NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
आदर्श बहुओं की नहीं आदर्श पतियों की है कमी
हज़ारों साल पहले लिखे मनुस्मृति के यह तीन सबसे कम आपत्तिजनक वाक्य हैं: 1- पुत्री, पत्नी, माता या कन्या, युवा, वृद्धा किसी भी स्वरूप में नारी स्वतंत्र नहीं होनी चाहिए...
सुभाषिनी सहगल अली
14 Sep 2018
आदर्श बहुओं की नहीं आदर्श पतियों की है कमी

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की एक ऐसी खबर पिछले दिनों में छपी जो हिंदी-भाषी इलाके में चर्चा का विषय बन गयी. हर केन्द्रीय और राजकीय विश्वविद्यालय में निजीकरण की शुरुआत हो चुकी है. इसके चलते शिक्षा केवल महंगी नहीं हो रही है बल्कि अजीब तरह के और अनाप-शनाप विषय पढ़ाने के लिए दरवाज़े खुलने लगे हैं.

BHU से आने वाली खबर थी कि IIT-BHU में, जहां इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, विज्ञान इत्यादि सीखने की लोग अपेक्षा करते हैं और जहां लड़के-लड़की दोनों ही इन विषयों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने पहुँचते हैं, वहां ‘आदर्श बहू– तीन महीने में’ नामक कोर्स पढ़ाया जाएगा. 

आज-कल, ‘परंपरागत भारतीय मूल्यों से प्रेरित शिक्षा प्रणाली’ को तमाम शिक्षा संस्थानों में लागू करने की बात पहले से कहीं अधिक मंचों से कही जा रही है. केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें इस काम में जुट भी गयी हैं और वैदिक गणित, वैदिक विज्ञान इत्यादि के प्रचार-प्रसार में काफी ऊर्जा और साधन जुटाए जा रहे हैं.  हाल ही में, मुंबई में वैज्ञानिक विषयों पर एक सम्मलेन आयोजित किया गया था जिसमें विज्ञान पढ़ाने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक लोगों को समझा रहे थे कि प्राचीन भारत में विमान किस तरह गधे से प्राप्त इंधन से उड़ाये जाते थे.

ऐसे माहौल में जब इस बात की खबर आयी की IIT-BHU में ‘आदर्श बहू – तीन माह का कोर्स’ पढ़ाया जाएगा तो उस पर तुरंत विश्वास कर लिया गया, औरविश्वास होते ही, चारों तरफ से लोगों ने आलोचनात्मक टिप्पणियों की बौछार शुरू कर दी. उन्होंने सवाल किया की आखिर इस तरह के कोर्स का औचित्य क्या है? युवतियों के लिए ‘आदर्श बहू’ बनना किस तरह का ‘करियर चॉइस’ है? केंद्र सरकार द्वारा संचालित, BHU और वह भी BHU के IIT जैसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान में क्या इस तरह के कोर्स का पढ़ाया जाना उसे शोभा देता है? इत्यादि इत्यादि...

यह आलोचना अनुचित नहीं थी. इस तरह का पाठ तो हमारे देश की महिलाओं और युवतियों को हज़ारों सालों से पढ़ाया जा रहा है.  चाहे धर्म-ग्रन्थ हों, या साधु-संतों के प्रवचन, चाहे घर के बुज़र्गों द्वारा दिए जाने वाले उपदेश हों या बचपन से ही माताओं द्वारा दी जा रही चेतावनी – सब के सब बच्चियों, लड़कियों, युवतियों और महिलाओं को आदर्श बहू बनने का एक जैसा पाठ ही तो पढ़ाते हैं.

हज़ारों साल पहले लिखे मनुस्मृति के यह तीन सबसे कम आपत्तिजनक वाक्य हैं:

1- पुत्री, पत्नी, माता या कन्या, युवा, वृद्धा किसी भी स्वरूप में नारी स्वतंत्र नहीं होनी चाहिए. –मनुस्मृति : अध्याय-९ श्लोक-२ से ६ तक. 

2- पति पत्नी को छोड सकता हैं, सूद (गिरवी) पर रख सकता है, बेच सकता है, लेकिन स्त्री को इस प्रकार के अधिकार नहीं हैं. किसी भी स्थिति में, विवाह के बाद, पत्नी सदैव पत्नी ही रहती है. – मनुस्मृति : अध्याय-९ श्लोक-४५. 

3- संपत्ति के अधिकार और दावों के लिए, शूद्र की स्त्रिया भी "दास" हैं, स्त्री को संपति रखने का अधिकार नही हैं, स्त्री की संपत्ति का मालिक उसका पति,पुत्र, या पिता है. – मनुस्मृति : अध्याय-९ श्लोक-४१६.

जब मनुस्मृति का हवाला दिया जाता है तो इसके उत्तर में यह कहा जाता है कि उसको तो अब कोई मानता नहीं, या उसमें तो बहुत कुछ बाद में (अंग्रेजों ने, मुसलमानों ने) जोड़ा गया है.  लेकिन, 1950 में ही RSS के गुरु गोलवलकर ने डॉ. आंबेडकर द्वारा रचित संविधान का विरोध करते हुए कहा था कि हमारे देश का न्याय-शास्त्र मनुस्मृति के अलावा कोई दूसरा हो ही नहीं सकता है. यही नहीं, कुछ ही दिन पहले, शिकागो, अमेरिका में RSS द्वारा आयोजित विश्व हिन्दू सम्मलेन के दौरान एक प्रमुख वक्ता ने कहा कि मनुस्मृति को पुन: देश का विधान बनाने की आवश्यकता है.

हिन्दू विवाह के दौरान वधु का ‘कन्यादान’ किया जाता है और उसे 100 पुत्रों की माँ बनने का आशीर्वाद दिया जाता है.

आधुनिक आदर्श बहू की क्वालिफिकेशन पहले से बहुत अधिक हो गयी है. पहले उसके लिए सेवा भाव से प्रेरित, गोरी, आज्ञाकारिणी, अच्छा भोजन बनाने वाली, पुत्र पैदा करने वाली होना आवश्यक था. आज इन सारे गुणों का भागी होने के अतिरिक्त उसमें अन्य क्वालिफिकेशन का होना आवश्यक है. उसे शिक्षित भी होना चाहिए (लेकिन अपने पति से थोडा सा कम), अपने इलाके के आलावा, अन्य राज्यों के भारतीय भोजन बनाने के साथ उसे चाइनीज़ खाना भी बनाना आना चाहिए. केक भी बनाना सीख ले तो बेहतर है.  उसे परम्परागत भी होना चाहिए और आधुनिक भी ताकि सास-ससुर-पति की सेवा के साथ वह पति के बॉस से पार्टी में बात भी कर सके. पति से अधिक ‘स्मार्ट’ न होकर उसे गंवारू भी नहीं होना चाहिए.  अगर उसकी सरकारी नौकरी लगी हो तो थोड़ा बाकी क्वालिफिकेशन में थोड़ी बहुत रियायत की जा सकती है. यह सब तो होना ही चाहिए लेकिन, सबसे बड़ी बात है, उसे ससुराल खाली हाथ नहीं आना चाहिए!

ऐसे में, जब ‘आदर्श बहू – तीन माह का कोर्स’ की खबर प्राप्त हुई तो उसकी आलोचना स्वाभाविक थी.  आलोचकों के तेवर देख, IIT-BHU के अधिकारियों ने तुरंत अपनी सफाई देते हुए कहा की इस कोर्स से उन्हें कोई मतलब नहीं था. इसका आयोजन तो उनके कैम्पस में उनके सहयोग से चल रहे भारतीय नवयुवकों को प्रशिक्षित करने वाली संस्था और काशी स्थित वनीता इंस्टिट्यूट आफ फैशन एंड डिजायन मिलकर कर रहे थे. फिर, इन दोनों संस्थाओं ने भी सफाई देनी शुरू कर दी कि वह तो महिलाओं की आत्म-निर्भरता को बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करने में लगे हैं और इस तरह का कोई कोर्स उनके कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था.

सच तो यह है कि वनिता इंस्टीटूट आफ फैशन एंड डिजायन की ओर से इस कोर्स का विज्ञापन, पोस्टर के रूप में छपा था और इसकी प्रतियाँ अखबारों में भी छप चुकी हैं. इनमें बहू बनी, सजी-धजी, एक युवती की तस्वीर है और उसके बगल में लिखा है - IIT-BHU में चलाए जाने वाले कोर्स में पेशेवर, फैशन और विवाह-सम्बंधित निपुणता का प्रशिक्षण दिया जाएगा.

महिलाओं के लिए भारत दुनिया में सबसे अधिक खतरनाक देशों में से एक है. घरेलू हिंसा से पीड़ित परिवार कुल परिवारों में 60-70% हैं. बच्चियों से लेकर वृद्धाओं के साथ बलात्कार रोज़ की खबर है और पीड़ितों की हत्या अक्सर कर दी  जाती है. दहेज़ हत्याएं थमने का नाम नहीं लेती. ज़ाहिर है कि आदर्श बहुओं की नहीं, आदर्श पतियों की बहुत कमी है.  लेकिन इसके लिए युवको को किसी प्रकार का कोई कोर्स पढ़ाया नहीं जा रहा है. न शिक्षा संस्थानों में, न घरों में, न टीवी चैनलों पर. कहीं नहीं.

 

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
IIT-BHU
घरेलू हिंसा
महिला अत्याचार
मनुस्मृति
BJP-RSS

Related Stories

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

भारत में सामाजिक सुधार और महिलाओं का बौद्धिक विद्रोह

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण रोधी अभियान पर रोक लगाई, कोर्ट के आदेश के साथ बृंदा करात ने बुल्डोज़र रोके

अब राज ठाकरे के जरिये ‘लाउडस्पीकर’ की राजनीति

जलियांवाला बाग: क्यों बदली जा रही है ‘शहीद-स्थल’ की पहचान

सियासत: दानिश अंसारी के बहाने...


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License