NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कोरोना के आगे का रास्ता किधर से...
वह ज़मीन तैयार हो चुकी है जब सिर्फ आलोचकों को सबक़ सिखाने या उनका मुँह बंद करने की बस इच्छा ज़ाहिर करने की देर है...
राजीव कुंवर
06 Apr 2020
cartoon click

पटाखे जमकर फूटने के बाद भाजपा के कार्यकर्ता थोड़े डिफेंसिव होकर हमलावर हैं। इसे वे कुछ भक्तों का अतिउत्साह कह रहे हैं। नीचे जो तस्वीर मशाल हाथों में लिए झुंड में खड़े नेता की है वह भाजपा के विधायक हैं। यह भी उन्हीं कुछ में शामिल हैं। सोशल मीडिया पर कई पोस्ट आपने भी पढ़ी होगी कि "मोदी जी अगला टास्क टीका लगाने का मत दे देना, भक्त होली खेलने लगेंगे!"

WhatsApp Image 2020-04-06 at 12.55.08.jpeg

दावे के साथ कह सकता हूँ कि वह ज़मीन तैयार हो चुकी है जब सिर्फ़ आलोचकों को सबक़ सिखाने या उनका मुँह बंद करने की बस इच्छा ज़ाहिर कर दी जाए तो खून की नदियां देशभर में बहने लगेंगी।

कोरोना वायरस की महामारी आर्थिक मंदी से गुजर रहे देश के संकट को एक तरफ और ऊंचाइयों पर ले जा रहा है, तो दूसरी तरफ फासीवादी जमीन भी तैयार की जा रही है। जनतंत्र में इनके पास ज्यादा विकल्प नहीं है। जनतांत्रिक विकल्प है तो वह है टैक्स की प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन। कॉरपोरेट घरानों, उच्च आय से लेकर बड़े व्यवसायियों के ऊपर ज्यादा से ज्यादा टैक्स वसूली और सरकार द्वारा इन पैसों के द्वारा व्यापक सार्वजनिक निवेश। जिससे कि लोगों की खरीद क्षमता बढ़ सके। रोजगार मिल सके। पूंजीवादी व्यवस्था को भी बने रहने के लिए यह जरूरी है। नवउदारवादी अर्थव्यवस्था अपनी सीमा को पार कर चुका है। अमीर-गरीब के बीच की खाई अधिकतम स्तर पर है। मजदूर का हिस्सा अपने न्यूनतम स्तर पर पहुँच चुका है।

मुनाफे की खेती को उजाड़कर ही खेती पर आधारित श्रम को प्रवासी बनाने की पहली कोशिश सफल हुई। यहीं से नवउदारवादी अर्थव्यवस्था ने भारत मे अपनी जड़ जमानी शुरू कर दी। याद कीजिये डंकल। खाद और बिजली पर सब्सिडी खत्म करना। जेनेरिक बीज की शुरुआत। परिणाम था लागत का बढ़ना और घाटे की खेती। लोग गाँव छोड़कर शहर की तरफ पलायन करने को मजबूर हुए। यही प्रवासी मजदूर सस्ते श्रम का आधार बना। जिसकी मोलभाव की क्षमता नहीं थी। यही पहले नोटबन्दी और जीएसटी के कारण लाचार होकर पलायन के लिए मजबूर हुआ और फिर से आज वही कोरोना के कारण अचानक लॉकडाउन थोपे जाने के कारण पैदल गाँव की ओर सड़कों पर लाठियाँ-गालियाँ खाने के लिए मजबूर हुआ है।

बेरोजगारी का क्या आलम है इसे आप निर्माण के क्षेत्र में देख सकते हैं। खेती के बाद यही रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र रहा। यहीं सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर काम करते थे। अब वह निर्माण क्षेत्र भी खत्म हो चुका। नवउदारवादी नीति के कारण पिछली तमाम सरकारों ने इसे प्राइवेट हाथों में सौंप कर सार्वजनिक बैंकिंग सिस्टम को ही तबाह करने का काम किया। इंफ्रास्ट्रक्चर का क्षेत्र पूरी तरह से सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को सौंप दिया।

इन्हें बैंकों एवं फंडिंग एजेंसियों से भड़ी मात्रा में कर्ज दिलवाया। आज वह सब NPA में बदल गया है। कर्ज डूब गया। बैंक डूब गए। कभी इन बैंकों के शेयर को जबरन खरीद करवाकर तो कभी बैंकों का विलय कर इसे बचाने की असफल कोशिश लगातार जारी है। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े जितने भी रोजगार थे वह भी इसके साथ ही डूब गए। रियल एस्टेट तबाही में है। इससे निर्भर मजदूर एवं कर्मियों की हालत आप अपने आसपास देख सकते हैं। BSNL और MTNL जैसे सरकारी कंपनियों की तबाही के बाद अब प्राइवेट कंपनियों की तबाही का दौर है। स्वास्थ्य और शिक्षा को भी करीब करीब प्राइवेट हाथों में ही सौंप दिया गया। आज वहाँ भी जबरदस्त संकट सामने है।

लेकिन अडानी-अम्बानियों जैसे कॉरपोरेट घरानों के आगे इन सरकारों की घिघ्घी बंध जाती है। सो उससे यह उम्मीद करना बेकार है। ऐसे में क्या होगा, यह हम आप सबको गंभीरता से सोचना समझना ही होगा।

यह जो फौज तैयार की जा रही है जो ताली, थाली से लेकर पटाखे फोड़ते हुए - दिए गए टास्क को बिना सवाल किए अंजाम से भी आगे ले जाने को तैयार है। इन्हें ही नए नए दुश्मनों की पहचान करवायी जाएगी। यही दुश्मनों का सफाया करने वाले स्वयंसेवक होंगे। इन्हें देशभक्ति का तमगा दिया जाएगा। क्योंकि जनतंत्र के अंदर पूंजीवादी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जो वैचारिक ताकत एवं जनतंत्र के प्रति निष्ठा चाहिए वह इस सरकार में नहीं है। ऐसे में चीन, कम्युनिस्ट, प्रवासी मजदूर, आदि के रोज बदलते नैरेटिव को देखने और समझने की जरूरत है। इन्हें ही वर्तमान में भविष्य का दुश्मन बनना है। धारा 370, और कश्मीर/पाकिस्तान का आख्यान अब चुकने लगा है। सो अब चीन, कम्युनिस्ट और प्रवासी मजदूर के भावी दुश्मन की निर्मिती का समय है। यहीं अब आप सबसे ज्यादा वैचारिक निवेश पाएंगे।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Coronavirus
COVID-19
Narendra modi
India Lockdown
BJP
Thali or Taali
9 minutes Drama
economic crises
Economic Recession
unemployment

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License