NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अख़लाक़ के क़त्ल के तीन साल बाद इन्साफ अब भी एक सपना
तीन साल बाद का सच यह है कि मामले में 17 आरोपी ज़मानत पर बाहर हैं ,17 में से एक लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है और एक की मौत हो गयी है। इसके साथ ही मामले में अख़लाक़ का पीड़ित परिवार ही मुख्य आरोपी बना दिया गया है।
ऋतांश आज़ाद
27 Sep 2018
dadri lynching

28 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के बिसारा गाँव के मोहम्मद अख़लाक़ की लिंचिंग को 3 साल पूरे हो जायेंगे। इसे 'दादरी लिंचिंग' के नाम से भी जाना जाता है और यह 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में  आने के बाद पहला लिंचिंग का मामला था जो राष्ट्रीय मुद्दा बनकर उभरा। लेकिन तीन साल बाद का सच यह है कि मामले में 17 आरोपी ज़मानत पर बाहर हैं ,17 में से एक लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है और एक की मौत हो गयी है। इसके साथ ही मामले में अख़लाक़ का पीड़ित परिवार ही मुख्य आरोपी बना दिया गया है। 

28 सितम्बर 2015 देश के इतिहास के पन्नों में एक काली तारीख की तरह याद की जाएगी। इसीलिए भी क्योंकि 28 सितम्बर की रात को जो भयानक घटना हुई वो देश में फिर हर गली मोहल्ले में आये दिन होने लगी। 28 सितम्बर की रात को उत्तर प्रदेश की दादरी तहसील के बिसारा गाँव के मंदिर से यह एलान हुआ कि किसी ने गाँव में गौ हत्या की है इसीलिए सब गाँव के बड़े ट्रांसफॉर्मर के पास इकठ्ठा हों। इसके कुछ ही समय बाद एक भीड़ गाँव में रहने वाले एक 52 साल के व्यक्ति मोहम्मद अख़लाक़ के घर पहुँची। उन्हें और उनके 22 साल के बेटे दानिश को घर से निकालकर इतनी बुरी तरह से पीटा गया कि अखलाक की मौके पर ही मौत हो गयी और उनके बेटे के सर पर काफी चोंटे आयीं। 

पुलिस ने इस मामले में 18 लोगों को तो आरोपी बनाया। लेकिन पुलिस ने अख़लाक़ के फ्रिज से एक मांस का टुकड़ा भी 'बरामद' किया। यह कहा गया कि हो सकता है कि अख़लाक़ ने गौ हत्या की हो। धीरे धीरे इस मामले का रूख पूरी तरह से मोड़ दिया गया और अख़लाक़ के परिवार को ही गौ हत्या का दोषी दर्शाया जाने लगा। 29 सितम्बर 2015 को आयी दादरी स्थित गवर्नमेंट वेटेनरी हॉस्पिटल की रिपोर्ट के अनुसार माँस का टुकड़ा देखने में बकरी का माँस लग रहा था, लेकिन उसे  मथुरा स्थित लबोरेटरी में भी जाँचने की बात भी कही गयी। जून 2016 में मथुरा की फॉरेंसिक इंवेस्टिगेशन लैबोरेटरी के जॉइंट डायरेक्टर ने एक रिपोर्ट निकली। रिपोर्ट के अनुसार यह मांस का टुकड़ा या तो गाय का था या फिर बछड़े का।

अख़लाक़ की हत्या के मामले में 18 आरोपियों पर मुक़दमें कछुए की चाल से चल रहा है। यह मामला 'फास्ट ट्रैक' कोर्ट में चलाये जाने बावजूद और इसमें  2015 से अब तक 45 सुनवाईयां होने के बावजूद अब तक आरोपियों पर आरोप ही तय नहीं किये गए हैं। यह किस तरह की 'फास्ट्रैक' सुनवाई है? अख़लाक़ के परिवार के वकील का कहना है कि इस मामले को जानबूझकर लटकाया जा रहा है।  

यहाँ इस बात को भी रेखांकित करना ज़रूरी है कि इस पूरे मामले में आरोपियों को बचाये जाने, उन्हें पीड़ित साबित करने और उनका महिमामंडन करने के प्रयास सत्ताधारी बीजेपी ने लगातार किये हैं। अक्टूबर 2015 को जब एक आरोपी रवि सिसोदिया की जेल में स्वास्थ्य कारणों से मौत हुई तो, बीजेपी के एक विधायक संगीत सोम और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा वहाँ पहुँचे। उन्होंने सभी 17 आरोपियों को नौकरी देने की बात की और उनके परिवार को 20 लाख रुपये दिए जाने की बात भी की गयी। बताया जा रहा है कि ज़मानत पर बाहर आने के बाद ज़्यादातर को नौकरी मिल भी गयी है। यह ही नहीं अख़लाक़ की बर्बर हत्या के इस आरोपी के शव को तिरंगे में लपेटा गया, उसी तरह जैसे सैनकों को लपेटा जाता है। 

हाल ही में इस मामले के एक आरोपी रूपेंद्र राणा को उत्तर प्रदेश नवनिर्माण सेना नामक एक पार्टी से लोकसभा चुनाव का टिकट मिल गया है। इसी पार्टी ने ही उदयपुर में एक मुस्लिम मज़दूर के हत्यारे शम्भू रैगर को भी टिकट दिया है। इन घटाओं से साफ दिखाई देता है कि हमारा समाज और राजनीति कितनी बर्बर होती जा रही है। 

आज अख़लाक़ का परिवार डर के साये में जी रहा है। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उनके बेटे दानिश का कहना है कि "पिछले तीन सालों से डर हमेशा मेरे साथ रहा है। मैं घर से बाहर कहीं अकेले नहीं निकल सकता हूँ। गाँव में अब मुस्लिम समाज डर के साये रहता है।" उनकी बहन शाइस्ता ने कहा कि "जो इस केस में मुजरिम हैं वो खुले घूम रहे हैं लेकिन हम घर से बाहर नहीं निकल पा रहे। सत्ता में बैठे लोगों ने सन्देश साफ़ दिया है कि अगर आप इस तरह क़त्ल करेंगे तो नौकरियाँ सम्मान और मरने के बाद शहीद बना दिया जायेगा।"

वहीं लिंचिंग के मुद्दे पर काम कर रहे हर्ष मंदर ने भी इसी बात को दोहराया है कि सरकार लॉन्चिंग के ज़्यादातर मामलों में आरोपियों को बचाने और उन्हें नायक बनाकर पेश करने का प्रयास कर रही है। 

अख़लाक़ के क़त्ल के बाद देश में लगातार कई लिंचिंग के मामले देखे गए। इंडिया स्पेंड के आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2017 तक गाय संबंधित हिंसा के मामलों में मरने वाले 84% लोग  मुस्लिम थे और इनमें 97% मामले 2014 के बाद हुए हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि 60 हिंसा के मामलों में से 30 बीजेपी शासित राज्यों में हुए थे।

Akhlaq
Lynching
Cow Vigilante
Uttar pradesh
dadri lynching
BJP
BJP-RSS

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License