने अंदर एक स्वतंत्र-सही सोच विकसित करते हुए देश के किसानों की भांति कंपनी राज के खिलाफ जारी संघर्ष को व्यापक और धारदार बना पाने में सक्षम होंगे!

Hemant Soren
unemployment

Related Stories

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

बिहार बजट सत्र: विधानसभा में उठा शिक्षकों और अन्य सरकारी पदों पर भर्ती का मामला 

झारखंड: हेमंत सरकार की वादाख़िलाफ़ी के विरोध में, भूख हड़ताल पर पोषण सखी

झारखंड: राज्य के युवा मांग रहे स्थानीय नीति और रोज़गार, सियासी दलों को वोट बैंक की दरकार

बार-बार धरने-प्रदर्शन के बावजूद उपेक्षा का शिकार SSC GD के उम्मीदवार

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License