NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
अब हिमाचल विवि में छात्रों के लिए ‘कर्फ्यू टाइम’, विरोध में रात का धरना
छात्र बीती 28 मई से प्रशासन से मांग कर रहे है कि बॉयज हॉस्टलों के गेट 24 घंटे खुले रखे जाएं ताकि हॉस्टलों से छात्र रात के समय लाइब्रेरी आ जा सकें।
मुकुंद झा
05 Jun 2019
रात में धरना देते छात्र

पिछले कई सालों से हम महिला छात्रों को ‘कर्फ्यू टाइम’ का विरोध करते यानी देर रात हॉस्टल से निकलने और आने के लिए संघर्ष देखते आ रहे हैं। पिछले सालों में उन्हें कुछ हद तक सफ़लता भी मिली है, जैसे पंजाब यूनिवर्सिटी, जहाँ छात्राओं के संघर्ष के बाद अब पुरुष और महिला दोनों हॉस्टल 24*7  हैं, लेकिन पिछले सात-आठ दिनों से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पुरुष छात्र कर्फ्यू टाइमिंग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र अपनी मांगों को लेकर बॉयज हॉस्टल के बाहर टैगोर चौक पर अपना धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र पिछले सात दिनों से प्रशासन से मांग कर रहे है कि बॉयज हॉस्टलों के गेट 24 घंटे खुले रखे जाएं ताकि हॉस्टलों से छात्र रात के समय लाइब्रेरी आ जा सकें। जैसा पहले था भी लेकिन उसे अचानक बंद कर दिया गया। इसी को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। 
28 मई 2019 को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में रात को लगभग 9:30 बजे SBS ब्वॉयज़ हॉस्टल के छात्र अपने हॉस्टल से बाहर निकल कर धरने पर बैठ गए। ऐसा शायद पहली बार हुआ कि रात के समय छात्र धरने पर बैठ गए!

IMG-20190604-WA0017.jpg

छात्र आंदोलन क्यों कर रहे हैं?
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के बॉयज हॉस्टल के बाहर पहले कभी ताला नहीं लगता था, लेकिन अभी कुछ दिनों पहले 24 मार्च को कुछ पुरुष छात्रों ने महिला हॉस्टल में घुसकर छात्राओं के साथ मारपीट की थी। इसका आरोप संघ से जुड़े छात्र संगठन अखिल भरतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओ पर है कि वे जबरन महिला हॉस्टल में घुसे थे और छात्राओं के साथ बदसलूकी भी की थी। इसके कथित वीडियो सोशल मिडिया पर भी वायरल हुए। 
इसके बाद से ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने बॉयज हॉस्टलों के बाहर रात दस बजे के बाद से ताला लगाना शुरू कर दिया और परिसर के बाहर पुलिस की तैनाती कर दी है। इसके बाद न किसी छात्र को अंदर जाने की अनुमति है और न किसी को बाहर आने की। इसी को लेकर छात्रों का गुस्सा भड़क गया। छात्र तब से ही रात को विपरीत परिस्थितियों में आंदोलन पर डटे हैं। आंदोलन अभी तक पूर्णत शांतिपूर्वक चला है। छात्र बारिश, आसमानी बिजली और खतरनाक वन्य जीवों के खौफ के साये में आंदोलन कर रहे हैं।
पिछले दिनों जब छात्र अपने धरना स्थान पर थे तो एकाएक एक बड़ा सांप निकल आया जिससे छात्रों में हड़कंप मच गया। सोमवार  रात भारी बारिश,तूफान और ओलावृष्टि के बीच छात्र सारी रात खुले आसमान के नीचे सोए थे। छात्रों का कहना है की प्रशासन इतना बेशर्म हो चुका है कि उसे छात्रों की कोई सुध लेने का वक़्त नहीं है। प्रशासन छात्रों के स्वास्थ्य और भविष्य के साथ सरेआम खिलवाड़ कर रहा है। प्रशासन को लगातार  इस बारे में अवगत कराया जा चुका है लेकिन प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी है।
छात्रों ने आगे कहा कि उन्होंने चीफ वार्डन से लेकर कुलपति तक इस मामले को गंभीरता से उठाया, लेकिन कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई। अब छात्रों ने इस मामले को राज्यपाल के समक्ष पेश करने की कवायद शुरू कर दी है। इसके आलावा चारों ब्वॉयज हॉस्टल में सिग्नेचर कैंपेन किया गया। शहीद भगत सिंह छात्रावास के प्रिफेक्ट जोतपा ने बताया कि ये मांग सभी छात्रों की है, सभी छात्रों ने सिग्नेचर कैंपेन में बढ़ चढ़कर भाग लिया है। इस सिग्नेचर कैंपेन की प्रति को राज्यपाल को लिखे पत्र के साथ सलंग्न किया जायगा। वर्तमान में कैंपस में निर्णय केवल छात्र विरोधी है। इसलिए छात्रों को सिर्फ आखिरी उम्मीद राज्यपाल से दिख रही है। कुछ दिनों में हस्ताक्षर अभियान समाप्त करके राज्यपाल के समक्ष इस मुद्दे को उठाया जाएगा। 
छात्रों को लाइब्रेरी जाने की भी अनुमति नहीं 
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बताया कि रात के समय कोई भी छात्र अपने हॉस्टल के गेट को नहीं लांघ सकता चाहे उसे लाइब्रेरी जाना हो या फिर अपने घर से रात के समय वापस आना हो!

इस बीच छात्रों के लगातार बढ़ते दबाव के चलते प्रशासन को मज़बूर होकर छात्रों को लाइब्रेरी जाने की अनुमति देनी पड़ी लेकिन उनसे कहा गया है कि वे एक पत्र देकर लाइब्रेरी जा सकते हैं। इसी दौरान हॉस्टल के अधिकतर छात्रों ने पत्र लिखकर लाइब्रेरी जाना शुरू कर दिया। लेकिन कुछ दिन बाद प्रशासन ने जानबूझकर SBS बॉयज़ होस्टल के छात्रों को लाइब्रेरी जाने से रोक दिया। हालांकि SBS बॉयज होस्टल के 38 छात्रों के पास चीफ वार्डन द्वारा हस्ताक्षर की हुई applications भी हैं। मगर प्रशासन के रवैये के चलते उन्हें लाइब्रेरी भी नहीं जाने दिया जा रहा है। इस निर्णय से तंग आकर छात्र 28 मई की रात को हॉस्टल के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर देते हैं।  
एसएफआई के राज्य सचिव विक्रम कैथ ने न्यूज़क्लिक से कहा कि न तो प्रशासन उनकी मांगों पर कोई बैठक करता है और न ही कोई ध्यान दिया जाता है। उल्टा प्रशासन की ओर से यह बयान आता है कि इन्हें बाहर ही रहने दो। कैथ के मुताबिक इस आंदोलन को दबाने के लिए 29 मई को प्रशासन द्वारा एक नोटिस निकाला जाता है जिसके अनुसार हॉस्टल के बाहर धरना प्रदर्शन करने पर रोक लगाकर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाती है। इसके साथ अन्य हॉस्टलों के छात्रों के लाइब्रेरी जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई। लेकिन वो नहीं जानते हम इससे डरने वाले नहीं है हमारा विरोध जारी रहेगा मगर एक नए अंदाज में और अधिक संख्या में  ओर ज़्यादा मज़बूती के साथ।
विक्रम कैथ कहते हैं कि छात्र रात को लगभग 10 बजे हॉस्टल से बाहर आए मगर क़िताबों के साथ! क्योंकि परीक्षाओं का समय है तो उन्होंने हॉस्टल के बाहर पढ़ाई के साथ अपना silent protest (मौन विरोध) भी शुरू कर दिया है। प्रशासन नहीं माना तो ऐसे में हम रात भर बाहर रहने के निर्णय ले चुके हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय पर आरएसएस और भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगया। उन्होंने कहा विश्वविद्यालय छात्र राजनीति के लिए मशहूर है लेकिन वे इस कल्चर को खत्म करना चाहते हैं।  
विक्रम ने कई गंभीर आरोप लगाए। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन को छात्रों की मांगे जायज़ नहीं लगती? कहीं प्रशासन छात्रों को RSS व प्रदेश सरकार के इशारे पर तो नहीं डरा रहा? कहीं ये सब विवि प्रशासन द्वारा Ph.D में हुई कथित धांधलियों को छुपाने के लिए तो नहीं है?  खैर, छात्रों का आंदोलन अभी जारी है।

Himachal Pradesh
HPU
Himachal Pradesh University
Students movement
students protest

Related Stories

बीएचयू: लाइब्रेरी के लिए छात्राओं का संघर्ष तेज़, ‘कर्फ्यू टाइमिंग’ हटाने की मांग

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत

हिमाचल प्रदेश: नियमित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरीं आंगनबाड़ी कर्मी

हिमाचल: सेब के उचित दाम न मिलने से गुस्साए किसानों का प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन

हिमाचल: आईजीएमसी वर्कर्स यूनियन का आउटसोर्स व ठेका मज़दूरों की मांगों को लेकर प्रदर्शन  

हिमाचल प्रदेश का मज़दूर आंदोलन शहादत की अनोखी मिसाल है

हिमाचल: होटल मज़दूर लाल झण्डा यूनियन ने होटल ईस्टबोर्न की संपत्ति कुर्क कर के मज़दूरों को पैसा देने की मांग की

हिमाचल: होटल ईस्टबोर्न के कर्मचारियों ने अपने 16 महीने के बक़ाया वेतन देने की मांग को लेकर किया विरोध प्रदर्शन

हिमाचल में हुई पहली किसान महापंचायत, कृषि क़ानूनों के विरोध के साथ स्थानीय मुद्दे भी उठाए गए!


बाकी खबरें

  • language
    न्यूज़क्लिक टीम
    बहुभाषी भारत में केवल एक राष्ट्र भाषा नहीं हो सकती
    05 May 2022
    क्या हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना चाहिए? भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष से लेकर अब तक हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की जद्दोजहद कैसी रही है? अगर हिंदी राष्ट्रभाषा के तौर पर नहीं बनेगी तो अंग्रेजी का…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    "राजनीतिक रोटी" सेकने के लिए लाउडस्पीकर को बनाया जा रहा मुद्दा?
    05 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार सवाल उठा रहे हैं कि देश में बढ़ते साम्प्रदायिकता से आखिर फ़ायदा किसका हो रहा है।
  • चमन लाल
    भगत सिंह पर लिखी नई पुस्तक औपनिवेशिक भारत में बर्तानवी कानून के शासन को झूठा करार देती है 
    05 May 2022
    द एग्ज़िक्युशन ऑफ़ भगत सिंह: लीगल हेरेसीज़ ऑफ़ द राज में महान स्वतंत्रता सेनानी के झूठे मुकदमे का पर्दाफ़ाश किया गया है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    गर्भपात प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट के लीक हुए ड्राफ़्ट से अमेरिका में आया भूचाल
    05 May 2022
    राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अगर गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाला फ़ैसला आता है, तो एक ही जेंडर में शादी करने जैसे दूसरे अधिकार भी ख़तरे में पड़ सकते हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि
    05 May 2022
    हाल के एक आकलन में कहा गया है कि 2017 और 2021 की अवधि के बीच हर साल एचसीएफसी-141बी का उत्सर्जन बढ़ा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License