NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंड विधानसभा चुनाव में बाज़ी किसके हाथ?
महागठबंधन झारखंड विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दे उठा रहा है तो वहीं बीजेपी राष्ट्रीय मुद्दों के साथ विकास के मुद्दे पर वोट मांग रही है। हालांकि चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में आजसू और जेवीएम जैसे क्षेत्रीय दल बताए जा रहे हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
20 Dec 2019
jharkhand election
Image Courtesy: Hindustan

झारखंड में विधानसभा चुनाव के पांचवे और अंतिम चरण में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का गढ़ माने जाने वाले संथाल क्षेत्र की 16 विधानसभा सीटों के मतदान के साथ शुक्रवार को चुनावी प्रक्रिया समाप्त हो गई। अब 23 दिसंबर को मतगणना होगी। इसके बाद राज्य के नए निज़ाम के नाम की घोषणा हो जाएगी।

भ्रष्टाचार, किसानों की समस्या, भूमि अधिग्रहण कानून, बेरोज़गारी, आदिवासियों के अधिकार, मॉब लिंचिंग, भूख से मौत के कथित मामले, महंगाई, रोज़गार, पत्थलगड़ी जैसे मुद्दों के साथ शुरू हुआ यह चुनाव अंतिम चरण में पहुंचते पहुंचते नेताओं के बिगड़े बोल पर सिमट गया।

इस चुनाव में बीजेपी ने पूरे आत्मविश्वास के नारा दिया "अबकी बार 65 पार"। आपको बता दें कि झारखंड के गठन को 19 साल पूरे हो गए हैं लेकिन बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करने वालों में रघुबर दास अकेले हैं। झारखंड में इससे पहले कोई भी मुख्यमंत्री अपना 5 साल तक इस पद पर नहीं रह सका।

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास दावा करते हैं कि उन्होंने पांच साल तक राज्य को विकास के पथ पर चलाया जबकि विपक्ष का आरोप रहा कि रघुबर दास सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ा है। उनका आरोप है कि भूख से मौत हो या मॉब लिंचिंग के मामले इन सब घटनाओं ने राज्य को बदनाम किया है।

राज्य में विपक्षी महागठबंधन ने पूरे दमखम और उत्साह के साथ चुनाव लड़ा। हेमंत सोरेन के साथ उनके पिता शिबू सोरेन ने भी चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाला। चुनाव प्रचार के दौरान सोरेन लगातार बीजेपी सरकार पर हमलावर रहे और उसे आदिवासी विरोधी ठहराते रहे।

आदिवासी समुदाय में कभी बेहद मज़बूत पकड़ रखने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा को इस बार इस समुदाय से काफ़ी उम्मीदें हैं। सूबे की कुल आबादी में क़रीब 26 से 27 प्रतिशत आदिवासी हैं। कुल 81 में से 28 सीटें उनके लिए आरक्षित हैं। मुख्यमंत्री रघुबर दास ग़ैर-आदिवासी हैं और जेएमएम चुनाव में इसको अपने पक्ष में भुनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।

क्या रहा दिलचस्प?

चुनाव में अर्थव्यवस्था की ख़राब सेहत से लेकर आर्टिकल 370 हटाए जाने, अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले जैसे राष्ट्रीय मुद्दों की भी गूंज रही। इसके अलावा आख़िरी के 2 चरण के चुनाव तो ऐसे वक्त में हुए जब नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ देशभर में तमाम जगहों पर उग्र विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

झारखंड चुनाव में इस बार दिलचस्प ये भी रहा कि बीजेपी के साथ चलने वाले दल अब अलग रास्ते पर चल रहे हैं। ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू), नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यू) और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी बीजेपी से अलग चुनाव मैदान में उतरी हुई है। दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन 19 साल बाद बीजेपी से अलग होकर चुनावी मैदान में है।

पिछले लोकसभा चुनाव में यहां के मतदाताओं ने राज्य की 14 में से 12 सीटें बीजेपी की झोली में ज़रूर डाल दी थी लेकिन बीजेपी के दिग्गज नेता जिस तरह झारखंड में कैंप कर रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि बीजेपी किसी भी हाल में झारखंड खोना नहीं चाहती।

दूसरी तरफ़ विपक्ष का नेतृत्व झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुआई वाला महागठबंधन कर रहा है। महागठबंधन में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल भी शामिल है और उसने जेएमएम नेता हेमंत सोरेन की अगुआई में चुनाव लड़ा। महागठबंधन की तरफ़ से जेएमएम के 43, कांग्रेस के 31 और आरजेडी के 7 उम्मीदवार हैं। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन का हिस्सा रही पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा इस बार महागठबंधन में नहीं है। इससे महागठबंधन को नुक़सान हो सकता है।

असली सवाल किंगमेकर कौन?

झारखंड की राजनीति पर नज़र डालें तो यहां हमेशा किंग से ज़्यादा लड़ाई किंगमेकर के लिए रही है। महाराष्ट्र और हरियाणा के हालात के बाद ज़्यादातर राजनीतिक विश्लेषक इस तरह का सवाल भी पूछ रहे हैं। आपको याद दिला दें कि झारखंड ही एक ऐसा राज्य है जहां निर्दलीय विधायक को भी मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मिला है।

झारखंड के क़रीब 20 साल के इतिहास में 2014 में पहली बार किसी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। राज्य बनने के शुरुआती 14 सालों में झारखंड ने 7 मुख्यमंत्री देखे। बिहार से अलग होकर बने राज्य झारखंड की सियासत क्षत्रपों के इद-गिर्द घूमती रही है।

इस चुनाव में झारखंड की दो बड़ी क्षेत्रीय पार्टियां सुदेश महतो के नेतृत्व में एजेएसयू और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) अपने दम पर चुनाव मैदान में उतर गई हैं। माना जा रहा है कि इनका प्रदर्शन जितना बेहतर होगा उतना ही किंगमेकर के रूप में इनकी भूमिका बढ़ेगी।

पिछले चुनाव में कैसा था प्रदर्शन?

2014 के पिछले झारखंड विधानसभा चुनाव में कुल 81 सीटों में से बीजेपी ने 37 पर जीत (31.3 प्रतिशत वोटशेयर) हासिल की थी।

आजसू ने 3.7 प्रतिशत वोटशेयर के साथ 5 सीटें जीती थीं। झारखंड मुक्ति मोर्चा का वोटशेयर 20.4 प्रतिशत था और पार्टी की झोली में 19 सीटें आई थीं। बाबू लाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा ने करीब 10 प्रतिशत वोटशेयर के साथ 8 सीटों पर जीत हासिल की थी।

हालांकि, बाद में उसके 6 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस 10.5 प्रतिशत वोटशेयर के साथ 7 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। 6 सीटें अन्य के खाते में गई थीं।

Jharkhand Elections 2019
झारखंड विधानसभा चुनाव
Corruption
Raghubar Das
BJP
Congress
economic crises
All Jharkhand Students Union

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License