NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
लैटिन अमेरिका
यूरोप
अमेरिका
ज़ेलेंस्की ने बाइडेन के रूस पर युद्ध को बकवास बताया
वाशिंगटन को जो रणनीतिक हार का सामना करना पड़ा है, वह दुनिया भर में अमेरिकी प्रतिष्ठा को कम करेगा, उसके ट्रान्साटलांटिक-नेतृत्व को कमजोर करेगा।
एम के भद्रकुमार
11 Mar 2022
zelsenky
गुफ्तगू करते जेलेंस्की एवं जोए बाइडेन (फाईल फोटो)

विगत वर्ष दिसम्बर के मध्य से उस अवधि में क्या हुआ था जब रूस को सुरक्षा गारंटी की अपनी मांग को वाशिंगटन तक पहुंचानी पड़ गई? यह सवाल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को अपने सार्वजनिक जीवन से अवकाश लेने के बाद भी लंबे समय तक हलकान-परेशान करेगा। उनके राष्ट्रपति कार्यकाल की विदेश नीति की विरासत और सार्वजनिक जीवन में अर्धशतक तक काम करने के ​​रिकॉर्ड के साथ इस 80 वर्षीय राजनेता की प्रतिष्ठा, इसका बहुत सारा हिस्सा अमेरिकी विदेश नीति के क्षेत्र में अपूरणीय माना जाता है।

खबर है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि वे रूसी मांग को स्वीकार करने के इच्छुक हैं कि उनका देश उत्तर अटलांटिक संधि संगठन का सदस्य बनने की कोशिश नहीं करेगा! यह घोषणा एबीसी न्यूज के साथ उनके एक इंटरव्यू के दौरान आया, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि वे अब यूक्रेन की नाटो सदस्यता के लिए दबाव नहीं डाल रहे हैं! 

वास्तव में, जेलेंस्की ने आकस्मिक रूप से यह राज खोला कि, "यह समझ लेने के बाद कि नाटो यूक्रेन को सदस्य देश के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, तो हमने इस सवाल को बहुत पहले ही मुल्तवी कर दिया था।”  

जेलेंस्की इस क्यों का भी खुलासा करते हैं:"गठबंधन (नाटो) विवादास्पद चीजों से बचता है, और खास कर रूस के साथ टकराव मोल लेने से डरता है।” 

इस रहस्योद्घाटन के पहले उन्होंने कहा था कि वे पूर्वी डोनबास क्षेत्र में लुगांस्क और डोनेट्स्क के दो अलग-अलग गणराज्यों की संप्रभुता और क्रीमिया की स्थिति पर "खुलेमन से समझौते के लिए” तैयार हैं। 

एबीसी न्यूज ने कथित तौर पर पूर्वी समय के मुताबिक सोमवार की रात को उस इंटरव्यू का प्रसारण किया। तब से, बाइडेन टीम में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और विदेश उपमंत्री विक्टोरिया नूलैंड की वह जोड़ी जिसने सर्वनाशक “नरक से प्रतिबंध” लगाने और हाल के महीनों से व्लादिमीर पुतिन को दुष्ट करार देकर उन्हें धमकाने की पायलट परियोजना तैयार की थी, वह आज सीन से गायब हो गई है। 

पूर्वी यूरोपीय वंश की इस जोड़ी में लिंकन ड्राइविंग सीट बैठे हैं और नुलैंड उनके सह चालक हैं। इस जोड़ी को इस खेले गए नाटक की प्रस्तावना पर अपना स्पष्टीकरण देना चाहिए, जो वास्तव में एक महाशक्ति के रूप में अमेरिकी प्रतिष्ठा को ध्वस्त कर रहा है। 

सवाल बहुत हैं। उनमें मुख्य रूप से, यह सवाल है कि  अगर रूस की वैध सुरक्षा मांगों पर समझौता करना इतना आसान है, खासकर यूक्रेन की नाटो सदस्यता और गठबंधन के आगे विस्तार के संबंध में, तो इस मामले पर विचार की तात्कालिकता को देखते हुए राष्ट्रपति बाइडेन इस पर चर्चा से इनकार पर इतना अड़े क्यों थे? 

क्या यह हो सकता है कि बाइडेन मैड्रिड में आगामी नाटो शिखर सम्मेलन में 29 -30 जून को यूक्रेन को नाटो को औपचारिक सदस्य बना कर मास्को के लिए किसी काम की कोई गुंजाइश न छोड़ने का स्मार्ट ​अभिनय कर रहे थे? 

यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर करने और विश्व तेल बाजार को ऐसे समय में रॉक करने की क्या आवश्यकता है जब अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं महामारी के बाद के आर्थिक सुधार के रास्ते पर चलने की कोशिश कर रही हैं? 

यूक्रेन के शासन के प्रति बाइडेन के इस अस्वाभाविक जुनून की क्या व्याख्या हो सकती है? 

बाइडेन के मन में रूस के प्रति इतनी आतार्किक घृणा क्यों है, यह विश्व के 80 वर्षीय वयोवृद्ध राजनेता की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है?

ऐसा क्यों है कि रूस के खिलाफ आर्थिक युद्ध बाइडेन के लिए इतना व्यक्तिगत मामला बन गया है, जैसा कि मंगलवार को उनके व्हाइट हाउस के भाषण से पता चलता है? 

लेकिन यूक्रेन की नाटो सदस्यता के इस पूरे प्रकरण का ऐसा घृणित अंत पूरी तरह से अनुमेय था। इसलिए कि यह रूस के लिए मूल रूप से एक अस्तित्वगत मुद्दा है, जबकि 10,000 किलोमीटर दूर बैठे बाइडेन, ब्लिंकन और नुलंद अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने, उन्हें धमकी देने, उन्हें अनुशासित करने या अमेरिका के हुक्मनामे की तामिल न करने के लिए सजा देने के पुराने जमाने के नियोकॉन शगल में संलिप्त हैं। 

जेलेंस्की के खुलासे के बाद भी, बाइडेन की प्रतिक्रिया क्या रही है? वे यह घोषणा करने वाले थे कि अमेरिका अब रूस से तेल आयात नहीं करेगा। क्या उन्हें इस बात पर राहत की एक सांस नहीं लेनी चाहिए थी कि यूक्रेन इस युद्ध से बाहर निकल रहा है? 

इसकी बजाय, बाइडेन ने अमेरिकी श्रोताओं एवं दर्शकों को प्रभावित करने के लिए इस अजीब दंतविहिन उपाय का सहारा लिया कि वे अभी भी दूरदराज के इलाकों में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए जीत के रास्ते पर अग्रसर हैं। क्या इस तरह की नौटंकी भोली-भाली अमेरिकी जनता का अपमान नहीं है? 

बाइडन ने यह नया कदम तब उठाया जब यूरोपीय लोगों ने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि रूस के खिलाफ इस तरह के कदम में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि वे रूसी तेल पर अत्यधिक निर्भरता है। 

दूसरा, बाइडेन यह जानते नहीं लगते या उन्होंने इसे न जानने का नाटक किया है कि अमेरिका असल में अपने पांवों पर ही चोट कर रहा है। उदाहरण के लिए, रूसी कीमतें अत्यधिक प्रतिस्पर्धी हैं और अमेरिकी कंपनियों को अब अपनी रिफाइनरियों के लिए उपयुक्त भारी ग्रेड तेल स्रोत के लिए बहुत अधिक भुगतान करना होगा। 

बाइडेन ने पहले ही अपने गौरव को निगल लिया है और उस वेनेजुएला से तेल की भीख मांगने अपने अधिकारियों की एक टीम उसके राष्ट्रपति निकोलस मादुरो (जो एक समाजवादी होने के नाते हाल फिलहाल तक सीआईए की हिट सूची में रहे थे) के पास भेजी है, जिनका देश अमेरिकी प्रतिबंधों से जूझ रहा है। 

मादुरो ने वेनेजुएला और अमेरिका के बीच एक व्यापक पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंध का सुझाव देते हुए अमेरिकी अधिकारियों की टीम को उल्टे पांव लौटा दिया। यह सारा नाटक पूरे पश्चिमी गोलार्ध की मौजूदगी में दिन दहाड़े हुआ। क्या वे इस बात पर हंस नहीं रहे होंगे कि अमेरिका के राष्ट्रपति एक निहायत कमजोर व्यक्ति हैं?

 

बाइडन का दावा है कि वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अगर अमेरिका रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है तो पुतिन के पास अपनी वॉर मशीन के लिए धन नहीं होगा।

यह बहुत ही हास्यास्पद दावा है और एक झूठ पर आधारित है।

अमेरिका रूस के कुल तेल निर्यात का लगभग 12 फीसद ही तेल खरीद रहा था। ठीक है, यह एक अच्छी मात्रा है। लेकिन, ऐसा नहीं है कि रूस के पास विश्व बाजार में कोई अन्य खरीदार नहीं होगा,जहां तेल की कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है (रूस के खिलाफ बाइडन के "नारकीय प्रतिबंध" के लिए चलते)?

अगर रूस बाइडेन के बहिष्कार के कारण जमा हुए तेल के अतिरिक्त स्टॉक को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बेचने की पेशकश करे (जैसा कि यह अमेरिकी कंपनियों के लिए कर रहा था) तो निश्चित रूप से, तेल के संभावित खरीदारों की कतार लग जाएगी।

किसी भी सूरत में, बाइडेन इस बात से अनजान नहीं हो सकते हैं कि रूस का वर्तमान बजट इस विश्वास पर आधारित है कि तेल की कीमतें लगभग 40-45 डॉलर प्रति बैरल रहेंगी। तेल की कीमत की मौजूदा दर के साथ, रूस को वास्तव में सौभाग्यशाली ही बना रहा है! और इसका मजेदार पहलू यह है कि यह रूस को बाइडेन की तरफ से प्रतिबंधों के माध्यम से दिया गया एक उपहार ही है!

मूल रूप से, आज समस्या यह है कि अमेरिकी अभिजात वर्ग भ्रमित हैं। जबकि बाकी दुनिया जानती है कि एक बहुध्रुवीय दुनिया में, अमेरिका की अन्य देशों पर अपनी मर्जी चलाने या थोपने की क्षमता में गिरावट आई है, पर इस वास्तविकता से अमेरिकी अभिजात वर्ग ने अपनी आंखें मूंद रखी हैं। अमेरिका की यह किरकिरी केवल उसके अहंकार और आत्मवंचना के कारण हुई।

वाशिंगटन को जो रणनीतिक पराजय झेलनी पड़ी है, वह दुनिया भर में अमेरिका की इज्जत को नुकसान पहुंचाएगी, उसके ट्रान्स-अटलांटिक नेतृत्व को कमजोर करेगी, उसकी इंडो-पैसिफिक रणनीति की बखिया उधेड़ देगी और 21वीं सदी में अमेरिकी प्रभाव को खत्म करने में तेजी लाएगी। राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन को यह भारी सलीब ढ़ोना होगा।

अंग्रेजी में मूल रूप से लिखे गए लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें

https://www.newsclick.in/Zelensky-Rubbishes-Biden-War-Russia 

NATO
Venezuela
ukraine
Russia
Joe Biden
USA

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

बाइडेन ने यूक्रेन पर अपने नैरेटिव में किया बदलाव

डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान

रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ

यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 

पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव

अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील नज़रिया देता पीपल्स समिट फ़ॉर डेमोक्रेसी

90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात


बाकी खबरें

  •  maniksha mahant
    न्यूज़क्लिक टीम
    पंजाब चुनाव: थर्ड जेंडर की मनीक्षा भी हैं मैदान में
    14 Feb 2022
    26 वर्षीय मनीक्षा महंत, थर्ड जेंडर से आने वाली उम्मीदवार हैं मोहाली विधानसभा के लिए। इस ख़ास बातचीत में उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि वे क्यों चुनाव मैदान में हैं और उनके मुद्दें क्या हैं ?
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    23000 करोड़ का घोटाला! भाजपा सरकार और मीडिया चुप?
    14 Feb 2022
    आज के एपिसोड में अभिसार बात कर रहे हैं ABG शिपयार्ड द्वारा किए गए घोटाले और उसपर छायी हुई शांति के बारे में। जबसे यह घोटाला सामने आया है न ही मीडिया और न ही सरकार ने इसपर कुछ बोला है।
  • china
    चार्ल्स जू
    कैसे चीन में हो रहा ओलंपिक पश्चिम के लिए हौआ बन गया है 
    14 Feb 2022
    ओलंपिक खेलों का इतिहास इस बात को दर्शाता है कि कैसे अमेरिका एवं अन्य साम्राज्यवादी देशों को चीन और वैश्विक दक्षिण के संघर्ष के साथ-साथ अंततः इसके वैकल्पिक मॉडलों, दोनों को ही स्वीकारने के लिए मजबूर…
  • elections
    न्यूज़क्लिक टीम
    उत्तर प्रदेश चुनाव: फ्री राशन नहीं सरकार रोज़गार दे
    14 Feb 2022
    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ग्रामीण विधानसभा इलाक़े “बख़्शी के तालाब” (बीकेटी) के नागरिकों का कहना है कि उनको सरकार का “फ़्री राशन” नहीं बल्कि सम्मानजनक रोज़गार चाहिए है। बीकेटी के महिलाओं ने…
  • election
    रवि शंकर दुबे
    यूपी चुनाव दूसरा चरण:  वोट अपील के बहाने सियासी बयानबाज़ी के बीच मतदान
    14 Feb 2022
    उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कितने अहम हैं, ये दिग्गज राजनेताओं की सक्रियता से ही भांपा जा सकता है, मतदान के पहले तक राजनीतिक दलों और राजनेताओं की ओर से वोट के लिए अपील की जा रही है, वो भी बेहद तीखे…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License