NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
पड़ताल: गणतंत्र दिवस परेड से केरल, प. बंगाल और तमिलनाडु की झाकियां क्यों हुईं बाहर
26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर होने वाली परेड में केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की झांकियां शामिल नहीं होंगी। सवाल उठता है कि आख़िर इन झांकियों में ऐसा क्या था जो इन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। केरल की झांकी को तो लगातार तीसरे साल रिजेक्ट किया गया है।
राज कुमार
20 Jan 2022
Republic Day parade
फाइल फोटो।

26 जनवरी को दिल्ली राजपथ पर होने वाली परेड का एक खास महत्व है। देश के दूर-दराज़ के हिस्सों में रहने वाले लोग भी अपने काम-काज छोड़कर, सुबह से टीवी के सामने टिक जाते हैं और परेड देखते हैं। हर साल 26 जनवरी को राजपथ पर भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन होता है। सैनिक एक से बढ़कर एक हैरतअंगेज करतब दिखाते हैं और साथ ही देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां विविधता में एकता की अद्भुत मिसाल पेश करती हैं। ये एक वास्तविक संघीय ढांचे की सच्ची तस्वीर है। लेकिन इस बार गणतंत्र परेड से केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की झांकियों को केंद्र ने रिजेक्ट कर दिया है। यानी 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर होने वाली परेड में केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की झांकियां शामिल नहीं होंगी। सवाल उठता है कि आखिर इन झांकियों में ऐसा क्या था जो इन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। मामले को तरतीब से समझते हैं।

क्या है मामला?

26 जनवरी को होने वाली परेड में झांकियों के चयन के मामले को रक्षा मंत्रालय देखता है। रक्षा मंत्रालय एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन करता है जो विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से झांकियों का प्रस्ताव आमंत्रित करती है। उसके बाद ये प्रस्ताव कई दौर की बैठकों और जांच से गुजरते हैं। इनके थीम, संगीत, विज़ुअल इफ़ेक्ट, मॉडल, डिज़ाइन की जांच होती है और उसके बाद ही एक्सपर्ट कमेटी झांकियों को अनुमति देती है। जांच का ये सिलसिला कई दौर की बैठकों में चलता है।

इस बार तीन राज्यों की झांकियों को रिजेक्ट कर दिया गया है। केरल, पं. बगांल औऱ तमिलनाडु तीनों ही राज्यों नें इस पर ऐतराज़ जाहिर किया है। पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और ऐतराज़ दर्ज कराया है। सवाल उठता है कि आखिर इन झांकियों में ऐसा क्या था जो इन्हें रिजेक्ट कर दिया गया।

क्यों रिजेक्ट हुईं झांकियां?

पश्चिम बंगाल की झांकी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर थी। जो उनके योगदान को रेखांकित करती है। झांकी में अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रों का भी प्रस्ताव था। जिनमें ईश्वर चंद्र विद्यासागर, रविंद्रनाथ टैगोर,  विवेकानंद, चितरंजन दास, मातंगिनी हाजरा, बिरसा मुंडा और नज़रुल इस्लाम के नाम शामिल हैं। केंद्र ने प. बंगाल की इस झांकी को रिजेक्ट कर दिया।

द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और कहा कि “मैं ये सुनकर आहत और स्तब्ध हूं कि केंद्र ने प. बंगाल की झांकी को गणतंत्र परेड से अचानक बाहर करने का निर्णय लिया है। ये और भी चौंकाने वाली बात है कि न कोई कारण बताया गया है और न ही ये बताया गया है कि किस अधिकार क्षेत्र के तहत ये फैसला लिया गया।”

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि “तमिलनाडु की झांकी में स्वतंत्रता सेनानी वीओसी, महाकवि भारथियार, रानी वेलु नचियार और मारुथु ब्रदर्स शामिल थे। इस झांकी को अनुमति ना देना काफी निराशाजनक है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करता हूं कि वो तुरंत हस्तक्षेप करें और सुनिश्चित करें कि स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु के योगदान को परेड में स्थान मिले।”

केरल का मामला और भी अजीब है। केरल की झांकी जाति व्यवस्था के विरूद्ध काम करने वाले महत्वपूर्ण समाज सुधारक श्री नारायण गुरु पर थी। कथित तौर पर केंद्र ने केरल को सुझाव दिया कि वो झांकी मे आदि शंकराचार्य की प्रतिमा लगाएं। केरल ने इसे मानने से इंकार कर दिया और कहा कि केरल की झांकी श्री नारायण गुरु पर ही रहेगी। परिणामस्वरूप केरल की झांकी रिजेक्ट कर दी गई। केरल के शिक्षमंत्री ने ट्वीट करके इस निर्णय की निंदा की है।

क्या विपक्षी राज्यों की झांकियों को रिजेक्ट करना अब ट्रेंड बन गया है?

वर्ष 2020 में भी महाराष्ट्र, केरल और प. बंगाल की झांकियों को रिजेक्ट कर दिया गया और उन्हें गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई। गौरतलब है कि पिछले तीन साल से केरल की झांकी को रिजेक्ट किया जा रहा है। तेलंगाना की झांकी को 2016 से लेकर 2019 तक लगातार चार साल तक रिजेक्ट किया गया। चार साल बाद वर्ष 2020 की गणतंत्र परेड में तेलंगाना की झांकी शामिल हुई थी। वर्ष 2019 की परेड से ओडिसा की झांकी को रिजेक्ट कर दिया गया। इसी वर्ष केरल की झांकी को भी रिजेक्ट किया गया। ये महज कुछ उदाहरण हैं। इस बार की गणतंत्र परेड में मात्र तीन गैर भाजपा शासित राज्य परेड का हिस्सा हैं। जबसे केंद्र में भाजपा की सरकार आई है तबसे एक ट्रेंड देखने में आ रहा है कि विपक्षी राज्यों की झांकियों को गणतंत्र परेड से रिजेक्ट किया जा रहा है। केंद्र के निर्णय राजनीति प्रेरित लगते हैं।

केरल और श्री नारायण गुरु से केंद्र को क्या दिक्कत है?

गौरतलब है कि केरल की झांकी लगातार तीसरी बार रिजेक्ट हो रही है। वर्ष 2019 में केरल ने जाति व्यवस्था के खिलाफ “वायकोम सत्याग्रह” पर झांकी प्रस्तावित की थी। श्री नारायण गुरु वायकोम सत्याग्रह की महत्वपूर्ण शख़्सियत हैं। वायकोम सत्याग्रह हिंदू धर्म की सबसे क्रूर संस्था जाति प्रथा के खिलाफ एक तरह का नवजागरण था। दलित अपने इंसान होने की गरिमा को रिक्लेम कर रहे थे। दलितों का मंदिर में प्रवेश करने का आंदोलन चल रहा था। केंद्र ने वर्ष 2019 में इस झांकी को रिजेक्ट कर दिया था। वर्ष 2020 में भी केरल की झांकी को रिजेक्ट कर दिया गया। वर्ष 2020 में केरल के कल्चरल मिनिस्टर एके बालान ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया था कि केंद्र का निर्णय राजनीति प्रेरित है। इसमें केंद्र सरकार का हस्तक्षेप है।

इस वर्ष फिर से केरल ने श्री नारायण गुरु को अपना थीम बनाया। कहा जा रहा है कि केंद्र ने आग्रह किया कि थीम आदि शंकराचार्य पर रखी जाए। केरल ने इसे मानने से मना कर दिया और कहा कि झांकी का हिस्सा समाज सुधारक श्री नारायण गुरु होंगे। केंद्र का आग्रह धार्मिक थीम पर था लेकिन केरल का आग्रह समाज सुधार और धर्मनिरपेक्षता था। बताया जा रहा है कि केरल को कमेटी ने ये भी सुझाव दिया कि झांकी में सबसे आगे मंदिर को रखें। केरल ने मना कर दिया। कमेटी शंकराचार्य औऱ श्री नारायण गुरु दोनों पर भी राजी हो गई। लेकिन सुझाव दिया कि शंकराचार्य की प्रतिमा को झांकी के बिल्कुल सामने रखा जाए। इस सुझाव को मानने से भी केरल ने मना कर दिया कहा कि केरल के आदर्श श्री नारायण गुरु हैं। परिणामस्वरूप केरल की झांकी रिजेक्ट कर दी गई। तो सवाल उठना लाज़िम है कि आखिर केंद्र को श्री नारायण गुरु और केरल से क्या दिक्कत है?गणतंत्र दिवस की परेड को हिंदुत्व के एजेंडे में घसीटना शर्मनाक है। ये विविधता में एकता की मूल भावना के खिलाफ है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

क्या है सच?: मज़दूरों ने कहा पिर से पलायन के हालात, सरकारी तंत्र ने कहा दावा भ्रामक है

republic day
Republic Day Parade
Kerala
West Bengal
tamil nadu
Ministry of Defence
Rajpath

Related Stories

राज्यपाल की जगह ममता होंगी राज्य संचालित विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति, पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने पारित किया प्रस्ताव

सरकार ने किया नई रक्षा कंपनियों द्वारा मुनाफ़ा कमाए जाने का दावा, रक्षा श्रमिक संघों ने कहा- दावा भ्रामक है 

प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल

तमिलनाडु : विकलांग मज़दूरों ने मनरेगा कार्ड वितरण में 'भेदभाव' के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया

मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF

‘जलवायु परिवर्तन’ के चलते दुनियाभर में बढ़ रही प्रचंड गर्मी, भारत में भी बढ़ेगा तापमान

बढ़ती हिंसा और सीबीआई के हस्तक्षेप के चलते मुश्किल में ममता और तृणमूल कांग्रेस

बलात्कार को लेकर राजनेताओं में संवेदनशीलता कब नज़र आएगी?


बाकी खबरें

  • Ramjas
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल
    01 Jun 2022
    वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इण्डिया(SFI) ने दक्षिणपंथी छात्र संगठन पर हमले का आरोप लगाया है। इस मामले में पुलिस ने भी क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। परन्तु छात्र संगठनों का आरोप है कि…
  • monsoon
    मोहम्मद इमरान खान
    बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग
    01 Jun 2022
    पटना: मानसून अभी आया नहीं है लेकिन इस दौरान होने वाले नदी के कटाव की दहशत गांवों के लोगों में इस कदर है कि वे कड़ी मशक्कत से बनाए अपने घरों को तोड़ने से बाज नहीं आ रहे हैं। गरीबी स
  • Gyanvapi Masjid
    भाषा
    ज्ञानवापी मामले में अधिवक्ताओं हरिशंकर जैन एवं विष्णु जैन को पैरवी करने से हटाया गया
    01 Jun 2022
    उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन और उनके पुत्र विष्णु जैन ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पैरवी कर रहे थे। इसके साथ ही पिता और पुत्र की जोड़ी हिंदुओं से जुड़े कई मुकदमों की पैरवी कर रही है।
  • sonia gandhi
    भाषा
    ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया
    01 Jun 2022
    ईडी ने कांग्रेस अध्यक्ष को आठ जून को पेश होने को कहा है। यह मामला पार्टी समर्थित ‘यंग इंडियन’ में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल में दर्ज किया गया था।
  • neoliberalism
    प्रभात पटनायक
    नवउदारवाद और मुद्रास्फीति-विरोधी नीति
    01 Jun 2022
    आम तौर पर नवउदारवादी व्यवस्था को प्रदत्त मानकर चला जाता है और इसी आधार पर खड़े होकर तर्क-वितर्क किए जाते हैं कि बेरोजगारी और मुद्रास्फीति में से किस पर अंकुश लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना बेहतर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License