देश में लगातार दुर्घटनाओं से बढ़ते मौत के आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पिछले पांच सालों में सड़क में गड्ढों के कारण हुईं सड़क दुर्घटनाओं में करीब 15 हज़ार (14, 926) लोगों की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे अस्वीकार्य बताया और इसके लिए केंद्र को फटकार लगाई। इसके अलावा अन्य सड़क दुर्घटनाओं की बात करें, तो सिर्फ 2017 में ही करीब सवा लाख लोगों की इसमें जान जा चुकी है।
इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि देश भर में गड्ढों के कारण बड़ी संख्या में मौतें "सीमा पर या आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों की तुलना में बहुत अधिक हैं।"
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और हेमंत गुप्ता समेत पीठ ने कहा कि गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं में 2013 से 2017 तक की मौतों की संख्या से संकेत मिलता है कि संबंधित विभाग बिल्कुल बेफिक्र है उसने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार जो आँकड़ें सामने आए हैं वो सही में चौंकाने वाले, भयावह और चिंताजनक हैं। 2017 में ही 3,597 मौतें इन गड्ढों से हुईं| इसी दौरान आतंकी घटनाओं में 40 लोगों की मौत हुई।
वर्ष आतंकी घटनाओं में हुईं मौतें सड़क के गड्ढों के कारण हुईं मौतें
2013 303 2614
2014 407 3004
2015 181 3387
2016 30 2324
2017 40 3597
कुल 961 14,926
गड्ढों से मौत पर राज्य द्वारा केंद्र को 2017 में भेजे गए आकड़ों के अनुसार यूपी का नम्बर अव्वल है –
राज्य मौत
1. उत्तर प्रदेश 987
2. महाराष्ट्र 726
3. हरियाणा 522
4. गुजरात 228
इस सूची को ध्यान से देखें तो पाएँगे कि टॉप चार राज्यों में चारों राज्य भाजपा शासित हैं | सबसे चौंकाने वाली बात है कि यूपी में भाजपा की सरकार का नारा था कि यूपी अब गड्ढा मुक्त होगा लेकिन वास्तविकता इससे कोसो दूर है। योगी जी के दावे के विपरीत यूपी की सड़कें अभी भी गड्ढा युक्त बनी हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा पर एक कमेटी बनाई थी। इसी कमेटी की रिपोर्ट पर खंडपीड ने केंद्र से प्रतिक्रिया मांगी थी। परन्तु केंद्र कि ओर से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है।
पीठ ने कहा था कि यह हम सब जानते है कि ऐसी दुर्घटनाओं बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे, इसके लिए जिम्मेदार वो हैं जिन्हें सड़कों का रखरखाव रखना था, वे अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभा रहे हैं।
इस तरह की मौत में मारे गए व्यक्ति के परिवार जनों को किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिलती है जबकि ये मौतें सरकार व प्रशासन के लापरवाही से होती हैं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि जो लोग गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप अपनी जान गंवा चुके हैं उन्हें मुआवजे मिलना चाहिए।
पीठ ने इस "गंभीर समस्या" को देखने और दो हफ्तों के भीतर एक रिपोर्ट दर्ज करने के लिए सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट कमेटी से कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि समिति को सिफारिशें देनी चाहिए क्योंकि यह मुद्दा सड़क सुरक्षा का हिस्सा है ।
यह पूरा मामला पीठ के सामने तब आया था जब पीठ पूरे देश में सड़क सुरक्षा से संबंधित एक याचिका को सुन रहा था।
इस रिपोर्ट ने सरकार के उस दावों कि पोल खोल दी कि उसने देश की सड़कों को सुरक्षित किया है। इस रिपोर्ट ने बताया कि लाखों लोगों ने सड़क दुर्घटना में जान गंवाई है और यह कम होने की जगह साल दर साल बढ़ रहा है।
पिछले वर्ष का ही उदाहरण लेते हैं। पिछले साल 2017 में सड़क हादसों में सवा लाख लोगों ने अपनी जान गंवायी है।
2017 में हुई मौतें
राज्य मौतें
उत्तर प्रदेश 20142
तमिलनाडु 16157
गुजरात 7289
तेलंगाना 6595
प. बंगाल 5953
बिहार 5429
ओड़िशा 4790
पंजाब 4278
इस आकड़ें को देखें तो केवल उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 55 व्यक्तियों कि मौत सड़क दुर्घटना में हो रही है। जिस पर हमारे दल हर चुनावों में मुद्दा बनाते हैं लेकिन सरकार में आने पर भूल जाते हैं। योगी जी ने भी सरकार में आते ही 15 जून 2017 तक सभी सड़कों के गड्ढे भरने का ऐलान किया था लेकिन जून 2018 भी बीत गया और पुराने गड्ढे भरे न जा सके, बल्कि और नये गड्ढे हो गए। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अब ख़राब सड़कों को लेकर चिंता जता रहे हैं और बयान दे रहे हैं कि सड़कें खराब हुईं तो ठेकेदारों पर बुलडोजर चलवा दूंगा। ये विवादित बयान अपनी ज़िम्मेदारी से बचने के अलावा और कुछ नहीं।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भी इसको लेकर चिंता जाहिर कि सरकार के लापरवाही के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। कोर्ट ने इसको लेकर सरकारों को फटकार भी लगाई है जल्द इस पर कार्रवाई करने को कहा।