NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
कौन है दीप सिद्धू जिसने लाल क़िले पर निशान साहिब फहराने की ज़िम्मेदारी ली है?
लाल क़िले पर अटैक कह रहा है और पाकिस्तान से संबंध जोड़ रहा है। बहुत सारे आम लोगों को भी लगता होगा कि ये किसान आंदोलन ने किया है। जबकि दीप सिद्धू ने वीडियो जारी करके इस घटना की ज़िम्मेदारी ले ली है। कौन है दीप सिद्धू और उसकी राजनीतिक संबंद्धता क्या है?
राज कुमार
27 Jan 2021
दीप सिद्धू

26 जनवरी को किसान परेड के दौरान दिल्ली के लाल क़िले पर निशान साहिब फहराने से काफी लोग विचलित और आहत हैं। गोदी मीडिया इस घटना की आड़ में किसानों को उपद्रवी और आतंकवादी की तरह पेश कर रहा है। लाल क़िले पर अटैक कह रहा है और पाकिस्तान से संबंध जोड़ रहा है। बहुत सारे आम लोगों को भी लगता होगा कि ये किसान आंदोलन ने किया है। जबकि दीप सिद्धू ने वीडियो जारी करके इस घटना की ज़िम्मेदारी ले ली है। कौन है दीप सिद्धू और उसकी राजनीतिक संबंद्धता क्या है? इस विषय पर चर्चा बाद में करेंगे पहले एक बार लाल क़िला प्रकरण में असल में हुआ क्या था उसे समझ लेते हैं।

लाल क़िले पर ध्वजारोहण

गोदी मीडिया और आइटी सेल लगातार झूठा प्रचार कर रही है कि लाल क़िले से तिरंगा उतारकर उसके स्थान पर खालिस्तान का झंडा फहराया गया है। जबकि सच्चाई ये है कि लाल क़िले से न तो तिरंगा हटाया गया है और न ही खालिस्तान झंडा फहराया गया है। तिरंगा अपनी जगह पर ज्यों का त्यों है।

 इसे पढ़ें :फैक्ट चेक:लाल किले पर प्रदर्शनकारी किसानों ने न तिरंगा हटाया न खालिस्तानी झंडा फहराया

 तिरंगे के नीचे निशान साहिब फहराया गया है जो हर गुरुद्वारे के ऊपर आप देख सकते हैं। हालांकि लाल क़िले की प्राचीर पर इस तरह चढ़कर धार्मिक ध्वज फहराने को सही नहीं कहा जा सकता। इसकी आलोचना भी हो रही है।

 लाल क़िला प्रकरण में दीप सिद्धू की भूमिका

26 जनवरी को लाल क़िले पर निशान साहिब फहराने को लेकर दीप सिद्धू का नाम चर्चा में आ रहा है। दीप सिद्धू ने अपने ऑफिशियल फेसबुक अकाउंट पर वीडियो जारी करके इसकी ज़िम्मेदारी भी ली है। वीडियो में वो कह रहे हैं कि हमने तिरंगे के नीचे निशान साहिब और किसानों का झंडा लगाया है। उन्होंने कृषि कानूनों के प्रति रोष प्रकट करने के लिये ऐसा किया है। दीप सिद्धू को लाल क़िले पर ध्वजारोहण के दौरान इस वीडियो में आप देख सकते हैं।

कौन है दीप सिद्धू?

दीप सिद्धू पंजाबी फ़िल्म एक्टर है। दीप सिद्धू ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की। वकालत की पढ़ाई कर चुके दीप सिद्धू सहारा इंडिया, सोनी पिक्चर्स, बालाजी टेलिफ़िल्मस आदि कंपनियों में लीगल एडवाइज़र और लीगल हेड रह चुके हैं। दीप सिद्धू ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत “रमता जोगी” फ़िल्म से वर्ष 2015 में की थी।

बीजेपी से दीप सिद्धू का संबंध

राजनीतिक हलके में दीप सिद्धू का नाम वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान आया। जब उन्होंने गुरदासपुर पंजाब से भाजपा सांसद और फ़िल्म अभिनेता सनी देयोल का चुनाव प्रचार किया और चुनाव में बीजेपी के लिये सक्रिय हिस्सेदारी निभाई। दीप सिद्धू को सनी देयोल का खास बताया जाता है। दीप सिद्धू की बीजेपी हाईकमान तक पहुंच का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भाजपा में शामिल होने के बाद सनी देयोल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली आये तो उस समय दीप सिद्धू भी साथ थे। बीजेपी और आरएसएस के साथ दीप सिद्धू के संबंध को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि ये किसान आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश है।

kh 

किसान आंदोलन में भूमिका

किसान आंदोलन को लेकर दीप सिद्धू पहली बार सुर्खियों में 27 नवंबर 2020 को आये। जब उनका ये वीडियो खूब वायरल हुआ जिसमें वो पुलिस अफसर के साथ बहस कर रहे हैं। ये वो समय था जब किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे थे और हरियाणा सरकार किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिये जीजान लगा रही थी। न सिर्फ कंटेनर, बेरिकेड, बुलडोज़र, ट्रक, टेम्पो, पिलर, पत्थर आदि से सड़कें रोकी गई थीं बल्कि सड़कें भी खोद दी गईं थी। शुरू से ही दीप सिद्धू आंदोलन में शरीक हो गये थे। दिल्ली पहुंचने से पहले पंजाब में भी वो किसान आंदोलन में शामिल थे।

किसान आंदोलन का दीप सिद्धू पर आरोप और ऐतराज़

दीप सिद्धू पर लगातार खालिस्तान संबंधी नारे और अन्य विवादित टिप्पणियां करने के आरोप लगते रहे हैं। पहले भी दीप सिद्धू को संयुक्त किसान मोर्चा के मंच से बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने वीडियो जारी कर किसान आंदोलन को धार्मिक रंग देने और लाल क़िले पर निशान साहिब फहराने पर दीप सिद्धू की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि दीप सिद्धू सरकार का दलाल है और बहुत पहले से गड़बड़ कर रहा है।

क्या है परेड का रूट विवाद और दीप सिद्धू की सफाई

दीप सिद्धू ने 27 जनवरी को एक और वीडियो जारी करके घटना बारे सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मज़दूर कमेटी में रूट को लेकर विवाद था। पहले जो रूट निर्धारित किया गया था संयुक्त मोर्चा ने उस पर समझौता किया और पुलिस द्वारा सुझाये गये रूट को मान लिया। दीप सिद्धू का कहना है कि मोर्चे ने युवाओं के जज्बात को नहीं समझा। शुरू से ही बात ये थी कि किसान परेड दिल्ली के अंदर की जाएगी।

 रूट को लेकर मोर्चे में असहमति थी। किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी का मानना था कि परेड दिल्ली के अंदर होनी चाहिये और पहले से जो रूट तय था उसी पर होनी चाहिये। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि लाल क़िले पर जाने का और ध्वज फहराने का प्लान ना तो किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी का था और न ही संयुक्त किसान मोर्चे का। किसान संघर्ष कमेटी के नेता पान्नू ने आज प्रेस कांफ्रेस करके लाल क़िले प्रकरण की निंदा की है और स्पष्ट किया है कि उन्हें बस रिंग रोड़ पर शांतिपूर्ण ढंग से परेड करनी थी और फिर वापस लौट आना था।

 jh

तो स्पष्ट है कि लाल क़िले पर जाने की योजना न तो संयुक्त मोर्चे की थी और न ही किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी की। तो ऐसे में दीप सिद्धू की भूमिका को लेकर सवाल तो उठ ही सकते हैं और वह खुद वीडियो जारी करके इसकी ज़िम्मेदरी भी ले रहे हैं। बीजेपी और आरएसएस से उनकी निकटता को देखते हुए अगर ये सवाल उठ रहे हैं कि ये किसान आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश है तो इसमें कुछ गलत भी नहीं है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं।)

Deep Sidhu
Red Fort
kisan andolan
farmers protest
Delhi

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

महानगरों में बढ़ती ईंधन की क़ीमतों के ख़िलाफ़ ऑटो और कैब चालक दूसरे दिन भी हड़ताल पर

दिल्ली: बर्ख़ास्त किए गए आंगनवाड़ी कर्मियों की बहाली के लिए सीटू की यूनियन ने किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License