NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश: ठंड के प्रकोप से निपटने में फेल योगी सरकार, 4 दिन में 228 मौत
सुशासन की बात करने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठंड से हो रही लगातार मौतों पर चुप्पी साध ली है। इतनी बड़ी संख्या में गरीबों की मौत के बाद भी अब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सोनिया यादव
30 Dec 2019
Yogi Adityanath

एक ओर जहां उत्तर प्रदेश में योगी अदित्यनाथ सरकार सीएए और नागरिकता कानून के तहत हुई सरकारी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई करने में व्यस्त है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बीते चार दिनों में ठंड से मरने वालों का आंकड़ा 200 पार कर गया है। राज्य में ठंड का कहर इस कदर हावी है कि रविवार 29 दिसंबर को मात्र एक दिन में 68 लोगों की जान चली गई।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बीते चार दिनों में 228 लोगों की मौत हो गई है। रविवार को प्रदेश में 68 लोगों की मौत हुई, इससे पहले शनिवार को 65, शुक्रवार को 48 और बृहस्पतिवार को 47 लोगों की ठंड के कारण जान चली गई थी। इस मामले में कानपुर सबसे आगे है, यहां 21 लोगों की मौत हुई है।

वहीं, बुंदेलखंड व आसपास के इलाकों में 22 लोगों की मौत हुई। ठंड से पूर्वांचल में आठ और अवध में 6 लोगों की मौत हुई। अमरोहा में 4, अलीगढ़ व हाथरस में दो और रामपुर, मेरठ और मुजफ्फरनगर में ठंड ने एक-एक ने जान गवांई है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?

इसका जवाब खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया है। 15 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी पीलीभीत जिले में थे और वहां उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रदेश में ठंड से अगर किसी गरीब की मौत हुई तो उसके लिए जिम्मेदार जिले के अफसर होंगे, प्रशासन होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ठंड को देखते हुए सभी जिलों को कंबल वितरण का बजट जारी कर दिया गया। अफसर अभी से ही उसपर काम करें। अगर बाद में कोई मौत हुई तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा। अब देखना है कि योगी सरकार अपने कितने अफसरों पर कार्रवाई करती है।

इन मौतों में एक मौत ऐसी भी है जो केजीएमयू लखनऊ के गांधी वॉर्ड के सामने हुई। वही केजीएमयू जहां शुक्रवार 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद निरीक्षण कर कंबल बांटे थे, जिसे कुछ समय के बाद ही तीमारदारों से वापस ले लिया गया था। अब ये कंबल किसने और क्यों वापस लिया प्रशासन इससे बेखबर है।

प्रशासन का कहना है कि उनके तरफ से कंबल वापस नहीं लिया गया है। अब इस मामले में एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है। लेकिन ऐसे में सवाल लाज़मी है कि आखिर प्रशासन के नाक के नीचे से कोई गरीबों का कंबल कैसे ले गया?

इस संबंध में एक स्थानीय पत्रकार ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘27 नवंबर को सीएम योगी ने निरीक्षण किया, अफसरों को फटकार लगाई। तीमरदारों को कंबल बांटे लेकिन इसी रात एक लावारिश की गांधी वॉर्ड के सामने मौत हो गई। इसके बाद वहां के अफसरों ने मामले की लीपापोती करने के लिए शनिवार को परिसर के सभी रैनबसेरों में मैट और गद्दे डलवा दिए।'

उन्होंने आगे बताया कि मुख्यमंत्री ने जिन लोगों को कंबल दिए थे, उनसे महज़ कुछ समय बाद ही कंबल वापस ले लिए गए। जिसके बाद मीडिया में खबर आई और प्रशासन की किरकिरी हुई। सदर तहसील में तैनात राजस्व निरीक्षक रामजीत ने शनिवार को इस संबंध में चौक पुलिस को तहरीर दी। अब तहरीर के आधार पर चौक पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।

इस संबंध में न्यूज़क्लिक ने लखनऊ के कुछ रैन बसेरों में रहने वाले लोगों से बात की। उनका कहना है कि वे हर साल ठंड की ठिठुरन को सहते हैं, जो नहीं सह पाते उनकी मौत हो जाती। जब कोई नेता निरीक्षण के लिए आता है, तब प्रशासन कुछ सुविधाएं मुहैया करवा देती है लेकिन ज्यादातर समय वे दान देने वाले लोगों के रहम पर ही जिंदा रह पाते हैं।

एक रैन बसेरे में रहने वाले व्यक्ति ने बताया, 'हम गरीब लोग हैं, इसलिए यहां रहने को मज़बूर हैं। कई बार सरकार की ओर से हमें गद्दे और कंबल दिए जाते हैं, लेकिन ये सब कुछ समय के लिए ही होता है। इसके बाद हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं होता और हम पॉलिथीन बिछाकर सोने को मज़बूर होते हैं।'

कई रैन बसेरों में रहने वाले लोगों ने सवाल किया कि जब सीएम योगी जी ने खुद ही कहा था कि अगर कोई गरीब ठंड से मरेगा तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी, तो अभी तक किसी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उनके आदेश के बावजूद सभी को कंबल और गद्दे क्यों नहीं बांटे गए? क्या गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है?

राजधानी लखनऊ के कई स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई इलाकों में तो रैन बसेरों तक की सुविधाएं भी नहीं है। काकोरी, दुबग्गा, बालागंज, छंदोईया जैसे कई इलाकों में लोग इतनी ठंड में भी खुले में सोने को मज़बूर हैं।

सब्जी मंडी इलाके में किसान सब्जी लेकर रात को ही आ जाते हैं, लेकिन इस ठंड में रुकने के लिए यहां आस-पास कोई रैन बसेरे की व्यवस्था नहीं है और न ही कोई अलाव का इंतजाम है। यहां लंबे समय से स्थानीय लोगों और किसानों द्वारा रैन बसेरे बनाए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

बता दें कि सुशासन और बेहतर कानून व्यवस्था का दावा करने वाली बीजेपी की योगी सरकार फिलहाल अपने अच्छे दिन के वादे से कोसों दूर नज़र आती है। प्रदेश में जहां एक ओर पुलिस और आम जनता के बीच अविश्वास का माहौल है, वहीं प्रशासन द्वारा लगातार आम लोगों की मूल सुविधाओं को भी नज़रअंदाज किया जा रहा है।

UttarPradesh
Yogi Adityanath
yogi sarkar
Cold Wave
UP Administration
shelter home
KGMU
CAA
Homeless People
Blanket Controversy
Lucknow

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?

यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?

उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण

ख़ान और ज़फ़र के रौशन चेहरे, कालिख़ तो ख़ुद पे पुती है


बाकी खबरें

  • CARTOON
    आज का कार्टून
    प्रधानमंत्री जी... पक्का ये भाषण राजनीतिक नहीं था?
    27 Apr 2022
    मुख्यमंत्रियों संग संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीज़ल के दामों पर टैक्स कम करने की बात कही।
  • JAHANGEERPURI
    नाज़मा ख़ान
    जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी
    27 Apr 2022
    अकबरी को देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं था न ही ये विश्वास कि सब ठीक हो जाएगा और न ही ये कि मैं उनको मुआवज़ा दिलाने की हैसियत रखती हूं। मुझे उनकी डबडबाई आँखों से नज़र चुरा कर चले जाना था।
  • बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के लिए वाहनों में वीएलटीडी व इमरजेंसी बटन की व्यवस्था
    27 Apr 2022
    वाहनों में महिलाओं को बेहतर सुरक्षा देने के उद्देश्य से निर्भया सेफ्टी मॉडल तैयार किया गया है। इस ख़ास मॉडल से सार्वजनिक वाहनों से यात्रा करने वाली महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होगी।
  • श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    प्रभात पटनायक
    श्रीलंका का आर्थिक संकट : असली दोषी कौन?
    27 Apr 2022
    श्रीलंका के संकट की सारी की सारी व्याख्याओं की समस्या यह है कि उनमें, श्रीलंका के संकट को भड़काने में नवउदारवाद की भूमिका को पूरी तरह से अनदेखा ही कर दिया जाता है।
  • israel
    एम के भद्रकुमार
    अमेरिका ने रूस के ख़िलाफ़ इज़राइल को किया तैनात
    27 Apr 2022
    रविवार को इज़राइली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ जो बाइडेन की फोन पर हुई बातचीत के गहरे मायने हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License