आईआईटी मद्रास के अम्बेडकर पेरियार स्टडी सर्किल पर लगे प्रतिबन्ध ने देश के लोकतांत्रिक चरित्र पर एक सवालिया निशान खड़ा कर दिया था. हालाकि प्रतिरोध के कारण इसपर लगे प्रतिबन्ध को वापस लेना पड़ा पर इस तरह की घटनाएँ अनेक सवाल खड़े करती हैं. जब इस संस्थान में अनेक और छात्र संगठन कार्यरत थे तब आखिर क्यों एक दलित संगठन को ही निशाना बनाया गया? आखिर मानव संसाधन मंत्रालय ने एक गुप्त पत्र पर क्यों इतना बड़ा कदम उठाया? इस तरह की घटनाओं से शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता पर क्या असर पड़ता है? इनी सब सवालों के जवाब जानने के लिए न्यूज़क्लिक ने सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक सुभाष गाताडे से बात की.
