NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अभी और कितनी जानें ली जाएंगी ये समझने के लिए कि सीवर में मौतें हो रहीं हैं
सीवर में मौतें लगातार बढ़ती जा रही हैं और इन्हे गौर से देखने पर गरीबी, जातिगत उत्पीड़न और नियमों के उल्लंघन की जुड़ी हुई कहानी दिखाई पड़ती है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 Sep 2018
manaul scavenger

रविवार को एक और सफाई कर्मचारी की मौत ने दिल्ली को हिला दिया, इस शख्स का नाम अनिल था और उनकी उम्र 27 वर्ष थी। शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक अनिल की मौत डाबरी इलाके के द्वारका की एक इमारत के पास एक सीवर में दम घुट जाने की वजह से हुई। कुछ समय पहले ही गाज़ियाबाद में तीन लोगों की मौत टैंक में मौजूद ज़हरीली गैस में दम घुट जाने की वजह से हुई। इसी तरह पिछले सप्ताह के अंत में छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले में भी पाँच लोगों की सैप्टिक टैंकों में दम घुटने से मौत हो गयी थी। यह मौतें लगातार बढ़ती जा रही हैं और इन्हे गौर से देखने पर गरीबी, जातिगत उत्पीड़न और नियमों के उल्लंघन की जुड़ी हुई कहानी दिखाई पड़ती है।

अनिल के मामले में सफाई कर्मचारी आंदोलन (SKA) के दस्तावेज़ यह दिखाते हैं कि उन्होंने 20 फ़ीट गहरे टैंक में जाने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उन्होंने कॉन्ट्रैक्टर से पहले ही पैसे ले लिए थे। उनके पास और कोई विकल्प नहीं था और आखिर में इस फैसले ने ही उनकी जान ले ली। यह घटनाएँ तब सामने आ रही हैं जब पिछले ही हफ्ते दिल्ली के मोती नगर इलाके के एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में उतरने से 5 लोगों की दम घुटने से मौत हो गयी थी।

इन घटनाओं की सभी तरफ कड़ी निंदा की गयी है और इस पर कार्रवाई की भी माँग की गयी है। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए सफाई कर्मचारी आंदोलन के बेजवाड़ा विल्सन ने कहा "यह बात हमें चौंका कर रख देती है कि किस तरह नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन किया जा रहा है।"  इस मुद्दे पर सफाई कर्मचारी आंदोलन दिल्ली के विभिन्न इलाकों में विरोध प्रदर्शन कर रहा है जिससे इस मुद्दे पर लोगों में जागरूकता फैले। इन मौत की घटनाओं की मज़दूर किसान शक्ति संगठन ने भी निंदा की है। मीडिया को दिए गए बयान में संगठन ने कहा है कि इस तरह की घटनाएं इंतिहाई शर्मनाक हैं और यह भारत सरकार पर कलंक हैं।

हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस ने इन मौतों का एक डेटा अपनी रिपोर्ट में निकाला है, लेकिन आँकड़े असली आँकड़ों से बेहद कम हैं और इस मुद्दे को कमतर आंकते हैं। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक हर पाँच दिनों में एक व्यक्ति की मौत मैला उठाने के काम में होती है। यह रिपोर्ट देश भर के अखबारों में मैला उठाने के काम में हुई मौतों पर छपी अखबारों की रिपोर्टों को संयोजित करके बनी है और इसमें बतया गया है कि राज्य रेकॉर्डों के हिसाब से 109 ज़िलों में सिर्फ 62 मैला उठाने वाले हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने अपना सर्वे 170 ज़िलों को भेजा था जिनमें से सिर्फ 109 ने इसका जवाब दिया। जो आँकड़े जमा किये गए वह नेशनल कमीशन फॉर सफाई कर्मचारीज़ नामक एक संगठन द्वारा किये गए जिसे संसद ने सफाई कर्मचारियों के एक अधिनियम से बनाया था। इस संगठन के पिछले आँकड़ों के अनुसार इस काम में जनवरी 2017 में से अब तक 123 लोगों की मौत हुई है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि यह आँकड़ा भी असली आँकड़ों से बहुत कम हो सकता है। इसकी वजह यह है कि भारत के 28 राज्यों में से सिर्फ 13 ने अपने आँकड़े भेजे हैं। बेजवाड़ा विल्सन ने कहा "डेटा असलियत से बहुत दूर है और हालात को कमतर करके दिखाता है। अभी इस मुद्दे की पूरी सच्चाई तक फिलहाल नहीं पहुँचा जा रहा है। "

प्रोहिबिशन ऑफ़ एम्प्लॉयमेंट एंड रिहैबिलिटेशन एक्ट ने 2003 में सैप्टिक टैंक और नालों की सफाई के काम को भी एक्ट में शामिल किया था। कानून के अनुभाग सात के अनुसार कोई भी अधिकारी या एजेंसी कोई सीवर या सेप्टिक टैंक साफ़ करने के लिए किसी भी व्यक्ति को नहीं रख सकती। लेकिन इसके बावजूद ज़मीनी हकीकत बहुत अलग है। न्यूज़क्लिक ने पहले भी आंकड़ों को कम दिखाने पर एक रिपोर्ट लिखी थी, यह तब किया गया था जब दिल्ली सरकार ने एक सर्वे करके अगस्त में बताया था जिसमें कहा गया था कि राज्य में मैला ढोने वाले केवल 32 लोग हैं। इस साल जून में रिपोर्टों में बताया गया था कि 12 राज्यों जिनमें उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , राजस्थान और हरियाणा शामिल हैं में 53000 हाथ से मैला उठाने का काम करने वाले लोग हैं।

जहाँ एक तरफ डेटा इकट्ठा करने की कोशिशें जारी हैं वहीं दूसरी तरफ जनता इसके खिलाफ खड़ी हो रही है। 25सितम्बर को दिल्ली में इस मुद्दे पर मार्च निकाला जा रहा है।

manual scavenger
Delhi
sewage deaths
manual scavenging
safai karmachari andolan

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

दलितों पर बढ़ते अत्याचार, मोदी सरकार का न्यू नॉर्मल!

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License