NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
दुनिया भर में कोरोना से अधिक मौत भुखमरी से हो सकती है: रिपोर्ट
'द हंगर वायरस' शीर्षक वाली ऑक्सफैम की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना के चलते 12 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं। भूख से इस साल के अंत तक रोजाना 12,000 लोगों की मौत हो सकती है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Jul 2020
hunger
प्रतीकात्मक तस्वीर

दुनिया भर में कोरोना महामारी के बीच ऑक्सफैम की नई रिपोर्ट आई है। इसमें चेतावनी दी गई है कि इस वर्ष 121 मिलियन यानि 12 करोड़ दस लाख लोगों को भुखमरी का शिकार हो सकते हैं। संभवत कोरोना से अधिक लोगों की मौत भूख से हो। इस रिपोर्ट ने कई ऐसे तथ्यों को सामने लाने का काम किया है जो पूरी मानव जाति को डराने वाली है। कोरोना के कारण भूख से इस वर्ष के अंत तक रोजाना 12,000 लोगों की मौत हो सकती है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की वजह से भूख से रोजाना होने वाली मौत के आंकड़ा अप्रैल 2020 में अपनी उच्चतम बिंदु तक पहुँच गया था, इस दौरान लगभग 10000 से अधिक लोगों की मौत रोजाना हुई हैं।

'द हंगर वायरस: कैसे कोरोना एक भूखी दुनिया में भूख को बढ़ा रहा है (The hunger virus: how COVID-19 is fuelling hunger in a hungry world )' शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में ऑक्सफैम का कहना है कि यह संकट महामारी के सामाजिक और आर्थिक नीतियों का परिणाम है जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ी है। खाद्य उत्पादन में व्यवधान हुआ है और  सहायता में गिरावट आई है।

ऑक्सफैम जीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डैनी श्रीस्कंदाराजह (Danny Sriskandarajah) ने कहा कि “कोरोना का प्रभाव वायरस की तुलना में कहीं अधिक व्यापक है, जिसने दुनिया के लाखों लोगों को भूख और गरीबी में धकेल दिया है। यह महत्वपूर्ण है कि सरकारें जो इस घातक बीमारी के प्रसार को रोक रही हैं, लेकिन उन्हें इसे भी रोकना चहिए कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मौत भूख से न हों।"

रिपोर्ट बताती है कि बंद सीमाओं, कर्फ्यू और यात्रा प्रतिबंधों ने कई देशों में खाद्य आपूर्ति को बाधित किया है। अफगानिस्तान, सीरिया, दक्षिण सूडान आदि सहित दुनिया के 10 सबसे खराब भुखमरी के 'हॉटस्पॉट' हैं। यहां महामारी के परिणामस्वरूप खाद्य संकट गंभीर है।

Capture_33.PNG

सौजन्य: ऑक्सफैम की रिपोर्ट

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे मध्य-आय वाले देश भी इसके शिकार होंगे, क्योंकि वहां भी भुखमरी के तेजी से बढ़ रही है। यहां लाखों लोगों को इस महामारी ने अंतिम छोर पर धकेल दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है,“यहां तक कि दुनिया के सबसे अमीर देश भी इससे अछूते नहीं हैं। यूके सरकार के डेटा से पता चलता है कि लॉकडाउन के पहले कुछ हफ्तों के दौरान 7.7 मिलियन वयस्कों को अपना भोजन नहीं मिला या उन्होंने भोजन को कम कर दिया था और 3.7 मिलियन तक वयस्कों ने दान में मिले भोजन को खाया या एक खाद्य बैंक का इस्तेमाल किया।"

भारत में 2019 के दौरान 195 मिलियन लोग यानि जनसंख्या का 14.5% कुपोषित थे। इस कुपोषण की सबसे बड़ी वजह श्रमिकों को गरीबी और भुखमरी से नहीं बचाने में विफलता, भ्रष्ट और अक्षम खाद्य सहायता और सामाजिक सहायता और तेजी से अनिश्चित होता जलवायु जिसने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है।

जैसा कि केंद्र सरकार ने कोरोनोवायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए केवल चार घंटे के नोटिस के साथ देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की उससे लाखों लोग जो पहले से ही भुखमरी के कगार पर जीवन जी रहे थे जैसे ग्रामीण समुदाय, निम्न जातियां, अल्पसंख्यक समूह, महिलाएं और बच्चों को अचानक से अंतिम छोर पर धकेल दिया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है, “अनुमानित 40 मिलियन लोग, मुख्य रूप से निम्न-जाति के प्रवासी मज़दूर जो घरेलू कामगार, रेहड़ी पटरी वाले या निर्माण मज़दूर वो सभी जो दैनिक मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं, रातों-रात बेरोजगार हो गए। इसके बाद मज़दूर अपने गाँव को वापस जाने लगे परन्तु सार्वजनिक परिवहन बंद हो जाने के कारण, हजारों लोग अपने गाँवों में पैदल ही चल पड़े।”

रिपोर्ट यह भी बताती है कि यद्यपि भारत सरकार ने व्यवसायों और परिवारों को समर्थन देने के लिए 22.5 बिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है, परन्तु इसमें भारी भ्र्ष्टाचार और खराब योजना ने इसके उद्देश्य को पूरा नहीं किया। इसका मतलब है कि भारत के लाखों जो सबसे असुरक्षित हैं वो मदद से वंचित रह गए। लगभग 95 मिलियन बच्चें इसका शिकार हुए हैं। जो अब आंगनवाड़ी केंद्रों के अचानक बंद होने के कारण जिन्हें अब दोपहर के भोजन भी नसीब नहीं हो रहा है।

Coronavirus
COVID-19
Global Pandemic
Global Hunger
Hunger Crisis
poverty
malnutrition in children

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन
    22 May 2022
    गुजरात के दक्षिणी हिस्से वलसाड, नवसारी, डांग जिलों में बहुत से लोग विस्थापन के भय में जी रहे हैं। विवादास्पद पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से…
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License