NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
होलिका दहन की रात अपने गन्ने की फ़सल क्यों जलाना चाहते हैं रीगा के किसान?
यह कहानी उस इलाके के किसानों की है, जहां एक ज़माने में बड़ी संख्या में चीनी मिल हुआ करते थे। आज़ादी से पहले बिहार में चीनी मिलों की संख्या 33 थी और राज्य के देश के कुल चीनी का 40 फीसदी उत्पादित करता था। मगर अब सिर्फ 10 चीनी मिल रह गये हैं। गन्ने की खेती करना किसानों के लिए लगातार घाटे का सौदा बनता जा रहा है।
पुष्यमित्र
19 Mar 2021
गन्ने की फ़सल

बिहार के सीतामढ़ी जिले के रीगा निवासी किसान रामश्रेष्ठ सिंह कुशवाहा इस रविवार को एक बैठक में अपनी आपबीती सुनाते हुए कह रहे थे कि “मैंने एक बीघा जमीन पर इस बार गन्ने की खेती की है। गन्ना तो बिका नहीं। पांच कट्ठे जमीन पर लगी गन्ने की फसल को मैंने जला दिया है, बाकी बचे 15 कट्ठे जमीन में लगे गन्ने को मैं होलिका दहन की रात जला दूंगा। गन्ना बिकने का कोई इंतजाम नहीं है, तो इसे रखकर क्या फायदा?”

यह कहते वक्त उस सीमांत किसान रामश्रेष्ठ सिंह की आंखों में गहरी नाराजगी थी। उनकी बातों में जो आक्रोश था, उससे रीगा में आयोजित उस बैठक में मौजूद सभी किसान सहमत थे। क्योंकि उस इलाके के कमोबेश 25 हजार किसानों की स्थिति ऐसी ही है। जिस रीगा चीनी मिल के भरोसे उन्होंने गन्ने की खेती की थी, वह अचानक ईख पेराई के वक्त बंद हो गयी। रीगा शुगर मिल बंद होने के बारे में

न्यूज़क्लिक ने 18 जनवरी को विस्तार से एक ख़बर प्रकाशित की थी। इस ख़बर को आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं-

बिहार में एक और चीनी मिल की बंदी और हज़ारों किसानों की तबाही

सरकार ने पास-पड़ोस के चीनी मिलों को इस इलाके में लगी 12 लाख क्विंटल गन्ने की फसल खरीदने का जिम्मा देकर पल्ला झाड़ लिया। पड़ोस के चीनी मिल वालों ने भी किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर उनसे औने-पौने दर पर बिचौलिये के जरिये गन्ना खरीद लिया। फिर भी तकरीबन 5 लाख क्विंटल गन्ने की फसल अभी खेतों में खड़ी है।

इस पांच लाख क्विंटल गन्ने की फसल को खरीदने वाला कोई नहीं है, सभी चीनी मिलों का पेराई सत्र खत्म हो चुका है। ऐसे में रीगा के 25 हजार किसानों के सामने खेतों में खड़ी अपने गन्ने की फसल को जला देने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।

उसी बैठक में शामिल बड़े जोतदार किसान गुणानंद चौधरी कहते हैं कि जिस गन्ने की फसल को वे हर साल 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचते थे, उसे इस दफा 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचना पड़ा। मजबूर होकर बिचौलिये के हाथ। रीगा चीनी मिल अगले साल खुल जायेगी ऐसी उम्मीद लगती नहीं है। इसलिए उन्होंने अगले साल अपने खेतों में आम और लीची के पौधे लगाने का फैसला कर लिया है। अब वे गन्ने की खेती नहीं करेंगे।

यह कहानी उस इलाके के किसानों की है, जहां एक जमाने में बड़ी संख्या में चीनी मिल हुआ करते थे। आजादी से पहले बिहार में चीनी मिलों की संख्या 33 थी और राज्य के देश के कुल चीनी का 40 फीसदी उत्पादित करता था। मगर अब सिर्फ 10 चीनी मिल रह गये हैं। गन्ने की खेती करना किसानों के लिए लगातार घाटे का सौदा बनता जा रहा है।

ईखोत्पादक संघ के अध्यक्ष नागेंद्र सिंह कहते हैं, खुद सरकार की इच्छा बिहार में चीनी मिलों को चलाने की नहीं है। रीगा चीनी मिल के पास किसानों का सवा सौ करोड़ रुपया बकाया है। मगर गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार ने बयान दिया है कि सरकार रीगा चीनी मिल की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया से किसानों की परेशानी और बढ़ेगी। क्योंकि इस काम में दस-बीस साल का वक्त लग जायेगा। किसानों का बकाया तो मिलेगा नहीं।

वे कहते हैं, सरकार को हस्तक्षेप कर लौरिया और सुगौली चीनी मिल की तरह इसे भी एचपीसीएल या इंडियन ऑयल से चलवाना चाहिए, तभी किसानों को राहत मिल सकती है। वरना इस इलाके से गन्ने की खेती का उठ जाना तय है और किसानों का बकाया पैसा शायद ही उन्हें मिले।

सीतामढ़ी के रीगा कस्बे के आसपास के 40 हजार किसान लंबे समय से गन्ने की खेती करते रहे हैं, क्योंकि रीगा चीनी मिल हर साल उनके गन्ने की फसल को खरीद लेती थी। मगर पिछले कुछ साल से चीनी मिल चीनी के काम में रुचि नहीं ले रहा। हर साल यह खटका लगा रहता है कि चीनी मिल शुरू होगा या नहीं होगा। पिछले पांच साल से यह चल रहा है। इस साल ऐसा मौका आ ही गया कि रीगा चीनी मिल में पेराई हुई ही नहीं।

नागेंद्र सिंह कहते हैं कि उन लोगों के लगातार मांग करने के बाद सरकार ने 13 जनवरी, 2021 को यह आदेश जारी किया था कि 19 जगहों पर कैंप लगाकर गन्ने की खरीद होगी। इसकी ढुलाई के लिए 45 रुपये प्रति क्विंटल किराये का भी भुगतान तय हुआ। मगर हर जगह खानापूर्ति हुई।

किसान कहते हैं, मिल वालों ने ट्रांसपोर्टरों को उनके इलाके में भेज दिया और वे 100 से 125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों का गन्ना खरीदते रहे। किसान भी मजबूर थे, गन्ना कहीं और बिकने की गुंजाइश नहीं थी। ट्रांसपोर्टर नकद पैसे दे रहा था, मजबूरन किसानों ने एक तिहाई कीमत पर अपना गन्ना बेचना शुरू कर दिया।

मगर इन ट्रांसपोर्टरों ने भी सभी किसानों का गन्ना नहीं खरीदा। तकरीबन 5 लाख क्विंटल गन्ना अभी भी खेतों में खड़ा है। जिसका कोई खरीदार नहीं है। कुछ किसान किराये की गाड़ी से अपना गन्ना मुजफ्फरपुर ले जा रहे हैं, क्योंकि वहां गुड़ बनाने वाली फैक्टरियों में उनका गन्ना खप जा रहा है। मगर न तो हर किसान यह कर सकता है, न ही वहां की गुड़ फैक्टरियां सभी किसानों का गन्ना खरीद सकती हैं। ऐसे में रीगा के किसानों के सामने होलिका दहन के तौर पर अपना गन्ना जलाने के सिवा कोई विकल्प नहीं।

(पुष्यमित्र पटना स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Bihar
Bihar Farmer
sugarcane farmers
Holika Dahan
farmers crises
Bihar Sugar Mills
Sugar Mill closed
Nitish Kumar

Related Stories

महाराष्ट्र में गन्ने की बम्पर फसल, बावजूद किसान ने कुप्रबंधन के चलते खुदकुशी की

बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर

ब्लैक राइस की खेती से तबाह चंदौली के किसानों के ज़ख़्म पर बार-बार क्यों नमक छिड़क रहे मोदी?

बिहार: कोल्ड स्टोरेज के अभाव में कम कीमत पर फसल बेचने को मजबूर आलू किसान

ग्राउंड रिपोर्ट: कम हो रहे पैदावार के बावजूद कैसे बढ़ रही है कतरनी चावल का बिक्री?

पीएम के 'मन की बात' में शामिल जैविक ग्राम में खाद की कमी से गेहूं की बुआई न के बराबर

बिहारः खाद न मिलने से परेशान एक किसान ने की आत्मदाह की कोशिश

MSP की लड़ाई जीतने के लिए UP-बिहार जैसे राज्यों में शक्ति-संतुलन बदलना होगा

बिहार खाद संकटः रबी की बुआई में देरी से किसान चिंतित, सड़क जाम कर किया प्रदर्शन

खेती- किसानी में व्यापारियों के पक्ष में लिए जा रहे निर्णय 


बाकी खबरें

  • उपेंद्र स्वामी
    अंतरिक्ष: हमारी पृथ्वी जितने बड़े टेलीस्कोप से खींची गई आकाशगंगा के ब्लैक होल की पहली तस्वीर
    13 May 2022
    दुनिया भर की: ब्लैक होल हमारे अंतरिक्ष के प्रमुख रहस्यों में से एक है। इन्हें समझना भी अंतरिक्ष के बड़े रोमांच में से एक है। इस अध्ययन के जरिये अंतरिक्ष की कई अबूझ पहेलियों को समझने में मदद
  • परमजीत सिंह जज
    त्रासदी और पाखंड के बीच फंसी पटियाला टकराव और बाद की घटनाएं
    13 May 2022
    मुख्यधारा के मीडिया, राजनीतिक दल और उसके नेताओं का यह भूल जाना कि सिख जनता ने आखिरकार पंजाब में आतंकवाद को खारिज कर दिया था, पंजाबियों के प्रति उनकी सरासर ज्यादती है। 
  • ज़ाहिद खान
    बादल सरकार : रंगमंच की तीसरी धारा के जनक
    13 May 2022
    बादल सरकार का थिएटर, सामाजिक-राजनीतिक बदलाव का थिएटर है। प्रतिरोध की संस्कृति को ज़िंदा रखने में उनके थर्ड थिएटर ने अहम रोल अदा किया। सत्ता की संस्कृति के बरअक्स जन संस्कृति को स्थापित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    असम : विरोध के बीच हवाई अड्डे के निर्माण के लिए 3 मिलियन चाय के पौधे उखाड़ने का काम शुरू
    13 May 2022
    असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस साल फ़रवरी में कछार में दालू चाय बाग़ान के कुछ हिस्से का इस्तेमाल करके एक ग्रीनफ़ील्ड हवाई अड्डे के निर्माण की घोषणा की थी।
  • पीपल्स डिस्पैच
    इज़रायल को फिलिस्तीनी पत्रकारों और लोगों पर जानलेवा हमले बंद करने होंगे
    13 May 2022
    टेली एसयूआर और पान अफ्रीकन टीवी समेत 20 से ज़्यादा प्रगतिशील मीडिया संस्थानों ने वक्तव्य जारी कर फिलिस्तीनी पत्रकार शिरीन अबु अकलेह की हत्या की निंदा की है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License