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स्वाज़ीलैंड : वेतन के ऊपर जारी विवाद के बीच, पुलिस ने शिक्षक संघ के अध्यक्ष के खिलाफ़ कार्रवाई फिर से शुरू की
इस महीने की शुरुआत में म्बोंगवा ड्लामिनी के घर पर पुलिस की खतरनाक हथियारों से सुसज्जित यूनिट- ओएसएसयू ने जमकर गोलीबारी की। इसके चलते उनके बच्चों की तक जान ख़तरे में आ गई थी।
पवन कुलकर्णी, पीपल्स डिस्पैच
20 Apr 2022
स्वाज़ीलैंड : वेतन के ऊपर जारी विवाद के बीच, पुलिस ने शिक्षक संघ के अध्यक्ष के खिलाफ़ कार्रवाई फिर से शुरू की

वेतन में बदलाव को लेकर श्रम संघों के साथ चल विवाद के बीच, स्वाजीलैंड पुलिस ने म्बोंगवा ड्लामिनी के पुराने केस पर कार्रवाई फिर से चालू कर दी है। म्बोंगवा ड्लामिनी, "स्वाजीलैंड नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ टीचर्स (एसएनएटी) के अध्यक्ष हैं, जो देश की सबसे बड़ी कर्मचारी यूनियन है।

इस महीने की शुरुआत में ड्लामिनी के आवास पर पुलिस की ख़तरनाक हथियारों से सुसज्जित "ऑपरेशन सपोर्ट सर्विस यूनिट (ओएसएसयू) द्वारा जमकर गोलियां बरसाईं गईं, जिसके चलते उनके बच्चों की तक जान ख़तरे में आ गई थी। उनके खिलाफ़ पहले लगाए गए आरोपों को सबूतों के आभाव में वापस ले लिया गया था, लेकिन अब इन आरोपों पर दोबारा कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

इसमें एक आरोप है कि उन्होंने पुलिस को एक गिरफ़्तारी करने से रोका। इस आरोप पर 29 मई को मंजिनी शहर के बाहरी इलाके में स्थित कस्बे मत्सापा के एक मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई तय की गई है।

ड्लामिनी ने पीपल्स डिस्पैच से कहा, "एक कॉमरेड की गिरफ़्तारी को रोकने से संबंधित आरोपों के तहत पहली बार मेरे खिलाफ़ 2020 में सिगोदव्वेनी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ था। मैंने कभी पुलिस को रोकने की कोशिश नहीं की। हैरान करने वाली बात यह रही कि जिन अधिकारियों ने मेरे ऊपर आरोप लगाया वे जनरल ड्यूटी ऑफ़िसर थे, जबकि मेरे साथी कॉमरेड को गिरफ़्तार करने वाली ट्रैफिक पुलिस थी।"

उन्होंने आगे कहा, "जबसे यह आरोप लगाए गए हैं, तबसे मैं कोर्ट आता-जाता रहा हूं। 2021 की शुरुआत में आखिरकार पुलिस ने यह आरोप वापस ले लिए, क्योंकि उनके पास सबूत नहीं थे। लेकिन अब जब गिरफ़्तार किए गए कॉमरेड को भी बिना चार्ज लगाए छोड़ दिया गया है, तब उन्होंने मेरे खिलाफ़ मार्च, 2022 में फिर से केस शुरू कर दिया है।"

ड्लामिनी के बच्चों की ज़िंदगी ख़तरे में आई

ड्लामिनी के घर पर 3 अप्रैल को हमला हुआ था, तब "ह्लांस रॉयल रेसिडेंस (स्वाजीलैंड के राजा का महल) में मारूला त्योहार मनाया जा रहा था। इस त्योहार में मारूला फल से बियर बनाई जाती है। ड्लामिनी ने बताया, "राजा द्वारा इस त्योहार पर लाखों स्वाजी लिलांगेनी (वहां की मुद्रा) खर्च की जाती हैं, कुलमिलाकर यह त्योहार शराब पीने के बारे में होता है।"

हेलेमिसी में ड्लामिनी का घर उस सड़क के पास स्थित है, जहां राजमहल में मनाए जाने वाले त्योहार के लिए जाने वाले लोगों को निकलना था। सुरक्षाबल काफ़ी चिंतित नज़र आ रहे थे। हालांकि पिछले साल हुए अभूतपूर्व राजशाही विरोधी प्रदर्शनों को दबा दिया था, सेना द्वारा किए गए इस दमन के दौरान कम से कम 70 लोगों की जान गई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे, अब भी पूरे देश में प्रबल राजशाही विरोधी भावनाएं मौजूद हैं। बता दें इन प्रदर्शनों के दौरान राजा म्स्वाती तृतीय को कुछ दिनों के लिए देश छोड़कर भागना पड़ा था। 

जब सुरक्षाबल शांतिपूर्वक निकाले जा रहे लोकतंत्र समर्थक जुलूसों का हिंसात्मक ढंग से दमन कर रहे थे, तब अरबपति राजा और उसके करीबियों की संपत्ति और उद्यमों को पेट्रोल बमों से निशाना बनाया जा रहा था। जवाब में कुछ लोकतंत्र समर्थक नेताओं के घरों पर भी बमों से हमला किया गया, जिनका आरोप सुरक्षाबलों पर लगा।

जब इस तनावपूर्ण माहौल में भी त्योहार मनाया जा रहा था, तभी स्वाजीलैंड लिबरेशन मूवमेंट (SWALIMO) के कुछ सदस्य ड्लामिनी के घर के पास स्थित एक बस स्टॉप पर इकट्ठा हुए। यह लोग अपनी पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद लौट रहे थे।

इसके बाद ओएसएसयू ने तुरंत इन लोगों के ऊपर गोलीबारी शुरू कर  दी। यह लोग जान-बचाकर भागने के क्रम में ड्लामिनी के घर में घुस गए। इनका पीछा कर रही पुलिस ने तब घर को निशाना बनाकर कई गोलियां चलाईं।

ड्लामिनी ने बताया, "जब यह लोग पड़ोसी घरों में भी जा चुके थे, तब भी पुलिस ने मेरे घर पर गोलीबारी जारी रखी।"

उस दौरान ड्लामिनी घर पर नहीं थे। उन्हें उनके बच्चों ने फोन कर गोलीबारी के बारे में बताया। उनका एक बच्चा 15 साल और एक 19 साल का है। दोनों को अपनी जान बचाने के लिए पड़ोसी के घर भागना पड़ा।

ड्लामिनी कहते हैं, "जब मैं जल्दबाजी में घर पहुंचा, तो मैंने देखा कि मेरे घर के आसपास बहुत बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद हैं। मुझे अपनी सुरक्षा के लिए कई दिनों तक घर से दूरी बनाकर रखनी पड़ी। इस दौरान उन लोगों ने लगातार मेरे घर पर निगरानी रखी।"

ड्लामिनी की नौकरी के पीछे फिर पड़ी सरकार

शिक्षक सेवा आयोग (टीएससी) भी ड्लामिनी की नौकरी के पीछे पड़ चुकी है और उनके खिलाफ़ पेशेवर दुर्व्यवहार के पुराने और बिना आधार के आरोपों पर फिर से कार्रवाई शुरू कर दी है।

जब अक्टूबर 2018 में ड्लामिनी एसएनएटी के अध्यक्ष बने थे, उसके कुछ महीनों बाद ही टीएससी ने जनवरी, 2019 में टीएससी ने उनके खिलाफ़ यह आरोप पहली बार लगाए थे।

वह कहते हैं, "उन्होंने दावा किया कि मैंने योजना पुस्तिका (जहां शिक्षक पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए समयसीमा का उल्लेख करते हैं) में कहीं तारीख़ का जिक्र नहीं किया, उन्होंने मेरे ऊपर पेशेवर दुर्व्यवहार के आरोप लगाए और मुझे दो साल तक निलंबित रखा, इस दौरान मेरी सुनवाई भी नहीं की गई।"

इस अवधि के दौरान उन्हें शिक्षण नहीं करने दिया गया। ड्लामिनी कहते हैं, "मैं अपनी कार्यस्थल के परिसर में तक नहीं जा सकता था, यहां तक कि मैं अपने बच्चे को लेने भी नहीं जा सकता था, जो उसी स्कूल में पढ़ता है। मेरा उसके शिक्षकों से सभी तरह का संबंध खत्म कर दिया गया। यहां तक पालक-शिक्षक बैठक में भी मुझे स्कूल में जाने की अनुमति नहीं दी जाती।"

अक्टूबर, 2021 में जाकर टीएससी ने उनके खिलाफ़ लगाए गए आरोपों को वापस लिया और उन्हें बहाल करते हुए एक दूसरे स्कूल में नियुक्ति दी, जो मंजिनी से दूर था, मंजिनी शहर में ही एसएनएटी का मुख्यालय स्थित है। लेकिन तीन महीने बाद ही, जनवरी 2022 में टीएससी ने उनके खिलाफ़ मामले को फिर से खोल लिया।

ड्लामिनी ने औद्योगिक न्यायालय में गुहार लगाई है कि टीएससी को इन आरोपों पर कार्रवाई ना करने दी जाए। कोर्ट ने इस मामले में 9 जून को सुनवाई की तारीख़ रखी है। तब तक इन आरोपों के आधार पर टीएससी को कोई कार्रवाई ना करने का आदेश दिया गया है।

44,000 सरकारी नौकरों के साथ श्रम विवाद

ड्लामिनी के मामले में यह कार्रवाई, सरकार की चार सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों- बही-खाता, नर्स, शिक्षक और सार्वजनिक सेवा व संबंधित कर्मचारी, के साथ विवाद की शुरुआत के साथ शुरू की गई है। एसएनएटी इनमें सबसे बड़ा संगठन है, जो देश के 16,000 शिक्षकों में से करीब़ 14,000 शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है।

2016, जुलाई के सरकार और इन संगठनों के साझा समझौते के मुताबिक़, देश के करीब़ 44,000 सरकारी कर्मियों के वेतन का 2021-22 वित्तवर्ष में पुनर्परीक्षण किया जाना था। इस समझौते पर बाद में एक कोर्ट ने भी मुहर लगाई थी। लेकिन अब जब यह वित्त वर्ष खत्म होने की कगार पर है, तब तक भी सरकार यह पुनर्परीक्षण करने में नाकाम रही है।

समझौते में वेतन पर पुनर्परीक्षण के अपने वायदे से पलटते हुए, सरकारी सेवा मंत्रालय ने सिर्फ़ CoLA (कॉस्ट ऑफ़ लिविंग एडजस्टमेंट) का प्रस्ताव दिया है, जिसे कर्मचारी संगठनों ने नकार दिया है। 8 अप्रैल को एक साझा वक्तव्य जारी करते हुए इन संगठनों ने कहा कि CoLA के तहत जो प्रस्ताव दिया जा रहा है, उससे कोई बहुत बढ़ोतरी नहीं होने वाली है।

वक्तव्य में कहा गया, "ईंधन, बिजली, पानी और रोटी जैसी बुनियादी वस्तुओं की कीमतों में हाल में स्वाजीलैंड में इज़ाफा हुआ है। इस पृष्ठभूमि में सरकार द्वारा वेतन बढ़ोतरी पर पुनर्विचार करने से इंकार का मतलब है कि हमारे कई लोगों को आगे गरीब़ी के दलदल में और भी ज़्यादा फंसना होगा और हम ऐसा होने नहीं दे सकते।"

शिक्षकों की रोज़गार सुरक्षा को और धता बताते हुए टीएससी ने 13 अप्रैल को घोषणा में कहा कि प्राथमिक और द्वितीयक स्कूलों में शिक्षकों के सभी पद अब अनुबंध आधारित होंगे और इस साल किसी भी शिक्षक को स्थायी और पेंशन आधार पर नियुक्ति नहीं दी जाएगी। 

ड्लामिनी ने बताया कि इस ऐलान के पहले से ही कई शिक्षक निश्चित अनुबंधों के तहत बहुत लंबे समय, यहां तक कि 16-16 सालों से काम कर रहे हैं। अब सरकार सभी शिक्षकों के लिए इसे सामान्य बनाना चाह रही है। वह कहते हैं, "अनुबंध पर काम करने वाले शिक्षकों को मातृत्व अवकाश, आवास भत्ता, यात्रा भत्ता और कई दूसरे फायदे नहीं मिलते। इसलिए हम इसे नहीं मानेंगे। हम स्थायी रोज़गार की मांग करते हैं।"

सरकार ने नौकरियों को अनुबंध आधारित करने और वेतन पर पुनर्परीक्षण के वायदे को पूरा ना करने के लिए गरीबी को आधार बताया है। लेकिन इसके बावजूद, अर्थव्यवस्था के ज़्यादातर हिस्से पर नियंत्रण रखने वाला राजा, जो इसे खुद के और अपने करीबियों के फायदे के लिए चलाता है, वह हर साल बड़े-बड़े त्योहारों, जन्मदिन के जश्नों, महलों, आभूषणों, रॉल्स रॉयस कारों, प्राइवेट जेट और दूसरी विलासिता की चीजों पर अरबों डॉलर खर्च करता रहता है।

इसी वज़ह से स्वाजीलैंड (जिसका म्स्वाती ने एस्वातिनी नाम कर दिया है) कर्मचारी संघों द्वारा जो आर्थिक लड़ाईयां लड़ी जाती हैं, वे राजशाही विरोधी, लोकतंत्र समर्थक हो जाती हैं। इसलिए ड्लामिनी जिस कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ स्वाजीलैंड का हिस्सा हैं, उसका नारा- "अब लोकतंत्र (डेमोक्रेसी नॉऊ)" और "म्स्वाती को जाना होगा (म्स्वाती मस्ट फाल)" लोगों के तमाम वर्गों का नारा बन चुका है, जिसमें वे सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं, जो सिर्फ़ बेहतर वेतन की तलाश में हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Amid dispute over wages, Swaziland police resumes persecution of teachers’ union leader

Communist Party of Swaziland
eSwatini
King Mswati III
Mbongwa Dlamini
Operation Support Service Unit
Public Sector Associations
Swaziland Liberation Movement
Swaziland National Association of Teachers
Teaching Service Commision

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