NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोरोना काल में बदइंतज़ामी से होने वाली मौत का ज़िम्मेदार कौन?
कोरोना से निपटने के लिए देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान बहुत सारी जगहों पर बदइंतजामी के चलते कई लोग अपनी जान गवां बैठे हैं। इस दौरान पुलिसिया उत्पीड़न की घटनाएं भी सामने आई हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Apr 2020
lockdown
'प्रतीकात्मक तस्वीर' फोटो साभार : France24

कोरोना के चलते पूरे देश में बिना तैयारी किए गए लॉकडाउन और उसके बाद की बदइंतज़ामी के परिणाम अब सामने आने लगे हैं। सरकार के आश्वासन पर दूसरे राज्यों में रुके प्रवासी मजदूर भी अब भूख से परेशान होकर पैदल ही अपने घरों को लौट रहे हैं।

ऐसे में तेलंगाना से बीजापुर लौट रही 12 साल की बच्ची की घर पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। बच्ची 3 दिन पैदल चलते हुए तेलंगाना से गांव के मजदूरों के साथ पहुंची थी। यहां आते ही वह डिहाइड्रेशन का शिकार हो गई। जानकारी के मुताबिक, बीजापुर के आदेड गांव से 12 साल की बच्ची जमलो मडकामी गांव के अन्य लोगों के साथ रोजगार की तलाश में 3 माह पहले तेलंगाना गई थी। वहां पेरूर गांव में मिर्ची तोड़ने का काम करती थी।

कोरोना के चलते अचानक से लॉकडाउन हो गया। पहले 21 दिन तो कट गए, लेकिन लॉकडाउन बढ़ा तो वह तीन दिन पहले 11 मजदूरों के साथ अपने गांव की ओर चल दी। करीब 100 किमी का जंगली सफर तय कर प्रवासी मजदूरों का दल 18 अप्रैल को बीजापुर के मोदकपाल तक पहुंचा था। इसी दौरान जमलो की मौत हो गई। प्रशासन ने बच्ची के शव को अलग रखवा दिया है।

वैसे यह इकलौता मामला नहीं है। मज़दूरों की मौत का यह सिलसिला तबसे चल रहा है जबसे लॉकडाउन लागू किया गया है। दैनिक भास्कर की एक खबर के मुताबिक जब पहले दौर के लॉकडाउन के शुरुआती पहले सप्ताह में देश में लॉकडाउन की वजह से 29 मजदूरों समेत 34 लोगों की जान जा चुकी थी जबकि उस दौरान कोरोना की वजह से देश में 37 मौतें हुई थी।

इसी तरह दिप्रिंट पर आए एक लेख के अनुसार, 13 अप्रैल तक 331 लोग कोरोना वायरस से मरे थे और करीब 195 लोग लॉकडाउन की वजह से मर गए थे। इन 195 में से 53 मौतें भूख, इलाज न मिलने, तंगी आदि के कारण हुईं। 7 लोग लॉकडाउन के दौरान हिंसा में मारे गए। शहरों से पैदल घर लौटने के दौरान कम से कम 35 लोग एक्सीडेंट में मारे गए।

लॉकडाउन के चलते शराब की दुकानें बंद हो गईं। शराब की लत वाले कम से कम 40 लोग या तो मर गए या खुदकुशी कर ली। कोरोना के चलते पैदा हुईं समस्याओं जैसे संक्रमण का डर, अकेलेपन या क्वारंटाइन होने के कारण 39 लोगों ने आत्महत्या कर ली। 21 मौतों के पीछे मिलाजुला कारण रहा।

इस आंकड़े को आए हुए एक हफ्ते से ज्यादा बीत चुके हैं। निसंदेह अब इस आंकड़ें में इजाफा हो चुका होगा।

गरीब मजदूरों और किसानों की दुर्दशा के बीच तमाम जगहों से पुलिसिया उत्पीड़न की खबरें भी आ रही हैं। पिछले हफ्ते शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में लॉकडाउन के दौरान घरेलू सामान लेने निकले दिहाड़ी मजदूर युवक की पुलिस ने जमकर पिटाई कर दी। इससे उसकी इलाज के दौरान जिला अस्पताल में मौत हो गई। मामला टांडा कोतवाली क्षेत्र के छज्जापुर दक्षिणी मुहल्ले (चटोरी गली) का है। मुहल्ला निवासी इसराइल का 22 वर्षीय पुत्र रिज़वान अहमद दिहाड़ी मजदूरी करता था। आरोप है रिज़वान जब बिस्कुट लेने बाहर निकला तो उसे रोककर पुलिस कर्मियों ने लाठी से पिटाई कर दी।

इसी तरह मध्यप्रदेश के जबलपुर में चार दिन पहले कोरोनोवायरस के मद्देनज़र लॉकडाउन के दौरान कथित तौर पुलिस की पिटाई से घायल 50 साल के किसान बंसी कुशवाहा की सोमवार को मौत हो गई। इस मामले में जबलपुर के गोरा बाजार पुलिस स्टेशन में तैनात एक एएसआई, एक हेड कांस्टेबल और चार सिपाहियों समेत 6 पुलिसकर्मियों को पुलिस अधीक्षक ने निलंबित कर दिया लेकिन देर शाम जबलपुर के एसपी अमित सिंह का भी तबादला हो गया।

एनडीटीवी के अनुसार एएसपी-जबलपुर संजीव उइके ने कहा, 'प्रारंभिक जांच से पता चला है कि किसान को एक बीमारी के इलाज के लिए 19 अप्रैल को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसने स्थानीय पुलिस या उच्च अधिकारियों से कोई शिकायत नहीं की थी। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है। अगर उसमें ये बात आई कि पुलिस की पिटाई से किसान की मौत हुई है तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।'

इसी तरह पुलिस लाठीचार्ज मुबंई के बांद्रा स्टेशन और गुजरात के सूरत में घर जाने की मांग को लेकर उतरे प्रवासी श्रमिकों पर भी किया गया था। ऐसे में मजदूरों और किसानों की वर्तमान अमानवीय हालत, असंतोष, आक्रोश और विद्रोह के लिए भी जिम्मेदारी तय करनी होगी।

कोरोना संकट में सरकारों के बदइंतजामी के चलते बड़ी संख्या में जान गंवाने वाले ये लोग भी भारतीय लोकतंत्र का ही हिस्सा हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण का यह दौर बीत जाएगा लेकिन इस दौरान प्रशासनिक गैरजिम्मेदारी से जिनकी मौत हुई है, उनके परिवार वालों के लिए यह संकट हमेशा बना रहेगा। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्यों के प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। 

Coronavirus
COVID-19
Corona Period
health care facilities
Corona virus epidemic
police
Police brutality
Migrant workers
migrants
Workers and Labors

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License