NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या अब “इलाहाबाद विश्वविद्यालय” नहीं रहेगा?
योगी सरकार ने इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज पहले ही कर दिया है, इसलिए अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम भी बदलकर ‘प्रयागराज विश्वविद्यालय’ किए जाने की तैयारी हो रही है।
सोनिया यादव
21 Mar 2020
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
Image courtesy: Prediction Junction

‘हमारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कई शहरों के नाम बदले हैं। हमें जो अच्छा लगा है हमने वह किया है और जहां पर आवश्यकता पड़ेगी सरकार वहां पर उस प्रकार का क़दम उठाएगी।’

ये कथन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में शहरों के नाम बदले जाने पर मुख्यमंत्री ने ये बात कही थी। सबसे पहले मुग़लसराय स्टेशन का नाम बदलकर प. दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन कर दिया गया, इसके बाद इलाहाबाद प्रयागराज हो गया और फिर फ़ैज़ाबाद ज़िले को अयोध्या का नाम मिल गया।

अब नाम बदलने में माहिर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार एक बार फिर चर्चा में है। वजह इलाहाबाद शहर और शहर में बसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी यानी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी है। क्योंकि योगी सरकार ने इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया है, इसलिए अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) का नाम भी बदलकर ‘प्रयागराज विश्वविद्यालय’ किए जाने की तैयारी हो रही है। यूनिवर्सिटी के नाम बदलने के इस प्रस्ताव को कार्यकारिणी परिषद के एजेंडे में शामिल कर लिया गया है और अगली बैठक में इस पर अंतिम मुहर लगाए जाने की उम्मीद है। एक ओर प्रशासन तैयार है तो वहीं छात्र संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, “ये बहुत दुखद है। हम इसका विरोध करते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय का 132 साल पुराना गौरवशाली इतिहास रहा है। यह नाम मात्र संज्ञा नहीं है, बल्कि विशेषणों का समूह है। हमें इस पर गर्व है और यही हमारी पहचान है।”

letter_4.jpg

विरोध में सांसद को लिखा पत्र

छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने सांसद विनोद सोनकर को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय का नाम बदले जाने के प्रस्ताव पर अपना विरोध दर्ज करवाया है। ऋचा ने पत्र के माध्यम से कहा है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम इसके गौरवशाली इतिहास की पहचान है।  

ऋचा का कहना है कि इसका नाम बदलने से लाखों पूर्व छात्रों की डिग्री पर संकट आ सकता है और एक बड़ी पहचान भी संकट में पड़ जाएगी। ऋचा ने मांग की है कि विश्वविद्यालय का नाम बदलने का विचार तत्काल त्याग दिया जाए। उन्होंने कहा है कि यह किसी के पुत्र या पुत्री का नाम नहीं है, जो जब चाहे बदल दिया जाए।

क्या है पूरा मामला?

इस मामले की शुरुआत इलाहाबाद शहर के नाम बदलने के बाद हुई। कौशांबी के सांसद विनोद सोनकर, जो ख़ुद इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं, उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष इसका नाम ‘प्रयागराज विश्वविद्यालय’ किए जाने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद प्रशासन ने इस दिशा में प्रयास तेज़ कर दिए।

विश्वविद्यालय का नाम बदलकर प्रयागराज विश्वविद्यालय करने का पहला प्रयास उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने किया था। उन्होंने चार दिसंबर 2018 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) के सचिव को पत्र लिखकर नाम बदलने की मांग की। 11 दिसंबर 2018 को मंत्रालय को रिमाइंडर भेजा। इसके बाद तत्कालीन कमिश्नर आशीष गोयल ने 27 नवंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर नाम बदलने की मांग की। इसी बीच एचआरडी के डिप्टी सेक्रेटरी राजू सारस्वत ने 10 फरवरी 2020 को पत्र लिखकर इविवि प्रशासन से सुझाव मांगा।

जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन तमाम पत्रों को संज्ञान में लेते हुए नाम बदले जाने से संबंधित प्रस्ताव को कार्य परिषद के एजेंडे में शामिल कर लिया। इस मुद्दे पर 16 मार्च को निर्णय लिया जाना था लेकिन कोरोना वायरस के मद्देनज़र 16 को प्रस्तावित कार्यकारिणी परिषद की बैठक स्थगित कर दी गई। प्रस्ताव एजेंडे में शामिल हो चुका है। ऐसे में कार्यकारिणी परिषद की अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर निर्णय ले लिया जाएगा।

शुरू हुआ विरोध

उधर छात्रों को जैसे ही इस बात की भनक लगी, उन्होंने विश्वविद्यालय के नाम बदले जाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया। बृहस्पतिवार, 19 मार्च को इसके विरोध में छात्रों ने छात्रसंघ भवन पर प्रदर्शन किया और कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी का पुतला फूंका।

छात्रों ने विरोध कर इस प्रस्ताव की निंदा की। उनका कहना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय का सवा सौ साल से पुराना इतिहास है और यह अपने नाम में ही तमाम स्वर्णिम इतिहास समेटे हुए है। विश्वविद्यालय का नाम ही उसकी धरोहर है और इससे छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई कर रहे छात्र अक्षत कहते हैं, “हमारा नाम हमारी पहचान होता है, इसी तरह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम ही इसकी पहचान है। इसे कोई कैसे बदल सकता है? ये विश्वविद्यालय किसी की निज़ी संपत्ति नहीं है, जो जब मर्ज़ी आए नाम बदल ले। अगर किसी को नाम बदलने का इतना ही शौक है तो वो अपना नाम बदले ले, हम अपने विश्वविद्यालय का नाम कभी नहीं बदलने देंगे।”

विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा ममता कहती हैं, “हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते की यूनिवर्सिटी का नाम बदला जाएगा। सालों से डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम से मिलती रही है, ऐसे में कोई नया नाम इसकी पहचान के साथ खिलवाड़ है। पहले शहर का नाम बदल दिया अब विश्वविद्यालय का नाम बदल रहे हैं, मतलब देश और डिग्री क्या अब नेताओं के कंट्रोल में है? याद रखिए आप नाम तो बदल देंगे, इतिहास नहीं बदल पाएंगे।”

ग़ौरतलब है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना ब्रिटिश हुकूमत में 23 सितंबर 1887 को हुई थी। वर्ष 2005 में इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। ‘पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड’ के नाम से दुनिया में पहचान बनाने वाले इस विश्वविद्यालय की अपनी एक अलग पहचान है। ऐसे में नाम में बदलाव का फ़ैसला निश्चित ही आसान नहीं होने वाला है। छात्रों के विरोध के दौरान कार्य परिषद इस प्रस्ताव पर क्या फ़ैसला लेती है, उसी से आगे का भविष्य तय होगा।

Allahabad University
ALLAHABAD
Prayagraj
yogi sarkar
Yogi Adityanath
Name Change Politics
central university
BJP

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License