NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
'सांप्रदायिक हमलों को बेनक़ाब करने की ज़िम्मेदारी मज़दूर आंदोलनों को लेनी होगी'
मोदी शासन द्वारा निजीकरण व मजदूर विरोधी नीतियों तथा मजदूरों के अधिकार–सम्मान पर हमला बोले जाने के खिलाफ प्रतिनिधि मजदूर यूनियन एक्टू ने पश्विम बंगाल के 24 नार्थ परगना में 2 से 4 मार्च तक सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें देश के सभी संगठित–असंगठित उद्योग क्षेत्रों के अलावा विभिन्न राज्यों से आए 600 से भी अधिक मजदूर प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
अनिल अंशुमन
07 Mar 2020
AICCTU

'ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ देश के मजदूर वर्ग ने आगे बढ़कर संघर्ष किया और अनगिनत कुर्बानियां देकर आजादी के साथ–साथ अपने अधिकार हासिल किए थे। वर्तमान का तानाशाही राज उसे खत्म कर फिर से गुलामी थोप रहा है। एनआरसी–सीएए–एनपीआर लाकर पूरे देश को सुनियोजित सांप्रदायिक हमलों में झोंककर मेहनतकशों की एकता तोड़ रहा है। इसके खिलाफ फिर से क्रांतिकारी मजदूर आंदोलन चलाने की जिम्मेवारी हमें लेनी होगी। इसका रास्ता जेएनयू – जामिया के छात्रों से लेकर शाहीन बाग की महिलाओं के जारी जुझारू संघर्षों ने दिखलाया है।' ये बात AICCTU यानी एक्टू के 10वें राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष वी शंकर ने देश में एक नए मजदूर आंदोलन खड़ा करने के विशेष संदर्भों में किया।

मोदी शासन द्वारा निजीकरण व मजदूर विरोधी नीतियों तथा मजदूरों के अधिकार–सम्मान पर हमला बोले जाने के खिलाफ प्रतिनिधि मजदूर यूनियन एक्टू ने 2 से 4 मार्च तक अपना यह सम्मेलन आहूत किया था। इसमें देश के सभी संगठित–असंगठित उद्योग क्षेत्रों के अलावा विभिन्न राज्यों से आए 600 से भी अधिक मजदूर प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन सीटू, एटक, एचएमएस, यूटीसी व इंटक के साथ ही वर्ल्ड फेडेरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन और नेपाल व बांग्लादेश से आए ट्रेड यूनियनों के अतिथि प्रतिनिधि विशेष तौर से शामिल हुए।

भारत में मजदूर आंदोलन के 100 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक संदर्भों से जुड़े पश्चिम बंगाल के क्रांतिकारी मजदूर आंदोलनों की धरती कहे जानेवाले नार्थ 24 परगना जिला स्थित नैहाटी में यह सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन स्थल का नामकरण पश्चिम बंगाल की प्रथम जूट मिल महिला श्रमिक नेता व सुभाषचंद्र बोस के खिलाफत आंदोलन की सक्रिय स्वतन्त्रता सेनानी शहीद संतोष कुमारी देवी नगर किया गया था। सभागार एक्टू के संस्थापक संगठक सदस्य रहे कॉमरेड डी पी बक्शी (पश्चिम बंगाल) व स्वपन मुखर्जी (दिल्ली) तथा मंच वरिष्ठ मजदूर आंदोलनकारी कॉमरेड सुदर्शन बोस (पश्चिम बंगाल) व हरी सिंह (उत्तर प्रदेश) को समर्पित था।

aicctu 1.jpg

सम्मेलन में एक्टू से अपनी सक्रिय वामपंथी राजनीति शुरू करने वाले भाकपा माले के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने मोदी शासन द्वारा नागरिकता अधिकार पर हमला किए जाने के खिलाफ पूरे देश में जारी विरोध के राष्ट्रीय उभार की अगुवाई मजदूर वर्ग से करने की अपील की। साथ ही इस देश में चल रहे आंदोलन को बड़े शहरों से गाँव-गाँव तक विस्तारित कर, गुलामी की पैरोकार फासीवादी सत्ता से आजादी की विरासत व मूल्यों की हिफाजत के साथ-साथ मजदूर आंदोलन की ताकत को बांटने की साज़िशों का एकजुट मुकाबले को आवश्यक बताया।

इस दौरान डब्लूएफटीयू के प्रतिनिधि कॉमरेड महादेवन ने मोदी शासन को विश्व कॉर्पोरेट ताकतों का कारिंदा बताते हुए शक्तिशाली मजदूर आंदोलन खड़ा करने पर जोर दिया। नेपाल और बांग्लादेश से आए कई ट्रेड यूनियनों के आमंत्रित प्रतिनिधियों ने भारत के मजदूर आंदोलनों से एकजुटता व्यक्त करते हुए वैश्विक पूंजीवाद के खिलाफ दक्षिण एशियाई मजदूर आंदोलन की सुरक्षात्मक की बजाय आक्रामक लड़ाई खड़ा करने पर ज़ोर दिया।

राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय नेताओं ने देश में चल रहे संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन के जारी अभियानों को रेखांकित करते हुए मजदूर वर्ग पर मोदी शासन के हमलों के खिलाफ आगे के अभियानों में व्यापक मजदूरों को शामिल करने का संकल्प दुहराया। विशेषकर मजदूरों के अधिकार व ट्रेड यूनियन आंदोलन को सीमित किए जाने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले सभी सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपे जाने के खिलाफ देश की व्यापक जनता को जागरूक व सक्रिय बनाने को आवश्यक कार्यभार बताया। साथ ही सीएए–एनआरसी–एनपीआर के खिलाफ चल रहे देशव्यापी प्रतिवाद अभियानों में भी मजदूर वर्ग की प्रभावपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित की बात कही।
 
सम्मेलन में प्रस्तुत मसविदा दस्तावेज़ में ‘मौजूदा स्थिति और मजदूर वर्ग के कार्यभार’ के माध्यम से मोदी शासन द्वारा श्रम क़ानूनों के कोडीकरण- श्रमिकों व ट्रेड यूनियन अधिकारों पर हमले , विभाजनकारी सीएए–एनआरसी–एनपीआर पैकेज को रद्द करने, सभी सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण–निगमिकरण तथा बैंकों के विलय व सुरक्षा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई किए जाने, स्वास्थ्य–शिक्षा-पीएफ–पेंशन फंड कटौती तथा खनिज–प्राकृतिक संसाधनों की कॉरपोरेटी लूट और सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्योगों की बंदी–छंटनी व सभी सामाजिक क्षेत्रों में एनजीओकरण– आउटसोर्सिंग व संविदाकरण इत्यादि सवालों पर आंदोलन खड़ा करने की कार्य योजना प्रस्तुत की गयी।

साथ ही देश के युवाओं की नौकरी की सुरक्षा गारंटी और मौजूदा न्यूनतम मजदूरी क़ानूनों का सख्ती से पालन के अलावा देश के आम जन हेतु बिजली–पानी–स्वास्थ्य इत्यादि सभी आवश्यक सुविधाओं की बहाली के सवालों को भी प्रमुखता देते हुए देश के संविधान-लोकतन्त्र - धर्मनिरपेक्षता पर हमला और मनुवादी – कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों– विचारों के खिलाफ नया मजदूर आंदोलन खड़ा करने का प्रस्ताव था। विभिन्न राज्यों व सेक्टरों के 70 से भी अधिक मजदूर प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।

मसविदा में मजदूर वर्ग पर बढ़ते हमलों के खिलाफ प्रतिरोध के वैकल्पिक मॉडल खड़ा करने की प्रस्ताव रखते हुए वर्तमान के ट्रेड यूनियन आंदोलन की पारंपरिक अर्थवादी और फैक्ट्री– उद्योग की चारदीवारी तक सीमित रहने की बाधाओं से निजात पाने का आह्वान किया गया था।
             
देश की स्वतन्त्रता व संप्रभुता स्थापना में अनुकरर्णीय भूमिका निभानेवाले मजदूर वर्ग आंदोलन के 100 बरस को समर्पित एक्टू के दसवें राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर देश भर के विभीन्न सेक्टरों – क्षेत्रों के संघर्षशील मजदूर प्रतिनिधियों और सभी लड़ाकू राष्ट्रीय मजदूर यूनियनों के गर्मजोशी भरे जुटान ने इतना तो संकेत दे ही दिया है कि आनेवाले समयों में देश का मजदूर वर्ग भी अपनी बंधी बंधायी पुरानी लीक से हटकर अब अपने नए तेवर और भूमिका में आने को तैयार हो रहा है।

Narendra modi
modi sarkar
communal violence
Communal riots
privatization
workers protest
AICCTU
CAA
NRC
NPR
National trade unions

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!


बाकी खबरें

  • पुलकित कुमार शर्मा
    आख़िर फ़ायदे में चल रही कंपनियां भी क्यों बेचना चाहती है सरकार?
    30 May 2022
    मोदी सरकार अच्छे ख़ासी प्रॉफिट में चल रही BPCL जैसी सार्वजानिक कंपनी का भी निजीकरण करना चाहती है, जबकि 2020-21 में BPCL के प्रॉफिट में 600 फ़ीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। फ़िलहाल तो इस निजीकरण को…
  • भाषा
    रालोद के सम्मेलन में जाति जनगणना कराने, सामाजिक न्याय आयोग के गठन की मांग
    30 May 2022
    रालोद की ओर से रविवार को दिल्ली में ‘सामाजिक न्याय सम्मेलन’ का आयोजन किया जिसमें राजद, जद (यू) और तृणमूल कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में देश में जाति आधारित जनगणना…
  • सुबोध वर्मा
    मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात
    30 May 2022
    बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई से पैदा हुए असंतोष से निपटने में सरकार की विफलता का मुकाबला करने के लिए भाजपा यह बातें कर रही है।
  • भाषा
    नेपाल विमान हादसे में कोई व्यक्ति जीवित नहीं मिला
    30 May 2022
    नेपाल की सेना ने सोमवार को बताया कि रविवार की सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुए यात्री विमान का मलबा नेपाल के मुस्तांग जिले में मिला है। यह विमान करीब 20 घंटे से लापता था।
  • भाषा
    मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया
    30 May 2022
    पंजाब के मानसा जिले में रविवार को अज्ञात हमलावरों ने सिद्धू मूसेवाला (28) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राज्य सरकार द्वारा मूसेवाला की सुरक्षा वापस लिए जाने के एक दिन बाद यह घटना हुई थी। मूसेवाला के…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License