NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी में सीएए विरोधियों के ख़िलाफ़ एक बार फिर प्रशासन ने जारी किए पोस्टर
उत्तर प्रदेश पुलिस ने आठ प्रदर्शनकारियों को भगोड़ा घोषित कर दिया है। और इन प्रदर्शनकारियों की जानकारी देने वाले को पाँच हज़ार का इनाम देने का ऐलान करते हुए एक बार फिर एक पोस्टर जारी कर दिया है। इसके अलावा कुछ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ भी एक और पोस्टर जारी किया गया है।
असद रिज़वी
04 Nov 2020
up caa

नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरुद्ध हुए प्रदर्शन को एक वर्ष पूरा होने वाला है, लेकिन प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कार्रवाई अब भी जारी है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने आठ प्रदर्शनकारियों को भगोड़ा घोषित कर दिया है। और इन प्रदर्शनकारियों की जानकारी देने वाले को पाँच हज़ार रुपये का इनाम देने का ऐलान करते हुए एक बार फिर एक पोस्टर जारी कर दिया है।

राजधानी लखनऊ की पुलिस द्वारा एक पोस्टर जारी किया गया है, जिसमें आठ सीएए विरोधी प्रदर्शनकरियों की तस्वीरें हैं। इन सभी के विरुद्ध गैंगस्टर में मुक़दमा दर्ज है। पुलिस द्वारा पोस्टर में सभी प्रदर्शनकारियों के नामों के साथ उनकी तस्वीरें को भी दर्शाया गया है।

पोस्टर पर प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों के साथ लिखा है, “उपरोक्त अभियुक्तगण जो मु०अ०स 133/20 धारा 2/3 उ०प्र गैंगस्टर ऐक्ट थाना ठाकुरगंज में वांछित हैं कि जानकारी देने पर प्रत्येक अभियुक्त पर रुपये 5000 का पुरस्कार दिया जायेगा।

इसके अलावा पोस्टर पर प्रभारी निरीक्षक चौक, प्रभारी निरीक्षक ठाकुरगंज और सहायक पुलिस आयुक्त का टेलीफोन नंबर भी है जिस पर इसके बारे में जानकारी दी जा सकती है।

पुलिस द्वारा इन प्रदर्शनकारियों के इलाक़ों में जाकर इसके वांछित होने का ऐलान भी लाउडस्पीकर पर किया गया। प्रदर्शनकारियों के घरों के बाहर स्थानीय प्रशासन द्वारा नोटिस भी चस्पा किये गए हैं।

पुलिस के अनुसार यह प्रदर्शनकारी बीते वर्ष सीएए के विरुद्ध हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल थे। सहायक पुलिस आयुक्त आईपी सिंह ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा की जिनका पोस्टर जारी किया गया है वह हिंसा में शामिल थे, और 19 दिसंबर 2019 के बाद से फ़रार हैं।

उन्होंने कहा की कुल 8 लोगों की तस्वीर पोस्टर पर है और इनमें किसी एक की जानकारी देने वाले को नगद पुरस्कार दिया जायेगा। सहायक पुलिस आयुक्त के अनुसार अभियुक्त प्रदर्शनकारियों की तस्वीर हर उस जगह लगाई गई है जहाँ उनके मिलने की संभावना है। इसके अलवा अभियुक्त के घरों के आस-पास भी पोस्टर और नोटिस लगाए गए हैं।

जबकि पुलिस सूत्रों के मुताबिक़ 8 से अधिक प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों को सार्वजनिक स्थानों पर लगाया गया है। सूत्रों ने बताया की दो तरह की होर्डिंग बनवाई गई हैं। एक होर्डिंग में वह प्रदर्शनकारी हैं जिन पर गैंगस्टर के तहत करवाई की गई है। दूसरी एक अन्य होर्डिंग में कुछ प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें हैं,जिनके ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज है, लेकिन उन पर गैंगस्टर जैसी कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार जिन पर गैंगस्टर नहीं लगा है, उनके ख़िलाफ़ भी शिकंजा कसने की प्रक्रिया चल रही है और उन पर भी इनाम घोषित हो सकता है।

जिन आठ प्रदर्शनकारियों की तस्वीर पुलिस द्वारा सार्वजनिक की गई है उन पर गैंगस्टर का मामला दर्ज है उनमें मोहम्मद आलम, मोहम्मद तहिर, रिज़वान, नायब उर्फ़ रफ़त अली,अहसन, इरशाद, हसन और इरशाद हैं।

दूसरे पोस्टर में मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ़ अब्बास, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मौलना क़ल्बे सादिक़ के पुत्र डॉ. कल्बे सिब्तैन “नूरी”, इस्लाम, जमाल, तौक़ीर उर्फ़ तौहीद, सलीम चौधरी, मानू, शकील, नीलू, हलीम, काशिफ़ और आसिफ़ के नाम शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल 19 दिसंबर को सारे देश के साथ लखनऊ में भी सीएए के विरुद्ध भारी प्रदर्शन हुआ था। जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई इलाक़ों में झड़प हो गई। प्रदर्शन हिंसक होने के बाद एक प्रदर्शनकारी की जान चली गई और निजी-सार्वजनिक संपत्ति का नुक़सान भी हुआ था।

प्रदर्शन के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को जेल भेजा गया जो बाद में ज़मानत पर रिहा हो गए। लेकिन सरकार ने पुलिस-प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प के दौरान हुए नुक़सान के मुआवज़े के लिए प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों की होर्डिंग प्रदेश भर के अनेको चौराहों पर लगवा दीं थीं। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों जिनमें पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, कांग्रेसी नेता सदफ़ जाफ़र, रंगकर्मी दीपक कबीर, प्रोफ़ेसर रोबिन वर्मा, अम्बेडकरवादी लेखक पीआर अम्बेडकर और रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब आदी ने इसे नागरिक अधिकार का उल्लंघन बताते हुए अपनी जान को ख़तरा बताया था। इसके अलावा हाईकोर्ट ने भी प्रदर्शनकारीयों की तस्वीरें चौराहों पर लगाने पर नाराज़गी जताई थी।

उस समय इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने होर्डिंग मामले में स्वतः संज्ञान लिया था और इन्हें तुरंत हटाने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट का मानना है कि सार्वजनिक स्थान पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति के बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है। यह राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन है। बाद में प्रशासन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चला गया।

पोस्टर के अलावा प्रदर्शनकारियों के घर पर कुर्क़ी के नोटिस भेजे गए थे। बता दें की विवादास्पद होर्डिंग और कुर्क़ी का मामले अभी अलग-अलग अदालतों में विचाराधीन हैं। यहां यह भी बता दें कि प्रदेशभर में सीएए के विरुद्ध हुए प्रदर्शन में 20 से अधिक लोगों की जान गई थी, जिनमें ज़्यादातर मामलों में पुलिस पर ही निर्दोषों को निशाना बनाने के आरोप है।

दिसंबर के प्रदर्शन के एक महीने बाद जनवरी 2020 में राजधानी लखनऊ के घंटाघर (हुसैनाबाद) समेत प्रदेश के कई हिस्सों में विवादास्पद नगरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हो गए। जो क़रीब ढाई महीने बाद मार्च कोविड-19 के लिए हुई तालाबंदी के समय ख़त्म हुए।

घंटाघर पर हुए प्रदर्शन में भी बड़ी संख्या में गिरफ़्तारियां हुई और प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध मुक़दमे लिखे गए। तालाबंदी के बाद इन मुक़दमों के चलते महिलाओं को पुलिस ने तलब किया। इस बीच सरकार द्वारा सीएए विरोधी दीपक कबीर, मोहम्मद शोएब और सदफ़ जाफ़र की ज़मानत रद्द करने के लिए भी अर्ज़ी दी गई।

क़ानून के जानकर कहते हैं की किसी भी अभियुक्त की तस्वीर नहीं लगाई जा सकती है। प्रसिद्ध अधिवक्ता मोहम्मद असद ने न्यूज़क्लिक से कहा की अगर कोई अभियुक्त भगोड़ा भी है तब भी उसकी तस्वीर को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। 

मोहम्मद असद कहते हैं कि पुलिस के पास सीआरपीसी दफ़ा 82 के तहत नोटिस देने और सीआरपीसी दफ़ा 83 के अंतर्गत अदालत के आदेश से अभियुक्त के घर के कुर्क़ी का अधिकार है। लेकिन किसी की तस्वीर लगना सिर्फ़ तानाशाही है और नागरिकों को संविधान में मिले अधिकरों का हनन है।

 

CAA
UP
NRC CAA protest

Related Stories

15 राज्यों की 57 सीटों पर राज्यसभा चुनाव; कैसे चुने जाते हैं सांसद, यहां समझिए...

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

चुनावी वादे पूरे नहीं करने की नाकामी को छिपाने के लिए शाह सीएए का मुद्दा उठा रहे हैं: माकपा

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

लाल क़िले पर गुरु परब मनाने की मोदी नीति के पीछे की राजनीति क्या है? 

शाहीन बाग़ की पुकार : तेरी नफ़रत, मेरा प्यार

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

यूपी: सफ़ाईकर्मियों की मौत का ज़िम्मेदार कौन? पिछले तीन साल में 54 मौतें

मेरठ: वेटरनरी छात्रों को इंटर्नशिप के मिलते हैं मात्र 1000 रुपए, बढ़ाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License