NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अर्थव्यवस्था
अमेज़न आग, बोल्सोनारो का श्वेत राष्ट्रवाद और पूंजीपतियों से गठजोड़
ग्लोबल वार्मिंग को दक्षिणपंथी इसलिए नकारता है क्योंकि इसके जलवायु 'विज्ञान’ ने पूंजीपतियों के सामने घुटने टेक दिये हैं।
प्रबीर पुरकायस्थ
09 Sep 2019
amazon fire

अमेज़न के वनों में अप्राकृतिक रूप से लगी आग का मतलब इसके जंगलों और मूल निवासियों को इस भूमि से बेदख़ल करना है। इसका लाभ बोल्सोनारो के पूंजीपति मित्रों के हितों के लिए है जबकि यह विश्व के लिए जलवायु संबंधी आपदा उत्पन्न कर रहा है।

अमेज़न के जंगलों में लगी आग का केंद्र ब्राज़ील है। इस घटना ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर खींचा है और यह प्रमुख ख़बर बन गई है। आग की इस घटना के बारे में बताते हुए नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर के बायोस्फेरिक साइंसेज़ लेबोरेटरी के प्रमुख डगलस मॉर्टन ने कहा कि अगस्त 2019 ऐसा महीना रहा जिसमें वर्ष 2010 के बाद से सबसे ज़्यादा आग लगने की घटनाएं हुईं।

ऐसी ही रिपोर्ट ब्राज़ील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च (आइएनपीई) ने पहले की थी। सैटेलाइट की तस्वीर के आधार पर जब आइएनपीई ने आंकड़ा दिया था तो आइएनपीई के प्रमुख रिकार्डो गाल्वाओ को इस साल 5 अगस्त को बर्खास्त कर दिया गया था। इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि ब्राज़ील के अमेज़न क्षेत्र में इन दो महीनों में पिछले वर्ष के समान अवधि के दौरान वनों के नुकसान में 40% की वृद्धि हुई।

यह घटना काफ़ी हद तक मानव-निर्मित है। ब्राज़ील में आग लगने की घटना की शुरुआत जहां से हुई वहां से इसे देखा जा सकता है। इसकी शुरुआत ज़्यादातर प्रमुख राजमार्गों के किनारे से हुई और वनों में फैल गई। स्पष्ट रूप से यह आर्थिक उपयोग जैसे लकड़ी, पशुपालन, व्यावसायिक खेती और खनन के लिए जंगलों को समाप्त करने का एक प्रयास है जो राष्ट्रपति बोल्सोनारो की नीतियों का मुख्य हिस्सा है।

अगस्त के अंतिम सप्ताह में पत्रकारों से बात करते हुए बोल्सोनारो ने कहा, "कुछ इंडियन्स (अमेरिका के मूल निवासी) के लिए यह बहुत ज़्यादा भूमि है।" हालांकि उन्होंने आग के कारण भूमि की सफ़ाई पर एक अस्थायी प्रतिबंध की घोषणा की है। उनकी नीतियों का मुख्य विषय ब्राज़ील में बड़े कॉर्पोरेट और उनके हितों के लिए अमेज़न को सौंपने में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करना है।

अमेज़न का जंगल विश्व के सबसे बड़े कार्बन भंडार के साथ-साथ सबसे बड़ा वैश्विक कुंड भी है। अगर इसमें आग लगने की घटनाएं होती हैं तो यह बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन का उत्पादन करेगा जो पहले नहीं देखा गया है। और यह परिवर्तन जल्द ही अपरिवर्तनीय हो सकता है क्योंकि एक बार जब कोई जंगल समाप्त होना शुरू हो जाता है तो एक बिंदु के बाद इसे नष्ट होने से रोकना लगभग असंभव हो जाता है।

वायुमंडलीय कार्बन को निपटाने के अलावा अमेज़न का जंगल हाइड्रोलॉजिकल साइकिल (जलविज्ञान-संबंधी चक्र) में मदद करता है जिससे बारिश होती है। अमेज़न के वनों का नुकसान न केवल विश्व की जलवायु को प्रभावित करेगा बल्कि ब्राज़ील और पड़ोसी देशों में स्थानीय जलवायु को भी प्रभावित करेगा जिससे कम वर्षा होगी और इसका कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

हालांकि मूल निवासियों पर हमले में बोल्सोनारों के नस्लीय टिप्पणी को शामिल करने के साथ ब्राज़ील ने अमेज़न पर सीधे हमले में काफी आगे निकल गया है ऐसे में अमेज़न के वनों को कृषि, लकड़ी और खनन के लिए खोलने का दबाव सिर्फ ब्राज़ील तक ही सीमित नहीं है। जाहिर है, अन्य देश जिन्होंने अपने वनों को खत्म कर दिया है उन्हें तर्क क्यों देना चाहिए कि वनों वाले देशों को वैश्विक लाभ के लिए वनों को स्थायी रूप से रखना चाहिए? 'कौन भुगत रहा है और कौन लाभ प्राप्त कर रहा है' जलवायु परिवर्तन वार्ता- पेरिस संधि- का मुख्य हिस्सा है जिसमें से ट्रम्प और और संयुक्त राज्य अमेरिका बाहर निकल गए है।

यह स्वर- कौन भुगत रहा है और कौन लाभ प्राप्त कर रहा है- वास्तव में ब्राज़ील के लिए एक राष्ट्रवादी स्वर हो सकता है। लेकिन यह बोल्सोनारो का तर्क नहीं है। उनके लिए एकमात्र मुद्दा यह है कि अमेज़न का सफ़ाया करने के लिए जलाया जाने वाला आग बिना नियंत्रण के नहीं जलना चाहिए: उन्हें उन लकड़ियों को लेकर आंसू बहाने चाहिए जो जलकर ख़ाक हो रहे जो उन्हें पैसे हासिल करने के लिए बेचे जा सकते थे।

वह जलवायु परिवर्तन को नकारने वाले और श्वेत राष्ट्रवादी (व्हाइट नेशनलिस्ट) अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से आग बुझाने के लिए मदद मांग रहे हैं। ब्राज़ील के मूल निवासियों 'इंडियन्स' के प्रति उनकी कोई सहानुभूति नहीं है। वह कहते हैं कि ब्राज़ील की सत्ता द्वारा यहां के वनों के मूल निवासियों का सफ़ाया नहीं किया गया जैसा कि अमेरिकी सत्ता ने अपने वनों के मूल निवासियों के साथ किया था।

जलवायु न्याय, स्वदेशी अधिकारों और आर्थिक विकास के जटिल मुद्दे पर चर्चा करने से पहले हमें अमेज़न के वनों के योगदान को लेकर ग़लतफ़हमी पर चर्चा करने की आवश्यकता है। जैसा कि आमतौर पर कहा जाता है कि अमेज़न के वन विश्व की आवश्यकताओं का 20% ऑक्सीजन का उत्पादन भी नहीं करते हैं। पृथ्वी पर यह सबसे ज़्यादा ऑक्सीजन उत्पादन करता है जो महासागरों सहित विश्व भर में पैदा होने वाली कुल ऑक्सीजन का लगभग 6% -9% है।

फिर भी, हम यह पूछे बिना ऑक्सीजन के उत्पादन करने की बात नहीं कर सकते कि अमेज़न इसकी कितनी खपत करता है। इसलिए हमें ख़ालिस (नेट) ऑक्सीज़न को देखना चाहिए जो अमेज़न उत्पादन करता है जिसका मतलब है कि इसके द्वारा उत्पादित ऑक्सीज़न में से इसके द्वारा इस्तेमाल किए गए ऑक्सीज़न को घटना। जब हम ऐसा करते हैं तो हम पाते हैं कि अमेज़न के ऑक्सीजन का शुद्ध (नेट) उत्पादन शून्य के क़रीब है क्योंकि यह ऑक्सीज़न का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। अमेज़न का महत्व वायुमंडलीय कार्बन को निपटाने और वनों के नुकसान का मतलब विनाशकारी परिणामों के साथ संग्रहीत कार्बन को वातावरण में छोड़ना होगा।

क्या आर्थिक रूप से वन भूमि का उपयोग करना संभव है जिससे कि स्थानीय तथा वैश्विक दोनों परिणामों के साथ वनों का नुकसान न हो? इसका तर्क हां है, यह वैज्ञानिक पद्धतियों और तकनीकों का इस्तेमाल करके किया जा सकता है जैसे कि हम अल्पकालिक विकास संबंधी लाभ प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं। क्राउन की ओर से एकल-संस्कृतियों (एक प्रजाति का वृक्ष लगाना) को बढ़ावा देने वाले और वनों पर दावा करने वाले औपनिवेशिक मॉडल से यह अलग होगा लेकिन इसका उद्देश्य वनों की रक्षा में वन समुदायों को शामिल करना होगा। इसका उद्देश्य मृत वृक्ष को वनों से निकालना होगा लेकिन इसके पुनरुद्धार की सीमा के भीतर और कई प्रकार के वृक्षों को लगाते हुए जो अमेज़न के वातावरण के अनुकूल है।

बेशक इसे मूल निवासियों के लिए एक नीति की आवश्यकता होगी जो उन्हें ख़ुद एकजुट होने के विकल्प का चयन करने की अनुमति देते हुए उनके पहचान का सम्मान संग्रहालय के जीवित वस्तुओं के रूप में नहीं बल्कि प्रकृति और ब्राज़ील के बा समाज के साथ सद्भाव के साथ रहने वाले समुदायों के रूप में करता है। ये जटिल मुद्दे हैं और इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। एक लोकतंत्र जो संवाद की अनुमति देता है और विकास के लक्ष्यों में सामंजस्य स्थापित करता है और लोगों की पहचान और सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखता है।

इसे जटिल बनाने के बजाय लोकतांत्रिक मार्ग पूंजी के तर्क के लिए काफ़ी सरल है। समाज के अन्य वर्गों की तुलना में यह पूंजीपतियों के हित को प्राथमिकता देता है न कि पूंजी को। पूंजीपति के लिए किसी भी मुद्दे को देखने का एक सरल तरीक़ा है: मुझे वापस आख़िर क्या प्राप्त हो सकता है यदि मुझे एक निश्चित नीति का पालन करने पर राज्य ही मिल सकता है? राज्य द्वारा पूंजीपतियों को भूमि, जंगल और खनिज संसाधन देने को मार्क्स प्राथमिक या मौलिक संग्रह कहते हैं। आम भाषा में यह आम लोगों का "अहाता" है और इस मामले में अमेज़न के वन जनसाधाऱण का क्षेत्र है।

अगर बोल्सोनारो वनों की भूमि- इसके वृक्षों, इसके खनिजों और पशुपालन या सोयाबीन की खेती के लिए वनों को साफ़ करने के बाद इनका उपयोग करने के लिए अपने पूंजीपतियों को सौंप सकते हैं तो इसका मतलब है कि वे बड़े पैमाने पर धन अर्जित करते हैं। यह बोल्सोनारो की नीतियों का मूल बिंदु है। यह ठीक वैसा ही है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में वन अधिकार अधिनियम में संशोधन के ज़रिए भारत में किया जा रहा है।

ब्राज़ील और भारत दोनों देश बड़े पैमाने पर प्राकृतिक संसाधनों पर से लोगों के अधिकारों को छीन रहे हैं। इसे पूंजीपति और उसके विचारक समय के अनुसार फ़ैसला लेने की बात कहते हैं।

पूंजीवाद न केवल ट्रम्प, मोदी और बोल्सोनारो का संकल्प है, कि जो पूंजी के लिए अच्छा है वह लोगों के लिए अच्छा है, बल्कि अन्य विचारकों का भी संकल्प है। इनमें से एक अमेरिकी अर्थशास्त्री विलियम नॉर्डहॉस हैं जिन्होंने एक आर्थिक मॉडल बनाया है जो वास्तव में दिखाता है कि आज जलवायु परिवर्तन को रोकने के उपाय पर ख़र्च करने से बेहतर है कि उन उपायों पर खर्च किया जाए जिससे भविष्य में जलवायु परिवर्तन की संभावनाएं कम हो जाएं। इस दृष्टिकोण में दो भ्रांतियां हैं। एक तो यह है कि सीधे तौर पर कार्बन उत्सर्जन के माध्यम से या कार्बन उत्सर्जन करने वाले उत्पादों का इस्तेमाल करके जलवायु परिवर्तन उत्पन्न करने वाले देश उन देशों की तुलना में बहुत कम प्रभावित होने वाले हैं जो बहुत कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं।

दुर्भाग्य से इस तरह के जलवायु परिवर्तन का प्रभाव विश्व के उष्णकटिबंधीय और भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में कहीं अधिक प्रतिकूल होने जा रहा है जहां ग़रीब लोगों की बड़ी आबादी रहती है। वे बहुत कम कार्बन उत्सर्जन भी करते हैं। नोर्डहॉस-प्रकार के मॉडल में अन्य दोष यह है कि भविष्य में प्रतिकूल प्रभाव के कारण उन्हें आज मिलने वाले विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, इसी तरह से एक पूंजीपति अपने लाभ पर नज़र रखता है कि इस अवधि का मुनाफ़ा पूंजीवाद की दीर्घकालिक स्थिरता से कहीं अधिक मायने रखता है।

क्या अन्य दृष्टिकोण और मॉडल संभव हैं? हां, बिल्कुल। इन दोनों मुद्दों की व्याख्या करने वाले कई दृष्टिकोण मौजूद हैं। लेकिन जलवायु विज्ञान का आज विज्ञान से बहुत कम लेना-देना है। यह राजनीति और पूंजी के हित हैं जो हमारे जलवायु के भविष्य को तय कर रहे हैं। अमेरिकी लेखक अप्टन सिंक्लेयर ने 1930 के दशक में लिखा था, "किसी व्यक्ति को कुछ समझना मुश्किल है जिसकी सलाह उसके अपने हितों पर निर्भर करती है! (इट इज़ डिफ़िकल्ट टू गेट अ मैन टू अंडरस्टैंड समथिंग व्हेन हिज़ सैलरी डिपेंड्स अपॉन हिज़ नॉट अंडरस्टैंडिंग इट)"

ग्लोबल वार्मिंग एक वैज्ञानिक घटना है जिसका विश्व के दक्षिणपंथी इंकार करते हैं क्योंकि यह सामान्य बात है कि जो उन्हें मदद करते हैं वे उनका मार्ग निर्धारित करते हैं।

Amazon fire
crony capitalism
Jair Bolsonaro
White Nationalism
global warming
Brazil
climate change
Forest Fires
capitalism

Related Stories

विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान

क्यों USA द्वारा क्यूबा पर लगाए हुए प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं अमेरिकी नौजवान

वित्त मंत्री जी आप बिल्कुल गलत हैं! महंगाई की मार ग़रीबों पर पड़ती है, अमीरों पर नहीं

जलवायु परिवर्तन : हम मुनाफ़े के लिए ज़िंदगी कुर्बान कर रहे हैं

लगातार गर्म होते ग्रह में, हथियारों पर पैसा ख़र्च किया जा रहा है: 18वाँ न्यूज़लेटर  (2022)

अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि

समाजवाद और पूंजीवाद के बीच का अंतर

जलविद्युत बांध जलवायु संकट का हल नहीं होने के 10 कारण 

संयुक्त राष्ट्र के IPCC ने जलवायु परिवर्तन आपदा को टालने के लिए, अब तक के सबसे कड़े कदमों को उठाने का किया आह्वान 

समय है कि चार्ल्स कोच अपने जलवायु दुष्प्रचार अभियान के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत करें


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License