NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
CAA-NRC के खिलाफ लखनऊ के उजरियांव गांव की महिलाओं ने भी एकजुट होकर सरकार को दी चुनौती
लखनऊ के उजरियांव गांव की महिलायें CAA-NRC के विरोध में खुले आसमान के नीचे बीस जनवरी से डटी हुई हैं। हाथों में बाबा साहेब आंबेडकर, सुभाषचंद्र बोस, गौतम बुद्ध, ए पी जे अब्दुल कलाम के पोस्टर उनके हौसलों को बुलंद बनाए हुए हैं। पुलिस द्वारा महिलाओं को धरना प्रदर्शन की साफ़- सफाई से रोका जा रहा है ताकि गंदगी जमा हो और वे खुद ही धरना-स्थल छोड़कर चली जाएं।  
सरोजिनी बिष्ट
25 Jan 2020
CAA protest

एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुमने देखा नहीं आंखों का समुंदर होना


NRC और CAA के विरुद्ध धरने पर बैठी उजरियांव गांव की महिलाओं के बीच जब रुबीना ने मुनव्वर राणा साहब का यह शेर दोहराया तो सचमुच समुंदर उमड़ पड़ा। भले ही यह समंदर आंसुओं का न हो पर जज्बातों का जरूर था। लखनऊ घंटाघर के आंदोलन ने अभी प्रशासन की नींद उड़ाई ही थी कि लखनऊ के ही उजरियांव गांव की महिलाओं ने भी सरकार को चुनौती दे डाली।

शाहीनबाग की तर्ज पर यहां भी महिलाएं खुले आसमान के नीचे बीस जनवरी से डटी हुई हैं। हाथों में गाँधी , बाबा साहेब आंबेडकर, सुभाषचंद्र बोस, गौतम बुद्ध, ए पी जे अब्दुल कलाम के पोस्टर शायद उनके हौसलों को बुलंद बनाए हुए हैं। साथ में लहराता हुआ तिरंगा उनकी हिम्मत बढ़ा रहा है।  यहां भी महिलाएं रोज संविधान की प्रस्तावना का पाठ करती हैं।और जैसा हमेशा होता आया है, पुलिस द्वारा धरना रोकने की कोशिश, वही इनके साथ भी हुआ।

कोशिश तो योगी की पुलिस ने बहुत की पर इन महिलाओं के हौसलों के आगे उसे भी पीछे हटना पड़ा।हद तो तब हो गई जब महिलाओं को उनके धरना स्थल तक की साफ-सफाई से रोका गया। सुनकर कुछ अजीब सा लगा कि आख़िर साफ सफाई से कैसी दिक्कत? इस पर रुखसाना ने बताया कि इसके पीछे पुलिस की यही मंशा है कि गंदगी के अंबार के बीच आख़िर हम प्रदर्शनकारी कैसे बैठ पाएंगे और खुद ही इस जगह को छोड़ देंगे।
IMG-20200125-WA0004.jpg
धरने में मौजूद ज़ेबा ने कहा कि रोकने के बावजूद हम हर रोज सफाई कर रहे हैं और अब एक इंच भी पीछे हटने वाले नहीं तो वहीं रात- दिन धरने में डटी रहने वाली नुज़हत ने बताया कि धरना शुरू करते ही कैसे पुलिसिया दमन भी शुरू हो गया ? कभी दरी उठाकर ले गई कभी जलते अलाव को बुझा दिया तो कभी एफ आई आर का खौफ दिखाने लगी।

उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ का नारा देने वाली यह सरकार आज आंदोलनरत बेटियों की ही आवाज़ कुचलने का प्रयास कर रही है। नुजहत   ने कहा कि कभी प्रधानमंत्री जी हमारी इतनी चिंता करते हैं कि तीन तलाक़ मुद्दे के बल पर मुस्लिम महिलाओं के लिए फिक्रमंद दिखते नजर आते हैं और आज हमारी आवाज़ तक सुनने के लिए तैयार नहीं।

हाड़ मांस गला देने वाली इस ठंड में कुछ सत्तर से अस्सी साल की महिलाएं भी दिखीं। उजरियांव की इन्हीं महिलाओं के बीच अस्सी साल की राबिया खातून पहले दिन से ही धरने पर जमी हुई हैं और किसी भी सूरत में वहां से हटने को तैयार नहीं। राबिया खातून ने कहा कि इसी मुल्क में जिए मरे मैं अपने सात पुश्तों का नाम बता सकती हूं कि मैं यहीं पैदा हुई और यहीं मेरी कब्र भी होगी, राबिया ने यह भी कहा कि मोदी और शाह उनके बेटे जैसे हैं तो भला बेटे अपनी मां को कैसे बेसहरा कर सकते हैं। जब उनसे पूछा गया कि आप कब तक धरने पर बैठी रहेंगी उनका एक ही जवाब था जब तक उनके बच्चे (मोदी और अमित शाह) उनकी आवाज़ नहीं सुनेंगे तब तक बैठी रहेंगी।
IMG-20200125-WA0003.jpg
क्या सचमुच यह पूरा आंदोलन केवल और केवल मुस्लिम समाज तक ही सीमित है,जैसा कि प्रचारित किया जा रहा है तो इसके जवाब में महजबीं ने कहा कि  जो मीडिया सरकार की ही भाषा बोलती है वो तो ऐसा ही प्रचार करेगी लेकिन ऐसा नहीं है इस आंदोलन में हर जाति धर्म के लोग जुड़े हैं क्यूंकि यह सबका मसला है।

चौबीस जनवरी को लखनऊ के घंटाघर में हर धर्म की महिलाएं माथे पर काली पट्टी बांधकर और हाथों में NO CAA, NO NRC, SAVE CONSTITUTION, SAVE HUMANITY के पोस्टर्स के साथ पहुंची। तो वहीं उजरियांव में भी हर धर्म के लोगों का आना हो रहा है।

पत्रकार और एक्टिविस्ट नाइश हसन की माने तो इस आंदोलन की एक सबसे बड़ी खूबसूरती यह उभर कर सामने आ रही है कि हुक़ूमत जितना लड़वाने की कोशिश कर रही है उतना ही हर जाति हर मज़हब के  लोग इस आंदोलन के साझीदार बनकर एकजुटता की मिशाल पेश कर रहे हैं। अभी अभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान आया जिसमें उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि मर्द रजाई में दुबके पड़े हैं और औरतें चौराहों पर हैं। सचमुच ऐसी अभद्र भाषा क्या किसी मुख्यमंत्री को शोभा देती है। पर इसका जवाब भी उजरियांव की जुझारू महिलाओं ने यह कहते हुए दिया कि आज हम औरतों को तो मोदी जी ने ही ताकत दी है।  जब वह बार- बार यह कहते हैं कि 'बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ', हर जगह वे महिला सशक्तिकरण की बात कहते हैं और अब तो काफी समय से वे मुस्लिम महिलाओं को और सशक्त करने की बात कहते हैं तो अब जब हम सशक्त होकर घर से बाहर अपनी आवाज पहुंचाने के लिए निकली हैं तो वही लोग तंज भी कस रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब पुरुष रजाई में दुबके हैं तब भी पूरे यूपी में सबसे ज्यादा उन्हीं पर केस दर्ज हुआ है अगर वे धरनों में शामिल हो जाएं तो शायद ही कोई घर बचे जहां के पुरुष को पुलिस जेल में न ठूस दे।

उजरियांव की महिलाओं ने बताया कि हमारे घर के पुरुष धरना स्थल पर इसलिए सामने नहीं आ रहे क्यूंकि पुलिस उन्हें गिरफ़्तार करके झूठी धाराओं में फसा देगी। हालांकि शांतिपूर्वक धरना देने के बावजूद पांच महिलाओं पर पुलिस एफ आई आर कर चुकी है, बावजूद इसके उनके हौसले बुलंद हैं और उजरियांव की हर महिला की जबां यही कह रही है।

"ज़ुल्मी जब जब ज़ुल्म करेगा सत्ता के गलियारों से
ज़र्रा ज़र्रा कांप उठेगा इंकलाब के नारों से"

CAA
NRC
Protest against CAA
Protest against NRC
NPR
UttarPradesh
Lucknow
Women protest
Women Leadership
modi sarkar
yogi sarkar
BJP

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

दिल्ली: सांप्रदायिक और बुलडोजर राजनीति के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • मनोलो डी लॉस सैंटॉस
    क्यूबाई गुटनिरपेक्षता: शांति और समाजवाद की विदेश नीति
    03 Jun 2022
    क्यूबा में ‘गुट-निरपेक्षता’ का अर्थ कभी भी तटस्थता का नहीं रहा है और हमेशा से इसका आशय मानवता को विभाजित करने की कुचेष्टाओं के विरोध में खड़े होने को माना गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
    03 Jun 2022
    जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है।
  • सोनिया यादव
    भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल
    03 Jun 2022
    दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट भारत के संदर्भ में चिंताजनक है। इसमें देश में हाल के दिनों में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हुई…
  • बी. सिवरामन
    भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति
    03 Jun 2022
    गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक ने अटकलों को जन्म दिया है कि चावल के निर्यात पर भी अंकुश लगाया जा सकता है।
  • अनीस ज़रगर
    कश्मीर: एक और लक्षित हत्या से बढ़ा पलायन, बदतर हुई स्थिति
    03 Jun 2022
    मई के बाद से कश्मीरी पंडितों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के लिए  प्रधानमंत्री विशेष पैकेज के तहत घाटी में काम करने वाले कम से कम 165 कर्मचारी अपने परिवारों के साथ जा चुके हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License