NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
अच्छे दिन? दाम आसमान छू रहे हैं और रोज़गार नदारद है 
आर्थिक संकट का बढ़ना जारी है क्योंकि लोग अब बढ़ती कीमतों के बोझ के तले दब रहे हैं विशेषकर खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने तो बाज़ारों में आग लगाई हुई है और ऊपर से बेरोज़गारी बढ़ रही है और वेतन में ठहराव है।
सुबोध वर्मा
15 Jan 2020
infaltion

कीमतों पर सरकार द्वारा जारी किए नए आंकड़ों से पता चलता है कि लोग इन दिनों किस तरह की मार झेल रहे हैं। रोज़मर्रा के इस्तेमाल वाली सभी वस्तुओं, जैसे सब्जियां, अंडे, मांस, मछली और दाल आदि की कीमतों ने बाज़ार में आग लगाई हुई हैं। यह महंगाई न केवल पारिवारिक बजट को तबाह कर रही है बल्कि पोषण संबंधी जरूरतों पर भी घातक प्रभाव डाल रही है।

जैसा कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से सैयतन बेरा की चौंकाने वाली रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि लोग रोटी, नमक और मिर्च पर ज़िंदा हैं और कुछ चने के नाज़ुक पत्तों का भी सेवन कर रहे हैं। यहाँ यह बात याद रखी जानी चाहिए कि सर्दी में सब्जियां और फल प्रचुर मात्रा में होते हैं और इसलिए भोजन की सामाग्री की कीमतें कम होनी चाहिए।

बढ़ती बेरोजगारी की वजह से यह संकट इतना तेज़ हो गया है कि जिस पर सरकार ने महीनों से ध्यान ही नहीं दिया है और अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई हैं। वे लोग जिनकी कोई आय नहीं है या फिर बहुत काम आय हैं वे बढ़ती खाद्य कीमतों को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। 

खाने की कीमतों में लगी आग 

दिसंबर 2019 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार एक वर्ष में मूल्य वृद्धि सब्जियों के मामले में 60.5 प्रतिशत, दालों में 15.4 प्रतिशत, मसालों में 5.8 प्रतिशत दर्ज़ की गई है। इस तरह से केवल दाल के अलावा एक आम भारतीय के खाने की थाली में शामिल होने वाले खाद्य पदार्थो की कीमतें बहुत अधिक बढ़ी हुई हैं। 

अंडे की कीमत में 8.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। मांसाहारी लोगों का दर्द भी कुछ ऐसा ही है- मांस और मछली में 9.6 प्रतिशत का उछाल है। किसी के बचने का कोई रास्ता नहीं है और समाज के निचले पायदान वाले लोगों लिए तो यह जीने -मरने का मुद्दा बन गया है।

p1.JPG

सामान्य खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति जिसमें परिवारों द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें भी शामिल हैं, दिसंबर में 7.35 प्रतिशत के उछाल के साथ बढ़ गई थी, कीमतों में इतना बड़ा उछाल मोदी शासन के साढ़े पांच साल के दौरान कभी नहीं देखा गया था। लेकिन आज का हत्यारा खाने की कीमतों में उछाल है जो सामान्य दर से बहुत आगे बढ़ गया है। [नीचे चार्ट देखें]

p2.JPG

एक साल पहले जनवरी 2019 में खाद्य मुद्रास्फीति काफी नकारात्मक चल रही थी और सामान्य मुद्रास्फीति केवल 1.97 प्रतिशत थी।

बढ़ती बेरोज़गारी 

इस बीच बेरोजगारी दर पिछले 12 महीनों में लगभग 7 प्रतिशत या उससे अधिक रही है और दिसंबर में यह 7.6 प्रतिशत थी जिसका खुलासा सीएमआईई की रिपोर्ट ने किया था। यह 13 जनवरी, 2020 तक उसी स्तर पर रही।

p3.JPG
 
यह बढ़ती बेरोज़गारी का अब तक का निरंतर चलने वाला और सबसे खराब स्तर है जिसे भारत काफी लंबे समय से देख रहा है और झेल भी रहा है। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार लगभग 7.3 करोड़ लोग पूरी तरह से बेरोजगार हैं जिसे भारत और दुनिया में बेरोजगारों की सबसे बड़ी सेना कहा जा सकता है।

यह न केवल परिवारों के जीवन पर घातक प्रभाव डाल रही है बल्कि मौजूदा मंदी भी उन्हे इससे बचाने से रोक रही है क्योंकि यह स्थिति लोगों की खरीदने की शक्ति को खत्म किए दे रही है और इस प्रकार बाज़ार में मांग भी कम हो रही है। 

नतीजतन उत्पादन इससे ग्रस्त हो रहा है और निवेश ठंडे बस्ते में जा रहा है।दुर्भाग्य से भारत में सत्तारूढ़ सरकार इस अपरिहार्य तर्क के प्रति बड़े आनंदमयी तरीके से उदासीन है और उल्टे कॉरपोरेटों को बड़ी रियायतें देकर और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को बेचकर निवेश को बढ़ावा देने के अपने ख्याली पुलाव पकाने में लगी है। ऐसा कभी होने वाला नहीं है क्योंकि कॉरपोरेट्स अपने लाभ मार्जिन को बनाए रखने के लिए उन सभी रियायतों का उपयोग कर रहे हैं जिन्हे उन्हे सरकार ने बांटा है। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि नई क्षमताओं या परिसंपत्तियों में शायद ही कोई निवेश हो।

नरेंद्र मोदी सरकार जिसने 2014 में "अच्छे दिन" और हर साल एक करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। वह अब वर्तमान में अपने जनक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे यानि हिंदू राष्ट्र के निर्माण के लिए काम कर रही है। अब तक मोदी सरकार ने बढ़ती कीमतों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा है और बेरोजगारी के मुद्दे को भी नकली आंकड़ों के बोझ तले  दफन कर दिया है। नतीजतन, देश आर्थिक संकट के साथ-साथ सांप्रदायिक जहर से भरे नागरिकता के कानूनों की अभूतपूर्व उथल-पुथल से गुजर रहा है। 

economic crises
rising prices
Food Inflation
unemployment
achhe din
mpdi srkar

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

ज्ञानव्यापी- क़ुतुब में उलझा भारत कब राह पर आएगा ?

वाम दलों का महंगाई और बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ कल से 31 मई तक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?
    31 May 2022
    बीते विधानसभा चुनाव में इन दोनों जगहों से सपा को जीत मिली थी, लेकिन लोकसभा उपचुनाव में ये आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है तो वहीं मुख्य…
  • Himachal
    टिकेंदर सिंह पंवार
    हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 
    31 May 2022
    केंद्र को यह समझना चाहिए कि हाती कोई सजातीय समूह नहीं है। इसमें कई जातिगत उपसमूह भी शामिल हैं। जनजातीय दर्जा, काग़जों पर इनके अंतर को खत्म करता नज़र आएगा, लेकिन वास्तविकता में यह जातिगत पदानुक्रम को…
  • रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान
    31 May 2022
    हाई-प्रोफाइल बिप्लब कुमार देब को पद से अपदस्थ कर, भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व ने नए सीएम के तौर पर पूर्व-कांग्रेसी, प्रोफेसर और दंत चिकित्सक माणिक साहा को चुना है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा
    31 May 2022
    “राज्य की शिक्षा, संस्कृति तथा राजनीतिक परिदृ्श्य का दमन और हालिया असंवैधानिक हमलों ने हम लोगों को चिंता में डाल दिया है।"
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?
    31 May 2022
    न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं उमर खालिद के केस की। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद का भाषण अनुचित था, लेकिन यह यह आतंकवादी कृत्य नहीं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License