NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अलविदा नीलाभ
काबलियत और वैचारिक ऊँचाई जिन्हें भीड़ से अलग करती थीI
नारायण बारेठ
24 Feb 2018
Neelabh Mishra
Image Courtesy: Business World

वो हवा के झोंके की तरह आते लेकिन थोड़ी देर में ही लोग उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होने लगते। नीलाभ मिश्र न केवल एक बेहतरीन पत्रकार बल्कि एक नेक इंसान भी थे।उन्हें हिंदी अंग्रेजी पर समान पकड़ और किसी भी विषय पर गहराई तक समझ के लिए याद किया जाता है।अपने से कनिष्ठ पत्रकारों के लिए वे एक शिक्षक भी थे।लोग उनसे सियासत का फलसफा समझते थे तो कोई उनसे विश्लेष्ण की विधा समझने का प्रयास करता। वे एक ऐसे पत्रकार थे जो सतह के उस पार देखते थे और फिर जमाने को उसके निहितार्थ बताते थे।

राजस्थान नीलाभ मिश्र से तब रूबरू हुआ जब वे नब्बे के दशक में अंग्रेजी दैनिक न्यूज़ टुडे के सवांददाता के रूप में जयपुर आये। इससे पहले वे पटना में नवभारत टाइम्स में थे। अंग्रेजी में विद्व्ता के बावजूद नीलाभ ने हिंदी पत्रकारिता को चुना।ऐसे बहुत कम पत्रकार देखे जो किसी नए राज्य को इतना जल्दी समझ सके। नीलाभ बहुत जल्द ही राजस्थान की बोली -भाषा , संस्कृति ,वास्तु ,परम्परा ,जाति समीकरण और सियासत को ठीक से जानने लगे।सरलता और सादगी उनके मिजाज में थी।इसीलिए वो जल्द ही राजस्थान में लोगो की पसंद बन गए।हालाँकि उनका अख़बार हैदराबाद से प्रकशित होता था। मगर नीलाभ मिश्र किसी स्थानीय रिपोर्टर से भी ज्यादा सक्रिय रहते। उन्हें यात्रा करना अच्छा लगता था।राजस्थान के हर दूरस्थ स्थान की यात्रा में वे ऐसा कुछ लेकर लौटते कि साथी पत्रकारों के लिए भी कुछ नया होता।

जब भी कोई साथी पत्रकार शब्द और भाषा के मामले किसी उलझन में फंसता ,नीलाभ मिश्र उसके लिए शब्दकोश की तरह काम आते।उन्हें इतिहास ,भूगोल ,भाषा ,मुहावरे ,साहित्य और राजनीति की अच्छी समझ थी।जब भी वे किसी साधारण विषय पर बोलने लगते ,लोग जिज्ञासु होकर सुनंने लगते। यही वो समय था जब समाज का एक हिस्सा जाति -धर्म को अपनी सियासी मंजिल के लिए इस्तेमाल करने लगा था।ऐसे में नीलाभ मिश्र जैसी समीक्षा करते ,उसे बहुत पसंद किया जाता। इसी वक्त राजस्थान में अधिकारों के लिए कई समूह और व्यक्ति खड़े हो रहे थे /इसमें मानव अधिकार ,सूचना का अधिकार और समाज के वंचित वर्गो के हको की लड़ाई के मुद्दे शामिल थे। नीलाभ मिश्र जल्द ही इन सबके चहेते बन गए।वे लोगो के लिए एक वैचारिक संबल थे। वे इन सबके सुख दुःख में भी एक सहारा थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात मानव अधिकार कार्यकर्त्ता कविता श्रीवास्तव से हुई। जो बाद में ताहयात रिश्तो में बदल गई।

नीलाभ को शायद ही कभी किसी ने मायूस और उदास देखा हो।जिदंगी के हर सुख दुःख में वे अविचलित और मजबूत नजर आते थे।यहां तक कि अपनी इस तकलीफ में भी सहज नजर आते थे।शानो शौकत की जिंदगी से दूर नीलाभ हमेशा बहुत सादगी से रहना पसंद करते थे।वे बहुत परिश्रमी थे।इसी के सबब नीलाभ ने राजस्थान के दूर दराज के स्थानों का सफर किया और अनछुए मुद्दों और लोगो के बारे में रिपोर्टिंग की।वे एक विचारक और दार्शनिक की तरह जिये। नीलाभ उसूलो के पक्के थे। मगर उन्हें कभी किसी से दुराव और अदावत में जीते नहीं देखा।हर वक्त खुश मिजाज रहते थे । मुस्कान को वे हंसी तक ले जाते थे।हंसी अट्हास तक जाती और इंसान अपने दुःख दर्द भूल जाता।लेकिन न अब वो हंसी मुस्कान है ,न नीलाभ मिश्र।उनके यूँ रुखसत करने से हर कोई गमजदा है।

Courtesy: द सिटिज़न ,
Original published date:
24 Feb 2018
नीलाभ मिश्रा
पत्रकार
पत्रकारिता

Related Stories

सरकार के खिलाफ कार्टून शेयर करने पर बस्तर के पत्रकार पर राजद्रोह का मुक़दमा

अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाये रखने के लिए पत्रकारों ने किया प्रदर्शन

कामरान यूसुफ एक पत्रकार हैं, एनआईए विश्वसनीय प्रमाण प्रदान करने में विफल रही है : न्यायाधीश


बाकी खबरें

  • भाषा
    चारा घोटाला: झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू यादव को डोरंडा कोषागार मामले में ज़मानत दी
    22 Apr 2022
    लालू प्रसाद के खिलाफ रांची में चारा घोटाले का यह अंतिम मामला था और अब उनके खिलाफ पटना में ही चारा घोटाले के मामले विचाराधीन रह गये हैं। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में…
  • अजय कुमार
    जहांगीरपुरी में चला बुल्डोज़र क़ानून के राज की बर्बादी की निशानी है
    22 Apr 2022
    बिना पक्षकार को सुने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कानून द्वारा निर्धारित यथोचित प्रक्रिया को अपनाए बिना किसी तरह के डिमोलिशन की करवाई करना अन्याय है। इस तरह के डिमोलिशन संविधान के अनुच्छेद…
  • लाल बहादुर सिंह
    संकट की घड़ी: मुस्लिम-विरोधी नफ़रती हिंसा और संविधान-विरोधी बुलडोज़र न्याय
    22 Apr 2022
    इसका मुकाबला न हिन्दू बनाम हिंदुत्व से हो सकता, न ही जातियों के जोड़ गणित से, न केवल आर्थिक, मुद्दा आधारित अर्थवादी लड़ाइयों से। न ही महज़ चुनावी जोड़ तोड़ और एंटी-इनकंबेंसी के भरोसे इन्हें परास्त किया…
  • अनिल अंशुमन
    झारखंड: पंचायत चुनावों को लेकर आदिवासी संगठनों का विरोध, जानिए क्या है पूरा मामला
    22 Apr 2022
    कई आदिवासी संगठन पंचायती चुनावों पर रोक लगाने की मांग को लेकर राजभवन पर लगातार धरना दे रहें हैं। 
  • अनिल जैन
    मुद्दा: हमारी न्यायपालिका की सख़्ती और उदारता की कसौटी क्या है?
    22 Apr 2022
    कुछ विशेष और विशिष्ट मामलों में हमारी अदालतें बेहद नरमी दिखा रही हैं, लेकिन कुछ मामलों में बेहद सख़्त नज़र आती हैं। उच्च अदालतों का यह रुख महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली और दूसरे…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License