NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 
पीएमजीकेएवाई ने भाजपा को विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की थी।
अब्दुल अलीम जाफ़री
12 May 2022
free ration

लखनऊ: रामेश्वर प्रसाद और उनका परिवार योगी आदित्यनाथ सरकार की मुफ्त राशन योजना पर आश्रित है। हालाँकि, प्रसाद जो कि महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कार्यरत हैं, को विधानसभा चुनाव से पहले तीन महीने तक गरीबों के बीच में वितरित किया जाने वाले नमक, रिफाइंड तेल, चीनी, दाल और छोले के मुफ्त पैकेट जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आदित्यनाथ के चित्र बने हुए थे, नहीं मिले हैं। 

प्रसाद के अनुसार, चंदौली जिले के भर्दुआ गाँव की 60% से ज्यादा आबादी को, जिसमें से अधिकांश दलित हैं, को मुफ्त राशन नहीं मिल रहा है। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, “आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा के बाद से हमें सिर्फ दो बार ही राशन मिला है। जब कभी भी हमने राशन वितरक से इस बाबत पूछताछ की तो उन्होंने हर बार वस्तुओं की किल्लत का हवाला दिया है।”

मजदूर किसान मंच के जिला प्रमुख, अजय राय का इस बारे में कहना है कि चंदौली जिले में अन्त्योदय कार्डधारकों सहित लगभग 36 लाख लाभार्थियों को मुफ्त राशन की दोहरी खुराक मिल रही थी।

चकिया गाँव की रहने वाली गीता राय भी इसी प्रकार की कहानी दोहराती हैं। वे जब भी अपने हिस्से का मुफ्त राशन लेने के लिए राशन वितरक के पास जाती हैं, तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। वे बताती हैं, “हमारा पांच लोगों का परिवार है। वैसे तो जितनी मात्रा में मुफ्त नमक, रिफाइंड तेल, चीनी, दालें और छोले हमें इसमें मिलते हैं, उसमें हमारा गुजारा नहीं हो सकता, इसके बावजूद यह एक प्रकार की राहत थी। राज्य सरकार ने जून तक मुफ्त राशन वितरित करने का वादा किया था, लेकिन हमें यह सिर्फ दो बार ही मिला है।”

ऐसा माना जाता है कि 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान शुरू की गई प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, विधानसभा चुनावों में कहीं न कहीं बेहद निर्णायक साबित हुई है, जिसको लेकर गरीबों ने इस आस के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में जमकर मतदान किया कि महामारी के दौरान प्राप्त होने वाला मुफ्त राशन आगे भी जारी रहने वाला है। 

दिसंबर 2021 से, यूपी सरकार ने मुफ्त अनाज के साथ-साथ मार्च तक अन्त्योदय कार्डधारकों को एक लीटर रिफाइंड तेल, एक किलो दाल, एक किलो चीनी और एक किलो नमक वितरित करने का फैसला लिया था। आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल के दौरान पहले बड़े फैसले के तौर पर मंत्रिमंडल ने घोषणा की थी कि इस योजना को अगले तीन महीनों तक बढ़ाने के लिए राज्य 3,270 करोड़ रूपये खर्च करेगा। 

एक राशन वितरक अधिकारी ने नाम न छापे जाने का अनुरोध करते हुए खाद्य तेल वितरित न किये जाने की वजह बताई। उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि आपूर्तिकर्ता खाद्य तेल को नई बढ़ी हुई कीमत पर बेचना चाहते हैं जबकि राज्य सरकार चाहती है कि पुरानी दरों पर ही तेल की आपूर्ति की जाये। 

जाहिरा तौर पर कई जिलों में इसी तरह की स्थिति बनी हुई है। प्रयागराज में कुल 10,061,38 कार्डधारक हैं, जिसमें से 88,106 अन्त्योदय कार्डधारक हैं, जबकि अन्य 9,72,932 पात्रता रखने वाले कार्डधारक परिवार हैं, जो इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। हालाँकि, जिला आपूर्ति अधिकारी से जब वितरण न किये जाने के बाबत सवाल किया गया तो उनका कहना था कि इस महीने के अंत तक तेल के वितरण को फिर से शुरू किये जाने की कोशिश चल रही है। 

गोरखपुर के रहने वाले सुग्रीव, अमित और मालती को राशन अधिकारी के द्वारा जातिसूचक गालियाँ देकर भगा दिया जाता है। मालती कहती हैं, “हर बार जब हम तेल मांगते हैं तो राशन अधिकारी कहते हैं, ‘तेल तुम्हारे बाप का नहीं है। जब हमें आपूर्ति मिलेगी तो हम तुम्हें दे देंगे।’ जो थोड़ा-बहुत भी राशन हमें मिल पाता है, उसे लेकर हम वापस आ जाते हैं।” 

मुफ्त राशन के वितरण में रुकावट की वजहों के बारे में राय के पास एक संभावित स्पष्टीकरण है। वे इस बारे में न्यूज़क्लिक को बताते हैं, “सरकार ने संभवतः योजना के आखिरी महीने तक के लिए जो कि मार्च तक चलाना था, के लिए स्टॉक की खरीद कर रखी थी। इस बीच जब इस योजना को बढ़ाया गया, तब तक खाद्य तेल सहित अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ काफी बढ़ चुके थे। ऐसी स्थिति में, आपूर्तिकर्ताओं ने इन वस्तुओं की पुरानी दरों पर आपूर्ति करने से इंकार कर दिया।”

दीपा सिन्हा, जो कि अंबेडकर विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ़ लिबरल स्टडीज पढ़ाती हैं, और राईट टू फ़ूड अभियान के साथ सक्रिय रूप से जुडी हुई हैं, मुफ्त खाद्य तेल एवं अन्य वस्तुओं के वितरण को एक “शुद्ध चुनावी हथकंडा करार देती हैं, क्योंकि इसे सिर्फ उत्तरप्रदेश में कोविड-19 पैकेज के नाम पर वितरित किया जा रहा था।”

सिन्हा ने न्यूज़क्लिक को बताया, “तेल की कीमतें इस समय आसमान छू रही हैं। गरीब को इस समय खाद्य तेल, दाल और छोले इत्यादि की सबसे ज्यादा जरूरत है। सरकार को कम से कम इन चीजों को महामारी के जारी रहने तक अन्त्योदय कार्डधारकों को प्रदान करना चाहिए था।” 

सिन्हा आगे कहती हैं, “भारत में खाद्य तेल का उत्पादन कम है और हमारी जरूरत का आधा हिस्सा आयात किया जाता है। यूक्रेन वैश्विक स्तर पर सूरजमुखी के तेल का आठ प्रतिशत उत्पादन करता है, लेकिन रूस के साथ संघर्ष के कारण इसका आयात पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, इंडोनेशिया और मलेशिया सहित दक्षिणी एशियाई देशों ने अचानक से पाम आयल के निर्यात पर रोक लगा दी है। पाम आयल दुनिया में खाना पकाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किये जाने वाले तेलों में से एक है और इसके लिए भारत इंडोनेशिया पर निर्भर है।”

सिन्हा आगे कहती हैं, “खाद्य तेलों की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण, गरीब आदमी “सिर्फ 100 मिलीलीटर या 200 मिलीलीटर तेल ही खरीद पाने की स्थिति में है। सरकार को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उन्हें खाद्य तेल उपलब्ध कराना चाहिए।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Yogi 2.0 First Major Decision: Beneficiaries say no Free Ration in 3 Months

Uttar pradesh
PMGKAY
PDS
Uttar Pradesh Assembly Elections
yogi government
BJP
Yogi Adityanath

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License