NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या राज्य दमन का दिल्ली-यूपी मॉडल बिहार में भी लागू होगा !
लॉकडाउन और उसके बाद की स्थितियों में इसके स्पष्ट संकेत देखे जा रहे हैं कि अब बिहार में भी राज्य दमन का यूपी मॉडल लागू होना है। यहाँ भी केंद्र अथवा प्रदेश की सरकार के खिलाफ बोलने पर फ़ौरन मुकदमा हो जा रहा है।
अनिल अंशुमन
15 Jun 2020
क्या राज्य दमन का दिल्ली-यूपी मॉडल बिहार में भी लागू होगा !

हाल के समय में सत्ता सियासत द्वारा राज्य दमन करने के मामले में दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश ही दूसरा कुख्यात प्रदेश होने की चर्चा आम है। जहां प्रदेश के ही पूर्व नौकरशाह द्वारा कोविड महामारी से निपटने में योगी सरकार की भूमिका पर सवाल करने मात्र से उनपर संगीन धाराएं लगा दी जातीं हैं। केंद्र की मोदी अथवा राज्य की योगी सरकार के क्रिया कलापों पर बोलने अथवा आपत्ति उठाने वाले को पुलिसिया डंडे का स्वाद चखते हुए फर्जी मुकदमों में तत्काल जेल में डाल दिया जाना आम बात हो गयी है।

लॉकडाउन और उसके बाद की स्थितियों में इसके स्पष्ट संकेत देखे जा रहे हैं कि अब बिहार में भी राज्य दमन का यूपी मॉडल लागू होना है। यहाँ भी केंद्र अथवा प्रदेश की सरकार के खिलाफ बोलने पर फ़ौरन मुकदमा हो जा रहा है।

गत 3 जून को ‘ सब याद रखा जाएगा ’ के तहत दिल्ली में सीएए विरोधी अभियानों में शामिल सगूरा व पिंजरा तोड़ अभियान की सदस्यों समेत अनेकों एक्टिविस्टों को सांप्रदायिक हिंसा व दंगा फैलाने-हत्या करने जैसे आरोप मढ़कर UAPA जैसी संगीन धारायें थोप कर की जा रही अंधाधुंध गिरफ्तारियों के खिलाफ आहूत राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद अभियान संगठित किया गया था।

bihar - protest (1).jpg

राजधानी पटना सहित प्रदेश के कई स्थानों पर वामपंथी दलों व उनके जन संगठनों के सदस्यों तथा कई अन्य सामाजिक संगठनों के सदस्यों द्वारा पोस्टर लेकर सड़कों पर शांतिपूर्ण प्रतिवाद किया गया। लॉकडाउन बंदी व अनलॉक के तथाकथित प्रतिबन्ध नियमों का हवाला देकर सभी प्रदर्शनकारियों एक्टिविस्ट समेत सैकड़ों अज्ञात लोगों पर संगीन आपराधिक मुक़दमे थोप दिए गए ।

इसके पहले भी 22 मई को पटना में ही प्रवासी मजदूरों के प्रति मोदी–नीतीश शासन व प्रशासन के संवेदनहीन रवैये व श्रम अधिकारों में संशोधन जैसे जन विरोधी व दमन की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शित करनेवाले भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम व मज़दूर संगठन एक्टू – सीटू - एटक के नेताओं समेत सैकड़ों आन्दोलनकारियों पर संगीन मुक़दमे थोप दिए गए थे। जबकि यह प्रतिवाद कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण ढंग से सोशल डिस्टेनशिंग इत्यादि का पालन करते हुए किया गया था। 

इसी 11 जून को प्रदेश के भाकपा माले विधायक सुदामा प्रसाद , सीपीएम – सीपीआई के राज्य नेताओं के साथ कई सामाजिक व नागरिक जन संगठनोंके प्रतिनिधि मंडल ने राज्य के गृह सचिव व पुलिस माहानिदेशक से मिलकर ज्ञापन दिया गया। साथ ही उनसे हस्तक्षेप करके उचित संज्ञान लेने की मांग की गयी । 

जिसमें सरकार पर खुलकर आरोप लगाया गया था कि इस आपदा – महामारी के दौरान भी प्रशासन का रवैया जनता व महामारी पीड़ितों के साथ असहयोगात्मक और दमनकारी रहा है । देश के विभिन्न स्थानों पर भूखे प्यासे व थके हारे लौट रहे प्रवासी पर बिहारी मजदूरों को राशन – अन्य सुविधाएं दिलाने जैसी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने को विवश होना पड़ा।

क्वारंटाइन सेंटरों कि बदहाली और वहाँ की जानलेवा स्थितियों से लगातार सरकार व प्रशासन को अवगत करने हेतु भी आवाज़ उठानी पड़ी। प्रतिनिधि मंडल के अनुसार हमारी ये निरंतर कोशिशें रहीं कि सरकार – प्रशासन और प्रदेश के सभी विपक्षी दलों के साथ साथ सामाजिक जन संगठनों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित हो सके। ताकि लॉकडाउन और कोरोना पीड़ितों के सहायतार्थ उन्हें ज़रूरी राहत सामग्री व समय से महामारी जाँच व इलाज जैसे बेहद ज़रूरी कार्य किये जा सकें। लेकिन सच्चाई है कि पूरे लॉकडाउन के दौरान तथाकथित नियमों का हवाला देकर प्रशासन ने जनता के बीच जान जोखिम में डाल कर काम करने वाले सामाजिक व वामपंथी कार्यकर्ताओं पर ही फ़र्ज़ी थोप दिए गए। जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस लिए हमारी मांग है कि सारे थोपे गए मुकदमें अविलम्ब वापस लिए जाएँ। 

लॉकडाउन की तबाही और अब अनलॉक घोषणा के बाद हो रही सर्वत्र अफरातफरी तथा नित दिन महामारी संक्रमण की बढ़ती तादाद के बीच भी शासन प्रशासन का आम रवैया – न करूंगा और ना ही करने दूंगा की नीति पर अमल करनेवाला दिख रहा है । 

प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों को राज्य के गृह सचिव व पलिस महानिदेशक ने जहां एक ओर मामले को देखने का भरोसा जताया वहीं दो टूक लहजे में यह भी कह दिया कि – मजिस्ट्रेट ने कुछ सोचसमझ कर ही केस किया होगा।

हालाँकि सभी आन्दोलनकारी अदालत से बेल लेने की प्रक्रिया में जा रहें हैं लेकिन इसे आनेवाले दिनों में सत्ता सियासत द्वारा ढाए जानेवाले राज्य दमन की ही कड़ी के रूप में ले रहें हैं।                                               

राज्य सरकार द्वारा थोपे गए फर्जी मुकदमों का सामना करने वाली ऐपवा की राज्य सचिव शशि यादव ने तीखी प्रतिक्रिया की है कि वास्तव में यह सब गृहमंत्री अमित शाह के ही निर्देशानुसार बिहार में भी दिल्ली – यूपी कि तर्ज़ पर फासीवादी दमन का प्रयोग हो रहा है। क्योंकि प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं और सत्ताधारी एनडीए गठबंधन सरकार व उसके नेताओं के पास बिहार की मतदाता जनता से वोट माँगने का कोई नैतिक बल ही नहीं रह गया है। कोरोना महामारी के संक्रमण के बढ़ते भयावह विस्तार को रोकने तथा लोगों को पर्याप्त जांच व इलाज़ मुहैया कराने में पूरी तरह से विफल साबित हुई केंद्र व राज्य सरकारों के खिलाफ जनता में काफी विक्षोभ है। खासकर लॉकडाउन बंदी के शिकार प्रवासी बिहारी मजदूरों के प्रति केंद्र और प्रदेश की सरकार के संवेदनहीन रवैये के खिलाफ आक्रोश काफी तीखा है। इन स्थितियों से बौखलाकर ही अमित शाह जी के निर्देशनुसार प्रदेश के वामपंथी दलों के नेताओं – कार्यकर्त्ताओं व सामजिक जन संगठनों के प्रतिनिधियों को राज्य दमन का निशाना बनाने की कवायद हो रही है।

खुद को तत्कालीन सरकार के राज्य दमन के खिलाफ बिहार के छात्र आन्दोलनों से पैदा होनेवाले नेता का परिचय स्थापित करने वाले बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री दोनों ही अपनी सरकार का विरोध करनेवाले आन्दोलनकारियों तथा विपक्षी नेताओं – कार्यकर्त्ताओं पर किये गए फर्जी मुक़दमा मामले पर पूरी तरह से खामोश हैं। लेकिन चुनाव की आसन्न बेला में मतदाताओं में उनकी सरकार द्वारा विरोध की आवाज़ उठानेवालों पर जारी दमन पर उठते सवालों का जवाब तो देना ही पड़ेगा।

Bihar
Delhi-UP model
Coronavirus
Lockdown
State Government
Central Government
UAPA
Nitish Kumar
Narendra modi
AIPWA

Related Stories

बिहार: पांच लोगों की हत्या या आत्महत्या? क़र्ज़ में डूबा था परिवार

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

बिहारः नदी के कटाव के डर से मानसून से पहले ही घर तोड़कर भागने लगे गांव के लोग


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License