NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर
मोदी सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड संसद से पारित किए, जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर बारह करने का प्रावधान है।
विजय विनीत
28 Mar 2022
strike

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के चलते बुधवार को सभी सार्वजनिक क्षेत्र के दफ्तर बंद रहे। बैंकों में जमा-निकासी और चेकों का क्लीयरेंस नहीं हो सका। डाकघर, दूरसंचार और बीमा कार्यालयों पर भी सन्नाटा पसरा रहा। पूर्वांचल में सरकारी बैंकों और डाकघरों में कामकाज पूरी तरह बंद रहा। कर्मचारियों ने अल्टीमेटम दिया है कि जल्द ही मांगें न माने जाने पर आंदोलन तेज किया जाएगा। मंगलवार को भी श्रमिकों ने आंदोलन-प्रदर्शन करने और जुलूस निकालने का निर्णय लिया है।

बनारस में काम ठप कर धरने पर बैठे डाककर्मी

राष्ट्रव्यापी दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन बैंक, एलआईसी और डाककर्मियों ने दफ्तरों में सुबह ही तालाबंदी कर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की। बैंकों के कर्मचारी पोस्‍टर बैनर के साथ सड़क पर उतरे और मांगों के साथ ही ग्राहकों को वापस लौटा दिया। हालांकि भारतीय स्टेट बैंककर्मी इस हड़ताल से विरत रहे जिसके चलते ग्राहकों को भी आसानी हुई।

वाराणसी में एलआईसी दफ्तर पर कर्मचारियों को संबोधित करते किसान नेता अफलातून देसाई

न्यूनतम वेतनमान 21 हजार करने, पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने, बैंकों का विलय न करने,  खाली पदों पर शीघ्र नियुक्तियां करने सहित कई मांगों को लेकर दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन पूर्वांचल के सभी डाकघरों, बीमा कार्यालयों और दूरसंचार दफ्तरों के ताले नहीं खुले। हड़ताल का सबसे अधिक असर औद्योगिक इकाइयों पर दिखा। कर्मचारियों ने कामकाज ठप कर प्रदर्शन किया। औद्योगिक इकाइयों के मजदूरों ने भी जुलूस निकाला और सरकार के विरोध में नारे लगाए। 

बैंकों व डाकघरों में लटकते रहे ताले

वाराणसी में आल इंडिया बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन और बैंक इंप्लाइज फेडरेशन आफ इंडिया के आह्वान पर बैंक आफ बड़ौदा, केनरा बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक, सेंट्रल बैंक, पंजाब नेशनल बैंक आदि बैंकों की अधिकांश शाखाओं में पूरे दिन ताले लटकते रहे। कर्मचारियों ने कामकाज बंद कर धरना दिया और मोदी सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हड़ताल के चलते जमा-निकासी के लिए आने वाले ग्राहकों को बैरंग लौटना पड़ा। यूपी बैंक इंप्लाइज यूनियन के मंत्री संजय कुमार शर्मा ने न्यूजक्लिक कहा, "हड़ताल के चलते वाराणसी के पांच सौ करोड़ के साथ ही पूर्वांचल के गाजीपुर, भदोही, मिर्जापुर, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़ में 900 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ।" आदोलन के दौरान कर्मचारी नेता आरबी चौबे, कुंदन,  कृष्णकांत उपाध्याय, पीके घोष, जेके दास, प्रमोद द्विवेदी ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा, "बैंक यूनियन सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को रोकने और उन्हें मजबूत करने, बैड लोन की जल्द वसूली, बैंकों द्वारा उच्च जमा दरों, ग्राहकों पर कम सर्विस चार्ज के साथ-साथ पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करता है।"

 

वाराणसी में यूनियन बैंक की एक शाखा पर प्रदर्शन करने कर्मचारी

वाराणसी में कई प्रमुख बैंकों में ताला बंद देखकर आम जनता लौट गई तो कुछ ताला खुलने की आस में देर तक इंतजार करते नजर आए। जुलूस प्रदर्शन मैं एसके सेठ, अनन्त मिश्र, सुशील गुप्ता, आर वी चौबे, संजय शर्मा, प्रमोद द्विवेदी, विवेक गुप्ता, अनिल चौरसिया, नीलम, प्रेमलता, अर्चना, रंजन सिंह, अरविंद दुबे, अजय, विजय, संतोष, अंजनी, वीरू, प्रदीप द्विवेदी, बालेश्वर सिंह, शीतला प्रसाद, नेहा, सिद्धार्थ शामिल रहे। बैंककर्मियों ने वाराणसी के नदेसर स्थित इंडियन बैंक के सामने प्रदर्शन कर सरकार पर अपनी मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया और बैंकों में तालाबंदी कर अपनी मांगों के समर्थन में पोस्‍टर बैनर लेकर एक जगह जुटे और प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

वाराणसी में इंडियन बैंक के सामने प्रदर्शन करते बैंक कर्मी

वाराणसी में सोमवार की सुबह से ही विशेश्वरगंज मुख्य डाकघर के कर्मचारी हड़ताल पर नजर आए। बैंककर्मी सीके त्रिपाठी ने कहा, "हम लोग सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों से काफी प्रभावित हैं। निजीकरण के नाम पर जिस तरह से हमारा दोहन हो रहा है, वह असहनीय है।"

वाराणसी के चांदपुर इंडस्ट्रियल स्टेट और रामनगर इंडस्ट्रियल स्टेट में मजदूर यूनियनों के आह्वान पर अलग-अलग कारखानों में काम करने वाले मजदूरों ने जुलूस निकाला। हाथों में झंडा लिए मजदूरों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। मजदूर से संबद्ध नेता पहले चांदपुर औद्योगिक आस्थान के पास एकत्र हुए और वहां से लंबा जुलूस निकाला। उनका कहना था कि आठ घंटे कामकाज की व्यवस्था लागू करने और न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये देने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन सरकार ने कोई सार्थक कदम नहीं उठाया।

दवा प्रतिनिधियों ने निकाला जुलूस

हड़ताल के समर्थन में दवा प्रतिनिधियों ने भी कामकाज ठप रखकर बाइक जुलूस निकाला। यूपी उत्तराखंड मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक मिश्रा और प्रदेश सह सचिव मनोज शर्मा के निर्देशन में निकले जुलूस के माध्यम से सेल्स प्रमोशन इंप्लाइज एक्ट लागू करने की मांग की गई। इसके अलावा आठ घंटे तक ही काम लिए जाने, दवाओं और उपकरणों पर जीएसटी हटाने, शोषण बंद करने आदि की मांग की गई। दूसरी ओर, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में बरेका कर्मचारी भी सड़क पर उतरे।

वाराणसी में बाइक जुलूस निकालकर सेल्स रिप्रजेंटेटिव ने किया मोदी सरकार की नीतियों का विरोध 

बरेका बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बारिश के बावजूद कर्मचारी कारखाने के पूर्वी गेट पर इकट्ठा हुए और उन्होंने रेलवे और रेलवे उत्पादन इकाइयों, वर्कशॉप, ट्रेनों, स्टेशनों, प्रमुख रेल मार्गों के निजीकरण व निगमीकरण के खिलाफ प्रदर्शन किया। सभा को संबोधित करते हुए संयोजक वीडी दुबे ने कहा, "सरकार श्रम कानूनों के सुधार के नाम पर 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर चार कोड में बदल रही है। इसके चलते कर्मचारियों को मिलने वाले तमाम अधिकार छीन लिए जाएंगे।" इस दौरान बीएलडब्ल्यू रेल मजदूर यूनियन के महामंत्री राजेंद्र पाल, कर्मचारी परिषद सदस्य प्रदीप यादव, नवीन सिन्हा, देवता नंद तिवारी, अमित कुमार, अरविंद श्रीवास्तव, श्याम मोहन आदि मौजूद रहे।

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, वर्कर्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच ने समर्थन देते हुए प्रदेश में विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन किए। आइपीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसआर दारापुरी ने न्यूजक्लिक से कहा, "ग्लोबल पूंजी और देशी कारपोरेट घरानों को देश की सार्वजनिक राष्ट्रीय संपदा को केंद्र सरकार द्वारा बेचने के खिलाफ मजदूरों की राष्ट्रीय हड़ताल देश को बचाने के लिए है। मोदी सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड संसद से पारित किए। जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर बारह करने का प्रावधान है।"

"विद्युत संशोधन विधेयक 2021 के जरिए सरकार बिजली का निजीकरण करने में लगी है। जिसके दुष्परिणाम आम जनता खासकर किसानों को महंगी बिजली के रूप में भुगतने पड़ेंगे। महंगाई बेलगाम हो वुकी है पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सीएनजी के दाम रोज बढ़ रहे हैं। पहली अप्रैल से दवाओं का दाम भी बढ़ने जा रहा है। रोजगार का संकट गहरा रहा है और आर्थिक असमानता बढ़ रही है। लाखों सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती नहीं निकाली जा रही है। इसके खिलाफ देश के सभी प्रमुख श्रमिक संघों की सफल अखिल भारतीय हड़ताल जन प्रतिरोध को मजबूत करेगी।"

मजदूर किसान मंच के प्रदेश महामंत्री डा. बृज बिहारी, सुनीला रावत, सोनभद्र में आइपीएफ जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, तेजधारी गुप्ता, चंदौली में अजय राय, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, बस्ती में श्याम मनोहर ने कहा, "केंद्र सरकार मजदूर विरोधी है और कामगारों के सभी अधिकार खत्म कर देना चाहती है। यदि अभी नहीं जागे, तो हड़ताल करने का उनका अधिकार भी खत्म हो जाएगा। वर्षों से मिले कामगारों के अधिकार बरकरार रखने के लिए निर्णायक संघर्ष करना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेगी।" 

आंदोलन में शामिल हुए किसान

पूर्वांचल में संयुक्त किसान मोर्चा से संबद्ध किसान भी श्रमिकों के आंदोलन में शामिल हुए। किसान नेता अफलातून देसाई, राजेंद्र चौधरी, लक्ष्मण मौर्य, रामजी सिंह, आइपीएफ के  राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा "ग्लोबल पूंजी और देशी कारपोरेट घरानों को देश की सार्वजनिक राष्ट्रीय संपदा को मोदी सरकार द्वारा बेचने के खिलाफ मजदूरों की राष्ट्रीय हड़ताल देश को बचाने के लिए है। यह सरकार लगातार मेहनतकश तबके पर हमला कर रही है। ईपीएफ की ब्याज दरों में कटौती इसका ताजा उदाहरण है। इस कटौती से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सर्वाधिक नुकसान होगा। इससे पहले सरकार ने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूर विरोधी चार लेबर कोड संसद से पारित किए, जिसमें काम के घंटे बढ़ाकर 12 करने का प्रावधान है।"

प्रदर्शन करते श्रमिक

"विद्युत संशोधन विधेयक 2021 के जरिए सरकार बिजली का निजीकरण करने में लगी है। जिसके दुष्परिणाम आम जनता खासकर किसानों को महंगी बिजली के रूप में भुगतने पड़ेंगे। महंगाई बेलगाम हो चुकी है पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सीएनजी के दाम रोज बढ़  रहे है। एक अप्रैल से दवाओं के दामों में भी बड़ी वृद्धि होने जा रही है। रोजगार का संकट गहरा रहा है और आर्थिक असमानता बढ़ रही है। लाखों सरकारी विभागों में खाली पदों पर भर्ती नहीं निकाली जा रही है। इसके खिलाफ देश के सभी प्रमुख श्रमिक संघों की सफल अखिल भारतीय हड़ताल जन प्रतिरोध को मजबूत करेगी।"

उल्लेखनीय है कि ट्रेड यूनियन केंद्र सरकार से लेबर कोड रद्द करने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार एक नया लेबर कोड लेकर आई है जिसमें तीन दिन की छुट्टी और चार दिन के काम का प्रावधान है। इसके अलावा मजदूरी और मेहनताना के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं। इसमें न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान है जिसमें सरकार पूरे देश में कम से कम मजदूरी तय करेगी। सरकार का अनुमान है कि नया लेबर कोड लागू होने से देश में कम से कम 50 करोड़ मजदूरों-श्रमिकों को समय पर निश्चित मजदूरी मिलेगी। ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल के नियम को खत्म कर दिया गया है। ट्रेड यूनियन इस लेबर कोड का विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा ट्रेड यूनियन किसी भी कंपनी के निजीकरण के पक्ष में नहीं हैं। सरकार ने अपनी लिस्ट में कई सरकारी कंपनियों को शामिल किया है जिनका निजीकरण होना है।

Purvanchal
LIC
Bank employee's strike
all india strike
SKM
AISA-RYA
AICCTU
AITUC
CITU
BMS
RSS
general strike
Nationwide strike
BPCL
Wage Revision
Labour Code
Privatisation

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

विशाखापट्टनम इस्पात संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ़ श्रमिकों का संघर्ष जारी, 15 महीने से कर रहे प्रदर्शन

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License