NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
कोरोना महामारी रोकने की लड़ाई में हम लगातार पिछड़ते क्यों जा रहे हैं?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना के मामले बढ़कर 53,08,015 लाख पहुंच गए हैं। इस जानलेवा बीमारी ने 85,619 लोगों की जान अबतक ले ली है। पिछले 24 घंटे में देश में 93,337 हजार नए केस सामने आए हैं जबकि 1,247 लोगों की मौत हुई है।
अमित सिंह
19 Sep 2020
कोरोना वायरस
Image Courtesy: The Financial Express

कोरोना महामारी से लड़ते हुए देश को करीब छह महीने हो गए हैं। इसके बावजूद आज भी हम जिस मोड़ पर खड़े हैं, वह स्थिति भयावह है। 53 लाख से ज्यादा संक्रमण और 85 हजार से ज्यादा मौतों के साथ भारत दुनिया में दूसरा सबसे प्रभावित देश बन चुका है और अब तो रोजाना एक लाख के निकट पॉजिटिव मामले सामने आने लगे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना के मामले बढ़कर 53,08,015 लाख पहुंच गए हैं। इस जानलेवा बीमारी ने 85,619 लोगों की जान अबतक ले ली है। पिछले 24 घंटे में देश में 93,337 हजार नए केस सामने आए हैं जबकि 1,247 लोगों की मौत हुई है।

यानी अब हालात यह है कि किसी गुलाबी तस्वीर की उम्मीद न करते हुए जमीनी सच्चाई को हम स्वीकार कर लें और उन सवालों का सामना करें जो आज के हालात में बेहद जरूरी हैं। सबसे पहली बात हम यह मान ले कि संक्रमण के फैलाव को रोकने में सरकार द्वारा लागू किया गया लॉकडाउन पूरी तरह से नाकाम रहा और इसकी बहुत बड़ी कीमत हमारी अर्थव्यवस्था को भी चुकानी पड़ी है।

इसे पढ़ें : महामारी के छह महीने : भारत क्यों लड़ाई हार रहा है 

अब सवाल यह है कि क्या छह महीने बाद भी हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था हर दिन एक लाख नए संक्रमित मरीजों को संभाल पाने के लिए तैयार है? इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले हम यह जान लें कि देश में इस समय लगभग 10,13,964 ऐक्टिव केस हैं। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि कोरोना के 14 फीसदी संक्रमित मामले गंभीर होते हैं और उन्हें अस्पताल की जरूरत पड़ती है, जबकि पांच फीसदी मरीज बहुत गंभीर होते हैं और उन्हें आईसीयू में रखना पड़ सकता है।

पिछले छह महीनों में हमारे देश में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के स्तर पर अच्छे प्रयास हुए हैं लेकिन यह नाकाफी मालूम पड़ रहे हैं। दस लाख एक्टिव केस होने का सीधा मतलब यही है कि हमें अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत पड़ रही है। साथ ही हमारे कोरोना वॉरियर्स यानी डॉक्टर, नर्स, सफाईकर्मियों पर पहले से भी ज्यादा दबाव की स्थिति बन रही है। इसके अलावा संक्रमण के फैलने की और अधिक आशंका भी है।

यानी स्थिति पूरी तरह से कंट्रोल में नहीं है। सरकार द्वारा लाख अपनी पीठ थपथपाने के बावजूद सच्चाई महज इसी से पता चलती है कि ऑक्सीजन-आपूर्ति में आ रही कमी अब सुर्खियां बनने लगी हैं। स्थिति यहां तक बदतर हो गई है कि गृह मंत्रालय को चिठ्ठी लिखनी पड़ रही है।

आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को सभी राज्यों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि ऑक्सीजन पहुंचाने वाले वाहनों को बगैर किसी रोकटोक के मुक्त रूप से आवागमन करने दिया जाए क्योंकि कोविड-19 के मध्यम और गंभीर मरीजों को इसकी बहुत जरूरत होती है।

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजे पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि ऐसा संज्ञान में आया है कि कुछ राज्य अपने राज्य में स्थित उत्पादन इकाइयों से ऑक्सीजन आपूर्ति की अंतरराज्यीय आवाजाही को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ राज्य अपने क्षेत्र में स्थित उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं को यह भी कह रहे हैं कि राज्य के अस्पतालों तक ही अपनी ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित करें। भल्ला ने कहा कि चिकित्सा उपयोग में लाये जाने वाले ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध आपूर्ति कोविड-19 के मध्यम और गंभीर मरीजों के उपचार के लिये बहुत महत्वपूर्ण है और कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर ऑक्सीजन की खपत बढ़ने की भी उम्मीद है।

अब दूसरे सवाल पर चर्चा कर लेते हैं कि सरकार का दावा है कि भारत में मृत्युदर दो फीसदी से भी कम है। लेकिन क्या यह स्थिति बढ़ते संक्रमण की स्थिति में भी बनी रहेगी? अभी तक संक्रमण का फैलाव शहरी इलाकों में था जहां स्वास्थ्य सुविधाएं तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में थी। अब यह संक्रमण गावों में फैल रहा है जहां की स्वास्थ्य सुविधाओं की हकीकत सबको बेहतर तरीके से पता है। यानी इस मोर्चे पर भी हमारे लिए राहत की खबर नहीं है।

इसके अलावा अगर हम जिलेवार देंखें तो मुंबई और अहमदाबाद में मृत्यु-दर क्रमश: 5.71 प्रतिशत और 5.63 प्रतिशत है, जबकि लुधियाना जैसे औद्योगिक जिले में 4.74 फीसदी। इसी तरह, नांदेड़ और सांगली में मृत्यु-दर क्रमश: 5.3 प्रतिशत और 4.74 प्रतिशत है। यानी पहले से ही घनी आबादी वाले जिलों में मृत्युदर देश के औसत से बहुत ज्यादा है।

इसके बाद अगला सवाल कोरोना से लड़ाई में हम कितना कामयाब हुए हैं और संक्रमण में कब से कमी आने लगेगी? तो इसके जवाब में यही कहा जा सकता है कि अभी तो देश में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर रोज कोई न कोई रिकॉर्ड बन रहा है। आपको बता दें कि दिनों-दिन बड़ी संख्या में संक्रमण के नये मामले सामने आने के कारण संक्रमितों की संख्या 40 से 50 लाख पहुंचने में महज 11 दिन लगे। इससे पहले 13 दिनों में कोविड-19 मरीजों की संख्या 30 लाख से 40 लाख के पार हुई थी।

आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कोविड-19 मरीजों की संख्या 10 लाख से 20 लाख तक पहुंचने में 21 दिनों का समय लगा जबकि 20 से 30 लाख मरीज होने में 16 और दिन लगे। इसी तरह कोविड-19 मरीजों की संख्या एक लाख तक पहुंचने में 110 दिन लगे थे जबकि संक्रमितों की संख्या एक लाख से 10 लाख तक पहुंचने में 59 दिन लगे।

यानी स्थिति साफ है कि आंकडों को गुलाबी बना कर पेश करने के बावजूद हकीकत यही है कि भारत में कोरोना संक्रमण बद से बदतर स्थिति की ओर ही जा रहा है। दुर्भाग्य यह है कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए व्यापक व प्रभावी टेस्टिंग, संक्रमित व्यक्तियों का इलाज एवं महामारी से लड़ने के लिए क्षमता, बुनियादी ढांचे तथा मानव संसाधनों का विस्तार आदि सरकार की प्राथमिकता में आ ही नहीं पा रहे हैं। इसके उल्ट वह संसद में ऐसी बयानबाजी कर रही है जो कोरोना योद्धाओं के मनोबल को गिराने वाला है।

ऐसे में जब तक इलाज के तौर पर कोई प्रामाणिक दवा या वैक्सीन हमारे सामने नहीं आ जाती, हमें कोरोना महामारी से जान बचाने के हर एहतियाती उपाय करने पड़ेंगे। इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Coronavirus
COVID-19
India Corona Update
Corona cases in India
Fight Against CoronaVirus
health care facilities
Narendra modi
BJP

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License