NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
संघ से जुड़े संगठन अपने प्रमुख मोहन भागवत की ही बातों को क्यों नहीं मानते?
संघ प्रमुख की बातों के विपरीत अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले की जो घटनाएं होती हैं उसकी औपचारिक निंदा भी कभी संघ की ओर से नहीं की जाती है। आख़िर क्यों?
अनिल जैन
17 Dec 2021
Mohan Bhagwat

देश के विभिन्न इलाकों से आ रहीं मुसलमान, ईसाइयों, दलितों तथा मस्जिद और चर्च जैसे धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लोगों के हमलों की खबरों के बीच चित्रकूट में आयोजित हिंदू एकता कुंभ में आरएसएस के सुप्रीमो मोहन राव भागवत ने कहा है कि संघ लोगों को जोड़ने का काम करेगा। वैसे यह बात उन्होंने पहली बार नहीं कही है। हाल के वर्षों में वे कई बार कह चुके हैं कि संघ लोगों को जोड़ने में विश्वास रखता है। भागवत का यह भी कहना रहा है कि हर भारतीय, चाहे वह किसी धर्म या जाति का हो, सभी के पूर्वज एक हैं और सभी डीएनए भी एक ही है। यहां तक कि वे पाकिस्तान को भी भारत का भाई बता चुके हैं और उससे रिश्ते सुधारने पर जोर दिया है। सवाल है कि उनकी इन बातों का संघ और उसके सहयोगी संगठनों पर असर क्यों नहीं हो रहा है?

वैसे देश में मुसलमानों और ईसाइयों के उपासना स्थलों पर पादरियों और ननों पर और दलितों-आदिवासियों पर हिंदुत्ववादी संगठनों के हमले कोई नई बात नहीं है। बहुत पहले से यह सिलसिला चला आ रहा है। गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि प्रदेशों में इस तरह की घटनाएं होती रही हैं। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद इस सिलसिले में नया उभार आया है, जो पिछले साल कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के दौरान भी उत्तर भारत के कई शहरों और कस्बों में देखने को भी मिला था। उस दौरान फल और सब्जी बेचने वाले मुसलमानों पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाते हुए उनके साथ मारपीट की गई थी।

फिलहाल ज्यादा पुरानी नहीं, सिर्फ पिछले दो सप्ताह की घटनाओं को देखें तो हरियाणा से लेकर मध्य प्रदेश, कर्नाटक और बिहार तक संघ से जुड़े संगठनों के लोग सिर्फ और सिर्फ तोड़ने और मारने-पीटने के काम में लगे हुए हैं।

दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में प्रशासन द्वारा चिन्हित किए गए सार्वजनिक स्थानों सप्ताह में एक दिन यानी जुमे (शुक्रवार) के दिन सामूहिक नमाज पढ़ने पर हिंदुत्ववादी संगठनों ने न सिर्फ आपत्ति की है, बल्कि मुसलमानों को नमाज पढ़ने से रोकने के लिए उन स्थानों पर गोबर भी फैला दिया। इन संगठनों ने ऐलान किया है कि वे किसी भी खुले स्थान पर नमाज नहीं पढ़ने देंगे।

पुलिस और स्थानीय प्रशासन द्वारा इन संगठनों को ऐसा करने से रोकना दूर, खुद राज्य के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने भी हिंदुत्ववादी संगठनों के सुर में सुर मिलाते हुए कह दिया है कि उनकी सरकार पूरे प्रदेश में कहीं भी खुले स्थान पर नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं देगी। सवाल है कि अगर खुले स्थान पर नमाज पढना गलत है तो फिर खुले स्थानों पर पूजा-पाठ, देवी जागरण, भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचनों के आयोजनों को कैसे सही ठहराया जा सकता है?

जहां गुरुग्राम में सामूहिक नमाज नहीं पढ़ने दी जा रही है, वहीं रोहतक में हिंदुत्ववादी संगठनों के लोगों ने धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए एक चर्च में घुस कर वहां तोड़फोड़ मचाई, जबकि स्थानीय पुलिस ने धर्मांतरण की बात को पूरी तरह गलत बताया।

इसी तरह मध्य प्रदेश में इन हिंदुत्ववादी संगठनों को इस बात पर आपत्ति है कि कोई अपनी विधि से विवाह संस्कार क्यों करा रहा है। मंदसौर जिले के भैंसोदा गांव में विवादित संत रामपाल के अनुयायियों द्वारा कराई जा रही एक दहेजमुक्त शादी में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोग पहुंच गए और जमकर हगांमा और मारपीट की, जिसमें एक व्यक्ति की मौत भी हो गई।

मध्य प्रदेश के ही विदिशा जिले के गंजबासौदा में पिछले सप्ताह धर्मांतरण का आरोप लगा कर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सेंट जोसेफ स्कूल पर उस दौरान हमला बोल दिया और वहां तोड़फोड़ व मारपीट की जब 12वीं के छात्र परीक्षा दे रहे थे। हमला करने वालों का आरोप था कि स्कूल में आठ छात्रों का गोपनीय तरीके धर्म परिवर्तन कराया गया। स्कूल प्रशासन ने धर्मांतरण के आरोप को पूरी तरह गलत बताया और कलेक्टर को हमले की घटना की शिकायत की है।

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में कुछ दिनों पहले चूड़ी बेचने वाले एक मुस्लिम लड़के की इन संगठनों के लोगों ने यह आरोप लगाते बुरी तरह पिटाई कर दी थी और उसकी चूड़ियां तथा पैसे छीन लिए थे कि वह लड़का चूड़ी बेचने के बहाने हिंदू लड़कियों को फुसलाता है। उस घटना के सिलसिले में स्थानीय पुलिस आरोपियों को बाद में पकड़ा लेकिन चूड़ी बेचने वाले लड़के को पहले पकड़ कर जेल भेज दिया, जिसको हाई कोर्ट ने तीन महीने बाद जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए। जबकि जिन लोगों ने उस लड़के के साथ मारपीट की थी, उन्हें एक सप्ताह में ही जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

आरएसएस से जुड़े इन्हीं संगठनों ने कर्नाटक के कोलार जिले में धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए ईसाइयों की धार्मिक पुस्तकों को आग लगा दी और पादरी पर हमला किया। इस जिले में पिछले एक साल के दौरान ईसाई समुदाय के लोगों पर हमले की यह 38वीं घटना थी।

हिंदुत्ववादी संगठनों के निशाने पर सिर्फ मुसलमान और ईसाई समुदाय के लोग ही नहीं हैं, बल्कि दलितों को भी निशाना बनाया जा रहा है। बिहार में औरंगाबाद जिले के सिंघना गांव में ग्राम प्रधान के चुनाव में भाजपा से जुड़े राजपूत जाति के उम्मीदवार ने गांव के कुछ दलितों की इसलिए पिटाई करवा कर उनसे कान पकड़ कर उठक-बैठक लगवाई तथा थूक चटवाया कि उन्होंने उस उम्मीदवार को वोट नहीं दिया था।

ये सारी घटनाएं उन प्रदेशों में हुई हैं और हो रही हैं, जहां भाजपा की सरकारें हैं। जब संघ प्रमुख मोहन भागवत कहते हैं कि मुसलमानों के बगैर हिंदुत्व अधूरा है और भारत में रहने वाले सभी समुदायों का डीएनए एक ही है तो सवाल है कि ईसाइयों, मुसलमानों और दलितों के खिलाफ नफरत फैलाने की यह प्रेरणा संघ से जुड़े कार्यकर्ताओं को कहां से मिल रही है? मुसलमानों और ईसाइयों को छोड़िए, दलितों और हिंदू संत रामपाल के अनुयायियों पर संघ के कार्यकर्ता आखिर क्यों टूट पड़े? जाहिर है कि उन्हें कोई दूसरा विचार या कोई दूसरी पूजा पद्धति या किसी दूसरे के रीति-रिवाज को स्वीकार नहीं है।

संघ के बारे में कहा जाता है कि वह अनुशासित संगठन है। उसके कार्यकर्ताओं की लंबी फौज है। उसके कई मोर्चा संगठन है जो अलग-अलग क्षेत्रों में समाज-कार्य में लगे हुए हैं। उसकी राजनीतिक शाखा भारतीय जनता पार्टी केंद्र सहित कई राज्यों में हुकूमत चला रही है। सवाल है कि आखिर ये सारे संगठन और उनसे जुड़े लोग अपने सर्वोच्च पदाधिकारी की बातों को क्यों गंभीरता से नहीं लेते और क्यों नहीं मानते?

संघ प्रमुख की बातों के विपरीत अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले की जो घटनाएं होती हैं उसकी औपचारिक निंदा भी कभी संघ की ओर से नहीं की जाती है। आखिर क्यों?

मतलब साफ है कि संघ प्रमुख सिर्फ़ अपने भाषणों और बयानों में उदारता, सहिष्णुता और लोगों को जोड़ने की जो बातें करते हैं, वह महज दिखावा है। अपने कहे को लागू करवाने की मंशा उनकी कतई नहीं है। अन्यथा कोई कैसे उनके कुनबे में उनके कहे के विपरीत जा सकता है। सबका डीएनए एक बताने वाले मोहन भागवत के बयान बावजूद उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लुंगी छाप और जालीदार टोपी वाले गुंडे जैसा बयान या अन्य मंत्री मथुरा की मस्जिद का हश्र बाबरी मस्जिद जैसा कर देने के बयान कैसे दे देते हैं?

इससे यह भी माना जा सकता है कि संघ प्रमुख का पद अब महज शोभा की वस्तु रह गया है और संघ के कार्यकर्ता वास्तविक प्रेरणा कहीं और से लेते हैं?

Mohan Bhagwat
RSS
Sangh Parivaar
Rashtriya Swayamsevak Sangh

Related Stories

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है

कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...

पीएम मोदी को नेहरू से इतनी दिक़्क़त क्यों है?

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License