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भारत
राजनीति
उत्तर प्रदेश: ठंड के प्रकोप से निपटने में फेल योगी सरकार, 4 दिन में 228 मौत
सुशासन की बात करने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ठंड से हो रही लगातार मौतों पर चुप्पी साध ली है। इतनी बड़ी संख्या में गरीबों की मौत के बाद भी अब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सोनिया यादव
30 Dec 2019
Yogi Adityanath

एक ओर जहां उत्तर प्रदेश में योगी अदित्यनाथ सरकार सीएए और नागरिकता कानून के तहत हुई सरकारी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई करने में व्यस्त है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बीते चार दिनों में ठंड से मरने वालों का आंकड़ा 200 पार कर गया है। राज्य में ठंड का कहर इस कदर हावी है कि रविवार 29 दिसंबर को मात्र एक दिन में 68 लोगों की जान चली गई।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बीते चार दिनों में 228 लोगों की मौत हो गई है। रविवार को प्रदेश में 68 लोगों की मौत हुई, इससे पहले शनिवार को 65, शुक्रवार को 48 और बृहस्पतिवार को 47 लोगों की ठंड के कारण जान चली गई थी। इस मामले में कानपुर सबसे आगे है, यहां 21 लोगों की मौत हुई है।

वहीं, बुंदेलखंड व आसपास के इलाकों में 22 लोगों की मौत हुई। ठंड से पूर्वांचल में आठ और अवध में 6 लोगों की मौत हुई। अमरोहा में 4, अलीगढ़ व हाथरस में दो और रामपुर, मेरठ और मुजफ्फरनगर में ठंड ने एक-एक ने जान गवांई है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है?

इसका जवाब खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया है। 15 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री योगी पीलीभीत जिले में थे और वहां उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि प्रदेश में ठंड से अगर किसी गरीब की मौत हुई तो उसके लिए जिम्मेदार जिले के अफसर होंगे, प्रशासन होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ठंड को देखते हुए सभी जिलों को कंबल वितरण का बजट जारी कर दिया गया। अफसर अभी से ही उसपर काम करें। अगर बाद में कोई मौत हुई तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा। अब देखना है कि योगी सरकार अपने कितने अफसरों पर कार्रवाई करती है।

इन मौतों में एक मौत ऐसी भी है जो केजीएमयू लखनऊ के गांधी वॉर्ड के सामने हुई। वही केजीएमयू जहां शुक्रवार 27 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद निरीक्षण कर कंबल बांटे थे, जिसे कुछ समय के बाद ही तीमारदारों से वापस ले लिया गया था। अब ये कंबल किसने और क्यों वापस लिया प्रशासन इससे बेखबर है।

प्रशासन का कहना है कि उनके तरफ से कंबल वापस नहीं लिया गया है। अब इस मामले में एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है। लेकिन ऐसे में सवाल लाज़मी है कि आखिर प्रशासन के नाक के नीचे से कोई गरीबों का कंबल कैसे ले गया?

इस संबंध में एक स्थानीय पत्रकार ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘27 नवंबर को सीएम योगी ने निरीक्षण किया, अफसरों को फटकार लगाई। तीमरदारों को कंबल बांटे लेकिन इसी रात एक लावारिश की गांधी वॉर्ड के सामने मौत हो गई। इसके बाद वहां के अफसरों ने मामले की लीपापोती करने के लिए शनिवार को परिसर के सभी रैनबसेरों में मैट और गद्दे डलवा दिए।'

उन्होंने आगे बताया कि मुख्यमंत्री ने जिन लोगों को कंबल दिए थे, उनसे महज़ कुछ समय बाद ही कंबल वापस ले लिए गए। जिसके बाद मीडिया में खबर आई और प्रशासन की किरकिरी हुई। सदर तहसील में तैनात राजस्व निरीक्षक रामजीत ने शनिवार को इस संबंध में चौक पुलिस को तहरीर दी। अब तहरीर के आधार पर चौक पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।

इस संबंध में न्यूज़क्लिक ने लखनऊ के कुछ रैन बसेरों में रहने वाले लोगों से बात की। उनका कहना है कि वे हर साल ठंड की ठिठुरन को सहते हैं, जो नहीं सह पाते उनकी मौत हो जाती। जब कोई नेता निरीक्षण के लिए आता है, तब प्रशासन कुछ सुविधाएं मुहैया करवा देती है लेकिन ज्यादातर समय वे दान देने वाले लोगों के रहम पर ही जिंदा रह पाते हैं।

एक रैन बसेरे में रहने वाले व्यक्ति ने बताया, 'हम गरीब लोग हैं, इसलिए यहां रहने को मज़बूर हैं। कई बार सरकार की ओर से हमें गद्दे और कंबल दिए जाते हैं, लेकिन ये सब कुछ समय के लिए ही होता है। इसके बाद हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं होता और हम पॉलिथीन बिछाकर सोने को मज़बूर होते हैं।'

कई रैन बसेरों में रहने वाले लोगों ने सवाल किया कि जब सीएम योगी जी ने खुद ही कहा था कि अगर कोई गरीब ठंड से मरेगा तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी, तो अभी तक किसी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? उनके आदेश के बावजूद सभी को कंबल और गद्दे क्यों नहीं बांटे गए? क्या गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है?

राजधानी लखनऊ के कई स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई इलाकों में तो रैन बसेरों तक की सुविधाएं भी नहीं है। काकोरी, दुबग्गा, बालागंज, छंदोईया जैसे कई इलाकों में लोग इतनी ठंड में भी खुले में सोने को मज़बूर हैं।

सब्जी मंडी इलाके में किसान सब्जी लेकर रात को ही आ जाते हैं, लेकिन इस ठंड में रुकने के लिए यहां आस-पास कोई रैन बसेरे की व्यवस्था नहीं है और न ही कोई अलाव का इंतजाम है। यहां लंबे समय से स्थानीय लोगों और किसानों द्वारा रैन बसेरे बनाए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

बता दें कि सुशासन और बेहतर कानून व्यवस्था का दावा करने वाली बीजेपी की योगी सरकार फिलहाल अपने अच्छे दिन के वादे से कोसों दूर नज़र आती है। प्रदेश में जहां एक ओर पुलिस और आम जनता के बीच अविश्वास का माहौल है, वहीं प्रशासन द्वारा लगातार आम लोगों की मूल सुविधाओं को भी नज़रअंदाज किया जा रहा है।

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