NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
भारत
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने की इतनी घटनाएं क्यों हो रही हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में सामान्य से अधिक तापमान और बंगाल की खाड़ी से चलने वाली आर्द दक्षिण हवाओं के कारण वायुमंडल ‘अस्थिर’ है जिससे बड़ी संख्या में बिजली गिरने की घटनाएं हो रही हैं जिसकी वजह से इन दो राज्यों में पिछले पखवाड़े 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
04 Jul 2020
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने की इतनी घटनाएं
प्रतीकात्मक तस्वीर

दिल्ली: बिहार में पिछले हफ्ते गरज के साथ बारिश और बिजली गिरने की वजह से महज दो दिन में 83 लोगों की मौत हो गई थी। अगर इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश को भी जोड़ दिया जाय तो दो दिन में ही ऐसी घटनाओं में 110 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं कम से कम 32 घायल हो गए थे और व्यापक स्तर पर संपत्ति को क्षति पहुंची। तब से लेकर अब तक बिजली गिरने की घटनाएं लगातार जारी हैं।

इसी हफ्ते गुरुवार को बिहार के आठ जिलों में आंधी और बारिश के दौरान आकाशीय बिजली गिरने से 26 लोगों की मौत हो गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसकी वजह से इन दो राज्यों में पिछले पखवाड़े 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत लगभग सभी दलों के बड़े नेताओं ने बिजली गिरने से इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत पर शोक जताया है। तो वहीं बिहार सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने अपने राज्य में घटना के शिकार सभी मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।

सरकार ने इन इलाकों में बिजली गिरने से मौत के बचाव के लिए एडवाइजरी भी जारी की है। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार में सामान्य से अधिक तापमान और बंगाल की खाड़ी से चलने वाली आर्द दक्षिण हवाओं के कारण वायुमंडल ‘अस्थिर’ है जिससे बड़ी संख्या में बिजली गिरने की घटनाएं हो रही हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के पूर्व महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौर ने कहा कि पूर्वी भारत में मानसून से पहले और मानसून के दौरान सामान्य तौर पर आंधी-तूफान और बिजली गिरने की घटनाएं देखी जाती हैं। उन्होंने कहा, ‘जब भी स्थितियां अनुकूल होती हैं, गर्म और आर्द हवाओं के संगम से काफी घने बादल बनते हैं। इससे वातावरण में गंभीर अस्थिरता बनती है जिससे आंधी-तूफान और बिजली गिरने जैसी घटनाएं होती हैं।’

राठौर ने कहा कि स्थानीय भाषा में इसे ‘काल बैसाखी’ कहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक ‘वैसाख’ के महीने में ये घटनाएं होती हैं इसलिए इन्हें काल बैसाखी कहते हैं। इसे नॉर्वेस्टर के नाम से भी जाना जाता है।

स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पालावत ने कहा कि बिहार के छोटानागपुर पहाड़ियों के आसपास के इलाकों एवं पश्चिम बंगाल में यह घटना नई नहीं है। इलाके में ‘बादल से जमीन’ की गतिविधि भी ज्यादा होती है।

पालावत ने कहा, ‘मौसम की ऐसी घटनाएं सामान्य तौर पर मानसून पूर्व और मानसून जारी रहने के दिनों में होती हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण इसमें भी विलंब होता है।’ उन्होंने कहा कि बिहार में पिछले दो-तीन दिनों में सामान्य से अधिक तापमान देखा जा रहा है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछले पखवाड़े में बिजली गिरने की 150 से अधिक घटनाएं हुई हैं।

भारतीय उष्ण कटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम), पुणे के वैज्ञानिक एसडी. पवार ने कहा कि बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में पिछले दो दिनों से बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ गई हैं। आईआईटीएम में आंधी-तूफान और बिजली गिरने की घटनाओं पर एक परियोजना का नेतृत्व कर रहे पवार ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत, महाराष्ट्र, तेलंगाना के कुछ हिस्से और आंध्रप्रदेश, पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में बिजली ज्यादा गिरने की संभावनाएं रहती हैं।

पवार ने कहा कि बहरहाल, बिजली गिरने के कारण अधिकतर मौतें बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र में होती हैं। आईआईटीएम के अध्ययन के मुताबिक, देश भर में प्रति वर्ष बिजली गिरने की दो हजार से अधिक घटनाएं होती हैं, जिनमें से अधिकतर इन राज्यों में होती हैं। उन्होंने कहा कि अध्ययन में पता चला कि बिजली गिरने के कारण मरने वाले अधिकतर लोगों में खेतों में काम करने वाले या पेड़ों के नीचे शरण लेने वाले लोग हैं।

पवार ने कहा कि बिजली गिरने से मरने वालों में 70 फीसदी वे लोग थे जो पेड़ों के नीचे खड़े थे। पवार ने कहा, ‘समय भी मायने रखता है। हालांकि कोई निश्चित समय नहीं है लेकिन देखा गया है कि जून में दोपहर में महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश में बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं। इस समय लोग खेतों में काम करते हैं।’ जून में कृषि संबंधी काफी कार्य होते हैं।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मौसम के बारे में राज्यों को सूचित किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘हम राज्य आपातकालीन अभियान केंद्र को सूचना भेजते हैं। साथ ही पटना में हमारा क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र भी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जिलों एवं मीडिया से सूचना साझा करता है।’ बहरहाल महापात्र ने कहा कि अंतिम व्यक्ति तक सूचना पहुंचाई जा सकती है।

गौरतलब है कि बिजली की इस आपदा से बचाव के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटीरिओलॉजी (आइआइटीएम) पुणे द्वारा दो साल पहले दामिनी एप बनाया गया था। एंड्रायड फोन पर गूगल प्ले स्टोर से इसे डाउनलोड भी किया जा सकता है। अब तक देश में एक लाख से अधिक लोग इसे डाउनलोड कर चुके हैं। यह एप बिजली गिरने से 30-40 मिनट पहले ही अलर्ट का संदेश भेज कर सावधान कर देता है। सरकार द्वारा इसका प्रचार और प्रसार भी किया जा रहा है।

आपको बता दें कि बारिश के दौरान अगर आप घर से बाहर हैं और आकाशीय बिजली कड़क रही है तो ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। इस दौरान घर या भवन में रुकें, टिन या फिर धातु से बने छत वाले मकानों से दूर रहें। इस दौरान किसी पेड़ के नीचे खड़े नहीं हों। बिजली के खंभों और वृक्षों से दूर रहें। अगर खुले आसमान के नीचे हों तो तुरंत कहीं छिप जाएं। हालांकि, जमीन पर नहीं लेटें और न ही अपने हाथ लगाएं।

किसी एक जगह पर भीड़ नहीं लगाए, फैलकर खड़ें हों। पानी के भीतर नहीं रहें, पुल-झील या फिर छोटी नाव से तुरंत बाहर निकल जाएं। आंधी-तूफान की स्थिति इलेक्ट्रॉनिंक उपकरणों के प्लग निकाल दें। तार वाले टेलीफोन का इस्तेमाल नहीं करें। खिड़कियों और दरवाजों से दूर रहे और बाहर बिल्कुल भी नहीं निकलें।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

UttarPradesh
Bihar
Incidents of lightning
Atmosphere
Indian Meteorological Department

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

प्रयागराज: घर में सोते समय माता-पिता के साथ तीन बेटियों की निर्मम हत्या!

बनारस: आग लगने से साड़ी फिनिशिंग का काम करने वाले 4 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सड़क दुर्घटना में 15 लोगों की मौत

बसों में जानवरों की तरह ठुस कर जोखिम भरा लंबा सफ़र करने को मजबूर बिहार के मज़दूर?

यूपी: आज़मगढ़ में पुलिस पर दलितों के घर तोड़ने, महिलाओं को प्रताड़ित करने का आरोप; परिवार घर छोड़ कर भागे

गैस सिलिंडर फटने से दोमंजिला मकान ढहा, आठ लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में पटाखा बनाते समय विस्फोट में पांच लोगों की मौत

यूपी: “मौतें नहीं हत्याएं हैं”......श्रमिकों की क़ब्रगाह बनता इफको फूलपुर!

संविदा कर्मी ने की खुदकुशी : लगाया महिला आईपीएस अधिकारी पर आरोप


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License