NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अगले साल अच्छी होगी फसल मतदान की
प्रांजल
18 Dec 2014

भाजपा के गठन के बाद ही सांप्रदायिक तनाव का माहौल बनने लगा था पर इसे चरम पर ले जाने का काम आडवाणी की रथ यात्रा और बाबरी के विध्वंस ने किया. उसके बाद तो मानो दंगो का एक दौर सा चल पड़ा। बड़े जनसंहार हुए, हज़ारों मौत के घाट उतारे गए और दो समुदायों की बीच की दूरी भी बढती गई। 1992 और 2002, 2013 तो प्रमुख थे पर अनगिनत छोटे दंगो ने रोज़ किसी कोने में अल्पसंख्यको की जान ली है। सालों से चल रहे बाबरी के केस में न्याय दूर तक नहीं नजर आ रहा। सरकारे आती जाती रही। कभी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस की सरकार रही तो कभी हिंदुत्व की पोषक भाजपा की। पर केस वही अटका रहा। आज बाबरी के विध्वंस को 22 साल हो गए और साथ ही केंद्र में 25 साल बाद किसी पार्टी की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी। दोनो में समानता यह है कि इसी दल के नेताओं के ऊपर बाबरी गिराने, गुजरात नरसंहार को जन्म देने और मुजफ्फरनगर दंगो को भड़काने का आरोप है। जब चुनाव प्रचार किया गया तो “सबका साथ सबका विकास” का नारा था और सांप्रदायिक भाईचारे के लिए सदभावना रैली भी की गई। पर चुनाव जीतने के बाद माहौल बिलकुल अलग। केवल उत्तर प्रदेश से ही 600 से अधिक सांप्रदायिक तनाव की खबरें आई। जहाँ जहाँ चुनाव, वहां वहां विभाजक राजनीति। और वर्तमान में इसका सबसे बड़ा उदहारण है दिल्ली।

दिल्ली में जबसे विधानसभा को भंग किया गया और चुनाव करवाने की मंजूरी राष्ट्रपति ने दी, तबसे ही अलग अलग जगहों पर धार्मिक उन्माद फ़ैलाने की कोशिश भी शुरू कर दी गई। त्रिलोकपुरी, बवाना, ओखला, रंगपुरी, नंद नगरी और दिलशाद गार्डन में जो हुआ वो किसी से छुपा नहीं है। अगर गौर किया जाए तो ये सभी जगहों पर वर्षों से कांग्रेस के उम्मीदवार के लिए समर्थन रहा है पर पिछले चुनावं में आम आदमी पार्टी ने यहाँ जीत दर्ज की या कांग्रेस के वोट में सेंध लगाई। पर आप के प्रति लोगो के कम होते रुझान को देख कर यहाँ हिंसक घटनाओं को इसलिए भड़काया गया ताकि अल्पसंख्यक समुदाय को भयभीत कर सके और दलित समुदाय को अपनी तरफ खीचा जा सके। इन इलाकों में बहुसंख्यक दलित समुदाय को हिंदुत्व के घेरे में लाने की कोशिश कामयाब हुई की नहीं यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा पर अल्पसंख्यक को डराने की तरकीब जरुर सफल हुई है। सुनियोजित ढंग से फैलाए गए इन तनावों की पीछे की मुख्य वजह ही यही थी की अल्पसंख्यक समुदाय के मानसिक, आर्थिक और शारीरिक तौर पर यातना दी जा सके। भाजपा नेता जिस प्रकार रोजाना भाषण दे रहे हैं उससे ध्रुवीकरण काफी हद तक हो रहा है और अप्ल्संख्यक इसका सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं।

 

इतना ही यह सरकार अल्पसंख्यकों के आर्थिक अधिकार पर भी हल्ला बोल रही है। खबर है की जामा मस्जिद के पास स्थापित कोर्ट मार्किट को जो मुख्यतः छोटे कारोबारियों का स्थल था, उसे हटा कर शाष्त्री पार्क स्थापित करने के आदेश हैं। इसके एवज में न कोई मुआवज़ा और न ही कोई राहत। वर्षों से स्थापित दुकानों को हटा कर दूसरी जगह स्थापित करना और केवल उन दुकानों को जिन्हें अल्पसंख्यक चलाते हैं, यह राजग सरकार के इरादों को दर्शाती है। हाल ही में कई ऐसी खबरे भी आई हैं जहाँ अल्पसंख्यकों को बेवजह झूटे आरोपों में फसा कर जेल में डाला और वर्षों बाद बेगुनाह बता के रिहा किया गया। दिल्ली के लोग बटला हाउस भूल भी नहीं पाए थे की इसी साल 15 अगस्त के आसपास सादी वर्दी में पुलिस वाले इन इलाको में फर्जी गिरफ्तारी की घटना को अंजाम देने के लिए घुसे। हालाकि आवाम की सूझबूझ के कारण उनके इरादे नकामयाब हुए पर कॉर्पोरेट मीडिया इन इस पूरी घटना को नजरअंदाज कर दिया। ऐसे ही कई वारदात और भय की कहानियाँ दिल्ली के कोने कोने में मौजूद है जहाँ अल्पसंख्यक अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहा है।

आज हमारे सामने बड़ा सवाल यह है कि एक धर्मनिर्पेक्ष आज़ाद मुल्क में राज्य व्यवस्था इतनी विवश है कि वह इन धर्म के ठेकेदारों को पकड़ नहीं सकती? क्या इस मुल्क में आज़ादी सिर्फ बहुमत हिन्दू समुदाय के लिए है और शायद इसीलिए केन्द्रीय मंत्री अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान जाने की नसीहत दे रहे हैं? खुले तौर पर मंत्री, सांसद ‘घर वापसी’ का नारा दे कर धर्मान्तरण करवा रहे और सरकार इसे गलत नहीं मान रही। ये कैसा विकास है जहाँ संविधान की जगह सरकार ने ले ली है और अभिव्यक्ति की आज़ादी भी नहीं?  और सबसे बड़ा सवाल की क्या इस देश की जनता इनती नासमझ है कि सरकार कॉर्पोरेट के साथ मिलकर बुनियादी ढाचों पर हमला करे और ये विकास की आस लेकर धर्म के नाम पर लड़ते रहें?

                                                                                                                           

कैमरा- श्रीकांत

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

सांप्रदायिक ताकतें
त्रिलोकपुरी
बाबरी
बवाना
भाजपा
आर.एस.एस
अच्छे दिन
विकास
साक्षी महाराज
आदित्यनाथ

Related Stories

कार्टून क्लिक : नए आम बजट से पहले आम आदमी का बजट ख़राब!

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप

मोदी के एक आदर्श गाँव की कहानी

क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?


बाकी खबरें

  • रवि शंकर दुबे
    ‘’मुसलमानों के लिए 1857 और 1947 से भी मुश्किल आज के हालात’’
    05 Apr 2022
    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव रहमानी ने आज के दौर को 1857 और 1947 के दौर से ज़्यादा घातक बताया है।
  • भाषा
    ईडी ने शिवसेना सांसद संजय राउत से संबंधित संपत्ति कुर्क की
    05 Apr 2022
    यह कुर्की मुंबई में एक 'चॉल' के पुनर्विकास से संबंधित 1,034 करोड़ रुपये के कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन की जांच से संबंधित है। 
  • सोनया एंजेलिका डिएन
    क्या वैश्वीकरण अपने चरम को पार कर चुका है?
    05 Apr 2022
    पहले कोरोना वायरस ने एक-दूसरे पर हमारी आर्थिक निर्भरता में मौजूद खामियों को उधेड़कर सामने रखा। अब यूक्रेन में जारी युद्ध ने वस्तु बाज़ार को छिन्न-भिन्न कर दिया है। यह भूमंडलीकरण/वैश्वीकरण के खात्मे…
  • भाषा
    श्रीलंका के नए वित्त मंत्री ने नियुक्ति के एक दिन बाद इस्तीफ़ा दिया
    05 Apr 2022
    श्रीलंका के नए वित्त मंत्री अली साबरी ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। एक दिन पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने भाई बेसिल राजपक्षे को बर्खास्त करने के बाद उन्हें नियुक्त किया था।
  • भाषा
    हरियाणा के मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ मामले पर विधानसभा में पेश किया प्रस्ताव
    05 Apr 2022
    हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मनोहर लाल द्वारा पेश प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘यह सदन पंजाब विधानसभा में एक अप्रैल 2022 को पारित प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करता है, जिसमें सिफारिश की गई है कि…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License