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अररिया में युवाओं ने बनाया ‘जनता का मेनिफेस्टो’, प्रत्याशियों को दिलाई पूरा करने की शपथ
यह प्रयोग अररिया विधानसभा क्षेत्र में हुआ है। यहां युवाओं ने खुद कोशिश करके स्थानीय जागरूक मतदाताओं की मदद से जनता का मेनिफेस्टो तैयार कराया और अपने क्षेत्र के तकरीबन हर महत्वपूर्ण प्रत्याशी से उस पर हस्ताक्षर ले लिये कि अगर वे जीतते हैं तो उन्हें इन मसलों का समाधान करना पड़ेगा।
पुष्यमित्र
04 Nov 2020
Bihar poll

बिहार में सीमाचंल के नाम से पुकारे जाने वाले अतिपिछड़े इलाके के अररिया जिले के युवाओं ने इस विधानसभा चुनाव में एक बेहतरीन प्रयोग किया है। जब उन्होंने देखा कि उनके क्षेत्र में कोई भी उम्मीदवार इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों की चर्चा नहीं कर रहा तो इन युवाओं ने खुद कोशिश करके स्थानीय जागरूक मतदाताओं की मदद से एक जनता का मेनिफेस्टो तैयार कराया और अपने क्षेत्र के तकरीबन हर महत्वपूर्ण प्रत्याशी से उस पर हस्ताक्षर ले लिये कि अगर वे जीतते हैं तो उन्हें इन मसलों का समाधान करना पड़ेगा। युवाओं का कहना है कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि चुनाव के बाद जनता अपने प्रतिनिधि पर इन कार्यों के लिए दबाव बना सके। 

यह प्रयोग अररिया जिले के अररिया विधानसभा क्षेत्र में हुआ है। यहां 7 नवंबर को तीसरे और आख़िरी चरण में मतदान होना है। स्थानीय संस्था यासीन हैदर फाउंडेशन और पीपुल्स ऑफ होप के जरिये यह जनता का मेनिफेस्टो 29 अक्तूबर, 2020 को तैयार कराया गया था। इस मेनिफेस्टो को तैयार करने के लिए क्षेत्र के 80 से 90 जागरूक लोग यासीन मंजिल नामक भवन में जुटे थे। इनलोगों ने मिलकर एक ग्यारह सूत्रीय जनता का मेनिफेस्टो तैयार किया। मेनिफेस्टो तैयार करने के बाद उन्होंने इसे शपथ पत्र का रूप दिया और इस क्षेत्र के सभी प्रत्याशियों से संपर्क कर उन्हें इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया।

इस  अभियान से जुड़े युवक फ़ैसल जावेद कहते हैं कि अब तक बारह में से नौ प्रत्याशियों ने इस पीपुल्स मेनिफेस्टो पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। एक प्रत्याशी से संपर्क नहीं हो पाया है, एक ने संभवतः बीच चुनाव में ही प्रचार कार्य बंद कर लिया है, इसलिए वे हमारे बुलाने पर भी नहीं आ रहे। एक अन्य प्रत्याशी का कहना है कि प्रतिनिधि को वोटरों का गुलाम नहीं होना चाहिए इसलिए वे इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। ये तीनों प्रत्याशी निर्दलीय हैं। वे कहते हैं कि वैसे तो हमारे लिए हर प्रत्याशी महत्वपूर्ण है, हमने सभी से संपर्क किया है। जदयू, कांग्रेस, लोजपा और एआईएमआईएम समेत सभी महत्वपूर्ण दलों के प्रत्याशियों से इस मेनिफेस्टो पर साइन किये हैं। 

जब हमने उनसे पूछा कि यह अभियान क्यों चलाया गया तो उन्होंने कहा, इस बार बिहार चुनाव में भले राजधानी के स्तर पर कई मुद्दे सामने आय़े थे, मगर उनके सीमांचल क्षेत्र में चुनाव जात और धर्म पर ही फोकस हो गया था। वे और उनके साथी चाहते थे कि चुनाव में स्थानीय मुद्दों की चर्चा हो, राजनेताओं का इस तरफ ध्यान खींचा जाये और अररिया विधानसभा का एक मेनिफेस्टो बने, इसलिए उन्होंने यह अभियान शुरू किया।

इस काम में उनके साथ याजदान मिर्जा, प्रतीक शरण, काफिस अनवर आदि युवा सक्रिय थे। मेनिफेस्टो को तैयार करने में सत्येन शरण, कामिनी स्वामी, सबा परवीन, जाहिद आलम, डॉ. शमशाद, डॉ. इरफान, इजहार साबरी और हसनैन जैसा स्थानीय जागरूकता मतदाता थे।

मेनिफेस्टो में बाढ़ और सिंचाई से संबंधित महानंदा बेसिन परियोजना के काम को आगे बढ़ाने, नशा मुक्ति के लिए प्रयास करने, पंचायत स्तर पर खेल कूद के मैदान उपलब्ध कराने, कृषि आधारित उद्योग स्थापित कर बेरोजगारी और पलायन को रोकने, पीएचसी व अन्य सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ कर्मियों की उपस्थिति, उपकरणों की व्यवस्था, शैक्षणिक संस्थानों का ठीक से संचालन, सीएए-एनआरसी पर सदन में नैतिकता के आधार पर बहस जैसे मुद्दे शामिल किये गये हैं।

फ़ैसल कहते हैं, मेनिफेस्टो तो बहुत आसानी से तैयार हो गया, मगर इस पर प्रत्याशियों से दस्तख्त करवाना कोई आसान काम नहीं था। हर प्रत्याशी किसी न किसी मसले पर मीन-मेख निकालता था। जबकि इस काम में हमने सभी प्रमुख दलों के कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया था, फिर भी वे ना-नुकुर कर रहे थे। ऐसे में हमने पब्लिक से इन पर दबाव बनवाना शुरू किया। लोगों ने उन्हें फोन किया फिर वे तैयार हुए। हालांकि कई प्रत्याशी खुद भी मान गये। 

इस मेनिफेस्टो को लेकर जब महागठबंधन से संबंधित कांग्रेस के उम्मीदवार अबिदुर रहमान से बात की तो उन्होंने कहा कि हालांकि हमने इस मेनिफेस्टो पर साइन कर दिया है, लेकिन मैं मानता हूं कि कई मांगों को पूरा करना हमारे बस की बात नहीं। वे कहते हैं, इस मैनिफेस्टो में स्टेशन रोड बनवाने की मांग की गयी है, मगर वह सड़क नगर पालिका के अधीन है, हमारा उस पर जोर नहीं चलता। वे कहते हैं, इनमें से कई मांगों पर तो हमलोग पहले से काम भी करते रहे हैं, कई योजनाओं की निविदा भी हो चुकी है। वे कहते हैं, जैसे इसमें पूर्ण नशाबंदी की बात है, हम इसके लिए प्रयास कर सकते हैं। मगर यह हमारे हाथ में नहीं है।

दरअसल कांग्रेस प्रत्याशी अबिदुर रहमान अररिया के निवर्तमान विधायक हैं, उन्हें लगता है कि यह मेनिफेस्टो कहीं न कहीं उनके काम-काज पर सवाल उठा रहा है। मगर फ़ैसल कहते हैं, ऐसा कुछ नहीं है। हम तो बस अगले प्रतिनिधि के काम के लिए मुद्दे रख रहे हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी के अलावा दूसरे प्रत्याशी इन पर बहुत सवाल नहीं उठा रहे, एनडीए की तरफ से जदयू उम्मीदवार शगुफ्ता अजीम कहती हैं कि इस मेनिफेस्टो में उठाये गये सभी ग्यारह मुद्दे अररिया की जनता की ख्वाहिशें हैं, और वे चुनाव जीतने पर इन्हे पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगी। उन्होंने युवाओं की इस पहल का भी स्वागत किया।हमने लोजपा प्रत्याशी बब्बन सिंह और एआईएमआईएम के प्रत्याशी राशिद से भी बातचीत करने की कोशिश की, मगर उनकी चुनावी व्यस्तताओं की वजह से उनकी टिप्पणी हमें मिल नहीं पायी।

इस अभियान को अपने स्तर पर मदद करने वाले पीपुल्स ऑफ होप से जुड़े रिजवान अहमद कहते हैं कि यह अभियान किसी दल विशेष के समर्थन में नहीं है, न ही किसी का विरोध है। यह जनता की पहल है और सभी राजनीतिक प्रत्याशियों का ध्यान स्थानीय मुद्दों की तरफ खींचने की कोशिश है। यह एक प्रयोग था, इसकी जो सराहना हमें मिल रही है, इसे देखते हुए हम आगे इसे दूसरे जगहों में भी करने की कोशिश करेंगे।

 (पुष्यमित्र स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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