NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
राजनीतिक दल आख़िर खुद को मिले चंदे को उजागर क्यों नहीं करते?
वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 0.96% ने ही इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया में अपने चंदे या दान से जुड़ी जानकारी दर्ज की हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
06 Feb 2021
ADR

चुनाव विश्लेषण संस्था एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने देश की पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश में इन राजनीतिक दलों की संख्या 2010 के मुकाबले 2019 में दोगुनी हो गई। वहीं वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 0.96% ने ही इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया में अपने चंदे या दान से जुड़ी जानकारी दर्ज की हैं।

आपको बता दें कि ‘ग़ैर मान्यता प्राप्त’ राजनीतिक दल से मतलब है कि वो दल जिनका पंजीकरण या तो बिल्कुल हाल में हुआ हो या जिनको राज्य स्तर की पार्टी बनने के लिए विधानसभा या आम चुनाव में पर्याप्त प्रतिशत में वोट न मिले हों या फिर जिन्होंने पंजीकरण के बाद से कभी चुनाव नहीं लड़ा हो।

एडीआर के मुताबिक विश्लेषण से संबंधित 138 ऐसे दलों में से 50 प्रतिशत से अधिक की चंदा रिपोर्ट उक्त दोनों में से किसी वित्त वर्ष के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। इस रिपोर्ट के बाद सवाल उठने लगे है कि आख़िर देश के ज्यादातर राजनीतिक दलों ने खुद को मिले चंदे पर चुप्पी क्यों साध रखी है, और चुनाव आयोग ऐसे दलों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करता।

इस रिपोर्ट में और क्या-क्या है?

एडीआर की इस रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2017-18 और  2018-19 के लिए ग़ैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा घोषित दान के विश्लेषण को लेकर कुछ महत्वपूर्ण चीज़ें को बताई गई हैं, जैसे...

#पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या में पिछले 10 वर्षों में दो गुना वृद्धि हुई है। 2010 में इनकी संख्या 1,112 थी। 2019 में यह संख्या 2,301 तक पहुंच गई है।

चुनाव के समय दलों की संख्या में भारी इज़ाफा

# जिन वर्षों में देश में संसदीय चुनाव होते हैं, उन वर्षों के दौरान पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या में अभूतपूर्ण वृद्धि होती है। 2018 और 2019 के बीच, इसमें 9.8% की वृद्धि हुई, जबकि 2013 और 2014 के बीच, इसमें 18% की वृद्धि हुई।

# मार्च 2019 तक के आंकड़ों के अनुसार, कुल 2,301 पंजीकृत गैर मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों में से 653 या 28.38 प्रतिशत दल उत्तर प्रदेश से हैं। इसके बाद इस तरह के 291 या 12.65 प्रतिशत दल दिल्ली से तथा 184 या आठ प्रतिशत दल तमिलनाडु से हैं।

# वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कुल 2,301 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 78 दलों की अंशदान रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से में उपलब्ध है। मतलब कुल पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से 3.39% दलों की। वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए केवल 82 या 3.5% पार्टियों के लिए ही ये रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से में उपलब्ध है।

# वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान, कुल पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों के केवल 39 या 1.69% ने अपने अंशदान की रिपोर्ट नियत तारीख से पहले प्रस्तुत की। 41 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की अंशदान रिपोर्ट नियत तारीख के बाद उपलब्ध हुई थी। सबसे लेट में अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाले दल ने नियत समय बीत जाने के 514 दिनों बाद अपनी रिपोर्ट जमा की थी।

# एडीआर ने जिन 138 दलों का विश्लेषण किया था, उसमें से वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 56 पार्टियों की अंशदान रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर अनुपलब्ध थीं।

# वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 60 पार्टियों की अंशदान रिपोर्ट मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर अनुपलब्ध थीं। एडीआर के अनुसार ये स्टेट्स उनकी रिपोर्ट को पब्लिश करने तक का था।

# जिन पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की थी उसमें से, वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 65.45 करोड़ रुपये के कुल 6,860 डोनेशंस हुए। और वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 24.6 करोड़ रुपये के कुल 6,138 डोनेशंस हुए। मतलब दो वर्षों में इन पार्टियों ने 12,998 डोनेशंस पाए और कुल 90.05 करोड़ रुपये का दान प्राप्त किया।

# वित्त वर्ष 2018-19 में केवल 1.65% या 38 दलों ने समय पर अपनी अंशदान रिपोर्ट प्रस्तुत की। 40 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की अंशदान रिपोर्ट नियत तारीख के बाद उपलब्ध हुई थी। सबसे लेट में अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाले दल ने नियत समय बीत जाने के 393 दिनों बाद अपनी रिपोर्ट जमा की थी।

यूपी की अपना देश पार्टी को सबसे अधिक चंदा

# उत्तर प्रदेश की अपना देश पार्टी ने उक्त दोनों वित्त वर्षों में सर्वाधिक चंदा राशि 65.63 करोड़ रुपये (4,300 चंदों से) मिलने की घोषणा की, जो वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में गैर मान्यताप्राप्त दलों द्वारा घोषित चंदा राशि का 72.88 प्रतिशत है।

# संस्था जिस वक्त इस रिपोर्ट को तैयार कर रही थी, उस वक्त तक 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की CEO वेबसाइट पर पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों की अंशदान रिपोर्ट का कोई टैब या लिंक उपलब्ध नहीं था। इन 16 राज्यों में केरल, ओडिशा, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल थे।

गौरतलब है कि चुनावी और राजनीतिक सुधारों के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था एडीआर को 1999 में IIM अहमदाबाद के कुछ प्रोफ़ेसर्स ने मिलकर बनाया था। इसका उद्देश्य शासन में सुधार कर लोकतंत्र को मजबूत करना है। एडीआर राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराधीकरण से जुड़ी अहम रिपोर्ट भी जारी करता है।

ADR
Association for Democratic Reforms
Unrecognized parties
election commission of India
Political Party

Related Stories

2 सालों में 19 लाख ईवीएम गायब! कब जवाब देगा चुनाव आयोग?

दिल्ली नगर निगम चुनाव टाले जाने पर विपक्ष ने बीजेपी और चुनाव आयोग से किया सवाल

जनादेश-2022:  इस बार कहीं नहीं दिखा चुनाव आयोग, लगा कि सरकार ही करा रही है चुनाव!

यूपी चुनाव पांचवा चरण:  दाग़ी और करोड़पति प्रत्याशियों पर ज्यादा विश्वास करती हैं राजनीतिक पार्टियां

भाजपा ने 2019-20 में 4,847 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति घोषित की : एडीआर

विधानसभा चुनाव: वीडियो वैन के इस्तेमाल पर निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश जारी

चुनाव आयोग की विश्वसनीयता ख़त्म होती जा रही है

पंजाब विधानसभा चुनाव की नई तारीख़, अब 20 फरवरी को पड़ेंगे वोट

यूपी; नोट करें: आपके आस-पड़ोस में कब पड़ेंगे वोट, किस दिन आएगी आपकी बारी

बिहारः नगर निकाय चुनावों में अब राजनीतिक पार्टियां भी होंगी शामिल!


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License