NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
क्या स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के बिना कोरोना से लड़ाई जीत पाएंगे?
क्या हमारा देश कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने के लिए तैयार है? देश भर से जिस तरह की खबरें आ रही हैं उन्हें देखकर लगता है कि हमारी तैयारी नाकाफी है। सबसे बड़ी बात डॉक्टर्स, नर्स, सफाई कर्मचारी या फिर अन्य अस्पतालकर्मियों की सुरक्षा खतरे में नजर आ रही है। आपको बता दें कि इन्हीं पर इस महामारी से लड़ने की महती जिम्मेदारी है।
मुकुंद झा
24 Mar 2020
govt hospital
सांकेतिक तस्वीर

देश अभी कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी के दौर से गुजर रहा है। संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मंगलवार को यह आंकड़ा अबतक 500 को पार कर गया है। अभी तक दस लोगों की मौत भी हो चुकी है।

अभी इस महामारी के और भी विकराल रूप लेने की आशंका है। अगर अभी इसे नहीं रोका गया तो स्थिति बहुत भयावह होगी और हमारा स्वास्थ्य का ढांचा इसका भार नहीं उठा पाएगा। हालांकि केंद्र और तमाम राज्य सरकारें इसे लेकर कदम उठा रही हैं लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते अगर हम सजग हो जाते तो स्थिति यहां तक नहीं पहुंचती।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हम इस माहमारी से लड़ने के लिए तैयार हैं? देश के कई हिस्सों से जिस तरह की खबरें आ रही हैं वह डराने वाली हैं। जिन डॉक्टर्स, नर्स, सफाई कर्मचारी या फिर अस्पताल के अन्य लोग जो इस महामारी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभाएंगें, क्या वो सुरक्षित हैं? क्या उनको मूलभूत सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है?  

गौरतलब है कि सबसे अधिक संक्रमण का खतरा इन्हीं कर्मचारियों को है। ये सीधे मरीजों के संपर्क में आते हैं। इनमें सबसे खराब हालत में सफाई और सुरक्षा कर्मचारी हैं। कई राज्यों से खबर आई है कि वहां तो डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के पास भी सुरक्षा इंतजाम नहीं है। चिंता की बात यह है कि बिना सुरक्षा उपकरण के हम इस महामारी से लड़ नहीं सकते हैं, क्योंकि अगर ये स्वास्थ्य कर्मचारी ही बीमार पड़ गए तो फिर मरीजों की देखभाल कौन करेगा?

सोमवार रात बिहार के दरभंगा मेडिकल कालेज (डीएमसीएच) से ख़बर आई कि वहां के डॉक्टरों ने काम करने से मना कर दिया है। कारण की उनके पास जरूरी दास्ताने और मास्क नहीं है। हालांकि कुछ देर बाद ही यह भी जानकारी आई कि डॉक्टरों ने फिर से काम शुरू कर दिया है। बिहार के भागलपुर मेडिकल कॉलेज और पटना मेडिकल कॉलेज से भी इसी तरह की खबरें आईं कि वहां डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के पास पर्याप्त सुरक्षा इतंजाम नहीं हैं।  

बिहार के पत्रकार पुष्यमित्र ने फेसबुक पर एक डॉक्टर के हवाले से लिखा, 'एक बड़े डॉक्टर ने यह जानकारी दी है कि कोरोना संकट से जूझ रहे बिहार के स्वास्थ्य कर्मी (सिर्फ डॉक्टर नहीं, पारा मेडिकल और अन्य स्टाफ भी) दोहरी परेशानी से जूझ रहे हैं। एक तो उनके पास अपनी सुरक्षा के लिये समुचित इंतजाम नहीं है, दूसरी बात यह कि उनके अपने घर, परिवार और आस पड़ोस के लोग उन पर दबाव डाल रहे हैं कि वे घर लौटकर नहीं आएं। इस संकट के बीतने तक बाहर ही रहें। नहीं तो उनके संक्रमण का भी खतरा है। इसी वजह से हर जगह स्वास्थ्य कर्मी रोष में हैं। इस गुस्से को कम करने के लिये ही सरकार ने उनके लिये एक माह के मूल वेतन का पारितोषिक देने की घोषणा की है। "

आप सोचिए ऐसे में कोई डॉक्टर या नर्स काम कर सकता हैं, उनकी मनोस्थति क्या होगी?

एम्स के रेज़िडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) का 16 मार्च का एक पत्र सामने आया है जो उन्होंने अपने डायरेक्टर को लिखा है। जब आरडीए ने एम्स के अलग अलग वार्ड में चेक किया कि आपात स्थिति में कितने पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर हैं तो पता चला कि ज़्यादातर वार्ड में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी सामान पूरे नहीं हैं। आरडीए ने एम्स प्रशासन से अनुरोध कियाहै कि डॉक्टरों और नर्स के लिए पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर(PPE)की पर्याप्त व्यवस्था की जाए।

इसी तरह से मध्यप्रदेश में भी चार कोरोना पोज़िटिव मरीज़ भर्ती हैं। इस अस्पताल में N-95 मास्क सभी डॉक्टर के लिए नहीं हैं। उसी के लिए है जो मरीज़ के करीब जा रहा है।

देश की राजधानी दिल्ली की ही बात करे तो यहां भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं हैं। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है लेकिन यहाँ भी नर्स और सफाई कर्मचारियों को कोई खास सुविधा नहीं मुहैया कराई जा रही है।

राम मनोहर लोहिया की एक महिला सुरक्षाकर्मी जो अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहती है। उसने बताया, 'हमें कोई मास्क भी देने को तैयार नहीं हैं, जबकि मैं संक्रमित मरीजों के लिए बने वार्ड के पास काम करती हूँ। बार बार मुझे गेट खोलना और बंद करना होता है इसके अलावा हम कई बार सीधे मरीजों के संपर्क में भी आ जाते हैं। लेकिन हमारे कई बार गुजारिश करने के बाद भी न हमें मास्क दिया जाता है न सैनिटाइजर जब हम इसकी मांग करते हैं तो नर्सिंग स्टाफ कहता है हमारे पास पहले से ही कम है,हम आपको कैसे दें।'

वो आगे कहती हैं, 'बहुत लड़ाई झगड़े के बाद अब हमें मास्क दिया गया है। लेकिन अभी भी अस्पताल में बहुत से ऐसे कर्मचारी हैं जो बिना सुरक्षा के काम कर रहे हैं।'

ऐसे ही एक सफाई कर्मचारी सेवक राम ने बताया,' वे आज भी बिना किसी गलब्स या मॉस्क के काम में जुटे हुए हैं। वे सीधे मरीज के संपर्क में जाते हैं क्योंकि सफाई करनी है लेकिन उन लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जहां बाकी स्टाफ को कैमिकल, डिटॉल, मॉस्क और गलब्स दिया जा रहा है उन्हें इस तरह की सुरक्षा नहीं दी जा रही है।'

लगभग हर अस्पताल में यही हाल है और इस तरह के कर्मचारी ठेके पर काम करते हैं। इन्हें मुश्किल से ही न्यूनतम वेतन मिल पाता है बाकि सुरक्षा तो छोड़ दीजिए। ये कर्मचारी कहते हैं 'अगर हमे कुछ हो गया तो हमारे परिवार का क्या होगा'।

इसी तरह उत्तर प्रदेश के लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भी मास्क की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यहां नर्सों और अन्य कर्मचारियों को प्लेन और हाथ से बने मास्क दिए गए। बाकी सफाई और सुरक्षा कर्मचारी की तो बात ही छोड़ दीजिए।

इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी एक ब्लॉग लिखा है। उन्होंने इसमें अधिक जोर डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पर ही दिया हैं। जबकि इससे निचले स्तर के स्वास्थ्य कर्मचारियों के हालत और भी ख़राब हैं। इन सबके बाद भी इस ब्लॉग में रवीश ने कई वाजिब सवाल किये हैं, जिनका जवाब सरकारों को देना चाहिए।

उन्होंने अपने लेख में कहा "दिसंबर,जनवरी और फरवरी गुज़र गया, इस मामले में क्या तैयारी थी? क्या हमारे डॉक्टरों की सुरक्षा उन्हें थैंक्यू बोलने से हो जाएगा, क्या उनके लिए सुरक्षा के उपकरण पर्याप्त मात्रा में पहले से तैयार नहीं होने चाहिए? तो फिर हम तैयारी के नाम पर क्या कर रहे थे? क्या हमने ढाई महीने यूं ही गंवा दिए"?

अंत में उन्होंने सवाल किया कि "आख़िर ढाई महीने से भारत क्या तैयारी कर रहा था कि डॉक्टर और नर्स के पास सुरक्षा के उपकरण तक नहीं हैं"?

Coronavirus
COVID-19
health care facilities
Indian govt hospital
Public Health Care
Coronavirus Epidemic
modi sarkar
Ministry of Health and Family Welfare

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License